RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मैंने नाश्ता टेबल पर लगा दिया, पति पहले से ही बैठे थे.. तभी जेठ और नायर भी आ गए।
मैंने नाश्ता लगाते हुए गौर किया कि नायर कुछ ज्यादा ही खुश था..
सब लोगों ने नाश्ता कर लिया और पति के जाने के बाद नायर जेठ से निगाह बचाकर मेरे करीब आकर बोला- डॉली जी रात के लिए थैंक्स..
और फिर नायर और जेठ दोनों किसी काम से बाहर चले गए।
मैं घर में बैठ कर रात की नायर की चुदाई को याद कर रही थी कि ये साला नायर तो मस्त है.. उसे देख कर तो मेरी बुर चुदने के लिए सरसरा रही थी.. पर मैं नायर का लण्ड इतना जल्दी बुर में घुसवा लूँगी.. यह मैंने सोचा तक नहीं था।
नायर ने मेरी बुर की तो मस्त चुदाई की.. पर यह ठीक नहीं हुआ। वह मेरे और जेठ के सम्बन्ध को जान चुका था कि मैं उससे नहीं जेठ से चुदने गई थी.. गफलत से उससे चुद गई।
अब देखो नायर करता क्या है?!
मैं कोशिश करके उसे यह बताना चाहूंगी कि मैं तुमको देख कर रह नहीं पाई और रात चुदने चली आई.. यानि नायर जी आपके लण्ड से मैं खुद चुदी हूँ.. मेरा जेठजी से कोई सेक्स सम्बन्ध नहीं है।
बस यही सब सोचते हुए मुझे हल्की झपकी लग गई।
घन्टी की आवाज सुन कर उठी और गेट खोला तो जेठ और नायर थे, नायर मुझे देख कर मुस्कुराते हुए अपने होंठ पर जुबान फेर रहा था।
मैं वहाँ से हट गई और लंच तैयार करके जेठ और नायर को खाना खिलाकर फ्री होकर अपने कमरे में बैठ कर मोबाइल पर गेम खेल रही थी.. तभी आहट से मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया।
नायर अन्दर आ रहा था.. वह सीधे मेरे बिस्तर के पास आकर मुझे एक पैकेट थमाकर बोला- डॉली जी.. यह आपका गिफ्ट है और हाँ आज रात मैं फिर इंतजार करूँगा।
मैंने आपके जेठ से बोल दिया कि बाहर मेरा बेड लगा देना.. मैं अकेला रहूँगा.. आप आएंगी ना.. मैं इंतजार करूँगा..
यह कहकर नायर बाहर चला गया.. मैंने पैकट खोल कर देखा कि दो सैट ब्रा-पैन्टी के थे, बिल्कुल लेटेस्ट डिजाइन के थे और साथ में एक कागज था जिस पर लिखा था- आज रात अपनी चूचियाँ और चूत पर.. इसमें से कोई एक जरूर पहन कर आना.. आई लव यू.. आपकी चूत का दीवाना- नायर।
मैं बस मुस्कुरा दी..
रात सब खा-पीकर जब सोने जाने लगे और मैं लाईट ऑफ कर रही थी.. तभी मेरी बगल से जेठ जाते हुए बोले- मैं कमरे में रहूँगा.. नायर बाहर रहेगा..
वे कहते हुए चले गए.. मैं कैसे कहती कि नायर सब बता चुका है और आपकी बहू की बुर पेल चुका है और आज रात दुबारा अपने लण्ड को आपकी बहू की बुर में डालना चाहता है।
मैं भी कमरे में गई तभी पति का फोन आया- मैं आज नहीं आ पाऊँगा.. तुम मेरा इन्तजार मत करना।
वे बोले और फोन रख दिया।
मैं कुछ देर बाद जेठ के कमरे में जाकर बोल आई- मैं आऊँगी.. पर आप अन्दर-बाहर मत करना.. नहीं तो नायर को शक होगा।
मैं इतना कहकर चली आई और आराम करने लगी।
अब मैं यही सोच रही थी कि पहले किसके पास जाऊँ.. क्या नायर से फिर से चुदना ठीक रहेगा?
यही सोचते हुए मुझे ना जाने कब नींद आ गई। फिर अचानक मेरी नींद खुलने का कारण बना किसी का हाथ… जो मेरे जिस्म पर चल रहा था।
‘कक्क्क्कौन.. हह्ह्ह्ह्है?’
‘मम्म्मैमैं.. ह्ह्ह्हूं.. नायर..’
‘अरे आप.. मेरे जेठ जी ने देख लिया.. तो..?’
‘नहीं मेरी रानी.. वह सो रहे हैं!’ और मेरी नाईटी ऊपर करके मुझे चूमने लगे और मैं भी कुछ देर बाद नायर का साथ देने लगी।
नायर ने मेरी नाईटी को निकाल दिया।
मैंने नायर के द्वारा लाए हुए ब्रा-पैन्टी को पहन लिया था। नायर भी अपने कपड़े उतार कर और अंडरवियर को भी निकाल कर एक गमछा लपेट कर आया था।
वह गमछा भी मेरे साथ मस्ती करते हुए छूट गया और नायर का लण्ड बाहर झूलने लगा। मैं नायर के मोटे-तगड़े लण्ड को पकड़ कर मुठियाते हुए मुँह में भर कर चूसने लगी, काफी देर तक मैं उसका लवड़ा चूसती रही।
तभी नायर ने लण्ड मुँह से निकाल कर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी जाँघों के बीच मेरी चूत पर मुँह रख कर मेरी चूत को चूम लिया।
‘आहह्ह्ह…’
नायर ने मेरी दोनों टांगों को कंधे पर रख लिया और वो अपनी जीभ लपलपाते हुए मेरी चूत में मुँह मारने लगा, अगले ही पल मेरी चूत की फांकों को कस कर चूसने लगा।
मैं नायर की चूत चटाई से गर्म होकर सिसकारियों को निकालते हुए चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह.. मेरे राजा.. यसस्स स्स्सस्स.. चूसो मेरी चूत को अहह.. साले नायर.. भेनचोद.. चाट मेरी चूत को.. पूरा चाट.. इसको.. लवड़े.. आहह सीसीसीइइ.. उंउंउंउआह्ह्ह्ह..
और नायर मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरी बुर में जीभ डाल कर मेरी चूत की प्यास को बढ़ाते हुए काफी देर तक मेरी बुर की चुसाई करता रहा।
फिर अपने लण्ड के सुपारे को मेरी बुर पर लगा कर और पैरों को अपने कंधों पर रख कर.. शॉट लगाते हुए मेरी बुर में अपना पूरा लण्ड जड़ तक डाल कर मेरी बुर चोदने लगा।
मैं भी नायर के हर शॉट पर बस कराह रही थी ‘आह.. उई.. आह.. ऊंऊंह… ऊंऊएस्स्स्स्स.. आह..’
मैं सीत्कार करती रही और नायर मेरी चूत की धज्जियां उड़ाता रहा.. हर शॉट पर मेरी छातियां भींच लेता।
नायर का लण्ड मेरी चूत में फूल गया था और नायर हर बार स्पीड बढ़ाकर दुगनी ताकत से लण्ड को मेरी बुर में पेल रहा था। मेरी हरामिन बुर भी लौड़े के शॉट खाकर पानी-पानी हो रही थी, इसी पानी में मेरी कामवासना का पानी भी करीब आता रहा।
अब तो मैं भी ‘आहें’ भरने लगी ‘आहह्ह्ह.. मजाआाआअ.. आह..सीईई.. और पेलो.. साले सांड.. लो मारो मेरी चूत..’
तभी नायर ने चुदाई का आसन बदल लिया। नायर ने बिस्तर के नीचे उतर कर मुझे बिस्तर के किनारे खींच लिया और पलट दिया। अब वो मेरी बुर में पीछे से लण्ड घुसाकर बुर चोदने लगा।
मेरी बुर एक आखिरी शॉट पर ही ‘फलफला’ उठी और मैं चादर भींच कर नायर के शॉट पर चूत दबाते हुए उसके लण्ड पर झड़ने लगी ‘आहसीईई.. आहह्ह्ह्.. मैं गई..’
पर नायर भी मेरी झड़ी हुई चूत की चुदाई काफी देर तक करता रहा।
फिर एक दौर ऐसा आया.. जब नायर मेरी पीठ से सट कर मेरी चूत में झड़ने लगा ‘ले डॉली.. साली छिनार.. आहह्ह्ह्.. मैंने भी तेरी चूत में अपना बीज डाल दिया.. आह्ह..’ वो यह कहकर हाँफने लगा।
नायर मेरी धकापेल चुदाई करके और मेरी बुर को वीर्य से भर दिया। अब वो निढाल होकर मेरी बगल में लेट गया और मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- जानेमन वाकयी आप एक गरम और जबरदस्त चुदक्कड़ माल हो.. अगर आप इजाजत दें तो आप की करारी गदराई गांड को भी चोद लूँ.. एक बार फिर आप के हुस्न के नशे को जज्ब करना चाहता हूँ।
‘अभी नहीं.. क्योंकि वैसे ही आपने मेरी चूत चोदकर मुझे पस्त कर दिया.. और अन्दर जेठ भी हैं… अगर उन्होंने हमें एक साथ देख लिया.. तो मेरे घर पर आपकी यह आखरी रात साबित होगी.. और फिर आप मेरे हुस्न के दीदार के लिए तरसते रह जाओगे।’
मैंने बिस्तर से उठकर नायर को जबरदस्ती कमरे से निकाल कर नायर को चेतावनी दे दी.. कि अगर हर रात और दिन मुझे भोगना है.. तो अब मेरे कमरे में मत आना और जब मैं इशारा दिया करूँ.. तभी मेरे करीब आना और जाकर अब सो जाओ।
यह कहते हुए मैं अन्दर से दरवाजा बंद करके साँसों को नियंत्रित करने लगी। मैंने नायर को जानबूझ कर यह कही थी.. क्योंकि अभी मुझे जेठ के पास जाना था और अगर नायर से ऐसा ना कहती तो हो सकता था कि वह फिर कमरे में आ जाता और मुझे ना पाकर खोजता और मैं जेठ से चुदते पकड़ी जाती..
मैं कुछ देर आराम करने के बाद कमरे से निकली और नायर के करीब जाकर देखा.. नायर जाग रहा था। मुझे देख कर बोला- क्या जान.. चूत फिर चुदने को फड़क रही है क्या?
मैं हड़बड़ा उठी.. पर बात बना कर बोली- मैं यह देखने आई थी कि कुछ चाहिए तो नहीं.. और इधर की लाईट भी जल रही थी।
यह कहते हुए मैं स्विच ऑफ करके ‘गुडनाइट’ कहकर अपने कमरे की तरफ चल दी.. पर कुछ आगे जाकर जेठ की तरफ घूम गई।
मैं यह सब जान कर कि नायर को भ्रमित करने को कर रही थी। मैं जेठ के सामने वाले दरवाजे से न जाकर मैं गलियारे की तरफ बढ़ गई.. क्योंकि जेठ वाले कमरे में दो दरवाजे लगे थे। एक सामने से.. दूसरा गलियारे की तरफ से खुलता था.. जो बाहर से ही बंद था। जिसे मैं आसानी से खोल कर बिना आहट अन्दर जा सकती थी।
यही मैंने किया भी.. मैं अन्दर पहुँच कर दरवाजा बंद करके बिस्तर की तरफ बढ़ गई। मैंने अंधेरे में टटोल कर देखा तो जेठ बिलकुल नंगे लेटे थे और शायद सो भी गए थे क्योंकि मेरे छूने से कोई हरकत नहीं हुई। मैं सीधे उनके मुरझाए लण्ड को मुँह में भर कर चूसने लगी।
मेरे ऐसा करने से जेठ जी उठ गए.. और मेरे सर पर हाथ रखकर मेरा सर अपने लण्ड पर दबाते हुए बोले- आ गई डॉली.. आह.. मेरी जान.. मैं तो तुम्हारी इसी अदा का तो गुलाम हूँ.. तुम किसी एक के लिए नहीं हो.. तुम्हारी चूत और हुस्न केवल मेरे छोटे भाई के लिए ही नहीं बना है.. यह मेरे जैसे हुस्न के जौहरियों के लिए भी है.. इसे लोग जितना भोगेंगे.. उतना ही निखरेगी..
मैं उनका लण्ड चूसते हुए जेठ की बात सुन रही थी, मैं सुपारे को खींचकर चूसते हुए लण्ड मुँह से निकाल कर बोली- आप तो नाहक ही मेरी तारीफ कर रहे हैं.. क्या मैं सच में इतनी मस्त हूँ?
‘यस मेरी जान.. तुम्हारी हर एक अदा जान मारने के लिए काफी है..
‘ओह.. तो देखिए.. अब मेरी हॉट अदा..’ और मैं खड़ी होकर जेठ के मुँह को खींच कर अपनी चूत पर लगाकर फांकों को फैलाकर बोली- लो.. इसे चाटो..
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