RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मैं नायर से गुस्से में बोली- जो आप अभी कर रहे थे.. ठीक नहीं था.. मैं आपको पहले भी मना कर चुकी हूँ.. यदि आप को मेरी इज्जत की कोई परवाह नहीं है.. तो मैं आपसे कोई रिश्ता नहीं रखूँगी..
‘सॉरी बेबी.. गलती हो गई.. अब नहीं करूँगा..’ यह कहते हुए नायर बाहर निकल गया और मैं बाथरूम में चली गई।
फिर मैं फ्रेश होकर नाईटी के नीचे ब्रा-पैन्टी पहन कर रसोई में चली गई और चाय बनाकर जेठ और नायर को दे कर और अपनी चाय लेकर अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि आज जो हुआ ठीक हुआ कि नहीं.. पता नहीं क्या होगा।
तभी जेठ मेरे कमरे में आकर मेरे से बोले- डॉली, नायर को देख कर लग नहीं रहा कि यह साला तेरी बुर को चोद चुका है.. फिर भी उससे बच कर रहना..
यह कहते हुए उन्होंने मेरे होंठ का एक चुम्बन लिया.. फिर मेरी छाती दाबकर बोले- डॉली.. नाश्ता तैयार कर दो.. नायर मेरे साथ ही बाहर जाएगा।
‘ओके.. मैं अभी तैयार करती हूँ।’
फिर मैंने नाश्ता तैयार करके दोनों को करा दिया।
जेठ और नायर बाहर चले गए और अब मैं घर में अकेली थी। मेरे दिमाग में वही सब बातें और सीन चल रहा था और बगल वाले चाचा का गधा चाप लण्ड भी मेरी आँखों में घूम रहा था।
क्या मस्त लण्ड था..
चाचाजी की उम्र तो 55 की होगी.. पर लण्ड और कसरती जिस्म मस्त है.. एक बार फिर मैं मान-मर्यादा को भूल कर चूत में उनका लण्ड लेने का ख्वाब देखने लगी।
मैं नहा-धोकर अच्छी तरह तैयार होकर बिना ब्रा-पैन्टी के एक टॉप और स्कर्ट पहन कर फिर से छत पर चल दी.. यह देखने कि मेरे हुस्न को देख कर वह अब भी जरूर छत पर मेरी ताक में होंगे।
मैं गीले कपड़े लेकर छत पर गई ताकि ऐसा लगे कि मैं नहाकर कपड़े फैलाने आई हूँ। छत पर पहुँच कर मैंने बगल वाली छत पर निगाह दौड़ाई.. पर वह कहीं नहीं दिखे.. मैं थोड़ा दीवार की तरफ बढ़कर चारों तरफ देखने लगी.. पर वहाँ कोई नहीं था।
मैं मायूस होकर अपनी बुर दाबते हुए नीचे आने लगी, तभी मुझे बगल वाली छत पर बने कमरे के खुलने की आवाज आई।
मैं रूक कर देखने लगी.. वही चाचा थे, वह सीधे मेरी तरफ आ रहे थे।
मेरे जिस्म में थरथराहट होने लगी और जी घबड़ाने सा लगा।
तब तक वह मेरे पास आकर बोले- किसे खोज रही हो बहू?
मैं उनके इस सवाल से घबरा गई- कक्क्हाँ.. किस्स्स्सी.. को तो न्..न्..न्..नहीं..
‘लेकिन मैंने कमरे की खिड़की से देखा था कि तुम किसी को ढूँढ रही थीं?’
‘नहीं तो..’
ये सब बातें करते हुए चाचा दीवार फांद कर मेरी छत पर आ गए और बिल्कुल मेरे करीब आकर बोले- तुम मुझे ही देख रही थी ना.. मुझे पता है बहू.. अगर औरत प्यासी हो.. तो मन भटकता ही है.. और अगर कोई मेरा लौड़ा देख चुकी हो.. तो मैं समझ सकता हूँ कि उसके तन-बदन में आग लग गई होगी.. तुम चाहो तो तुम्हारी आग बुझ सकती है और मेरी भी..
‘छी:.. आप कैसी बातें कर रहे हैं कोई अपनी बहू समान औरत से ऐसी बातें करता है क्या? आप बहुत गंदे हो.. मैं वैसे ही देख रही थी.. इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं आपको ही देख रही थी.. और सुबह मैं अपनी छत पर थी.. चाहे जैसे थी.. पर आप ही मुझे घूर कर देख रहे थे और अपना ‘वह’ निकाल कर दिखा रहे थे।’
‘तुम ठीक कह रही हो.. पर तुम्हारी वजह से मेरी सोई हुई वासना जाग गई है.. और तुम चाहे जो भी कहो.. तुम भी मेरा लण्ड देख कर चुदने के लिए व्याकुल तो हो..’ ये कहते हुए बुड्ढे ने मुझे पकड़ कर चिपका लिया।
मैं घबराते हुए बोली- ये क्या कर रहे हैं.. कोई देख लेगा.. क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे..
‘मैं छोड़ दूँगा.. पर तुम एक बार जो अधूरा कहा है.. वो पूरा कहो.. मैं ‘वह’ क्या दिखा रहा था.. बोल दो.. तो अभी छोड़ दूँगा..’
मैं छटपटाती रही.. पर वह मुझे कस कर अपनी छाती से चिपकाए हुए बोले- जल्दी करो.. नहीं तो कोई देख लेगा।
मैं सर नीचे करके बोली- लण्ड.. अब छोड़ो..
वह बोले- कैसा लगा.. बता दो तो जरूर छोड़ दूँगा।
‘आप चीट कर रहे हैं..’
‘आपको जाना है.. तो बोलना पड़ेगा और वो भी सही-सही..’
मैं क्या करती.. मेरे पास उनकी बात मानने के सिवा कोई चारा नहीं था- ‘अच्छा लगा..’
‘एक बात और.. तुमको मेरे लण्ड को देख कर चुदने का मन कर रहा है ना?’
मैं छूटने के लिए भी और मेरे दिल में लण्ड भा गया था इसलिए भी बोल पड़ी- हाँ.. कर रहा है चुदने का मन..
तभी मैं चिहुँक उठी.. उन्होंने अपना एक हाथ ले जाकर मेरी बुर को दबा दिया था..
‘आउआह्ह..’
मेरी सीत्कार सुन कर उन्होंने मुझे छोड़ दिया.. मैं वहाँ से सीधे नीचे आते वक्त बोली- मैंने जो कहा है.. सब झूठ है.. मेरा कोई मन नहीं है..
पर उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे एक किस उछाल दिया।
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