RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरा इतना कहना और करना जेठ के लिए जैसे खजाना खुलना जैसा हो गया और वो मेरी चूत को चूसने-चाटने लगे।
जेठ जी मेरी बुर को पूरी तरह से मुँह में भरकर चूस रहे थे। कुछ देर चूसने के बाद मेरी बुर के ऊपर से चूमते हुए मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी चूचियों के निप्पलों को चाटते हुए मेरे होंठों को मुँह में लेकर अपने जीभ को मेरी मुँह में भर दिए। मुझे जेठ के मुँह का स्वाद कुछ कसैला सा लगा।
‘यह कैसा स्वाद है?’
मेरे ध्यान में आते ही मेरे दिल कि धडकन बढ़ गई.. कहीं जेठ भी इस स्वाद को समझ ना चुके हों.. और समझ गए हों.. अभी वे पूछेंगे तो मैं क्या कहूँगी?
तभी उन्होंने मेरा किस करना छोड़ दिया.. और बोले- डॉली क्या हुआ.. कहाँ खोई हो?
‘कहीं नहीं..’ मैं कहते हुए जेठ के होंठ को किस करने के लिए आगे हुई.. तभी जेठ जी बोल उठे- कैसा स्वाद है मेरे होंठों का.. और मुँह का.?
मैं उनके ये पूछते ही सन्न रह गई.. क्या कहूँ..?
‘अच्छा है.. जैसा सेक्स में होता है..’ मैं यह एक ही सांस में बोल उठी।
पर शायद जेठ जी संतुष्ट नहीं हुए.. जेठ जी बोले- मैं बताऊँ.. यह मर्द के वीर्य का स्वाद है.. सही कहा ना मैंने?
‘नहीं.. ऐसा तो नहीं है.. आपका शक गलत है.. कौन चोदेगा मुझे?
‘शायद नायर ने चोद दिया हो?’
‘यह आप क्या कह रहे? मैं थोड़ा गुस्से में बोल उठी।
‘ऐसा कुछ नहीं है.. मैं जाती हूँ यहाँ से..’ ये कहकर मैं छूटने की कोशिश करने लगी।
‘कहाँ जाओगी मेरी जान.. क्या फिर नायर से चुदने का मन है क्या?’
मैं बस चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
तभी जेठ ने कहा- मैंने सब देख लिया है जब नायर तेरी बुर चोद रहा था.. डॉली यह ठीक नहीं कि घर की इज्जत बाहर वाले के हवाले कर दी जाए। वह क्या सोचता होगा हम लोगों के विषय में?
तभी मुझे बोलने का मौका मिल गया- सही कह रहे हैं आप.. कल रात मैं आई और बिस्तर पर गई आपसे चुदने.. और चोद नायर ने दिया.. मुझे जानकारी सुबह हुई जब आपने पूछा कि रात क्यों नहीं आई तो मेरे होश ही उड़ गए कि फिर रात में कौन ने मेरी बुर की चुदाई की.. पर मैंने आपसे यह बात छिपा ली लेकिन नायर यह जान चुका था कि मैं आपसे चुदती हूँ और वह मुझे बोला कि डॉली मैं आपके राज को राज रख सकता हूँ.. अगर तुम चाहो.. मैं उससे बोली कैसे तो नायर ने बोला कि जब मैं चाहूँ तुमको मेरे लण्ड के नीचे आना पड़ेगा.. नहीं तो मैं आप के पति से सब बता दूँगा..
मैं पहले तो डिसाईड नहीं कर पाई.. लेकिन वह अभी कुछ देर पहले मेरे कमरे में आकर पूछने लगा कि क्या सोचा है.. तो मैं कुछ नहीं बोली.. तो नायर को लगा कि मैं उसके लण्ड के नीचे चूत देने को तैयार हूँ..फिर नायर ने मेरी चुदाई की.. जिसमें ना चाहते हुए मैं भी साथ दे रही थी।
अब आप ही बताओ अगर नायर से नहीं चुदती तो क्या होगा.. आपको पता ही है.. आपको यहाँ से जाना होगा सो अलग.. और अपने भाई से ऑख नहीं मिला पाते इसी लिए मैंने चूत देकर नायर का मुँह बंद कर दिया। अगर गलत है तो अब नहीं जाऊँगी।
मैंने जानबूझ कर बात को बढ़ाकर बताया ताकि मेरे और नायर के सेक्स सम्बन्ध को जानकर जेठ नायर को घर से निकाल देते। मैं जेठ की निगाह में मैं गिरना नहीं चाहती थी।
मेरी बातों का जेठ पर गहरा प्रभाव पड़ा, वे बोले- सॉरी डॉली.. मैं गलत समझा तुमको.. तुम्हारा कोई दोष नहीं है.. तुमको मैंने ही नायर के रहते बुलाया था जो कि नहीं बुलाना चाहिए था। तुम तो आई थी मुझे अपने बुर का सुख देने.. पर नायर ने तुम्हें चोदकर सुख ले लिया और मेरी तुम्हारी चुदाई की पोल भी जान गया।
मैं बोली- लेकिन आप यह बात नायर से मत करना कि तुमको भी जानकारी है, आप अनजान बने रहना..
‘ओके मेरी डार्लिंग…’
और फिर मैं एक बार जेठ के आगोश में थी। जेठ मेरी योनि को कुचलकर अपनी वासना को शान्त करना चाहते थे।
मैं भी एक बार फिर गरम हो कर पनियाई चूत को जेठ के लौड़े से रौंदवाने के लिए जेठ से लिपट कर अपनी छाती को जेठ के मुँह में देकर और हाथ से लण्ड को सहलाते हुए बोली- मैं आपकी हूँ.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चाहे इसके लिए कितने भी नायरों से क्यों ना चूत चुदानी पड़े।
तभी जेठ ने भी मेरी छाती की घुंडी को जोर से मसक दिया और मैं सीतकार उठी- आहह्ह्ह्… आहसीईई..
मैं भी खड़े-खड़े ही जेठ के लण्ड को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर चूत पर रगड़ते हुए फनफनाते लौड़े का आनन्द ले रही थी।
जेठ जी मेरी चूचियाँ और चूतड़ों को दबा सहला रहे थे, वे बोले- नायर से चूत चुदाने पर कैसा लगा?
‘नायर से चुदने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा.. मैंने तो बस बात को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसके लण्ड से अपनी चूत का सामना कराया था.. नहीं तो नायर के लण्ड पर मैं मूतती तक नहीं..’
तभी जेठ बोल उठे- लेकिन जानू मैं जब खिड़की से देख रहा था.. तो लग रहा था कि तुम भी पूरी तरह अपनी चूत को नायर को देकर खुलकर नायर के लण्ड से अपनी चूत की ऐसी-तैसी करा रही हो?
‘मैं बस उसका दिल रखने के लिए ऐसा कर रही थी और मैं खुल नायर के लण्ड से इसलिए खेल रही थी ताकि जल्दी उसका लण्ड वीर्य उगले और उससे पीछा छुड़ा कर मैं आपके पास आकर आपके मस्त लौड़े से अपनी बुर का कचूमर निकलवाऊँ।’
जेठ जी ने इतना सुनते ही मेरी चूचियों को कस कर भींच लिया।
‘आहह्ह.. सिईईई.. थोड़ा धीरे हार्न बजाओ ना.. उफ्फ्फ्फ आहसी!’
मैं भी जेठ जी के लौड़े से खेलती हुई बात कर रही थी।
तभी जेठ मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए मुझे लेकर बिस्तर पर बैठ गए और मेरे अधरों का रसपान करने लगे। मैं बस जेठ की चौड़ी छाती से चिपकी हुई जेठ द्वारा किए जा रहे यौन आनन्द का सुख ले रही थी।
फिर जेठ ने मुझको अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर मेरे नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ते हुए मेरी नाभि को चाटने लगे.. ‘आहह्ह्ह्.. उफ्फ..’ करते हुए मैं बस जेठ की गोद में मचल रही थी।
‘उइअम्म्मा.. सिइइइईई.. क्या आज आपका इरादा मेरी जान लेने का है.. जानू मेरी चूत भभक रही है.. आपके लौड़े को अन्दर लेने के लिए.. और आप मुझे केवल तड़पा रहे हो..’
‘मेरी जान, तुम्हारे जिस्म को बस चूमने चाटने का मन कर रहा है.. और वैसे भी अभी रात तो पूरी बाकी है मेरी जान..’ कहते जेठ जी मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी बुर से लेकर नाभि तक जीभ घुमा रहे थे।
जब उनकी जीभ मेरी बुर तक पहुँचती तो मैं कमर को और ऊपर उठा रस छोड़ती बुर को ज्यादा से ज्यादा उनकी जीभ पर रगड़ना चाहती.. पर जेठ जी मेरी फड़कती योनि को तड़पाने की कसम खा हुए थे।
तभी जेठ धीरे-धीरे चूमते हुए.. जब वो मेरी चूत तक पहुँचे और मेरी चूत पर जीभ घुमाते हुए मेरी चिकनी बुर को बेदर्दी से चाटने लगे। मैं तड़प उठी और फिर जैसे ही जेठ जी मेरी बुर से मुँह हटाना चाहा.. मैं जेठ के सर पर हाथ रख कर अपनी बुर पर दबा कर सिसियाने लगी।
‘आआआ आआअहह.. ओह माय गॉड.. चूसो मेरी बुर.. आआअहह..’
मेरी मस्ती से अब जेठ ने भी मेरी चूत के निकलते रस को चाटते हुए जैसे ही मेरी चूत के फांकों को मुँह में भर कर खींचकर चूसा.. मैं दोहरी हो उठी।
‘आहसीईई.. ऐस्स्स्से.. ही चाटो आहह्ह.. खा जाओ.. मेरी बुर..’
मैं सिसयाते हुए जेठ का हाथ पकड़ कर अपने चूचियों पर रखकर दबाने लगी।
मेरा इशारा समझ कर जेठ मेरी चूचियाँ भींचते हुए मेरी बुर को पूरी तरह खींच खींचकर चाट रहे थे।
मेरी वासना चरम पर थी..
आज जेठ के प्यार का अंदाज कुछ निराला था, वे मुझे पलटकर मेरे चूतड़ों और गांड के चारों तरफ चाटते हुए पीछे से मेरी योनि को जब चाटते.. तो मैं सीत्कार उठती और उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाता.. तो कभी मेरी छाती को दबाते और नीचे मेरी बुर के निकलते योनि रस का पान करते।
अब उन्होंने मुझे उठने का इशारा किया… मैं जैसे ही उनकी गोद से उठी.. वह बिस्तर पर पीठ के बल लिटाकर मेरे ऊपर लेटकर अपने शरीर से और नीचे लौड़े से मेरी गाण्ड और बुर की मालिश करने लगे।
मैं बोली- भाई सा.. अब आप मेरी बुर को चोद दीजिए.. मैं चुदने के लिए पागल हो गई हूँ.. बस अब आप अपने मोटे लण्ड को मेरी बुर में फंसाकर मेरी योनि को कुचल दीजिए.. अब नहीं रहा जाता.. मेरी बुर को आपके लण्ड की सख्त जरूरत है।
जेठ ने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी चूचियों को पकड़ कर दबाते हुए कहा- मेरी जान.. अभी कुछ देर पहले नायर ने तुम्हारी चूत का पानी निकाल दिया था और तुम भी नायर के लण्ड पर झड़ गई थीं.. पर साली तेरी चूत फिर से लण्ड के लिए फड़फड़ा रही है..
मैं बोली- जी भाई सा.. मेरी चूत फड़फड़ा रही है.. अपने जेठ का लण्ड लेने को..
वो- मेरी बहू रानी.. जरूर.. मैं तेरी बुर में लण्ड पेलूँगा.. क्योंकि तू तो अब मेरी रखैल है..
यह कहते हुए जेठ जी ने अपना लण्ड पीछे से ही मेरी चूत में लगा कर मुझे चूतड़ों को उठाने को कहा और मैंने जैसे ही चूतड़ उठाए.. भाई साहब ने एक जोरदार शॉट मार कर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
भाई साहब का लण्ड मेरी योनि को चीरता हुआ मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और मैं चीख उठी- आआआ आआहह.. मार डाला रे.. भाई साहब.. आप का लण्ड.. ओह माई गॉड..
और जेठ जी लण्ड जड़ तक पेले हुए मेरी पीठ और गले पर चूमने लगे, अपना मुँह मेरे कान पर लगा कर गरम-गरम साँसें छोड़ते हुए मेरी बुर में लौड़ा ठोकने लगे।
मैं भी उनके हर शॉट पर चूतड़ उठा कर जेठ जी का लण्ड चूत में उतार लेती।
जेठ के लौड़े के अंडों की हर मार जब मेरे चूतड़ों और लण्ड की मार चूत पर पड़ती.. तो ‘थपथपथप’ की आवाज से कमरा गूँज उठता।
मेरे जेठ जी काफी देर पीछे से लण्ड पेलते रहे और मैं चूतड़ उठाकर लण्ड लेते हुए झड़ती रही।
‘आहह्ह.. उइइइइ.. आहसीईई.. मैं गग्गईईई.. आह राजा.. चोदो..’
लेकिन तभी जेठ जी ने मेरी झड़ती चूत से लण्ड को बाहर खींच लिया.. मेरी चूत अभी पूरी झड़ी नहीं थी। मैं उनकी इस हरकत से बौखला उठी- न..न.. न्नहहीं.. यहह्ह.. क्क्क्क्या कर रहे हैं.. चोदो.. मैं झड़ रही हूँ…
पर जेठ को जैसे सुनाई ही नहीं दे रहा था और जेठ जी ने मुझे पीठ के बल पलट दिया।
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