RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
तभी पति ने बुर से लण्ड बाहर खींच कर मेरे मुँह में दे दिया और मैं लण्ड चाटने लगी और लण्ड मेरी मुँह में ही फायर हो गया।
पति ने झड़ते हुए लण्ड को गले तक सरका कर के वीर्य पूरा मेरे गले से नीचे कर दिया!!
पति मेरे मुँह में झड़ने के बाद बेड पर सोकर अपनी सांसों को नियंत्रित करने लगे, मैंने पति के वीर्य की एक बूंद को भी बर्बाद नहीं की, सब चाट कर साफ करके पति से चिपक कर सोने लगी।
कुछ देर बाद मैं एक बार फिर पति के लण्ड से खेलने लगी पर पति मेरी पहली चुदाई से थक चुके थे, बोले- जान सो जाओ, मुझे नींद आ रही है!
‘प्लीज जानू, एक बार और मेरी चूत चोदो, मैं एक बार और चुदना चाहती हूँ।’
‘नहीं मेरी जान, मुझे जोर की नींद आ रही है! प्लीज सो जाओ!’
मैं पति को दोबारा चोदने के लिए जानबूझकर कर कह रही थी, मुझे भी पति से चूत चुदवाने का मन नहीं था, मुझे तो जेठ जी का
लण्ड भा गया था, मैं भी पति के ना कहने पर थोड़ा नाराजगी जाहिर करके सोने की एक्टिंग करने लगी।
काफी रात बाद मैं उठकर बाथरूम गई और सुसू करने लगी।
शर्र… शर्र… की तेज आवाज जब मेरे कानों में पड़ी तो मेरी सेक्स भावना जागने लगी और मैं सुसू करने के बाद बुर को हाथ से सहलाते हुए बाहर निकली और नाईट गाउन पहन कर पति को देखा, वो गहरी नींद में सोए थे, मैं खुली चूत लिए- बिना ब्रा, पेंटी के ही दरवाजे की तरफ बढ़ी और सावधानी के साथ बाहर निकल कर दरवाजे के बाहर से बंद कर के मैं जेठ के रूम की तरफ चली गई, और मेरा हाथ जैसे ही दरवाजे पर पड़ा दरवाजा खुलता चला गया।
कमरे में एकदम घुप अंधेरा था कुछ दिख नहीं रहा था, पर मेरा घर होने के कारण मैं जानती थी कि कौन सी चीज कहाँ पर है और रूम में जेठ के और नायर के सोने की व्यवस्था अलग की थी, चारपाई पर नायर जी को और बेड पर जेठ जी!
वैसे भी जेठ रोज बेड पर सोते हैं !
मैं बेड की तरफ बढ़ी, शायद जेठ जी मेरा इंतजार करते सो चुके थे, मैं भी उनके पास जाकर लेट गई, जेठ जी भी पूरे कपड़े निकाल कर लोअर पहन कर सो रहे थे, मैं बड़ी सावधानी से बिना कोई आहट किए लोअर के ऊपर से जेठ जी के लण्ड को सहलाते हुए जेठ जी को
चूमने लगी।
जेठ जी नींद से जाग चुके थे पर अपनी तरफ से कोई हरकत नहीं कर रहे थे। मैं पागलों की तरह चूत जेठ जी की जांघ से रगड़ने लगी और फुसफुसा कर बोली- क्या हुआ मेरे जानू? गुस्सा हो गए क्या? देखो ना तुम्हारी बुर कितनी प्यासी है, इसको आपका लण्ड चाहिए जान, मेरी चूत में लण्ड डाल कर मेरी चुदाई करो, देखो ना मैं सबको छेड़कर इतनी रात बुर पेलवाने आई हूँ, चोदो ना आहह्ह जानू, लो मेरी छातियाँ पियो!
और मैंने अपना एक स्तन जेठ जी के मुँह में दे दिया।
जेठ जी खींच खींच कर चूसने लगे और मैं जेठ के बालो को सहलाते हुए चूची चुसाई करती रही।
तभी जेठ ने मुझे पलट कर मेरे ऊपर आकर बैठ गए।
मैं तो पहले से ही पूरी नंगी थी, बस एक गाउन पहने थी, जेठ जी मेरी चूची मसलते हुए अपना मुँह मेरी चूत पर लगा कर मेरी चूत का रसपान करने लगे।
और जैसे ही जेठ के होंठ मेरी प्यासी चूत पर गए, मैं मचल उठी ‘आहह्ह सीइइइ’ मेरी मादक सिसकारी कुछ तेज निकल गई, जेठ जी ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख कर इशारा किया कि उनके और मेरे सिवा कोई और है!
और फिर मेरी चूत को चपड़ चपड़ चाटने लगे और मैं चूत उठकर चटवाती रही।
मैं सिसकारियों को अपने होठों से दबाकर जेठ से अपनी बुर की सन्तरे की सी फांकों चुसवा रही थी।
तभी जेठ चूत चाटना छोड़कर नीचे खड़े हो गए और मुझे खींच लण्ड को मेरे मुंह में दे दिया, मैं मुँह खोल कर जेठ के लण्ड के सुपारे पर जीभ फिराते हुए लण्ड पूरे मुँह में भरकर आगे पीछे करके चूसती रही, कभी अंडे को चाटती तो कभी सुपारे को और कभी पूरा लण्ड मुँह में ले लेती और जेठ जी मुँह में ही धक्का लगा देते, जैसे मेरा मुंह नहीं चूत हो!
और मैं ‘गुग्ग्ग्ग्गुगू’ करते हुए लण्ड चूसती रही। लण्ड चाटते हुए मुझे जेठ का लण्ड कुछ मोटा लग रहा था।
और तभी जेठ ने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल कर मुझे बेड पे लिटा कर मेरी टाँगें खोल कर और उनके बीच बैठकर अपने बाबूराव को
मेरी गर्म चूत पर रखकर ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगे।
मैं सिसयाते हुए बोली- आहह्ह्ह सीईई मेरे चूत राजा, आपका लण्ड तो मेरी एक ही चुदाई करके फ़ूल कर मोटा हो गया है।
पर जेठ जी ने मेरी बातों पर ध्यान दिये बिना मेरी चूत को चौड़ा कर के एक धक्का मारा और आधा लण्ड मेरी गर्म चूत में घुसा दिया।
‘आहह्ह सीइइ उउफ्फ़’ करते हुए मैं अपने चूतड़ उछालने लगी और जेठ ही ने एक और तेज शॉट मार कर अपना पूरा लण्ड अंदर कर दिया और मैं आहह्ह कर उठी।
पर जेठ जी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिए और मेरी आहह्ह अंदर ही रह गई और जेठ जी पेलाई चालू करके मेरी बुर की नस नस को चटकाते हुए मेरी बुर चोदते हुए जब अपनी बाहों में लिया तो मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा
था।
जेठ जी मेरे गालों को चूमते हुए लण्ड बुर में पेले जा रहे थे, मेरी चूत जेठ जी के लण्ड के हर शॉट के साथ पानी फेंक रही थी और मैं मदहोश होकर अपनी चूत उठा उठा कर चुदवाने लगी, मेरे हिलते उरोजों को जेठ जी बेरहमी से मसलते हुए लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए मेरी चूत को चोदते जा रहे थे और मैं ‘आहह्ह्ह सीई चोदो मेरे राजा… अब तो मैं आपकी बीवी बन गई हूँ, चोद चोद कर मुझे अपनी रखैल बना लो आहह्ह्ह आआहहह चोद बहू की चूत… ले मेरे राजा मेरी चूत चोद आहह्ह्ह याआआ राजाआ और घुसाआ अपनाआआ लण्ड’
और जेठ जी बिना कुछ बोले मेरी चूत चोदे जा रहे थे।
और फिर मुझे घोड़ी बना कर मेरी चूत में लौड़ा पेलने लगे, मैं हर शॉट पर करहाते हुए चूत मरवाती रही।
तभी एकाएक मेरी चूत पानी छोड़ कर झड़ने लगी और मैं घोड़ी बनी चूत में जेठ जी के लण्ड से चुदाते हुए जांघें भींचकर झड़ने लगी ‘आहह मैं गईइई आहह्ह सीईईई उफ्फ्फ…’
और मेरी झड़ती बुर पर जेठ के लण्ड के झटके बढ़ते गए और वो भी पंद्रह बीस शॉट मारते हुए एक शॉट घोड़े की तरह लगा कर हिनहिनाते हुए अपना बीज मेरी चूत में बोने लगे।
घोड़ी की चूत चुद कर शान्त हो गई थी, मेरा घोड़ा भी झड़कर मेरी चूत में आखिरी बूंद भी छोड़कर बेड पर लेट गया।
फिर मैं उठी और जेठ के लण्ड को चाट कर साफ किया और गाऊन पहन कर जेठ का माथा चूम कर अपने रूम में जाकर पति से चिपक कर सो गई !!
रात में जेठ से चुदने का नतीजा सुबह मेरी नींद पति के जगाने पर खुली.. और मैं सीधे बाथरूम में घुस गई और नहाकर फ्रेश होकर मैं रसोई में चली गई।
क्योंकि पति को ऑफिस जाने के लिए देरी हो रही थी और उधर जेठ के लिए भी चाय-नाश्ता बनाना था।
तभी जेठ जी किसी काम से रसोई में आए.. पर वह जैसे मुझसे गुस्सा हों.. क्योंकि वह कुछ बोल नहीं रहे थे।
मैं बोली- क्या हुआ मेरे जानू.. रात में तो खूब मस्ती से मेरी..
तभी मेरे नजदीक आकर जेठ जी मेरी बात को बीच में काटते हुए बोले- मत कहो मुझे जानू.. रात को मैं इन्तजार करते-करते थक गया और फिर ना जाने कब मुझे नींद आ गई.. पर तुम तो आई ही नहीं?
‘ओ माई गाड.. फिर मुझे रात में किसने चोदा.. और अगर जेठ जी मेरी बात को रोककर यह बात ना कहते.. तो मैं यही बोलने जा रही थी कि रात में मेरी चूत चोदकर फुला दिए हो तो.. अब क्यों मुँह फुलाकर घूम रहे हो.. और अगर मैं ऐसा बोल देती तो क्या होता.. यानि मेरी बुर को नायर ने चोदा.. साला बोला भी नहीं बस मेरी चूत चोदता रहा।’
फिर मैं बात बनाते हुए बोली- भाई साब.. मैं बस डर के मारे नहीं आई.. कमरे में नायर जी भी सो रहे थे.. जाग जाते तो क्या होता? और मैं यह भी तो नहीं जानती थी कि आप कहाँ सोए थे।
मैं यह जानबूझ कर बोली ताकि शक को कन्फर्म कर लूँ..
‘मैं तो वहीं दरवाजे के पास ही चारपाई पर सोया था कि तुम को चोदकर इधर से ही बाहर निकाल देता.. बिस्तर की तरफ जाना ही नहीं पड़ता.. इसलिए मैंने नायर को बिस्तर पर सुला दिया था।’
मैं बात को बनाकर बोली- लो अच्छा ही हुआ जो मैं नहीं आई.. नहीं तो आप की जगह नायर मेरी चूत चोद देता.. मैं तो बिस्तर पर ही जाती और वहाँ तो नायर थे।
अब मैं कैसे कहती कि मेरी चूत की चुदाई आप के गफलत में नायर ने कर दी है।
जेठ- हाँ यह तो मैं सोचा ही नहीं और मैंने बताया भी नहीं कि मैं कहाँ सो रहा हूँ.. तुम ठीक नहीं आई.. नहीं तो नायर चोद देता और मेरी तुम्हारी पोल खुल जाती.. कि मैं तुमको चोदता हूँ।
मैं मन ही मन बड़बड़ाई कि पोल और चुदाई दोनों खुल गई है.. बचा ही क्या है..
‘जी भाई साब.. मैं इसी लिए नहीं आई.. आज आप एक काम कीजिए.. आज आप बाहर सोना और नायर जी को अन्दर सुलाना.. कोई डर भी नहीं रहेगा और हम लोग खुल कर चुदाई का मजा भी ले लेगें..’
‘ओके मेरी जान.. आज मैं बाहर ही सोऊँगा..’ यह कहते हुए जेठ जी बाहर निकल गए।
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