RE: Sex Chudai Kahani सेक्सी हवेली का सच
रूपाली ने अपने कदम धीरे धीरे सीढ़ियों पर रखे और किसी चोर की तरह उतरती हुई नीचे पहुचि. सीढ़ियों पर खड़े खड़े ही उसने धीरे से गर्दन घूमकर बेसमेंट में झाँका तो उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी.
पायल एक टेबल पर बैठी हुई थी. ये वही टेबल थी जिसपर झुका कर चंदर ने उसे चोदा था. वो टेबल के किनारे पर बैठी हुई थी और हाथों के सहारे से पिछे को झुकी हुई थी. उसकी सलवार उतरी हुई एक तरफ पड़ी थी और दोनो टांगे सामने नीचे ज़मीन पर बैठे इंदर के कंधो पर थी. इंदर ने उसकी दोनो टाँगो को पूरी तरह फेला रखा था और बीच में बैठा पायल की चूत चाट रहा था.
"आआआह्ह्ह्ह्ह मालिक" पायल कराह रही थी.
रूपाली फ़ौरन फिर से दीवार की ओट में हो गयी. उसे यकीन नही हो रहा था. वो हमेशा अपने भाई को बहुत सीधा सा समझती थी और यही वजह थी के कामिनी के साथ उसके रिश्ते के बारे में सुनकर वो चौंक पड़ी थी. और यहाँ उसका भाई घर की नौकरानी की चूत चाट रहा था, वो भी उस नौकरानी की जिससे वो कल ही मिला था.
एक पल के लिए रूपाली ने सोचा के वहाँ से चली जाए पर फिर जाने क्या सोचकर वो फिर दीवार की आड़ में खड़ी इंदर और पायल को देखने लगी.
इंदर अब उठ खड़ा हुआ था और पायल की होंठ चूम रहा था. वो पायल की टाँगो के बीच खड़ा था और पायल ने अपनी टांगे उसकी कमर के दोनो तरफ लपेट रखी थी और हाथों से वो इंदर के सर को सहला रही थी. इंदर ने थोड़ी देर उसके होंठ चूमने के बाद उसकी चूचियों को कमीज़ के उपेर से ही चूमना शुरू कर दिया और उसकी नंगी जाँघो पर हाथ फेरने लगा. पायल वासना से अपने सर को ज़ोर ज़ोर से इधर उधर झटक रही थी.
"जल्दी कीजिए मालिक. कोई आ जाएगा" पायल ने आँखें बंद किए हुए ही कहा
उसकी बात सुनकर इंदर ने दोबारा उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए और अपनी पेंट की ज़िप खोलने लगा. थोड़ी ही देर में उसकी पेंट सरक कर नीचे जा पड़ी और रूपाली फ़ौरन फिर से दीवार के पिछे हो गयी. वो अपनी ही छ्होटे भाई को नंगा नही देखना चाहती थी. एक पल के लिए उसने कदम उठाए के बेसमेंट से बाहर चली जाए पर तब तक खुद उसके जिस्म में आग लग चुकी थी. उसका एक हाथ कब उसकी चूत पर पहुँच गया था उसे पता भी नही चला था. उसने एक पल के लिए सोचा और फिर से इंदर और पायल को देखने लगी.
इंदर अपना कार्य करम शुरू कर चुका था. उसका लंड पायल की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. अब पायल टेबल पर सीधी लेट गयी थी. उसकी गांद टेबल के बिल्कुल कोने पर थी और टांगे इंदर के कंधो पर जो उसकी टाँगो के बीचे खड़ा अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. पायल की कमीज़ उसने खींच कर उपेर कर दी थी और दोनो चूचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे आता गूँध रहा हो.
"पहले भी करवा चुकी हो क्या?" उसने पायल से पुचछा
"नही" पायल ने सर हिलाते हुए जवाब दिया
"फिर तुम्हें ..... "इंदर ने कुच्छ कहना चाहा और फिर बात अधूरी छ्चोड़कर पायल की चूत पर धक्के मारने लगा
सीढ़ियों पर खड़ी रूपाली का हाथ उसकी चूत के साथ जुंग लड़ रहा था. उसे यकीन नही हो रहा था के वो च्छुपकर अपने भाई को किसी लड़की को चोद्ते हुए देख रही है और बजे वहाँ से जाने के खुद भी गरम हो रही थी.
इंदर के धक्के अब काफ़ी तेज़ हो चुके थे.
"और ज़ोर से मलिक" पायल अपनी आह आह के बीच बोल रही थी.
रूपाली को हैरत हुई के कहाँ तक कल की सीधी सी शर्मीली और कहाँ आज खुद ज़ोर से ज़ोर से का नारा लगा रही थी. उसकी खुद की हालत अब तक खराब हो चुकी थी और वो जानती थी के फिलहाल उसके पास चूत की आग भुझाने का कोई तरीका नही था. और जिस तरह से इंदर धक्के मार रहा था, रूपाली समझ गयी के अब काम ख़तम होने वाला है. उसने अपना हाथ चूत से हटाया, अपने कपड़े ठीक किए और धीरे से सीढ़ियाँ चढ़ती बेसमेंट से बाहर निकल गयी.
थोड़ी देर बाद इंदर और रूपाली दोनो बड़े कमरे में बैठे टीवी देख रहे थे. जबसे इंदर बेसमेंट में पायल को चोद्कर आया था तबसे उसके और रूपाली के बीच कोई बात नही हुई थी. रूपाली बैठी टीवी देख रही थी और इंदर उसके पास ही आके खामोशी से बैठ गया था.
रूपाली को समझ नही आ रहा था के अपने भाई के बारे में क्या सोचे. वो भाई जिसे वो दुनिया का सबसे सीधा इंसान समझती रही. जिसके सिर्फ़ 2 शौक हुआ करते थे, शिकार करना और अपना बिज़्नेस संभालना. पिच्छले कुच्छ वक़्त में वो कितना बदल गया था. उसके शौक में कब शायरी और लड़कियाँ जुड़ गयी रूपाली को पता ही ना चला. पर पता चल भी कैसे सकता था. इंदर से पिच्छले 10 साल में मुश्किल से उसने 10 बार बात की होगी और अब पता नही कितने वक़्त के बाद मिली है.
"कामिनी के साथ तेरा रिश्ता कहाँ तक पहुँचा था?" आख़िर में उसने खामोशी तोड़ी और इंदर से पुचछा
"मतलब?" इंदर ने उसकी तरफ नज़र घुमाई
तभी पायल के ग्लास में पानी लेकर कमरे में आई तो रूपाली खामोश हो गयी. रूपाली को पानी थमाते हुए पायल ने एक नज़र इंदर को देखा और मुस्कुरा कर वापिस चली गयी.
"मतलब के तुम लोग कितने करीब थे" रूपाली ने पानी पीते हुए कहा "मेरा मतलब ....."
वो थोड़ी अटकी और फिर अपनी बात कह ही दी
"मेरा मतलब जिस्मानी तौर पर"
इंदर इस बात के लिए तैय्यार नही था. वो चौंक पड़ा
"ये कैसा सवाल है?"
"सवाल जैसा भी है" रूपाली ने सीधा उसकी आँखों में देखते हुए कहा "जवाब क्या है?"
"मैं जवाब देना ज़रूरी नही समझता" इंदर ने गुस्से में कहा और उठकर कमरे से बाहर जाने लगा
"मालकिन" बिंदिया की आवाज़ पर रूपाली ने उसकी तरफ़ नज़र उठाकर देखा
"बाहर पोलीस आई है. वही खाड़ुस इनस्पेक्टर जो हमेशा आता है"
बिंदिया ने कहा तो इंदर के कदम भी रुक गये. उसने पलटकर रूपाली की तरफ देखा
"अंदर ले आओ" रूपाली ने बिंदिया से कहा
थोड़ी देर बाद कमरे में इनस्पेक्टर ख़ान दाखिल हुआ
"सलाम अर्ज़ करता हूँ" वो अपने उसी अंदाज़ में बोला
"तुम अपने कमरे में जाओ" रूपाली ने इंदर को इशारा किया
"अरे नही रुकिये ठाकुर साहब" ख़ान ने फ़ौरन इंदर को रोका "मुझे आपसे भी कुच्छ बात करनी है"
"मुझसे?" इंदर ने हैरानी से पुचछा
"जी आपसे. आइए बैठिए ना. अपना ही घर है" ख़ान ने उसे सामने रखी कुर्सी की तरफ इशारा करके बैठने को कहा
"आप जानते हैं ये कौन है?" रूपाली हैरत में पड़ गयी थी के इंदर से ख़ान क्या बात करना चाहता था
"आपके छ्होटे भाई हैं"ख़ान खुद भी एक चेर पर बैठता हुआ बोला "ठाकुर इंद्रासेन राणा"
"आप कैसे जानते हैं मुझे?" इंदर बैठते हुए बोला
"अजी आप एक ठाकुर हैं. सूर्यवंशी हैं. आपको ना पहचान सकूँ इतनी बड़ा भी बेवकूफ़ नही हूँ मैं" ख़ान ने कहा
ना रूपाली की समझ आया के ख़ान इंदर की तारीफ कर रहा था या मज़ाक उड़ा रहा था और ना खुद इंदर की
"आपके घर फोन किया था मैने तो पता चला के आप बढ़ी बहेन से मिलने गये हुए हैं. अब पोलीस स्टेशन आना तो आप ठाकुरों की शान के खिलाफ है तो मैने सोचा के मैने के मैं ही जाके मिल आऊँ" ख़ान ऐसे कह रहा था जैसे हवेली आकर उसने ठाकुर खानदान पर बहुत बड़ा एहसान किया हो
"कौन है ये आदमी?" इंदर चिड सा गया "और ये क्या बकवास कर रहा है"
"मतलब की बात पर आइए" रूपाली ने इंदर के सवाल का जवाब ना देते हुए ख़ान की तरफ पलटकर कहा
"चलिए मतलब की बात ही करता हूँ" ख़ान बोला और फिर इंदर की तरफ पलटा "वैसे आपको बता दूं के मुझे इनस्पेक्टर मुनव्वर ख़ान कहते हैं, वैसे मेरे चाहने वाले तो मुझे मुन्ना कहते हैं पर मुनव्वर ख़ान मेरा पूरा नाम है और इस इलाक़े में नया आया हूँ. आप चाहें तो आप भी मुझे मुन्ना कहते सकते हैं. अब तो हमारी जान पहचान हो ही गयी है"
"जैसा की आप जानती हैं के आपके पति के खून में मुझे कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट है" ख़ान रूपाली से बोला "और यकीन मानिए जबसे मैं यहाँ आया हूँ सुबह से शाम तक इसी बारे में सोचता रहता हूँ"
"पर क्यूँ?" रूपाली ने ख़ान की बात बीच में काट दी "मैं जानती हूँ के ये आपका काम है पर हमारे देश के पोलिसेवाले अपना काम काब्से करने लगे?"
रूपाली की बात सुनकर ख़ान हसणे लगा
"फिलहाल के लिए इतना जान लीजिए के मैं ये इसलिए नही कर रहा क्यूंकी ये मेरा काम है. और भी बहुत केस पड़े हैं जिनपर मैं अपना दिमाग़ खपा सकता हूँ. यूँ समझ लीजिए के आपके पति का एक एहसान था मुझपर जो मैं अब उतारने की कोशिश कर रहा हूँ"
"मेरे पति को मरे हुए 10 साल हो चुके हैं" रूपाली ने ख़ान को ताना मारा "अब याद आया है आपको एहसान का बदला चुकाना?"
"वो एक अलग कहानी है" ख़ान ने रूपाली की बात का जवाब नही दिया "फिर कभी फ़ुर्सत में बताऊँगा. फिलहाल मैं जिसलिए आया था वो बात करता हूँ. क्या है के जब आपके पति की मौत हुई थी उस वक़्त उनका पोस्टमॉर्टम नही हुआ था. पोस्टमॉर्टम के लिए बॉडी गयी ज़रूर थी पर बीच में आपके ससुर और आपका सबसे छ्होटा देवर बीच में आ गये थे. वहाँ उन्होने डॉक्टर्स के साथ मार पीट की और बॉडी उठा लाए. अब क्यूंकी वो यहाँ के ठाकुर थे और पोलिसेवाले उनकी जेब में थे इसलिए किसी ने मुँह नही खोला."
"तो?" इस बार रूपाली की जगह इंदर बोला
"तो ये ठाकुर साहब के पोस्टमॉर्टम तो पूरा नही हुआ पर रिपोर्ट्स में इतना ज़रूर लिखा हुआ था के ठाकुर पुरुषोत्तम की मौत कैसे हुई थी"
"गोली लगने से. ये तो हम सब जानते हैं" रूपाली ने कहा
"जी हां आप सब जानते हैं पर अब मैं कुच्छ ऐसा आपको बताता हूँ जो आप नही जानती" ख़ान ले बोलने का अंदाज़ अब कासी सीरीयस हो चुका था "रिपोर्ट्स के हिसाब से ठाकुर पुरुषोत्तम सिंग को एक रेवोल्वर से गोली मारी गयी थी और वो रेवोल्वेर ना तो इंडिया में बनती है और ना ही बिकती है."
रूपाली और इंदर चुप बैठे थे
"ठाकुर साहब को एक कोल्ट अनकॉंडा 6" बॅरल से गोली मारी गयी थी. इस तरह की रिवॉलवर्स अब इंडिया में मिलती हैं या नही ये तो मैं नही जानता पर आज से 10 साल पहले तो बिल्कुल नही मिलती थी. हां ऑर्डर करके मँगवाया ज़रूर जा सकती थी पर उसमें काफ़ी परेशानी होती थी क्यूंकी आप एक हथ्यार खरीद कर दूसरे देश से मग़वा रहे हैं. ये काम सिर्फ़ किसी ऐसी आदमी के बस में था जिसकी अच्छी पहुँच हो और खर्च करने के लिए पैसा बेशुमार हो.जैसे के कोई खानदानी ठाकुर"
"क्या मतलब है आपका" ईन्देर ने गुस्से में पुचछा
"बताता हूँ. सबर रखिए " ख़ान ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया "तो मैने सोचा के ठाकुर साहब के खानदान से ही शुरू करूँ. अब ठाकुर शौर्या सिंग के खानदान में हथ्यार तो बहुत थे, गन्स भी थी, पर ज़्यादातर दोनाली राइफल्स और जो रिवॉलवर्स या पिस्टल थी वो यहीं इंडिया से खरीदी गयी थी. किसी के भी नाम पर किसी विदेशी बंदूक का रिजिस्ट्रेशन नही था. तो मैने सोचा के क्यूँ ना ठाकुर साहब के रिश्तेदारों में तलाश किया जाए. जब पता लगाया तो मालूम चला के ठाकुर इंद्रासेन राणा ने आज से 11 साल पहले एक कोल्ट अनकॉंडा 6" बॅरल मँगवाई थी."
कमरे में सन्नाटा छा गया. रूपाली और ख़ान दोनो ही इंदर की तरफ देख रहे थे.
"वो इसलिए क्यूंकी मुझे शिकार करने और हथ्यारो का शौक था" इंदर ने अपनी सफाई में कहा
"अब आपकी रिवॉलव कहाँ है ठाकुर?" ख़ान ने सवाल किया
"वो रिवॉलव 10 साल पहले खो गयी थी. मैं शिकार पर गया था और वहीं जंगल में कहीं गिर गयी थी" इंदर ने जवाब दिया
"आपने पोलीस में रिपोर्ट कराई?" ख़ान ने पुचछा
"हम ठाकुर हैं इनस्पेक्टर" इंदर गुस्से में बोलता हुआ खड़ा हुआ "हम अपने मामलो में पोलीस को इन्वॉल्व नही करते"
ये कहकर इंदर गुस्से में पेर पटकता हुआ कमरे से निकल गया
उसके जाने के बाद रूपाली और ख़ान दोनो खामोशी से बैठे रहे. कुच्छ देर बाद रूपाली ने बोलने के लिए मुँह खोला ही था के ख़ान ने उसकी बात बीच में काट दी
"आप ग़लत सोच रही हैं. मैं ये नही कहता के आपके पति को आपके भाई ने मारा है पर ये बहुत मुमकिन है के इन्ही के रेवोल्वेर से आपके पति को गोली मारी गयी."
रूपाली ने सहमति में सर हिलाया और कमरे में फिर खामोशी छा गयी. थोड़ी देर बाद ख़ान उठा
"मुझे यही पता करना था के वो रेवोल्वेर अब ठाकुर इंद्रासेन के पास है के नही. अगर होती तो मैं चेकिंग के लिए माँगता पर ये तो कह रहे हैं के गन ही खो गयी थी. मैं चलता हूँ"
ख़ान जाने लगा तो रूपाली ने उसे रोका
"आप कल सुबह हवेली आ सकते हैं? कुच्छ काम है मुझे"
ख़ान ने हां में सर हिलाया और कमरे से बाहर निकल गया
ओके दोस्तो फिर मिलेंगे अगले पार्ट के साथ
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