RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मैं मस्त हो कर बोलने लगी- आह्ह.. और चोदो.. मेरे राजा.. पेलो मेरी बुर.. फाड़ दो.. मेरी चूत.. हाय सीई हाय रे आहहह सी… और ज़ोर से मारो धक्का.. चोदो साली को.. बहुत प्यासी थी.. आहहह.. चोदते रहो
ह्ज्बेंड मेरी चूचियाँ जोर से मसलते हुए बोलने लगे- ले खा साली.. मेरे लण्ड को छिनाल साली.. खा मेरे लण्ड को..
‘हाँ मेरे जानू, मेरी चूत छिनाल हो गई है। पेलो साली को.. आहहह.. गइइई.. मेरे राजा.. मैं गइई.. आह सी..’
अकड़ते हुए मैं झड़ने लगी और मुझे झड़ता हुआ पाकर ह्ज्बेंड मेरी बुर पर ताबड़तोड़ धक्कों की बौछार करते हुए चोदते जा रहे थे।
मेरी चूत से ‘फच.. फचा.. फच..’ की आवाजें आने लगी थीं।
लण्ड भी ‘सक.. सक..’ करके अन्दर- बाहर करते हुए ह्ज्बेंड मेरी बुर में लण्ड जड़ तक ठोक कर झड़ते हुए बोले- ले.. मैं भी गया.. तेरी चूत में… ले साली अपनी चूत में.. मेरे वीर्य को.. आह.. ले.. मैं झड़ रहा हूँ.. ततत..तेरी चूत में..
वे झड़ कर हाँफने लगे और हम दोनों एक मस्त चुदाई के बाद आराम से एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गए।
सुबह नींद तब खुली जब मैंने दरवाजे पर घंटी की आवाज सुनी।
मैं उठी और जाकर दरवाजा खोला तो सामने जय चाय लेकर खड़ा था।
‘अरे आप..?’
‘गुड मॉर्निंग..’ जय बोला- लग रहा है, रात को कुश्ती देर तक चली।
मैं मादकता से बोली- ऐसा क्यों लग रहा है..
जय बोला- मुझे पता है नवीन ने तुमको केवल गरम तो कर दिया होगा पर ठंडा नहीं कर पाया होगा और तुमने ठंडा होने के लिए रंगीला भाई को सोने नहीं दिया होगा।
मैं जय की बात सुनकर मुस्कुरा दी और जय भी मुस्कुराते हुए अन्दर आ गए। तब तक मेरे ह्ज्बेंड भी जाग गए थे। मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई और ह्ज्बेंड भी फ्रेश होकर आ गए.. फिर हम सब लोग बैठकर चाय पीने लगे।
अब जय बोले- डॉली जी.. आज आप को पूरे दिन के लिए सिर्फ आराम है.. कहीं जाना नहीं है। हो सकता है रात का कोई प्रोग्राम बने।
जय 20000/- रूपया मेरे ह्ज्बेंड को देते हुए बोले- रंगीला जी इसे रखिए.. यह कल का कुछ हिसाब है.. बाकी बाद में देखा जाएगा और मैं दोपहर में तो आ नहीं सकता.. शाम तक ही आऊँगा। इसलिए आप लोग बाहर जाकर खाना खा लीजिएगा।
इस सबके बाद जय चले गए। उनके जाने के बाद मैं बाथरूम में नहाने चली गई.. लेकिन कुछ ही देर बाद ह्ज्बेंड बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक देने लगे।
मैंने अन्दर से ही पूछा- क्या है?
तो ह्ज्बेंड ने कहा- साथ नहाने का मन है।
मैंने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया। फिर ह्ज्बेंड भी मेरे साथ नहाते हुए मेरी चूचियों और चूतड़ों को दबाने लगे, वो कभी मेरी चूची को मुँह में भर लेते और कभी बुर को सहला देते।
मैं ह्ज्बेंड की इस तरह की हरकतों से गरम होने लगी और बोली- इरादा क्या है जनाब का.. सुबह-सुबह रंगीन मिजाजी..?
ह्ज्बेंड मुस्कुराते हुए मेरी योनि प्रदेश को चूमने लगे। काफी देर मेरी बुर को चूसने से मेरी चूत की गरमी बढ़ गई और मैं सिसियाते हुए ह्ज्बेंड के सर को बुर पर दबाते हुए चूत को चटवाने लगी..
साथ ही मैं सिसक भी रही थी- ऊऊउई.. आआह्ह्ह.. आआह्ह.. मेरे राजा चाटो.. मेरी चूत.. मेरी चूत को काट कर खा जाओ..
ह्ज्बेंड मेरी चूत की पंखुड़ियों को मुँह से खींच-खींच कर चूस रहे थे.. पर अचानक चूत को पीना छोड़कर अचानक से लण्ड को बुर पर लगा दिया और एक तेज शॉट लगा कर लंड को ‘सटाक’ से मेरी चूत में पेल दिया।
मैं रंगीला की इस हरकत के लिए तैयार नहीं थी। मैंने ‘ऊऊउ..ईईई.. सीई..’ की आवाज करते हुए कस कर ह्ज्बेंड को पकड़ लिया।
उधर ह्ज्बेंड ने मेरी बुर पर लगातार दस-बारह झटके मार कर लण्ड को बाहर निकाल लिया और बोले- बस आज ऐसे ही रहा जाए.. बिना चुदाई पूरी किए..।
मैं मिन्नतें करती रही- और पेलो..
पर ह्ज्बेंड मेरी काम वासना की आग का मजा उठा रहे थे और नहाकर बाहर निकल गए।
कुछ देर बाद मैं भी बाहर आई.. पर मेरी चुदास पूरे चरम पर थी इसलिए मेरी चूतड़ और कमर बल खा रहे थे। उस पर मेरे ह्ज्बेंड मेरे नितम्बों पर चिकोटी लेते बोले- क्या हुआ मेरी जान.. तबियत सही नहीं है क्या?
मैं वासना के नशे में बाथगाउन उतार नंगे ही जाकर ह्ज्बेंड की गोद में बैठ गई और मैंने अचनाक उनके खड़े लण्ड को कसकर पकड़ कर उस पर चिकोटी काट ली।
ह्ज्बेंड तेज स्वर में चिल्ला उठे और मुझे गोद से उतार कर ‘आह सी..’ करने लगे।
मैं बोली- क्या हुआ.. अब पता चला कि बात क्या है?
फिर ह्ज्बेंड बोले- जान.. मैंने तुम्हें जानबूझ कर प्यासा छोड़ दिया था। अभी पूरा दिन ही बाकी है.. पता नहीं कब लण्ड से चूत लड़ जाए.. क्यों उतावली होती हो.. मौका मिलेगा तो किसी भी लण्ड से चूत लड़ा लेना। मैंने रोका तो नहीं है।
मैं मुस्कुराने लगी।
फिर ह्ज्बेंड कपड़े पहन कर बोले- मैं सामने वाली दुकान से उसी के हाथ नाश्ता भिजवाता हूँ.. और मैं नहीं आऊँगा क्योंकि मुझे एक काम से जाना है और एक या दो घण्टे में आऊँगा.. तुम कपड़े पहन लो।
ये बोल कर वे चले गए..
पर मुझे शरारत सूझ रही थी इसलिए मैंने एक छोटा सा स्कर्ट और टाप डाल लिया.. स्कर्ट केवल मेरी चूत और चूतड़ों को ढकने भर के लिए काफी था.. बाकी मेरी जांघें पूरी नंगी दिख ही रही थीं।
इन कपड़ों में मेरी स्थिति यह थी कि अगर मैं झुक जाऊँ.. तो चूतड़ों के छेद और चूत का भी दीदार हो ही जाएगा.. क्योंकि मैंने पैन्टी नहीं पहनी थी।
फिर मैं मिरर के सामने बैठ कर पूरी तरह से तैयार हो कर बिस्तर पर लेट गई।
तभी घंटी बजी.. ...........................
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