RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ बाबूराव अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा बाबूराव चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।
आज तक तो ह्ज्बेंड का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा बाबूराव ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा बाबूराव से खा रही थी।
कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।
सेठ बाबूराव अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।
फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।
मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो..!
फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।
फिर चूत से बाबूराव निकाल कर बोला- जान एक बार अपने बाबूराव को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।
मैं अंगूठी के लालच में बाबूराव चाटने लगी।
लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।
सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!
सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा बाबूराव… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!
फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी बाबूराव से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!
मैं झड़ने लगी, “मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !
कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।
अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।
तभी जय का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!
जय बोला- सेठ खुश हुए..!
मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।
फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा बाबूराव चाट और चूत से बाबूराव बाहर कर के चटाया।
बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!
मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर बाबूराव पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में बाबूराव डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।
शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।
उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।
‘लो जान गया मैं…!’ और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।
कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना ‘हलब्बी-छानू’ निकाल लिया, उसका बाबूराव देख कर मैं डर गई।
मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।
किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ जय को फोन पर बोला- आ जाओ डॉली जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!
कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- डॉली मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!
फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।
तब तक जय व रंगीला आ गए थे।
मेरे ह्ज्बेंड खाना लेकर आ गए फिर हम दोनों ने खाना खा सोने के लिए बिस्तर पर गए तो मेरे ह्ज्बेंड ने पूछा- क्यों.. बड़ी चुप हो डॉली..?
तो मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली- बीवी को किसी और को देकर चले गए इतना भी ना सोचा कि वह जोर-जबरदस्ती करता तो मैं क्या करती, मुझे डर लग रहा था।
ह्ज्बेंड बोले- यार डरने की कोई बात नहीं है, हम तो थे ना और जय भी तो मेरे साथ ही था।
ये सब बात करते-करते हम दोनों सो गए।
सुबह जय कब आया.. पता ही नहीं चला, जय के जगाने पर ही नींद खुली।
फिर मैं फ्रेश होने बाथरूम में चली गई।
मैं बाथरूम से निकली तो जय बोला- रंगीला तुम फ्रेश हो लो भाई.. मैं आप लोगों के लिए चाय लाता हूँ।
जय के चाय लेकर आते ही रंगीला यानि मेरा ह्ज्बेंड भी फ्रेश हो चुका था।
जय चाय लेकर भी आ गए फिर हम तीनों ने साथ बैठ कर चाय पी।
जय बोला- करीब एक घंटे में मेरे एक मित्र आने वाले हैं, डॉली तुम तैयार हो जाओ।
यह बोलकर जय चला गया, फिर मैंने तैयार हो कर जीन्स-टॉप पहन लिया।
जय के कहे अनुसार करीब एक घंटे में एक आदमी के साथ जय आ गया।
हम लोगों से परिचय करवाते हुए जय बोले- यह मेरे खास मेहमान राज शर्मा हैं और राज यह रंगीला है और यह डॉली है।
मैं बोली- प्यार से रानी।
सभी हँस दिए।
जय बोले- डॉली.. राज भाई का थोड़ा मूड फ्रेश करो… यह तुमको देखने के लिए बेताब थे।
मैं बोली- राज जी.. आपका स्वागत है।
तभी जय बोले- आप लोग एन्जॉय करो मैं और रंगीला चलते हैं।
उन लोगों के जाने के बाद दरवाजा अन्दर से बंद करके मैं राज के पास आ गई।
राज जी बोले- डॉली तुम्हारी चर्चा जब से सुनी है.. तभी से तुमको पाने की चाहत थी.. आज तुम इन चार घंटों के लिए मेरी रानी बन जाओ।
मैं राज से बोली- जो हुकुम मेरे आका।
राज हँस दिए और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं कटी पतंग की तरह राज की गोद में जा गिरी।
राज मेरी तरफ एकटक देखने लगे और मैंने कातिल अदा से कहा- कभी आपने लौंडिया नहीं देखी।
वो मुस्कुराने लगे और बोले- बहुत देखी हैं लेकिन आपके जैसी मस्त परी नहीं देखी.. जिसको भी आपका ये रसीला जिस्म मिला होगा वो मर्द भी कितना खुशनसीब होगा।
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