kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
06-27-2018, 11:50 AM,
#6
RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
रानी धीरे-धीरे चलकर आई और बिस्तर पर जय के पास बैठ गई.. मगर उसकी नज़र लौड़े पर थी। ना जाने क्यों.. उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे जल्दी से पहले की तरह वो उसको मुँह में लेकर चूसे और उसका रस पी जाए।
उसकी नज़र को जय ने ताड़ लिया और उसको अपने से चिपका कर उसके कंधे पर हाथ रख दिए।
जय- देख रानी.. अब तू मेरे साथ रहेगी.. तो खूब मज़े करेगी.. बस तू मेरी हर बात मानती रहना.. तुझे पैसे तो मैं दूँगा ही.. साथ ही साथ मज़ा भी दूँगा.. जैसे अभी दिया.. तेरा रस निकाल कर दिया था.. तू सही बता मज़ा आया ना?
रानी थोड़ा शर्मा रही थी.. मगर उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
जय- गुड.. अब सुन.. तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है.. तो उस वीडियो की तरह अपने कपड़े निकाल दे.. फिर देख कितना मज़ा आता है।
रानी- ना बाबूजी.. मुझे शर्म आती है।
जय- अरे पगली.. शर्म कैसी.. देख मैं भी तो नंगा हूँ और मैं बस तुझे सिखा रहा हूँ.. तू डर मत..
रानी- बाबूजी मैं जानती हूँ.. जब लड़की नंगी हो जाती है.. तो लड़का उसके साथ क्या करता है.. मगर मुझे ऐसा-वैसा कुछ नहीं करना।
दोस्तो, रानी गाँव की थी.. सेक्स के बारे में शायद ज़्यादा ना जानती हो.. मगर कुछ ना जानती हो.. ऐसा होना मुमकिन नहीं..
अब देखो इशारे में उसने जय को बता दिया कि वो सेक्स नहीं करेगी।
जय- अरे तू क्या बोल रही है.. क्या ऐसा-वैसा तूने किसी के साथ पहले किया है क्या.. या किसी को देखा है..? बता मुझे.. तुझे किसने बताया ये सब?
रानी- ना ना.. मैंने कुछ नहीं किया.. वो बस एक बार हमारे पड़ोस में भाईजी को देखा था.. तब से पता है कि ये क्या होता है।
जय- अरे क्या देखा था.. ज़रा ठीक से बता मुझे?
रानी- वो बाबूजी.. एक बार रात को मुझे जोरों से पेशाब लगी.. तो मैं घर के पीछे करने गई और जब मैं वापस आ रही थी.. तो हमारे पास में भैया जी का कमरा है.. वहाँ से कुछ आवाज़ आ रही थीं। मैंने सोचा इतनी रात को भाभी जी जाग रही हैं. सब ठीक तो है ना.. बस यही देखने चली गई और जब मैं नज़दीक गई.. तब देख कर हैरान हो गई।
जय- क्यों ऐसा क्या देख लिया तूने?
रानी- व..व..वो दोनों.. नंगे थे.. और भैयाज़ी अपना ‘वो’ भाभी के नीचे घुसा रहे थे।
इतना बोलकर रानी ने अपना चेहरा घुमा लिया.. जो शर्म से लाल हो गया था।
जय- अरे ठीक से बता ना.. क्या घुसा रहे थे.. और कहाँ घुसा रहे थे.. प्लीज़ यार बता ना?
रानी- मुझे नहीं पता.. मैं बस देखी और वहाँ से भाग गई।
जय- बस इतना ही.. तो तेरे को इतना सा देख कर पता चल गया.. हाँ..
रानी- नहीं बाबूजी.. मैंने ये बात सुबह मेरी सहेली को बताई.. जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई है.. तब उसने मुझे बताया कि ये सब पति और पत्नी के बीच चलता है.. और फिर उसने मुझे सब बताया।
जय- ओये होये.. मेरी रानी.. मैं तो तुझे भोली समझा था.. तू तो सब जानती है.. चल अच्छा है ना.. मुझे तुमको ज़्यादा समझाना नहीं पड़ेगा। अब चल देर मत कर.. निकाल अपने कपड़े मुझे तेरा जिस्म देखना है।
रानी- नहीं नहीं बाबूजी.. मैंने कहा ना.. मुझे वो नहीं करना.. आप उसके अलावा जो सेवा कहो.. मैं कर दूँगी। मगर वो काम नहीं..
जय- अरे क्या.. तू ये और वो.. कह रही है.. साफ बोल कि चुदाई नहीं करूँगी.. तो मेरे को कौन सा तुझे चोदना है.. बस मेरी मालिश करवाने लाया हूँ। अब तुझे पैसे नहीं कमाने क्या.. जिंदगी भर ऐसे ही रहोगी क्या?
रानी- सच बाबूजी.. आप मेरे साथ वो नहीं करोगे ना.. तब तो आप जो कहो मैं कर दूँगी।
जय- अरे वाह.. मेरी जान यह हुई ना बात.. चल अब जल्दी से कपड़े निकाल.. मैं बस तेरे जिस्म को देखूँगा। उसके बाद तू मेरे लौड़े को चूस कर इसका दर्द मिटा देना।
रानी- बाबूजी पहले आप आँखें बन्द करो ना.. मुझे शर्म आ रही है।
जय ने उसकी बात मान ली और आँखें बन्द कर लीं और रानी ने अपने कपड़े निकाल दिए। पहले उसने सोचा ब्रा रहने दें.. मगर ना जाने क्या सोच कर उसने वो भी निकाल दी। अब वो एक कोने में खड़ी अपनी टाँगों को भींच कर चूत को छुपाने लगी थी और हाथों से अपने चूचे छुपा रही थी।
जय- अरे क्या हुआ जान.. अब आँख खोल लूँ क्या.. बोलो ना?
रानी- हाँ बाबूजी.. खोल लो..
जब जय ने आँखें खोलीं.. तो उसके सामने एक कच्ची कन्या.. अपनी जवानी का खजाना छुपाए हुए खड़ी थी.. जिसे देख कर उसका लौड़ा फुंफकारने लगा।
वो बस देखता ही रह गया। 
जय- अरे ये क्या है.. तुमने तो सब कुछ छुपा रखा है यार.. ऐसे कैसे चलेगा.. अब यहाँ आओ और सुनो हाथ ऊपर करके धीरे-धीरे आना, तुम्हें तेरी माँ की कसम है।
रानी- हाय बाबूजी.. आपने माई की कसम क्यों दे दी.. मैं अब क्या करूँ.. मुझे बहुत शर्म आ रही है और माई की कसम भी नहीं तोड़ सकती!
जय- ठीक है.. अब ज़्यादा सोचो मत.. बस मैंने जैसे बताया.. वैसे आओ आराम-आराम से..
रानी ने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अब उसके 30″ के मम्मे आज़ाद थे.. जो एकदम गोल-गोल और उन पर हल्के गुलाबी रंग की बटन.. यानि कि उसके छोटे से निप्पल.. सफेद संगमरमरी जिस्म पर वो गुलाबी निप्पल कुदरत की अनोखी कारीगिरी की मिसाल दे रहे थे।
रानी धीरे से आगे बढ़ रही थी और जय भी बड़े आराम से ऊपर से नीचे अपनी नज़र दौड़ा रहा था। अब उसकी नज़र रानी के पेट से होती हुई उसकी जाँघों के बीच एक लकीर पर गई.. यानि उसकी चूत की फाँक पर गई.. जो ऐसे चिपकी हुई थी.. जैसे फेविकोल से चिपकी हुई हो और चूत के आस-पास हल्के भूरे रंग के रोंए उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। उसकी मादक चाल से जय का लौड़ा झटके खाने लगा।
जय की नज़र से जब रानी की नज़र मिली.. तो वो शर्मा गई और तेज़ी से भाग कर जय के पास आ गई।
जय ने उसे अपने आगोश में ले लिया और उसके नर्म पतले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो बस रानी के होंठों को चूसने लग गया। उसके मस्त चूचों को मसलने लगा।
इस अचानक हमले से रानी थोड़ी घबरा गई और उसने जय को धकेल कर एक तरफ़ कर दिया और खुद जल्दी से खड़ी हो गई।
जय- अरे क्या हुआ रानी.. खड़ी क्यों हो गई तुम?
रानी- नहीं बाबूजी.. ये गलत है.. मुझे ये सब नहीं करना..
जय- अरे मुझ पर भरोसा रख.. मैं बस तुम्हें प्यार करूँगा और कुछ नहीं.. तुझे वो मज़ा दूँगा.. उसके बाद तू मुझे मज़ा देना बस..
रानी नादान थी और इस उम्र में किसी को भी बहला लेना आसान होता है। खास कर जय जैसे ठरकी पैसे वाले लड़के के लिए रानी जैसी लड़की को पटाना कोई बड़ी बात नहीं थी।
रानी खुश हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। वो बस जय के लौड़े को निहार रही थी। अब उसका इरादा क्या था.. ये तो वही बेहतर जानती थी।
जय- देख रानी.. मैं तुझे एक अलग किस्म की मालिश करना सिखाता हूँ.. जो हाथों और होंठ से होगी। तो सीधी लेट जा.. मैं तेरे जिस्म को मालिश करता हूँ। उसके बाद तू मेरे को वैसे ही करना.. ठीक है..!
रानी ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। बस अब क्या था.. जय उस कच्ची कन्या पर टूट पड़ा। उसके नर्म होंठों को चूसने लगा। उसके छोटे-छोटे अनारों को दबाने लगा। कभी वो उसके छोटे से एक निप्पल को चूसता.. तो कभी हल्का सा काट लेता।
रानी- आह.. इससस्स.. बाबूजी.. आह्ह.. दुःखता है.. आह्ह.. कककक.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. आह्ह..
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम - by sexstories - 06-27-2018, 11:50 AM

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