non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं
06-27-2018, 11:39 AM,
#2
RE: non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं
कुछ देर आर्यन ने सोचा क्या जवाब दे ‘ जैसा कि तुझे पता ही है, जब से लीवर ने फाइनान्सिंग बंद करी है मुस्किलें बढ़ गई हैं और मजबूरन स्टाफ को निकालना पड़ा’
राजेश का चेहरा पीला पड़ गया अपने सामने उसे पिंक स्लिप नज़र आने लगी – आड़ सेल्स मॅनेजर की ज़िम्मेवारी होती है आड़ रेवेन्यूस लाने की जो ऑफीस की रीड की हड्डी का काम करती है.

पिछले कुछ महीनो से एड रेवेन्यू ना के बराबर थे. काफ़ी अच्छे क्लाइंट दूसरी वेबसाइट्स पे शिफ्ट कर गये थे , फाइनॅन्सी भी हट गया था तो अब सारा भार राजेश के काम पर ही पंडा था यानी उसे एड रेवेन्यू बढ़ने थे इतने कॉंपिटेशन के होते हुए भी.

आर्यन और राजेश बातें कर ही रहे थे कि पीछे से आवाज़ आइी ‘ ओए हुए तू वापस आ गया, क्या चमका है चेहरे पे लगता है सिमरन का जादू चढ़ गया तेरे पे’ कहते हुए समीर राजेश को गले लगा लेता है. समीर भी पायल की तरहा हमेशा मस्त रहता था कोई चिंता नही , फरक बस इतना था कि कंपनी में उसकी पोज़िशन थी.

बाकी स्टाफ के लोग भी राजेश को सगाई की मुबारकबाद देते हैं जो वो फीकी मुस्कान के साथ मंजूर करता है और फिर अपने दोस्त आर्यन और समीर के साथ बातें करने लगता है.

सॉफ दिख रहा था राजेश सगाई से खुश नही है.

‘समझ में नही आ रहा मैं शादी का फ़ैसला कर के ठीक कर रहा हूँ या नही. एक तो मैं सिमरन के बारे में कुछ ज़यादा जानता नही और दूसरा जो थोड़ी देर उस से मिला तो मेरे टाइप की नही लगती…..’

‘क्या मतलब तेरा – तेरे टाइप की’ आर्यन ने कुरेदा.

‘देख पहले तो उसका रंग सांवला है जब कि मैं हमेशा अपनी बीवी को गोरी होने के ख्वाब देखता था’

समीर ने झट इस बात को कूड़े दान में डाल दिया कि बकवास सोचता हूँ मैं ‘ तू पागल है साँवली लड़कियों में जो सेक्स अपील होती है वो गोरी लड़कियों में नही – रेखा और बिपाशा को ही देख सब मरते हैं उनपर उनका सांवला पन ही उनका चर्म बढ़ा देता है और बिस्तर पे तो वो धमाल मचाती हैं, मेरा खुद का एक्सपीरियेन्स है’

‘अबे तू ये कैसे कह सकता है’ आर्यन ने मुखॉल उड़ाते हुए कहा.

‘यार गोरी लड़कियों के भाव हम लड़कों ने बढ़ा रखें हैं जीने गोरी चमड़ी ज़यादा अच्छी लगती है, डार्क कंपेक्स्षन वाली लड़कियाँ किसी भी हद तक जाएँगी हमारी फॅंटसीस को पूरा करने के लिए’ बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ समीर बोला अपना बेस्ट एक्सपीरियेन्स जताते हुए.

राजेश सोचने लग गया लेकिन आर्यन ने बहस करते हुए कहा ‘ यार तेरी ये रिसर्च किसी सिग्ज़लजिस्ट को ही ठीक लगेगी, लेकिन जिंदगी में हर चीज़ सेक्स की आगे पीछे नही घूमती.’

‘शर्त लगा – बहुत फरक पड़ता है, यार तुम्हारे बीवी के साथ में कुछ भी डिफरेन्सस हो सकते हैं , लेकिन जब वो बिस्तर में तुम्हें खुश करती है तो सब कुछ पीछे रह जाता है और तुम बाहर झाँकोगे भी नहीं, लेकिन अगर बिस्तर में वो तुम्हें खुश नही रखती तो बिल्कुल उल्टा ही होगा’

संशय के साथ देखते हुए, राजेश , समीर की धारणा पर शक़ करने लगा, उस विषय पर जिसपे समीर को महारत हासिल थी.

उसके दिमाग़ में खिचड़ी पक रही थी , एक सवाल उठ रहा था – किस तरहा दो विभिन्न और खास स्वाभाव वाले प्राणी – बिस्तर पर एक दूसरे के साथ सब कुछ भुला कर सेक्स का आनंद लेंगे.

क्या एक दूसरे के स्वभावों में अनुकूलता अनिवार्य नही एक मर्द और एक औरत के बीच वैवाहिक बंधन में बँधने से पहले? ताज्जुब के साथ राजेश सोच रहा था.

विपरीत सेक्स के बारे में अपने ज्ञान का राजेश कायल था, समीर आज पहली बार उसे ग़लत लग रहा था.

स्वाभाव की अनुकूलता के बिना बिस्तर पे एक रोमचक सेक्स की कल्पना - कतई भी मुमकिन नही. 

क्या होगा अगर एक को मजेदार संभोग की पूर्व क्रीड़ा में उत्सुकता हो और दूसरा बस फटाफट संभोग कर छुटकारा पाना चाहता हो? ऑर क्या होगा अगर एक पहले प्यार भरी सेडक्टिव बातें करना चाहता हो जिस्मो को छूने से पहले और दूसरा सिर्फ़ शांत रहे कोई भाग ना ले ? ऐसे ना जाने कितने सवाल उसके दिमाग़ में कोंध रहे थे जिनका जवाब सिर्फ़ कर के ही पता चलेगा और इसका मतलब है वास्तव में पहले शादी करना – और ये संभावना उसके लिए ख़तरों की लाडियाँ लगा रही थी.

गतिरोध को अवरुद्ध करने के लिए आर्यन ने पूछा ‘ चलो वो तो एक कारण हुआ, दूसरा कारण क्या है जो तुम्हें सिमरन के प्रति आशंकावान कर रहा है.’

राजेश वन्ग्मय रह गया इस डर के कारण कहीं उसका फिर से मज़ाक ना उड़ाया जाए.
बारबार पूछने पर बस मुँह में ही बड़बड़ा कर रह गया –‘ यार मुझे सच मुच कुछ नही पता. बस जब हम ने आपस में एक दूसरे से बात कर रहे थे तो ऐसा ही लग रहा था जैसे हमारी वेव्लेंत बिल्कुल अलग हैं’

‘क्यूँ , क्या हुआ’ समीर ने एक कॉन्स्टेबल की तरहा सख्ती से पूछा.

‘ देखो सच में मुझे वो एक मूक लगी – टोटली डंब यार, उसे यूके के एलेक्षन्स तक के बारे में कुछ नही पता था. और बस उसकी बुद्धिमता को जाँचने के लिए मैने उस से कॅपिटल पनिशमेंट के बारे में पूछा तो ऐसे देखने लगी जैसे मैं चाइनीस में बोल रहा हूँ’

राजेश जैसे जैसे अपनी कहानी उनको सुना रहा था उसे लगा आर्यन और समीर दोनो ही उसे घूर रहे थे जैसे अभी अभी चिड़ियाघर से छूट की आ रहा हो.

‘तुम से ज़यादा अकल्मंद कोई दुनिया में पैदा भी हुआ है’ आर्यन ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.

समीर तो पागलों की तरहा हँसने लगा ‘ तू क्या उसका सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू ले रहा था’

तभी पीयान वहाँ आ गया – ‘मूरती साहिब ने बुलाया है अभी इसी वक़्त’ उसने राजेश को बताया.

मुसीबत को भाँपते ही राजेश फटाफट मूरती के कॅबिन की तरफ भागा – जैसे फ़ौजी जनरल के पास जाता है . 

आर्यन और समीर दोनो ही एक मत थे राजेश पे गिरने वाली बिज़ली के बारे में सोच कर.

मूरती, कंपनी का फाउंडर और सीईओ, छोटी हाइट,पेट निकला हुआ,गहरा भूरा रंग आँखों में चस्मा.अभी तो सिर्फ़ 40 ही क्रॉस किया है पर लगता 50 से उप्पर है. अब मूरती ने ये कंपनी कैसे शुरू की उसके साथ क्या क्या हुआ, उसमे ना जाते हुए हम राजेश के साथ ही रहते हैं. मूरती ना राजेश को बधाई देने तो बुलाया नही.

राजेश कॅबिन में घुसता है और मूरती उसे 15 लाख का एड रेवेन्यू का टारगेट दे देता है वो भी दो हफ्ते के अंदर.राजेश ने सोचा 5 लाख होगा, 15 तो मज़ाक में बोल रहा है. 

‘और अगर तुम ये टारगेट पूरा नही करते तो ये कंपनी मुझे बंद करनी पड़ेगी’
एक बुरी खबर की तरहा राजेश ने ये झटका सहा और उसके दिमाग़ में ‘बॅड टाइमिंग’ ने फिर जड़ें पकड़ ली.

रात भर चिंता के कारण राजेश सो ना सका और सुबह होने में देर ना थी कि उसे नींद आ गई.

बिस्तर पे लेटे उपर घूमते पंखे को देखता रहा और जाने क्या क्या विचार और चेहरे उसके दिमाग़ में घूमने लगे. अपनी जिंदगी उसे इस पंखे की तरहा बिना किसी मकसद के घूमती नज़र आने लगी.

कभी सिमरन के अल्फ़ाज़ याद कर उनका मतलब जानने की कोशिश करता तो कभी बॉस के दिए हुए टारगेट के बारे में सोचता. अंत में सोचा कि दूसरी नौकरी अब ढूंडनी ही पड़ेगी. पर ब्राइड का क्या? क्या वो सर जिंदगी सिमरन के साथ गुजरने के लिए तयार है. कुछ जवाब नही था उसके पास.

कभी अपने माँ बाप के उपर गुस्सा आता जिन्होंने शादी उसके सर पे थोप दी. अभी 29 का ही तो हुआ हूँ, ये टाइम तो मज़े करने का है अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का है. उसके शहर की बात और है पर मुंबई जैसे शाहर में कौन 29 की एज में शादी करता है. इस उम्र में तो पैसा आना शुरू होता है और मोज मस्ती की जाती है. फिर माँ बाप के साथ सहानुभूति भी हुई, उन्होने ने तो पूरी छूट दे रखी थी अपना करियर जैसा वो चाहे बनाने की. क्या उनका कुछ भी हक़ नही उस पर जहाँ तक उसकी शादी का सवाल है?

माँ बाप ने तो उसे पूरी छूट दे रखी थी अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के लिए पर समय की सीमा भी बंद रखी थी. पर राजेश ही टालता रहा ,टालता रहा और उनके लिए वो समय आ चुका था जब राजेश को हर हालत में शादी कर लेनी चाहिए. इसलिए उसके पिता ने अपने दोस्त की बेटी सिमरन के साथ उसकी सगाई कर दी.
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RE: non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं - by sexstories - 06-27-2018, 11:39 AM

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