RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
हम दोनों बिस्तर पर आ गए, मिनी के हाथ में फ़ोन था, वो बिस्तर पर
अपनी टाँगें थोड़ी फ़ैला कर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघों के बीच में
उंगली से इशारा करते हुए मुझसे बोली- पापा, थोड़ा चाटो ना प्लीज़ !
मैंने अपना चेहरा उसकी चिकनी जाँघों के बीच में टिका लिया और अपने होंठों में उसकी झाँटे दबा कर खींचने लगा।
“ओ पापा ! आप बाद में खेल लेना, मेरी … गीली हो रही है, एक बार मेरे अन्दर से चाट लीजिए !
मैं थोड़ा सीधा हुआ और अपनी उंगलियों से बालों के जंगल में उसकी योनि के लबों को खोजने लगा।
“तुम इन्हें साफ़ क्यों नहीं करती मिनी?”
“रंगीला को ऐसे ही पसंद है ना !”
मैंने मिनी को जांघों से पकड़ कर ऊंचा उठाया तो उसकी योनि मेरे
होंठों के पास थी और वो खुद अपने कन्धों के ऊपर टिकी हुई थी, उसका सिर और
कन्धें बिस्तर पर शेष बदन मेरी बाहों में मेरे ऊपर था।
मैंने अपने दोनों अंगूठों और दो साथ वाली उंगगियों से उसकी योनि के
लबों को अलग अलग किया तो अन्दर गुलाबी भूरी पंखुड़ियाँ काम रस से भीग कर आपस
में चिपक गई थी।
मैंने अपनी जीभ से उन पर लगे रस को चाटा और उनकी चिपकन हटा कर जीभ अन्दर घुसा दी। मेरी जीभ एक इन्च से ज्यादा अन्दर चली गई थी।
मिनी के मुख से निकला- पापा… ओ पापा… आपका जवाब नहीं ! अम्मंअह…
मेरी बहू मिनी के बदन और योनि की मिली जुली गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी।
तभी उसने रंगीला का नम्बर मिला दिया।
उसने एकदम से फ़ोन उथाया जैसे वो मिनी के फ़ोन का ही इन्तजार कर रहा था, वो भी अपनी पत्नी से काम-वार्ता को उत्सुक लग रहा था।
मेरी चतुर बहू ने फ़ोन का लाउडस्पीकर ऑन कर दिया ताकि मैं भी उन
दोनों की पूरी बात सुन सकूँ।
रंगीला ने पूछा- बताओ कि क्या हुआ था?
मिनी हंसते हुए बोली- वही हुआ था जानू ! मेरी पैंटी में चींटी घुस
गई थी, वो तो शुक्र है कि काली वाली थी, अगर कहीं लाल चींटी होती तो पता
नहीं मेरा क्या हाल होता?
“तुम्हारा या तुम्हारी चूत का?” मेरे बेटे ने पूछा।
“हाँ हाँ ! चूत का ! पता है कि मैंने चींटी को कहाँ से निकाला?”
“कहाँ से?”
“बिल्कुल क्लिट के ऊपर से !””ओह ! साली चींटी ! मेरी घरवाली की चूत
का मजा ले रही थी? मिनी… तुमने अच्छी तरह देख तो लिया था ना कि वो चींटी ही
थी? कहीं चींटा हुआ तो? और उसने तुम्हें… हा…हा… !”
“सुनो रंगीला ! इस समय मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर में लेटी हुई हूँ और उस
जगह को रगड़ रही हूँ जहाँ उस चींटी…ना… ना…उस चींटे ने मुझे काटा था !”
ऊओअह्ह ! तो तुम अपने हाथ से अपनी क्लित मसल रही हो? अपनी फ़ुद्दी में उंगली कर रही हो?”
“हाँ मेरे यार ! अगर तुम होते तो उंगली की जगह तुम्हारा लौड़ा होता !
तुम्हारा लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटा रहा होता !” मेरी चालू बहू ने कहा।
लेकिन अभी तो मुझे सिर्फ़ उंगली से ही गुजारा करना पड़ेगा !”
“और वो डिल्डो कब काम आएगा जो हमने पेरिस में खरीदा था? तुम उसे इस्तेमाल करो ना !” मेरे बेटे ने सुझाव दिया।
” अरे हाँ ! वो तो मैं भूल ही गई थी ! अभी निकालती हूँ उसे !” मिनी
ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ोन के माइक को हाथ से ढकते हुए
मुझसे फ़ुसफ़ुसाई- आप ही मेरे डिल्डो हो आज ! घुसा दो अपना डिल्डो मेरे अन्दर
! मैं आपके बेटे से कहूँगी कि मैंने डिल्डो ले लिया अपने अन्दर !
मेरी समझदार बहू ने कनखियों से मुझे देखा और फ़िर कुछ देर बाद फ़ोन में बोली- हाँ जानू ! ले आई मैं ! डाल लूँ अन्दर?
“हाँ… हाँ… घुसा ले ना ! पूरा बाड़ना !”
मिनी ने मुझे इशारा किया कि अब घुसाना शुरु करो !
“लेकिन रंगीला ! यह तो बहुत बड़ा है ! मेरी चूत जरा सी है, यह कैसे पूरा
जाएगा अन्दर?” उसने सिसियाते हुए कहा।
“अरे चला जाएगा रानी… पूरा जाएगा… तू कोशिश तो कर ! बड़ा है तभी तो तुझे
असली मज़ा आएगा ना ! घुसा कर देख ! सुमन मौसी के पास तो इससे भी बड़ा डिल्डो
है ! तुमने तो देखा है कि वो कैसे चला जाता है मौसी की चूत में !”
“अरे ! सुमन मौसी की चूत को तो तुम्हारे पापा ने चोद चोद कर फ़ुद्दा
बना रखा है ! मौसी बता रही थी ना कि तुम्हारे पापा का तुमसे भी बड़ा है !
चलो… कोशिश करके देखती हूँ !”
मैं तो रंगीला और मिनी का वार्तालाप सुन कर हतप्रभ रह गया !
मैं तो खुद को ही चुदाई का महान खिलाड़ी समझ रहा था पर यहाँ तो सभी
एक से बढ़ कर एक निकल रहे हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं कुछ ना कह
पाया और चुपचाप मैंने बिल्कुल शान्ति से बिना कोई आवाज किए मिनी की जाँघों
को फ़ैलाया और अपने लिंगमुण्ड को योनि के मुख पर टिकाया तो मिनी ने
लिंगदण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अनुए अन्दर सरकाने का यत्न करने लगी।
मिनी की चूत खूब गीली हो कर चिकनी हो रही थी, उसने मेरे लिंग के
सुपारे को अपने योनि-लबों के बीच में रगड़ कर उन्हें फ़ैलाया और मेरे हल्के
से दबाव से मेरा सुपारा अन्दर फ़िसल गया।
“अओह…हा…आ…अई…” मिनी ने जोर से एक चीख मारी।
उधर से आवाज आई रंगीला की- वाह मिनी ! बहुत अच्छे ! कितना अन्दर गया?
“ऊओह… रंगीला ! अभी तो बास आगे का मोटा सा नॉब ही अन्दर घुसा है… उफ़्फ़्
कितना मोटा है यह ! तुम्हारे लण्ड से तो डेढ़ गुना मोटा और शायद डेढ़ गुना ही
ज्यादा लम्बा है यह !” मिनी मेरी आँखों में झांकते हुए बोली।
और फ़िर एक बार माइक को हाथ से ढकते हुए फ़ुसफ़ुसाई- मैं सही कह रही हूँ पापा ! आपका सच में रंगीला के से ड्योढ़ा तो है ही !
इस बात से बिल्कुल बेखबर कि उसकी पत्नी उसके पिता के लण्ड की बात कर
रही है, रंगीला ने उसे और अंदर तक घुसाने के लिये उकसाया- और अन्दर तक ले ना
मिनी ! पूरा अन्दर घुसा ले !
“हाँ मेरे राजा हाँ !” मिनी हांफ़ते हुए से बोली और मुझे अपना लण्द
उसकी चूत में और अन्दर घुसाने के लिए इशारा किया।
मैंने अपनी जांघों को एक झटका दिया और मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी बहू मिनी की चूत के अन्दर था।
“ओ… मा… मर गईइ मैं… पापा जी आह मम्मा !”मिनी जोर से सीत्कारते हुए
असली दर्द से चिल्लाई तो उसके मुँह से पापा निकल गया। और शायद अपनी इस भूल
को छिपाने केल इये बाद में मम्मा बोली थी।
उधर मेरे बेटा खिलखिला कर हंसते हुए बोला- अपने मम्मी पापा को क्यों
बुला रही हो? बुलाना है तो मेरे पापा को बुला ले ना ! तेरी फ़ाड़ कर रख
देंगे वो !
“हट… ! बेशरम ! गन्दे कहीं के ! तुम्हारे पापा क्या फ़ाड़ेंगे मेरी
चूत ! अब तो बुड्ढे हो गये वो !” मेरी तरफ़ तिरछी नजर से देख कर आँख़ मारते
हुए मिनी बोली।
“अरे ! इस गलत फ़हमी में मत रहना ! मेरे पापा का लौड़ा इस डिल्डो का भी बाप है !”
“तो सुनो रंगीला ! अब मैं यह कल्पना कर रही हूँ कि मेरी चूत में यह डिल्डो नहीं, तुम्हारे पापा का लौड़ा है !”
रंगीला खिलखिलाया- ठीक है ! तुम यही सोच कर डील्डो से चुदो कि तुम मेरे
पापा से चुद रही हो ! मैं भी सुनूँ कि मेरी रानी कैसे चुदती है अपने ससुर
से !
रंगीला इस मजाक पर मजा लेकर खूब जोर से हंसा।
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