RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
उधर रिची मेरे मुँह के करीब खड़े होकर पहले मेरे होंठों को कुछ देर किस करने लगा। इसके बाद उसने चूत के रज और वीर्य से सने लण्ड को मेरे होंठों पर रगड़ते हुए चूसने का मुझे इशारा किया।
मैं अपने मुँह में रिची के लण्ड को लेकर चूसने लगी, रिची मेरे गले तक लण्ड ले जाकर मुझे लण्ड चुसवा रहा था।
मेरा ध्यान चार्ली की तरफ तब गया.. जब चार्ली का बाबूराव मेरी गाण्ड को चौड़ा करने के लिए जोर लगा रहा था।
मेरी गाण्ड इतने मोटे लण्ड को झेल नहीं पाएगी इसलिए मैंने चार्ली के लण्ड को गाण्ड से हटा कर चूत की तरफ कर दिया।
चार्ली तो पहले से जोर लगा रहा था और एक तो चूत पहले से रिची के लण्ड के पानी से चिकनी थी। चार्ली का लौड़ा ‘सपाक’ की आवाज के साथ पूरा चूत में समा गया और मैं दर्द से बिलबिला कर दोहरी हो उठी।
पर आराम के बजाए मेरी और शामत आ गई।
इधर रिची का लण्ड मेरे पूरे हलक में चला गया जिससे मुझे उबकाई और सांस लेने में दिक्कत होने लगी।
जैसे ही मैंने बाहर उबकाई करना चाही.. रिची ने मेरा सर पकड़ कर मेरे हलक में बाबूराव पेल कर धक्के मारने शुरू कर दिए।
उधर नीचे चार्ली के लण्ड का निशाना चूकने की सजा मिलने लगी।
चार्ली ने लण्ड को बुर से खींच कर मेरी गाण्ड के छेद पर लगा कर कस कर मेरे नितम्ब पकड़ कर मुझे बिना सम्भलने का मौका दिए.. एक जोरदार शॉट लगा दिया।
चार्ली का मोटा लम्बा लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ तीन-चौथाई हिस्सा अन्दर दाखिल हो गया।
मैंने चिल्लाना चाहा.. पर रिची के लण्ड के हलक में होने की वजह से आवाज नहीं निकाल पाई, दर्द से मेरी आँखों में आँसू निकल रहे थे.. पर रिची और चार्ली कोई रहम नहीं दिखा रहे थे।
बस मेरे मुँह से ‘गूंगूं गूंगूं..’ की हल्की आवाज बाहर आ रही थी।
रिची और चार्ली एक साथ दोनों तरफ से मुझे बजा रहे थे।
मेरी गाण्ड फट गई थी.. पर चार्ली मेरी गाण्ड मारने में कोई कसर नहीं कर रहा था, साला खींच-खींच कर मेरी गाण्ड पर शॉट पर शॉट लगाए जा रहा था, कमरे में चार्ली के लण्ड का लग रहा हर शॉट.. कमरे में गूंज रहा था ‘सट.. सट.. चट.. सट.. सट..’
मैं बस रिची के लण्ड का दर्द सहते हुए चूस रही थी.. चूसना कहना बेमानी होगा रिची मेरे मुँह को चोद रहा था।
मैं बेबस थी.. कुछ नहीं कर सकती थी, बस कामना कर रही थी कि किसी तरह ये दोनों झड़ जाएँ, करीब दस-बारह धक्के मेरे हलक में लगा कर रिची ने अपना लण्ड पूरी तरह हलक में ठोक दिया।
अब वो ‘आहआह.. सीसीईआह..’ कर झड़ने लगा।
पीछे चार्ली मेरी गाण्ड की चुदाई किए जा रहा था, चार्ली की गाण्ड मराई से मेरी मेरी गाण्ड का छेद सुन्न हो गया था।
चार्ली का लण्ड कितनी बार.. और कितनी तेजी से अन्दर जा रहा था। मुझे पता ही नहीं चल रहा था। रिची का लण्ड जब मुँह से निकला.. तो थोड़ी राहत मिली।
मेरा मुँह दर्द से दु:ख रहा था। मैं अपना मुँह बिस्तर पर रख कर चार्ली का लण्ड गाण्ड में लेती जा रही थी। बस अपने मुँह से चार्ली के हर धक्के पर ‘आह ऊऊऊईई आह..’ कर रही थी। चार्ली भी कस-कस कर ना जाने कितनी देर तक गाली देते हुए मेरी गाण्ड मारता रहा।
मुझे तब पता चला.. जब चार्ली एक तेज शॉट मार कर लण्ड को गाण्ड की जड़ तक चांप कर औंधे मुँह मुझे लेकर बिस्तर पर गिर पड़ा। चार्ली ने मेरे ऊपर लदे रहते हुए अपना सारा वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ दिया।
वो अब हाँफते हुए मुझे कस कर जकड़े हुए पड़ा रहा।
उधर रिची सोफे पर नंगे ही बैठ कर मुझे और चार्ली को देख रहा था। रिची का लण्ड ढीला होकर गदहे के बाबूराव की तरह झूल रहा था। चार्ली का लण्ड अभी भी मेरी गाण्ड में ही घुसा था।
पूरी रात इसी तरह कई बार मेरी कभी गाण्ड और मुँह.. चूत चुदती रही।
सुबह तक मेरे शरीर में मानो जान ही नहीं रह गई थी, मैं बिस्तर पर वैसे ही बेहोशी की हालत में नंगी पड़ी थी।
शायद रिची या चार्ली में से किसी ने जय को फोन करके बोल दिया था, जय आया मुझे बाथरूम ले जाकर फ्रेश करवाया।
अब मुझ में हल्की सी जान आई, मैं बोली- जय मेरे कपड़े फट गए हैं।
तभी रिची की आवाज सुनाई दी- रानी हम लोग ऐसे ही चोदते हैं इसीलिए मैंने तुम्हारे लिए कपड़े ले लिए थे।
फिर जय ने मुझे कपड़े पहनाए और चाय पीकर निकल लिए।
जय मुझे होटल से लेकर सीधे कमरे पर पहुँचे और मैं सीधे जा कर बिस्तर पर लेट गई। रात भर उन दोनों ने मेरी जमकर चूत का मर्दन और चुदाई करके शरीर के पोर-पोर को दुखा कर रख दिया था।
मेरी चूत को और मुझे.. आराम की सख्त जरूरत थी।
जब मैं कमरे पर पहुँची.. उस वक्त मेरे ह्ज्बेंड नहीं थे.. शायद बाहर नाश्ता करने गए हुए थे। जय मेरे पास ही बिस्तर पर बैठ कर बोले- थक गई हो रानी.. कल सालों ने जमकर चूत मारी है क्या?
मैंने कहा- सालों ने चूत ही नहीं.. पिछवाड़ा.. मुँह.. यानि हर छेद को जम कर मारा है.. और आप भी तो भूखे दरिन्दों के बीच छोड़ कर चले गए थे।
जय सिर्फ मुस्कुरा दिए।
मैं बोली- आप को हँसी आ रही है.. वो तो मुझे पता है कैसे मैंने झेला है।
तभी कमरे में ह्ज्बेंड आ गए.. आते ही वे बोले- अरे आ गए आप लोग.. मैं जरा नीचे चला गया था।
जय बोला- रंगीला जी आज आप मेरे साथ चलो.. शाम तक आ जायेंगे.. और आज डॉली को आराम करने दो.. वो काफी थक गई है। रंगीला ने सहमति में सर हिलाया।
‘डॉली जी.. मैं जाते वक्त नीचे दुकान से खाना नाश्ता भेजता जाऊँगा.. और भी कोई काम जो जरूरत का होगा.. सब कमरे में ही आ जाएगा। आपको कहीं जाना नहीं है.. आप बस आराम कीजिएगा।’
कुछ देर बाद जय और ह्ज्बेंड चले गए उनके जाने के बाद वही लड़का.. जिसने मुझे चोदा था.. आया और ‘नमस्ते’ कह कर बोला- नाश्ता लाया हूँ.. आप खा लीजिए..
मैंने उसे अपने पास बैठाया और बोली- विनय.. मेरे बदन में बहुत दर्द है.. तुम दोपहर में गरम तेल से मेरी मालिश कर देना।
विनय बोला- जी मैडम..
और वो चला गया।
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