RE: non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं
मिनी छुट्टी पे थी इसलिए मीटिंग पोस्टपोन करनी पड़ी और राजेश का दिमाग़ फिर डर से घिर गया, ऐसा उसके साथ पहले भी हो चुका था जब कोई मिलना नही चाहता था तो उस छुट्टी या ट्रान्स्फर के बहाने दिए जाते थे.
आख़िर बुधवार को अचानक मिनी का फोन आ गया.
‘असल में मैं छुट्टी पे हूँ, इसलिए ऑफीस नही जा रही हूँ. पर मैं आपको रोक के नही रखना चाहती, तो सोचा कि कुछ टाइम निकाल कर इस तरफ ही आपसे मिल लेती हूँ’
‘ये तो बहुत ही बढ़िया होगा मेडम’ राजेश लगबघ उछल ही पड़ा आवेश और अचंभे के कारण जो उसे मिनी की अप्रत्याशित अच्छाई के कारण महसूस हुआ.
‘ठीक है, तो 4 बजे मोवा पे, जुहू बीच, पे मिलते हैं’
‘ओके साउंड्स पर्फेक्ट’
‘हां रिलीस ऑर्डर आपको कल ही मिल पाएगा’
‘कोई प्राब्लम नही’
राजेश ने अपनी घड़ी देखी पोने एक हो रहा था. तीन घंटे के अंदर वो मिनी से मिलने जा रहा था, उसकी बेकरारी बढ़ती जा रही थी.
उसने खिड़की से बाहर देखा फुहार की वजह से मौसम में ताज़गी आई हुई थी.
पोने तीन बजे वो मोवा के लिए निकल पड़ा. वो टाइम से पहले ही पहुँच गया, वो भी तब जब उसने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी रास्ते में. मिनी अभी तक नही आई थी.
राजेश अंदर चला गया और एक मेनू कार्ड उसके सामने रख दिया गया.
मेनू कार्ड में जो ड्रिंक्स लिखी हुई थी, राजेश ने उनका नाम कभी नही सुना था और कुछ तो उसे एलीयन लग रही थी. वो नही चाहता था कि वेटर्स ये समझे क़ी वो पहली बार आया है .
‘वन आइस्ड टी’ यही ऐसी ड्रिंक थी जो मेनू में उसे समझ में आई.
जब तक मिनी आती तो उसने सोचा क्यूँ ना अपना हुलिया ठीक कर लिया जाए इस लिए वो रेस्ट रूम में चला गया.
5’9” की हाइट के साथ वो कोई ज़यादा लंबा नही लगता था, जो ‘टॉल, डार्क,हॅंडसम’ की केटेगरी में आता हो, पर फिर भी उसकी हाइट ठीक ही थी. उसे अच्छे फीचर, गहरी आँखें,अच्छे कपड़े कई लोगो के सर उसकी तरफ घुमा देते थे. जब उसके बाल कटे होते तो वो बहुत क्यूट लगता और वो ज़यादा ही लोग उसे मूड के देखते.
आज कल वो लंबे बाल रख रहा था. उसके व्यक्तित्व का एक और विशेष गुण था उसकी स्वरघटित इंग्लीश. उसे दोस्त यार सब हैरान होते थे, वो कभी बाहर नही गया था तो ऐसी इंग्लीश उसे कैसे आई. राजेश के लिए ये उसका ये गुण एक रामबाण की तरहा था जो उसकी ग्रॅमर की ग़लतियों को भी छुपा लेता था. जो भी वो करता पूरे विश्वास और ज़ोर शोर से करता.
जहाँ तक उसकी कंपनी की मॅट्रिमोनियल वेबसाइट का सवाल था उसके हिस्साब से वो सच में एक काबिल और सबसे योग्य बॅचलर था.
राजेश आम तौर पे अपनी रेक्टॅंग्युलर सनग्लासस पहनता था जो उसके व्यक्तित्व की शोभा बढ़ाती थी.उसका पहना भी बिल्कुल अलग था, और नये नये एक्सपेरिमेंट करता था, जहाँ उसके कॉलीग्स फॉर्मल कपड़े पहनते वो चमकीले कपड़े पहनता. आज उसने वाइट शर्ट जिसपे मरून धारियाँ थी और काला ट्राउज़र पहना था.
पोने चार हो गये थे और मिनी अभी तक नही आई थी. राजेश सोच रहा था कहीं फस ना गई हो.
राजेश सोच रहा था कौन सी कार इस्तेमाल करती होगी वो. उसका दिल कह रहा था – हुंडई आक्सेंट. ये तो वो खुद भी नही जानता था कि उसका दिल कैसे इस नतीजे पर पहुँचा. अपनी आइस्ड टी के सीप लेते हुए बार बार वो अपनी घड़ी देख रहा था. बार बार यही सोच रहा था कि इस बार ‘टाइमिंग’ के साथ क्या गड़बड़ हुई है.
तभी उसने मोवा के बाहर एक ऑटो को रुकते हुए देखा, सफेद सलवार में उसे टाँगे नज़र आइी , जाहिर है कोई औरत ही होगी. जब एक औरत छाता ले कर बाहर निकली तो वो हैरान हो गया देख कर कि वो मिनी थी.
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