Sex Chudai Kahani सेक्सी हवेली का सच
06-21-2018, 12:08 PM,
#2
RE: Sex Chudai Kahani सेक्सी हवेली का सच
रूपाली ने ज़मीन पे पड़े पड़े ही अपने घुटने मोड और टांगे फैलाई. चूत खुलते ही उसे एसी की ठंडक का एहसास अपनी चूत पे हुआ. हाथ चूत तक आया और फिर धीरे धीरे उपर नीचे होने लगा. उसकी आँखें आनंद के कारण बंद होती चली गयी और मुँह से एक लंबी आ निकल गयी. हाथ थोड़ा और नीचे आया तो वो जगह मिली जहाँ उसके पति का लंड अंदर घुसता था. जगह मिली तो एक अंगुली अपने आप ही अंदर चली गयी. जोश में रूपाली ने गर्देन झटकी तो शीशे में फिर खुदपे नज़र पड़ी. नीचे कालीन पे पड़ा उसका नंगा जिस्म जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ लग रहा था. बिखरे बॉल, मूडी कमर, छत की तरफ उठे हुए स्तन, जोश और एसी की ठंडी हवा के कारण सख़्त हो चुके निपल्स, खोली हुई लाबी टाँगें, गीली खुली हुई उसकी चूत और उसकी चूत को सहलाता उसका हाथ. इस नज़रे ने खुद उसके जोश को सीमा के पार पहुँचा दिया और फिर जैसे उसकी चूत और हाथ में एक जंग छिड़ गयी. मुँह से लंबी आह निकालने लगी और बदन अकड़ता चला गया.

जब जोश का तूफान ठंडा हुआ तो रूपाली के जिस्म में जान बाकी ना रही थी. उसने अपने आपको इतना कमज़ोर कभी महसूस ना किया था. बदन में जो ल़हेर उठी थी आज से पहले कभी ना उठी थी. उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी गांद तक को गीला कर चुक्का था. उसने फिर अपने आप को शीशे में निहारा तो मुस्कुरा उठी. आज जैसे उसने अपने आप को पा लिया था. वो थोड़ी देर वैसे ही पड़ी अपने नंगे जिस्म को देखती रही और फिर जब उठने की कोशिश की तो दर्द की एक ल़हेर उसके सर में उठी. अपने सर पे हाथ फेरा तो 2 बातों को एहसास हुआ. एक के उसने जोश में अपना सर ज़मीन पे पटक लिया था जिसकी वजह से सर में दर्द हो रहा था और दूसरा चूत सहलाते गर्मी इतनी ज़्यादा हो गयी थी के चूत से बाल तक तोड़ लिए थे जो अभी भी उसकी उंगलियों के बीच फसे हुए थे. उसने अपने सर को सहलाया और अचानक उसकी हसी छूट पड़ी. आज उसे पता था के उसे क्या करना है.

रूपाली यूँ ही ज़मीन पे काफ़ी देर तक नंगी ही पड़ी रही और उसे पता ही नही चला के कब उसकी आँख लग गयी. जब नींद खुली तो सुबह के 5 बाज रहे थे.उसने कल रात ही सोच लिया था के उसे क्या करना है और कैसे करना है. अब तो बस सोच को अंजाम देने का वक़्त आ गया था.

उसने उठकर अपने कपड़े पहने और बॉल ठीक करके नीचे आई. घर में अभी भी हर तरफ सन्नाटा था. वो खामोश कदम रखते अपने ससुर के कमरे तक पहुँची. दरवाज़ा खुला था. वो अंदर दाखिल हो गयी. ठाकुर शौर्या सिंग नशे में धुत सोए पड़े थे. शराब की बॉटल अभी तक हाथ में थी. एक नज़र उनपर डालकर रूपाली का जैसे रोना छूट पड़ा. एक वक़्त था जब शौर्या सिंग का शौर्या हर तरफ फेला था. हर कोई उन्हें इज़्ज़त की नज़र से देखता था, उनका अदब करता था. शराब को कभी उन्हें कभी भी हाथ ना लगाया था. और आज उसी इंसान से हर कोई नफ़रत करता है, हर तरफ उसके नाम पे थुका जाता है.

रूपाली ने अपने ससुर के हाथ से शराब की बॉटल लेके एक तरफ रख दी. अगर हवेली की इज़्ज़त को दोबारा लाना है तो सबसे पहले उसे अपने ससुर को इस 10 साल की लंबी नींद से जगाना होगा, ये बात वो बहुत आछे से जानती थी. एक शौर्या सिंग ही हैं जो सब कुच्छ दोबारा ठीक कर सकते हैं और अभी तो एक सवाल का जवाब उसे और चाहिए थे, के उसके पति को मारने की हिम्मत किसने की थी. किसकी जुर्रत हुई थी के हवेली की खुशियों पे नज़र लगाए.

रूपाली बाहर बड़े कमरे में रखे सोफे पे आके बैठ गयी. उसे इंतेज़ार था घर के एकलौते नौकर भूषण का. भूषण ने अपनी सारी ज़िंदगी इसी हवेली की सेवा करते गुज़ार दी थी और बुढ़ापे में भी अपने ज़िंदगी के आखरी दीनो में हवेली का वफ़ादार रहा. उसने वो सब देखा जो हवेली में हुआ पर कभी गया नही. यूँ तो अब वो ही हवेली का सारा काम करता था पर अब उसके कामों में एक काम और जुड़ गया था. 24 घंटे नशे में धुत ठाकुर का ख्याल रखना. उसके दिन की शुरुआत भी ठाकुर की जगाने और उनके नहाने का इन्तेजाम करने से ही होती थी.

थोड़ी ही देर में रूपाली को नौकर के कदमों की आहट सुनाई दे गयी.

“अरे बहू आप? इतनी सुबह?” भूषण ने पुचछा.

“हां वो आपसे कुच्छ काम था. मेरा कल माँ दुर्गा का व्रत था और आज पूजा के बाद ही मैं कुच्छ खा सकती हूँ. अभी देखा तो घर में पूजा का समान ही नही है. आप लाल मंदिर जाकर पूजा की सामग्री ले आइए. क्या क्या लाना है मैं सब इस काग़ज़ पे लिख दिया है” रूपाली ने काग़ज़ का एक टुकड़ा भूषण की तरफ बढ़ाते हुए कहा. लाल मंदिर हवेली से तकरीबन 100 किलोमीटर की दूरी पे था और भूषण 4-5 घंटे से पहले वापिस नही आ सकता था ये बात रूपाली अच्छी तरह जानती थी.

“जैसा आप कहें” भूषण ने काग़ज़ का टुकड़ा लेते हुए कहा. “ पर घर का काम?”

“वो सब मैं देख लूँगी. आप जल्दी ये सब समान ले आइए” रूपाली ने उसे जाने का इशारा करते हुए कहा.

बहू की भगवान में कितनी शरद्धा है. कितना पूजा पाठ करती है और फिर भी उपेरवाले ने बेचारी को भरी जवानी में ऐसे दिन दिखाए. ये सोचता हुआ भूषण धीरे धीरे दरवाज़े की तरफ बढ़ गया.

बाहर सवेरे का सूरज दिखना शुरू हो गया था. अब वक़्त था ठाकुर को जगाने का. रूपाली अपने कमरे में पहुँची और अपनी ब्रा और पॅंटी उतार फेंकी. विधवा होने के कारण उसे हमेशा सफेद सारी में ही रहना पड़ता था पर उसमें भी उसका हुस्न देखते ही बनता था. ब्रा ना होने के कारण सफेद ब्लाउस में उसकी दोनो छातियाँ हल्की हल्की नज़र आने लगी थी. रूपाली ने आईने में एक नज़र अपने उपेर डाली और सारी का पल्लू थोड़ा सा एक तरफ कर दिया और ब्लाउस का उपेर का एक बटन खोल दिया. सफेद ब्लाउस में अब उसकी चूचियाँ पल्लू ना होने के कारण और ज़्यादा नज़र आने लगी थी. निपल तो सॉफ देखा जा सकता था और ब्लाउस का एक बटन खुल जाने के बाद उसका क्लीवेज किसी की भी धड़कन रोक देने के लिए काफ़ी था.

अपने आप को देखकर रूपाली फिर मुस्कुरा उठी.वो अभी ठाकुर को जाकर जगाने का सोच ही रही थी के नीचे से शौर्या सिंग की आवाज़ आई. वो चिल्लाकर भुसन को आवाज़ दे रहे थे. रूपाली ने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया, सर पे घूँघट डाला और तेज़ कदमो से चलती नीचे बड़े कमरे में आई.

“जी पिताजी”

उसकी आवाज़ सुन शौर्या सिंग पलटे.

“भूषण कहाँ है बहू”

“जी उन्हें मैने लाल मंदिर भेजा है. घर में पूजा की सामग्री नही है. मेरा कल से व्रत था जो मुझसे पूजा के बाद ख़तम करना है” रूपाली ने सोचा समझा जवाब दिया.

“ह्म. ठीक है” शौर्या सिंग एक नज़र बहू पे डाली और कुच्छ कह ना सके पर चेहरे पे आई झुंझलाहट रूपाली ने देख ली थी.

“आपके नहाने का पानी हमने गरम कर दिया है और बाथरूम में है. आप नहा लीजिए तब तक हम नाश्ता बना देते हैं” रूपाली ने कहा

शौर्या सिंग अब भी नशे में धुत थे ये बात रूपाली से छुपि नही. कदम अब भी लड़खड़ा रहे थे.

“ठीक है” कहते हुए शौर्या सिंग वापिस अपने कमरे में जाने के लिए पलते और लड़खड़ा गये. घुटना सामने रखे सोफे से टकराया और वो गिरने लगे. रूपाली ने फ़ौरन आगे बढ़के सहारा दिया और इस चक्कर में उसकी सारी का पल्लू उसका सर से सरक कर नीचे जा गिरा.

“संभलके पिताजी” रूपाली ने अपने ससुर के सीने के दोनो तरफ बाहें डाली और उन्हें गिरने से बचाया. शौर्या सिंग का एक हाथ उसके सारी के बीच नंगे पेट पे आया और दूसरा उसके कंधे पे. कुच्छ पल के लिए उसका सीना रूपाली की चुचियों से दब गया. जब संभले तो एक नज़र रूपाली पे डाली. वो अभी तक उन्हें सहारा दे रही थी इसलिए सारी का पल्लू ठीक नही किया था. शौर्या सिंग ने आज दूसरी बार उसका चेहरा देखा था. पहली बार जब उसे पहली बार उसके बाप के घर देखा था और आज. वो आज भी उतनी ही सुन्दर लग रही थी, बल्कि उससे कहीं ज़्यादा. और फिर नज़र चेहरे से हटके उसके गले से होती उसकी चुचियों पे आ गयी जो ब्रा से बाहर निकलके गिरने को हो रही थी. सफेद रंग के ब्लाउस में निपल सॉफ नज़र आ रहे थे. दूसरे ही पल उन्होने शरम से नज़र फेर ली.

पर ससुर की नज़र को रूपाली से बची नही. वो जानती थी के ससुर जी ने वो सब देख लिया है जो वो दिखाना चाहती थी. जब शौर्या सिंग संभले तो उसने अलग हटके अपने सारी ठीक करी.

“आप थोड़ी देर यहीं बैठ जाइए. मैं तब तक आपके लिए चाय ला देती हूँ” कहते हुए उसने ससुर जी को वहीं बिठाया और किचन की तरफ बढ़ गयी. किचन में जाकर उसने एक प्याली में चाय निकाली और फिर ब्लाउस में से वो छ्होटी से बॉटल निकाली जो उसकी माँ ने शादी से पहले उसे दी थी.

“ये एक जड़ी बूटी है. ये पुरुष में काम उत्तेजना जगाती है.इसे अपने पास रखना. अगर कभी तेरा पति बिस्तर पे तेरा साथ ना दे रहा हो तो उसे ये पीला देना. फिर वो तुझे रात भर सोने नही देगा” ये बात उसकी माँ ने उसे मुस्कुराते हुए बताई थी. उस वक़्त रूपाली ये बात सुनके शरम से गड़ गयी थी और उसका दिल किया था के इसे फेंक दे. पर फिर जाने क्या सोचकर रख ली थी और आज यही चीज़ उसके काम आ रही थी. माँ तो रही नही पर उनकी चीज़ आज काम आई सोचते हुए रूपाली ने आधी बॉटल चाय की प्याली में मिला दी.

ठाकुर को चाय की प्याली थमाकर वो उनके नहाने का पानी बाथरूम में रखने चली गयी. वापिस आई तो ठाकुर चाय ख़तम कर चुके थे.

“हमें तो पता ही नही था के आप इतनी अच्छी चाय बनाती हैं बेटी” शौर्या सिंग ने कहते हुए चाय की प्याली नीचे रखी

“शुक्रिया पिताजी” कहते हुए रूपाली चाय की प्याली उठाने को झुकी और शौर्या सिंग का कलेजा उनके मुँह को आ गया. बहू के झुकते ही उसका क्लीवेज फिर उनकी आँखो के सामने एक पल के लिए आया और उन्होने अपने जिस्म में एक हरकत महसूस की. लंड ने जैसे एक ज़माने के बाद आज अंगड़ाई ली हो. ठाकुर को अपने उपेर आश्चर्या हुआ. वो हमेशा सोचते थे के अपने काम पे उन्हें पूरा काबू है पर आज उनकी बेटी समान बहुर को देख कर उनका जिस्म उन्हें धोखा दे रहा था. उन्हें इस बात का ज़रा भी एहसास नही था के ये कमाल उनकी चाय में मिली जड़ी बूटी का था.

रूपाली चाय की प्याली रखकर वापिस आई तो देखा के ठाकुर उठने की कोशिश कर रहे हैं पर नशे के कारण कदम लड़खड़ा रहे थे. उसने फिर आगे बढ़के सहारा दिया.

“आइए हम आपको बाथरूम तक ले चलते हैं” कहते हुए रूपाली ने ठाकुर को सहारा दिया. ठाकुर शौर्या बहू का कंधा पकड़के खड़े हुए. रूपाली ने एक हाथसेउनका पेट पकड़कर एक हाथ से उनका दूसरा हाथ पकड़ रखा था जो उसके कंधे पे था. उसके हाथ की नर्माहट और उसके जिस्म की गर्माहट शौर्या सिंग सॉफ महसूस कर सकते थे. अंजाने में ही उनकी नज़र फिर बहुर के ब्लाउस पे चली गयी. क्लीवेज तो ना दिखा क्यूँ सारी पूरी तरफ से चुचियों के उपेर थी पर इस बात का अंदाज़ा ज़रूर हो गया के ब्लाउस का अंदर बहुर की छातियाँ कितनी बड़ी बड़ी हैं.

धीरे कदमों से दोनो बाथरूम तक पहुँचे. ठाकुर को अंदर छ्चोड़कर रूपाली बाहर कमरे में आई ही थी के अंदर बाथरूम में ज़ोर की एक आवाज़ आई. वो भागकर फिर बाथरूम में पहुँची तो देखा के शौर्या सिंग नीचे गिरे पड़े थे.

“ओह पिताजी. आपको चोट तो नही आई” उसने अपने ससुर को उठाके बिठाया.

“नही कोई ख़ास नही. पेर फिसल गया था पर मैने दीवार का सहारा ले लिया इसलिए ज़्यादा ज़ोर से नही गिरा.” ठाकुर ने अपनी कमर सहलाते हुए जवाब दिया.

“ये कम्बख़्त भूषण. इसे पता है के हमें नहलाने का काम इसका है फिर भी सुबह सुबह गया ” ठाकुर ने गुस्से में कहा.

“ग़लती हमारी है पिताजी. हमने भेजा था.” रूपाली ने कहा

“फिर भी. उसे सोचना चाहिए था.” ठाकुर ने फिर अपनी कमर पे हाथ फिराया.

“लगता है आपकी कमर में चोट आई है. हमें दिखाइए” कहते हुए रूपाली ठाकुर के पिछे आई और इससे पहले के वो कुच्छ कहते उनके कुर्ते को उपेर उठाकर कमर देखने लगी

शौर्या सिंग जैसे हक्के बक्के रह गये. वो मना करना चाहते थे पर बहू ने इंतेज़ार ही नही किया.

“ज़्यादा चोट नही आई पिताजी. हल्की सी खरोंच है” रूपाली ने कुर्ता फिर नीचे करते हुए कहा.

“ह्म्‍म्म्म…” ठाकुर बस इतना ही कह सके.

“आप बैठिए. हम आपको नहला देते हैं वरना आप फिर गिर जाएँगे.” रूपाली ने कहा

ठाकुर उसे मना करना चाहते थे पर शरीर में उठी काम उत्तेजना ने चुप कर दिया. रूपाली ने उनका कुर्ता पकड़के उतारा और ठाकुर ने अपने दोनो हाथ हवा में उठाकर उसकी मदद की. अब जिस्म पे सिर्फ़ एक धोती रह गयी.

“घूँघट में नहलाओगी? कुच्छ नज़र आएगा?” ठाकुर ने मुस्कुराते हुए पुचछा.

रूपाली ने अपने चेहरे से घूँघर हटा दिया और सारी का पल्लू अपनी कमर में पेटिकोट के साथ फँसा लिए. अब उसका पल्लू उसके ब्लाउस के बीच से जा रहा था और एक भी छाती को नही ढक रहा था. शौर्या सिंग ने उसका चेहरे को सॉफ तरह इतनी नज़दीक से पहली बार देखा था. उन्होने उसपे एक भरपूर नज़र डाली और दिल ही दिल में तारीफ किए बिना ना रह सके. और फिर नज़र जैसे अपने आप उसकी छातियो से आके चिपक गयी जो अब पल्लू हट जाने के वजह से ब्लाउस में सॉफ नज़र आ रही थी.

रूपाली ने अपने ससुर के शरीर पे पानी डालना शुरू किया. पानी वो इस अंदाज़ में डाल रही थी के आधा पानी ठाकुर के उपेर गिरता और आधा उसके अपने उपेर. थोड़ी ही देर में ठाकुर के साथ साथ वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. उसका ब्लाउस उसकी छातियों से चिपक गया था. अंदर ब्रा ना होने के कारण अब उस ब्लाउस का होना ना होना एक बराबर था. वो ठाकुर के सामने खड़ी थी जिसकी वजह से उसकी छातियों का भरपूर नज़ारा उसके ससुर को मिल रहा था. उसने साबुन उठाया और अपने सासूस के सर पे लगाना शुरू किया.

उधर शौर्या सिंग का अपने उपेर काबू रखना मुश्किल हो रहा था. सालों से उन्होने किसी को नही चोदा था और आज एक औरत का जिस्म इतने करीब था. उनकी बहू झुकी हुई उनके सर पे साबुन लगा रही थी. पानी से भीगा ब्लाउस अब जैसे था ही नही. उसकी दोनो चूचियाँ उनके सामने सॉफ नज़र आ रही थी. रूपाली उनके इतना करीब थी के वो अगर अपना मुँह हल्का सा आगे कर दें तो उसके क्लीवेज को चूम सकते थे.

रूपाली घूमकर ठाकुर के पिछे आई और कमर पे साबुन लगाने लगी. बुढ़ापे में भी अपने ससुर का जिस्म देखकर उसकी मुँह से जैसे वाह निकल पड़ी थी. इस उमर में इतना तन्द्रुस्त जिस्म. बुढ़ापे का कहीं कोई निशान नही,चौड़ी छाती, मज़ब्बूत कंधे. उसे इस बात का भी अंदाज़ा था के ठाकुर एकटूक उसकी चूचियों को ही घूर रहे थे और यही तो वो चाहती भी थी. अचानक वो आगे को गिरी और और अपनी दोनो चूचियाँ ठाकुर के कंधो पे रखके दबा दी.
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