RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
इधर नवीन जय को झड़ता देख मेरी चूत में लण्ड चोदने की रफ्तार तेज करके मेरी चुदाई करते हुए छह-सात जोरदार धक्के लगाकर मुझे अपनी बाँहों से जकड़ कर मेरी चूत में भी पिचकारी छोड़ कर झड़ने लगा।
मैं सिसियाकर प्रश्न वाचक निगाहों से नवीन को झड़ते देखने लगी। नवीन समझ गया कि मैं प्यासी हूँ और सर झुकाकर मेरे पीठ पर वजन रख कर हाँफने लगा।
उधर नवीन की वाइफ भी जोरदार चुदाई से मस्त होकर आँखें बंद करके जय के सीने से चिपक कर लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।
वे दोनों एक-दूसरे की बाँहों में ऐसे बेसुध होकर चिपके रहे, जैसे किसी से कोई शिकायत ही ना हो।
इधर मैं प्यासी ही रह गई।
मुझे नवीन के लण्ड से चूत हटाने का मन तो नहीं कर रहा था.. पर उससे पहले ही नवीन का लण्ड मुरझा कर चूत से बाहर निकल गया और उधर भी तूफान आकर चला गया था। नवीन की वाइफ और जय कभी भी बाहर आ सकते थे। इसलिए वहाँ से हटना जरूरी था। मैं नवीन के साथ बाहर चली आई।
नवीन ने कहा- डॉली जी सॉरी.. मैं ज्यादा उत्तेजित हो गया था.. इसलिए जल्दी झड़ गया।
मैं बोली- कोई बात नहीं।
तभी मेरे मोबाईल पर जय का मैसेज आया कि डॉली जी अगर आप लोगों का काम हो गया हो.. तो आप और नवीन बाहर निकलो।
मैंने नवीन को यह बात बताई, नवीन मेरे साथ बाहर आ गया और हम लोग लिफ्ट पकड़ कर नीचे चले आए।
करीब दस मिनट बाद जय भी नीचे आ गए। मैंने नवीन को नमस्ते की.. तभी जय बोला- क्यों नवीन भाई.. कैसा रहा डॉली का साथ.. मजा आया?
नवीन बोला- डॉली का साथ हो तो मजा ना आए.. यह हो ही नहीं सकता।
फिर हम लोग ऑटो पकड़ कर जहाँ रूके थे.. वहाँ अपने रूम पर आ गए।
अब रात के साढ़े दस का समय हो रहा था, रंगीला कमरे में सोया हुआ था।
जय हाल समाचार करके.. सुबह आने को बोल चला गया, मैं बाथरूम जाकर फ्रेश होकर नाईटी पहन कर बाहर आई और ह्ज्बेंड के साथ खाना खाकर बिस्तर पर आराम करने लगी।
पर मेरी चूत अब भी पानी छोड़ रही थी और मुझे चुदाई की चाहत हो रही थी। मैं अपना एक पैर ह्ज्बेंड की जांघ पर चढ़ा कर अपनी बुर को कमर पर दाबने लगी।
तभी ह्ज्बेंड मुस्कुराकर बोले- मेरी जान.. बहुत प्यासी लग रही हो.. क्या बात है?
मैं नवीन और जय के घर पर हुई चुदाई की सारी बातें बताने लगी। चुदाई की बात और मेरी चूत प्यासी रह गई सुन ह्ज्बेंड जोश में आकर मेरे चूचियाँ कसकर दबाते हुए मेरे होंठों को मुँह में ले कर चूसते हुए एक हाथ से मेरी बुर कस कर मसल कर मेरे ऊपर चढ़ गए।
बुर मसलते हुऐ ह्ज्बेंड की एक उंगली मेरी बुर में चली गई।
एक तो मेरी बुर पानी छोड़ रही थी, दूसरे मैं पैन्टी भी नहीं पहने हुई थी.. क्योंकि मैं जब बाथरूम गई थी तभी ब्रा-पैन्टी उतार आई थी।
फिर ह्ज्बेंड ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। मैं ह्ज्बेंड का सर पकड़ कर अपने तने हुए चूचों पर उनका मुँह रख कर बोली- सैयां जी.. मेरी चूचियाँ चूसो।
मेरे ह्ज्बेंड तने हुए दोनों चुचों को दबाते हुए मुँह में भर कर मेरे निप्पल को खींच-खींच कर चूसते हुए बोले- कई दिन हो गए.. तेरी चूत मारे हुए.. आज तेरी चूत की सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा।
वो बड़े ज़ोर-जोर से दोनों चूचों को भींचते हुए मेरे गले और होंठ और चूचियां चूसने लगे।
मैं सिसकारी लेकर बोली- आह रे.. ऊहहआह.. सीई आह सीईईई सी आह.. अब मुझसे नहीं रहा जाता.. मेरे राजा.. मेरी चूत चोदकर मेरा सारा रस निकाल दो..
तभी ह्ज्बेंड ने मेरी चूची छोड़कर जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर अपना लम्बा और मोटा लण्ड मेरे होंठों पर लगा कर बोले- मेरी जान.. बुर पेलवाने से पहले अपने प्यारे लण्ड को चाट तो लो।
मैं ह्ज्बेंड के लण्ड को हाथों से पकड़ कर बड़े प्यार से सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं आप लोगों को यह बता दूँ कि मेरे ह्ज्बेंड के लण्ड पर चमड़ी नहीं है, लण्ड की चमड़ी कटी हुई है।
मैंने प्यार से जीभ को लण्ड के चारों तरफ फिराते हुए.. चाट-चाट कर मोटे सुपारे को लाल कर डाला।
मैं समूचे लण्ड को गले तक लेकर चूसे जा रही थी।
मेरी इस तरह की चुसाई से ह्ज्बेंड मस्त होकर ‘आहें’ निकालने लगे और लण्ड चूसने के दौरान ह्ज्बेंड चूतड़ और मेरी बुर भी मसक रहे थे।
मैं पहले से ही प्यासी थी, एक तो ह्ज्बेंड के द्वारा चूतड़ और चूत सहलाने से मेरी चुदास अब पूरी तरह सवार हो चुकी थी और अब मैं मस्ती में मचलते हुए लण्ड चूसे जा रही थी।
तभी ह्ज्बेंड बोले- बस करो मेरी जान.. नहीं तो मेरा माल तेरे मुँह में ही निकल जाएगा।
मैं भी लण्ड पीना छोड़ कर बोली- हाँ मेरे सैयां.. बस अब जल्दी से चोद दो.. अब मैं इतनी गर्म हो गई कि मुझसे अब रहा नहीं जाता आआह… सीईईई सीआह.. ऊऊऊँ.. इइइसीसी.. बस राजा.. अब देर ना करो.. मेरे सईयां..
इतना सुनते ही ह्ज्बेंड ने मेरी बुर को अपनी गदोरी में भरते हुए कसकर भींच दिया और मेरी बुर ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
एक तो मेरी बुर पहले से ही पनिया हुई थी और बुर दबाने से मेरा बदन कांपने लगा। मैं ‘आहें’ भरते हुए सिसियाने लगी और चुदाई की प्यास से व्याकुल होकर मैं पलटकर घोड़ी बनकर हिनहिनाते हुए लण्ड को बुर के मुँह पर लगा के.. बुर की फांकों को लण्ड के सुपारे से फैला कर चूतड़ों को पीछे को कर दिया।
‘फक्क..’ की आवाज के साथ सुपारा मेरी बुर में घुसता चला गया।
तभी ह्ज्बेंड ने बचा खुचा हुआ लण्ड भी सटाक से मार कर अन्दर कर दिया।
अब ह्ज्बेंड तेज़-तेज़ कमर हिलाते हुए मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे। मैं कमर और चूतड़ हिला-हिला कर लण्ड बुर में पेलवाते जा रही थी।
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