RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मैं कस कर लिपट गई और मेरे बदन और चूत की गरमी पाकर अरुण भी मेरी चूत में अपना पानी डाल कर शान्त हो गए।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और हम दोनों नंगे ही उछल कर बिस्तर से नीचे आ गए।
पता नहीं कौन होगा?
एक अंजान से भय से एक-दूसरे का मुँह देखते हुए बोले- अब क्या करें?
मैं नाईटसूट को नीचे करके अरुण जी को विन्डो पर लगे परदे के पीछे छिपने को बोल कर दरवाजा खोलने चली गई। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने वही लड़का था। मेरे तो होश ही उड़ गए.. अब क्या करूँ?
अन्दर अरुण.. सामने यह खड़ा है..
मेरे मुँह से बोल ही नहीं फूट रहा था। एक तो मेरी चूत से अरुण का वीर्य बहकर मेरी जाँघों तक आ गया था और वीर्य की एक भीनी सी महक आ रही थी।
मैं डर गई.. कहीं इसे भी यह महक ना मालूम चले.. नहीं तो क्या कहूँगी.. कि कौन चोद रहा था।
एक और डर लग रहा था.. कि कहीं ये अरुण के सामने ही मेरे साथ कुछ करने ना लगे।
वह आगे बढ़ा.. तभी मुझे ख्याल आया कि यह तो मेरे और अरुण के सम्बन्ध को जानता है कि अरुण मुझे चोदते हैं। पर अरुण जी नहीं जानते हैं कि इससे भी मेरा कोई सम्बन्ध है। किसी तरह मैं इसे बता दूँ कि अरुण कमरे में ही हैं.. नहीं तो मैं अरुण की निगाहों में गिर जाऊँगी।
मैं तुरन्त बोली- आप कौन..? क्या काम है?
यह कहते हुए उस लड़के से सट कर एक ही सांस में बोल गई कि अन्दर अरुण जी हैं.. कोई हरकत मत करना.. वो अभी-अभी मुझे चोद चुके हैं।
इतना सुनते वह एक कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोला- पूजा दी ने आपको बुलाने भेजा था..
दोस्तो.. आप सोच रहे होंगे कि अब यह कौन है.. पूजा दुल्हन की सहेली थी जो मुझसे भी घुल-मिल गई थी।
उसने बात पलटी कर जानबूझ कर पूजा का नाम लिया था।
मैं बोली- चलो.. मैं अभी आती हूँ।
पर वह जानबूझ कर भी मुझे परेशान करने के मकसद से बोला- भाभी जी कुछ स्मेल सी आ रही है.. अजीब सी?
यह कहते हुए वो कमरे में सूंघने की सी हरकत करते हुए इधर-उधर देखते हुए परदे की तरफ आगे बढ़ गया।
वो बोला- भाभी.. क्या आपको नहीं आ रही है?
मैं बोली- कैसी महक? मुझे तो नहीं आ रही..
मैं उसके करीब को गई.. कहीं वह सचमुच में वो परदा न हटा दे जिसके पीछे अरुण खड़े थे।
शायद उसका मक्सद अरुण को डराना ही था.. वो परदे के पास जाकर पलटा और मेरे करीब आकर बड़ी धीमी आवाज में बोला- बड़ी भारी चुदक्कड़ हो.. साली थोड़ा मेरे साथ बाहर तक आ..
मैं उसके साथ तक दरवाजे के पास गई.. पर वह बाहर निकल कर मुझे इशारे से गलियारे में बुलाने लगा।
मैं एक बार कमरे में देख कर बाहर निकली.. तभी उस लड़के ने मुझे पकड़ कर अपनी बाँहों में भर कर.. एक हाथ को मेरी चूत पर रख कर.. एक उंगली मेरी चूत में पेल कर बाहर निकाला और अरुण के वीर्य और मेरे रज से सने हाथ को सूँघते हुए बोला- इस महक ने मुझे पागल कर दिया है.. मन हो रहा है कि अभी गिरा को तेरे को चोद दूँ।
मैं बोली- अभी जा.. बाद में आना.. नहीं तो अरुण जी क्या सोचेगें।
वह मुझे अपनी बाँहों में कसते हुए बोला- तुझे क्या सोचने की पड़ी है! अरुण भी तुझे चोदकर जान गए होंगे कि बहुत बड़ी छिनाल है।
यह कहते हुए उसने कस कर मेरी चूचियों और चूत को दबा कर कहा- तू यहीं झुक जा.. मैं एक बार लण्ड तेरी चूत में पेल कर ही जाऊँगा.. नहीं तो मैं नहीं जाऊँगा।
मैं बोली- प्लीज कोई देख सकता है.. और अन्दर अरुण जी हैं.. वे क्या सोचेगें कि तुम्हारे साथ नाइट ड्रेस में कहाँ चली गई.. कहीं वे बाहर झांकने न आ जाएँ। यदि उन्होंने देख लिया तो?
वह बोला- चाहे जो हो जाए.. मैं बिना तेरी चूत में लण्ड डाले नहीं जाऊँगा..
यह कहते हुए वो मुझे झुकाकर जबरिया मेरी प्यारी चूत में लण्ड पेलने लगा।
अरुण के पानी से भीगी चूत में अपना लण्ड लगा कर एक ही झटके से लण्ड मेरी चूत में पेल दिया, मैं सिसिया कर रह गई ‘आहआह..हसीसी..’
वह मेरी चूत का बाजा बजाते हुए लण्ड चूत में पेलता जा रहा था। फिर वो लण्ड को पूरा बाहर खींच कर मेरी चूत पर रगड़ने लगा.. तभी एकाएक अपने लंड को चूत पर रख एक झटके में अन्दर घुसेड़ दिया।
‘उई माँ..’ मैं चीख पड़ी, ‘उईइ माँ.. मर गई रे.. उई उई उईईई.. कितना मस्त लौड़ा है तेरा.. मेरी जान..’
वो एक हाथ से मेरी चूचियों को दबाए जा रहा था और एक हाथ से मेरी कमर पकड़ कर शॉट लगा रहा था। मेरी चूत पर उसने 7-8 शॉट मार कर लण्ड चूत से खींच कर पैंट में अन्दर करके चल दिया।
वो जाते-जाते बोला- तैयार हो जा मुझसे चुदने के लिए..
मैं मन ही मन साले को गाली दे रही थी- हरामी को तड़पाने में जाने क्या मिलता है? फिर एक बार तड़पा कर चल दिया।
तभी मुझे अरुण का ध्यान आया और मैं जल्दी से अन्दर आकर दरवाजा बन्द करके पलटी, तभी अरुण जी परदे से बाहर निकल कर बोले- यार मुझे लगा कि हम पकड़े गए.. पर बच गए.. नहीं तो आज मेरी वजह से तुम्हारी इज्जत चली जाती।
मैं बोली- तो अब तो जल्दी करो.. कोई और आ जाए.. आप फ्रेश होकर यहाँ से निकलो।
अरुण सीधे बाथरूम में जाकर बाहर फ्रेश होकर निकल गए। अरुण के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद करके बाथरूम में गई और अपनी मुनिया को रगड़ कर साफ करके और जांघ को साफ किया।
चूत साफ करते मुझे करन्ट सा लगा.. साली फिर गरम हो गई थी।
अपने हाथ से चूत के लहसुन को रगड़कर मन मार कर बाहर चली आई इस आस में.. कि अभी फिर चुदेगी.. चुदाई से चूत फूल चुकी थी।
आज सुबह से मेरे साथ क्या हो रहा था.. न चाहते मेरी चूत चुदना चाहती थी और मुझे कोई ना कोई चोद ही रहा था।
मैं बहुत थक चुकी थी.. मुझे आराम की सख्त जरूरत थी.. इसलिए मैं सीधे बिस्तर पर जा कर सो गई और अपनी चुदाई को याद करते हुए मुझे नींद आ गई।
ना जाने मैं कब तक सोती रही। मेरी नींद तब खुली.. जब ह्ज्बेंड ने मुझे कॉल करके नीचे शादी में आने को बोला।
मेरा मन नहीं हो रहा था.. फिर भी मुझे जाना तो था ही.. तो मैं मन मार कर उठकर तैयार होने बाथरूम चली गई।
मुझे बहुत तेज शूशू आई थी.. मैं नाईटी उठाकर चूतड़ और चूत खोल कर वहीं जमीन पर बैठ कर तेज धार के साथ शूशू करने लगी।
शूशू करते हुए मैंने अपनी चूत पर हाथ रखा तो मुझे उस लड़के के लण्ड से चूत लड़ाने की बात सोच कर मेरी चूत खुलने और बंद होने लगी।
मैं पूरे हाथ की गदोरी में चूत भरकर मसकते हुए खुद से बोली- मेरी रानी.. अभी तुम्हारी गरमी निकल जाएगी.. मत घबराओ.. अभी तुझे वो जवान मर्द चोदकर शान्त कर देगा।
फिर मैं मुँह-हाथ धोकर बाहर आकर तैयार हो कर शादी के मंडप में बैठने चल दी, वहाँ जाकर औरतों की तरफ बैठ गई।
दूसरी तरफ लड़के और लड़की पक्ष के लोग बैठे थे.. जिसमें मेरे ह्ज्बेंड और अरुण जी एक साथ बैठे थे और वह लड़का तो मेरे सामने ही बैठा था। मुझे शादी में बैठे अभी 30 मिनट ही हुए थे और रात के 2:30 हो चले थे।
तभी मेरे मोबाईल पर काल आई नम्बर अनजाना था.. मैं फोन उठाया.. तो उधर से सिर्फ इतनी सी आवाज आई ‘चल आ जा.. तेरी बुर चोद दूँ..’ इतना कह कर कॉल कट गई।
यह कौन था.. मैं सोचते हुए सामने देखने लगी.. तो वह लड़का कहीं नहीं दिखा। मैं समझ गई कि ये वही है।
फिर मैं.. पूजा जो मेरे पास बैठी थी.. से बोली- पूजा यार मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है.. मैं आराम करने जा रही हूँ।
ह्ज्बेंड को भी मैंने इशारे से बोल दिया और चल दी।
मैं जैसे ही ग्राउंड से होते हुए फस्ट फ्लोर पर पहुँची कि मेरे साइड का दरवाजा खुला और किसी ने मुझे अन्दर खींच लिया।
कमरे में घुप्प अंधेरा था।
यह शख्स कौन है.. किसने मुझे खींचा.. अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और ना ही मैं कुछ समझ ही पा रही थी कि कौन हो सकता था।
मैं सोचने लगी कि चली कहाँ थी.. और अटक कहाँ गई, चुदने किससे जा रही थी पहुँच कहीं और गई।
मैं डरते हुए और कांपती आवाज से बोली- कक्ककौन.. हहहै.. छोछोछोचचड़ो.. येएएए.. क्या..कककर.. रहे हो..!
मैं हाथ-पाँव चलाने लगी.. पर उस व्यक्ति की मजबूत पकड़ और उसकी बाँहों में बस छटपटा कर रह गई।
मैं अंधेरे में उस आदमी के सीने पर हाथ मारती जा रही थी.. पर उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था तो मैं कोशिश करना छोड़ कर में शान्त हो गई।
उसी वक्त वो आदमी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.. पर उसकी बाँहों की गरमी और उसका फौलादी बदन सीने के बालों को छूने से मुझे चुदास चढ़ने लगी।
पर यह है कौन.. अगर मैं इसके साथ बिना कुछ जाने करूँगी.. तो ठीक नहीं रहेगा।
मैं एक बार फिर हिम्मत करके पूछ बैठी- आआप ककौन हैं.. मुमुझे छोड़डड दो.. प्लीज.. मैं आपकी पैर पड़ती हूँ।
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