RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
उन्होंने मुझे जी भरके चोदा और अन्त में अपना सारा वीर्य मेरी चूत में डाल दिया।
कहने लगे- शायद आज मेरा लंड इतनी मस्त बुर को चोद कर पहली बार संतुष्ट हुआ है।
यह कहते राज मेरे ऊपर से उठ गए फिर मैं उठकर बाथरूम गई और जब वहाँ से निकली तो राज जी नंगे ही बैठे थे।
मैं बोली- क्या इरादा है जनाब का?
तो बोले- यार तुम साथ दो.. तो एक बार फिर महफिल जमाएँ!
मैं बोली- आपकी इच्छा है।
बोले- यार तू चीज ही ऐसी है कि मन मानता ही नहीं.. यह लो 1000 का नोट रख लो.. मेरी तरफ से अलग से…
मैं उनकी बात मान कर बोली- आज तो आप भी मुझे खुश कर दिया है, इस लिए मैं ये पैसे नहीं लूँगी।
फिर राज ने जबरन मुझे रूपए दे दिए और अगले दिन आने के लिए कहा फिर वे बाथरूम में चले गए।
तब तक मैं कपड़े पहन तैयार हो गई।
राज बाथरूम से निकले और तैयार हुए फिर उन्होंने जय को फ़ोन लगा कर बोला- यार कहाँ चले गए.. आ जाओ।
फ़िर राज मुझसे बात करने लगे।
जय जी आ गए और बोले- डॉली जी आज शाम सात बजे आपको मेरे साथ यहीं पास के एक होटल में चलना है, वहाँ आपकी मुलाकात होटल मालिक से करानी है। अगर उन्हें तुम पसंद आ गईं तो आपकी आज की मीटिंग होटल मालिक के साथ होगी।
मैं बोली- ओके।
फिर जय बोले- अभी तो 12:30 बज रहे हैं। तब तक तुम लोग चाहो तो मथुरा घूम लो।
मेरे ह्ज्बेंड रंगीला बोले- हाँ…यह ठीक है हम घूम आते हैं।
जय बोले- पर वक्त का ध्यान रखना, शाम को जाना है और ये लो 15000 रुपए.. कुछ खरीददारी भी कर लेना, अब मैं चलता हूँ..
6:30 पर आऊँगा, डॉली तुम तैयार रहना।
मैं बोली- ठीक है।
जय चले गए, हम लोग भी थोड़ा घूमने निकल गए।
घूम कर हम लोग आए तो सोचा कि कुछ देर आराम कर लें।
फिर ठीक वक्त पर जय आ गए।
शाम सात बजे हम होटल के लिए रवाना हुए।
आज मैंने जीन्स और कुर्ती पहनी थी, मैं बहुत सुंदर लग रही थी।
होटल पहुँचते मैं सीधे होटल के अन्दर चली गई और जय जी के साथ कुर्सी पर बैठ गई।
थोड़ी देर जिन साहब से मीटिंग करनी थी, वो (होटल मलिक) अन्दर आ गए और जय से हाथ मिला कर बैठ गए।
तब जय जी ने मेरा परिचय दिया और वे बातें करने लगा।
कुछ देर बात करने के बाद जय जी बोले- डॉली जी.. आप साहब जी को पसंद आ गई हो, तुम्हारा क्या कहना है?
मैं बोली- जो आप लोगों की सोच है, वही मेरी भी है।
जय जी ने बोला- सर जी बात पक्की, अब आप इजाजत दो, तो हम चलें।
होटल मालिक बोले- खाना वगैरह खा के जाओ.. क्यों डॉली?
मैं बोली- जो आप ठीक समझो।
‘क्या आप नहीं खाओगी?’
मैं बोली- क्यों नहीं..
सभी हँस दिए।
फिर हम सब खाना खाने बैठे।
होटल मालिक भी हमारे साथ ही खाना खाने लगा।
खाना खाने के बाद होटल मालिक ने एक वेटर को बुलाया और बोला- मैडम आज हमारी मेहमान हैं, इनको कमरा नंबर 201 में ले जाओ और इनको जो भी जरूरत हो, तुरंत हाजिर कर देना।
वेटर बोला- जी मालिक।
फिर सर बोले- डॉली, तुम चलो आराम करो।
मैं वेटर के पीछे-पीछे चल दी।
वेटर घूम कर देखे जा रहा था, मैं भी कुछ शरारत करने के मूड में आ गई।
मैं वेटर को देख मुस्कुरा देती, तभी मेरा कमरा आ गया।
मैं कमरे में पहुँची, अरे बाप रे.. यह कमरा नहीं यह तो जन्नत था।
मै बिस्तर पर जा बैठी, वेटर बोला- मैम, कुछ चाहिए?
मैं बोली- हाँ.. पर वो चीज तुम नहीं तुम्हारे सर जी देंगे।
वेटर सकपका गया, मैं मजा लेटी हुई बोली- जाओ जरूरत होगी तो बुला लूँगी।
उसके जाने के बाद में गुसलखाने में गई अपनी पैन्टी सरका कर मूतने बैठी, बड़ी जोर की पेशाब लगी थी, स्शी..स्शी.. की आवाज करते मेरी चूत से धार निकल पड़ी।
मैं आपको बता दूँ कि मैं पतली वाली चाइनीज पैन्टी पहनती हूँ जो पीछे से सिर्फ एक डोरी वाली होती है जो कि मेरी गाण्ड की दरार में घुस जाती है और आगे से सिर्फ दो इंच चौड़ी पट्टी मेरी चूत को ढकने में नाकाम सी होती है।
खैर.. मैं मूत कर बाहर आई और शीशे में खुद को देखने लगी। मैं आज बहुत सुंदर लग रही थी।
तभी होटल के कमरे का फोन बजा फोन उठाया, ‘हैलो’ कहने से पहले ही उधर से आवाज आई- मैं होटल मालिक जयदीप हूँ.. आधे घंटे में आ रहा हूँ.. जान जब से तुम्हें देखा है, रह नहीं पा रहा हूँ तुम्हारी चूत चोदने को बेताब हूँ।
मैं बोली- मैं भी चुदने को तैयार हूँ.. आ जाओ।
बोले- कुछ लोग हैं पहले इनकी छुट्टी कर दूँ फिर आता हूँ मेरी जान.. और सुनो नाईटी लाई हो? या एक ले आऊँ।
मैं बोली- है.. आप चिन्ता ना करो।
तो वो बोले- पहन लो.. बाकी कपड़े उतार दो.. मगर पैन्टी-ब्रा नहीं.. वो मैं उतारूँगा।
उसने फोन रख दिया। मैंने कपड़े निकाल कर नाईटी पहन ली और बिस्तर पर जा लेटी और होटल मालिक के विषय में सोचते हुए पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर चूत सहलाने लगी।
मैं यहाँ जयदीप कहना चाहूँगी, जयदीप को जब से देखा है, मैं भी उससे चुदना चाहती थी, जय का जिस्म मुझे उत्तेजित कर रहा था।
मैं सोच रही थी कि कैसे वो मुझे अपनी बांहों में लेकर, मेरी चूत अपने हाथों से सहलाएगा।
यही सोचते-सोचते मेरी चूत पनिया गई।
तभी कमरे की घन्टी बजी, मेरा ध्यान टूटा, मैं झट से जाकर दरवाजा खोला, सामने होटल मालिक जयदीप था।
मैं बोली- आईए आप ही का इन्तजार कर रही थी..
अन्दर आकर दरवाजा बन्द करके उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे गुलाबी होंठों को चूमने लगा।
वो मुझे अपनी बांहों में भर कर चूम रहे थे और अपने एक हाथ को मेरी नाईटी के अन्दर डाल कर, मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाने लगा।
फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया और मुझे बिस्तर पर लुढ़का दिया।
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