RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
हम दोनों नीचे आ गए, नीचे संतोष खाना बना रहा था और कुछ ही देर में पति भी आ गए।
हम सबने एक साथ खाना खाया और फिर सब लोग सोने चल दिए।
मैं जब हाल की लाईट बंद करने गई.. तो जेठ ने मुझसे कहा- मैं इन्तजार करूँगा।
मैं बोली- नहीं.. आज आपके भाई मूड में हैं और मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। अब सब कुछ दोपहर में होगा.. सबके जाने के बाद..
और मैं अपने बेडरूम में चली गई और जाकर पति से चिपक गई।
मेरे ऐसा करने से पति समझ गए कि मैं चुदाई चाह रही हूँ।
वह बोले- जान चूत कुछ ज्यादा मचल रही हो तो चोद देते हैं… नहीं तो मैं बहुत थक गया हूँ.. सोते हैं।
मैं बोली- नहीं जानू.. मैं तो आपके लिए यह सब कर रही थी कि आपको मेरी चुदाई का मन होगा।
मैंने भी ज्यादा प्रेस नहीं किया.. क्योंकि आज रात मुझे चाचा से चूत चुदानी है.. चाहे जो हो जाए।
इसलिए सबका सोना जरूरी था। करीब आधी रात को मैं उठी और बेडरूम की लाईट जलाकर देखा कि पति बहुत गहरी नींद में थे। मैं लाईट बंद करके बाहर निकल आई और हॉल में मद्धिम प्रकाश में मैंने टोह लिया.. जेठ के कमरे से भी कोई आहट नहीं मिली।
अब मैं पैर दबाकर सीधे छत पर पहुँच कर सारे कपड़े निकाल कर वहीं दीवार पर रख दिए और मैं दीवार फांद कर उस पार बिल्कुल नंगी अंधेरे में चलती हुई चाचा के कमरे तक पहुँची।
मैंने जैसे ही रूम खोलना चाहा.. किसी ने मुझे दबोच लिया और एक हाथ से मेरे मुँह को दाबकर वह मुझे खींचकर छत के दूसरी छोर पर ले जाकर बोला- मैं तुम्हारे मुँह को खोल रहा हूँ.. अगर तुम चिल्लाई, तो बदनामी भी तुम्हारी होगी।
वह बात भी सही कह रहा था मैं बिलकुल नंगी किसी दूसरे की छत पर क्या कर रही हूँ.. मेरी हया और हालत इस बात की चीख-चीख कर गवाही दे रही थी कि मैं चुदने आई हूँ।
तभी उसने मुझसे कहा- तुम इस हाल में उस कमरे में क्या करने जा रही थीं?
मैं हकलाते हुए बोली- कुछ नहीं.. आप मुझे जाने दो प्लीज..
‘मैं जाने दूँगा तुमको.. जब तुम यह बता दोगी कि तुम यहाँ क्या करने आई थीं.. कमरे में चाचा जी हैं और तुम उस कमरे में क्यों जा रही थीं?
मैंने बहुत मिन्नतें कीं.. पर उस शख्स ने मेरी एक ना सुनी।
अंत में मुझे बताना पड़ा कि मैं यहाँ चुदने आई थी चाचा से..
यह जान कर उसने मुझे बाँहों में भर लिया और बोला- उस बुढ्ढे के साथ अपनी जवानी क्यों बरबाद कर रही हो मेरी जान.. तुम्हारी जवानी मेरे जैसे मर्दों के लिए है।
‘पर आप ने कहा था.. कि आप मुझे जाने दोगे..’
मैंने ये कहते हुए भागना चाहा.. लेकिन उसने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़कर बोला- आपके जैसा माल पाकर छोड़ने वाला बहुत बड़ा बेवकूफ ही होगा और तुमको एतराज भी क्या है.. जब कि तुम एक बुड्ढे से चूत मराने आई थी और तुम्हारा तो भाग्य ही है कि यहाँ एक जवान गबरू मर्द से पाला पड़ गया।
लेकिन मेरा वजूद यह करने को मना कर रहा था.. मैं छटपटाती रही.. पर वह मेरे ऊपर पूरा हावी था। उसके सामने मेरी एक नहीं चली और मैं उसकी बाँहों और छाती में छटपटा कर रह गई।
‘आप कौन हो और यहाँ छत पर क्या कर रहे हो..?’
‘मैं किराएदार हूँ और यहाँ तुम्हारा इन्तजार कर रहा था..’
‘क्क्या..क्या मतलब आपका..? मेरा इन्तजार?’
‘हाँ जान.. मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था.. मैं तुम्हारी और चाचा की सारी बातें सुन चुका था.. आज मैं यहाँ सो रहा हूँ। चाचा को पता भी नहीं है।’
मैं उसकी बात सुनकर अवाक रह गई।
तभी उसने मेरी चूचियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो.. मुझे जाने दो..’
पर वह मेरी बात सुन ही नहीं रहा था। मुझे वहीं बाँहों में कस कर मेरे होंठ चूसने लगा.. मेरी नंगी चूचियाँ दबाने लगा और उसकी हरकतों से मैं भी पागल होने लगी।
मैं कब तक अपनी इच्छाओं का गला घोंटती.. आखिर आई तो थी चुदाने ही.. लण्ड बदल गया.. तो क्या हुआ.. चूत यही है.. और लण्ड… लण्ड होता है। मैं अपनी कामवासना में पागल हो रही थी। मेरी चूत से पानी निकल रहा था और एक अजनबी मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसल रहा था और चूस रहा था।
मैं उसकी दूध चुसाई से पागल सी हो गई और उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गई और उसी के साथ सीत्कार उठी ‘आहह्ह्ह् सीईईई..’
उसने भी मेरी चूत को मुठ्ठी में भींच लिया ‘आहह्ह्ह्.. आया मजा ना जान.. तुम जाने को कह रही थीं।’
वो अपने तौलिए को खोल चुका था और मेरे हाथ को ले जाकर अपने लण्ड पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसके लण्ड को छुआ.. मैं चौक गई.. बहुत अजीब तरह का लण्ड था.. सुपारा बहुत ही मोटा था.. जैसे कुछ अलग से लगा हो। यह तो मेरी बुर में जाकर फंस जाएगा और खूब चुदाई होगी। मैं उस अजनबी की बाँहों को पाकर.. चुदने को बेकरार हो रही थी। यही हाल उसका भी था.. वह भी मेरी चूत को जल्द चोद लेना चाहता था।
मैं बड़बड़ाते हुए बोलने लगी- ओह.. आहह्ह्ह.. अब अपनी भाभी को चोद दे.. अब नहीं रुका जा रहा.. अपने लण्ड को मेरी चूत में घुसा दे.. पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में.. प्लीज़ अब चोदो ना..
तभी वह मेरी टांगों के बीच आ गया और अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने लगा।
लेकिन उसके लण्ड का सुपारा बहुत मोटा था। सही से मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था।
मैंने खुद ही अपना हाथ ले जाकर चूत को छितरा कर उसके लण्ड के सुपारे को बुर की दरार में लगा कर जैसे ही कमर उठाई.. वह मेरा इशारा समझ गया।
उसने मेरी चूत पर एक जोर का शॉट खींच कर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ लण्ड अन्दर घुसता चला गया.. मेरी चीख निकल गई।
मेरी चीख इतनी तेज थी रात सन्नाटे को चीरती दूर तक गई होगी। उसने भी घबड़ाहट में एक शॉट और लगा दिया और पूरा लण्ड चूत में समा गया।
मैं कराहते हुए बोली- हाय.. मैं मर गई.. आहह्ह्ह..
वह मेरी कराह देख कर काफी देर तक चूत में लण्ड डाले पड़ा रहा।
मुझे ही कहना पड़ा- चोदो ना.. मेरी चूत.. बहुत उछल रहे थे.. क्या हुआ..?
मेरी बात सुन कर उसने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। मुझे मज़ा आने लगा और मैं भी अपने चूतड़ों को हिला-हिला कर उसका साथ देने लगी। मेरे मुँह से बड़ी ही मादक आवाजें निकल रही थीं।
मैं सिसकारी लेकर कहने लगी- आहह्ह्ह सीईईई.. उफ्फ्फफ्फ.. आहह्ह्ह् सीईईई प्लीज़.. ज़ोर से धक्का लगाओ और मेरी चूत का जम कर बाजा बजाओ।
उसके मोटे लण्ड का सुपारा मेरी बुर में पूरा कसा हुआ जा रहा था।
मेरे मुँह से ‘स्स्स्स्स आह.. आहह्ह्ह् ईईईसीई..’ जैसी मादक आवाजें निकल रही थीं। वह मेरी चूत पर खींच-खींच कर शॉट लगा कर मेरी चुदाई करता जा रहा था।
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