Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
06-19-2018, 12:40 PM,
#28
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
उन लोगों के बैंक जाने के बाद मैं यूँ ही घूमते हुए ताजमहल देखने चली गई।
मैं काफी देर तक ताज देखती और घूमते हुए एक जगह बैठ गई। मुझे अकेला देखकर 42-45 साल का एक मर्द आकर मेरे करीब बैठ गया।
उसे देख कर लग रहा था कि वह मुझसे बात करना चाहता है। 
फिर कुछ देर बाद वह बोल ही दिया- क्या आप अकेली ही आई है घूमने।
‘जी अकेली हूँ..’
‘ओह.. मैं भी अकेला हूँ.. आप बुरा ना माने.. तो क्या मैं आपके पास बैठ सकता हूँ?’
‘यस.. नो प्रॉब्लम..’ 
वह मेरे करीब आकर बैठकर बात करने लगा, मुझे भी उससे बात करना अच्छा लग रहा था, वह एक सुन्दर गठीला बदन का मालिक था। मैं उसके प्रति आकर्षित होने लगी।
मैंने उससे पूछा- आप कहाँ से हो?
वह बोला- मैं तो इलाहाबाद का हूँ मैडम..
मैं बोली- मेरा नाम डॉली है और मैं वाराणसी की हूँ..
‘अरे वाह.. आप तो मेरी तरफ की ही हो..’
‘आप यहाँ घूमने आए हो?’
‘नहीं डॉली.. मैं यहाँ नौकरी करता हूँ.. यूँ ही आज ताज देखने चला आया और देखिए आपसे मुलाकात हो गई।’
‘वो तो है.. और आपकी फैमली भी है?’
वह मायूस होते बोला- नहीं डॉली जी.. मैं अकेला हूँ।
‘तब तो सर जी आपको..’
वह बीच में बोल बैठा- मेरा नाम सर जी नहीं.. अभिजीत है..
‘जी अभिजीत.. आपको तब तो बीवी की याद सताती होगी।’
वह शरमाते बोला- याद के सिवा मैं कर भी क्या सकता हूँ डॉली जी।’ 
उसकी बात भी सही थी.. लेकिन मैं जानबूझ कर कुछ अश्लील मजाक करना चाहती थी, मुझे अभिजीत से बात करना अच्छा लग रहा था। 
मैं बोली- बाकी का काम कैसे करते हो? जब बीवी की याद सताती होगी।
वह मुस्कुरा दिया- कुछ नहीं.. यूँ ही रह लेता हूँ..
मैं थोड़ी और बोल्ड होते हुए बोली- मैं कैसे मानूँ अभिजीत जी कि वाईफ की याद आने पर आप कुछ नहीं करते.. बताईए ना?
अभिजीत शरमाते हुए बोला- आप बुरा मान जाओगी।
मैं बोली- तुम बताओ तो सही.. मैं बुरा नहीं मानूँगी।
अभिजीत सर को झुका कर बोला- मुट्ठ मार लेता हूँ.. जब याद ज्यादा आती है। 
मैंने उसको लाईन पर आता देख बात को आगे बढ़ा दिया।
‘तब तो आप बहुत गलत करते हो.. बीवी को यहीं ले आओ.. और अपनी तन की प्यास बुझाओ..’
मैंने एक साथ कुछ ज्यादा अश्लील शब्द बोल दिए। 
वह बोला- वाईफ को यहाँ लाना सम्भव नहीं है।
‘तो फिर तुम किसी और के साथ क्यूँ नहीं कर लेते?’
वह बोला- डॉली यह सब किसी के साथ कैसे कर सकता हूँ.. कौन मिलेगा और मैं गन्दी जगह जाना नहीं चाहता।
मैं बोली- कोई घरेलू शादीशुदा औरत देख लो.. बहुत मिल जाएंगी। 
वह मेरी बातों से समझ गया कि उसके थोड़ा आगे बढ़ने पर मैं ही वह औरत हो सकती हूँ.. पर वह भी जानबूझ कर बात घुमा रहा था। 
‘आपके ह्ज्बेंड कहाँ हैं.. क्या आप अकेली आई हो बनारस से?’
‘नहीं.. अभिजीत मैं अकेली नहीं आई हूँ ह्ज्बेंड भी साथ हैं.. पर आज मैं अकेली घूमने निकली हूँ और वैसे ह्ज्बेंड को काम के सिवाए मैं दिखती ही नहीं.. उनके साथ से अच्छा मैं अकेली ठीक हूँ।’
मैं जानबूझ कर ह्ज्बेंड के बारे में झूठ बोली थी। 
‘आप कब तक खाली हैं?’
मैं बोली- शाम तक या उससे भी अधिक समय है मेरे पास।
वह डरते हुए बोला- आपको बुरा ना लगे तो यहाँ बैठने के अलावा हम दोनों मेरे कमरे पर चलते.. वहीं बैठकर बातें करते और मेरे कमरे की चाय भी पी लेतीं।
मैं बोली- आपके साथ मैं आपके कमरे पर चली.. तो कहीं लोग गलत ना समझें.. कि आप मेरे साथ..
मैंने जानबूझ कर बात अधूरी छोड़ दी। 
‘नहीं डॉली.. कोई कुछ नहीं सोचेगा.. क्यूँ कि मैं आज तक किसी को लाया ही नहीं कमरे पर.. और मेरा कमरे मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में है। आप जब तक चाहें.. वहाँ रुक सकती हो।’
फिर मैं बात करते हुए अभिजीत के कमरे पर पहुँची, अभिजीत ने अपने हाथों से चाय बना कर मुझे पिलाई।
अभिजीत मेरे पास चुपचाप बैठा था।
मैं बोली- आपका कमरा तो बढ़िया है.. पर यहाँ एक औरत की जरूरत है.. जो आपको और घर को सुख दे सके। मुझे लग रहा है आज तक इस कमरे में सेक्स की किलकारी नहीं गूंजी हैं।
यह सब मैं जानबूझ कर कह रही थी। 
तभी वह बोला- डॉली आप चाहो तो अभी किलकारी गूँज उठें।
यह कह कर अभिजीत मुझे किस करने लगा।
मैं बोली- यह क्या कर रहे हो.. प्लीज ऐसा मत करो..
तभी अभिजीत बोला- तुम भी तो यही चाह रही थी डॉली.. अब मना मत करो। मैंने अब तक किसी गैर औरत से सेक्स किया नहीं है.. पर मेरे पास उम्र का अनुभव तो है। 
यह कहता हुआ वह मेरे अंग-अंग को चूमने लगा और मैं भी एक प्यासा मर्द पाकर चुदाई के नशे में उसके आगोश में बैठकर सेक्स का खेल खेलने लगी।
मेरी चूत की प्यास भी तेज होने लगी, वह मेरी चूचियों को मसलने लगा और मैं अपने मम्मे मसलवाते जानबूझ कर एक भरपूर अंगड़ाई लेकर अभिजीत को अपनी बाँहों भर के चुदाई का खुला निमंत्रण देते हुए वहीं सोफे पर लेटे गई।
उसने मेरे बड़े-बड़े चुचों को अपनी मजबूत चौड़ी छाती के बीच दबा कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और अपने होंठों को मेरे नाजुक होंठों पर कसकर.. उनका रसपान करने लगा।
मैं उसकी मजबूत बाँहों में कसमसाते हुए बोली- मैं आपकी बीवी नहीं हूँ.. एक अंजान औरत हूँ। 
वह बोला- मेरे लिए दोनों एक जैसे हैं। क्योंकि बीवी को चोदने में यही फीलिंग होती है। 
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