RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
मधुलिका ने रकाबी मे पैर डाला तो रणबीर ने नीचे झुक कर मधुलिका का पैर रकाबी मे ठीक से फँसा दिया. वह मधुलिका के फूले फूले चूतड़ को सहारा दे उसकी घोड़े पर चढ़ने मे मदद करना चाह ही रहा था की मधुलिका उछल कर घोड़े की पीठ पर सवार हो गयी.
रणबीर ने घोड़े की रास थाम ली और पैदल चलने लगा. मधुलिका कुछ देर तो घोड़े की चल के साथ ताल मेल बैठाती रही वह घोड़े की पीठ पर अकड़ कर बैठ गयी और रणबीर से कहा.
"अब रास मुझे थमा दो. नहीं तो लग ही नही रहा है की में घुड़सवारी कर रही हूँ. रणबीर ने मधुलिका को रास थमाते हुए कहा, "देखिएगा रास ज़ोर से मत खींचयएगा, नही तो घोड़ा दौड़ने लगेगा."
रणबीर भी घोड़े की पीठ पर हाथ रख साथ साथ चलने लगा.
"रणबीर पढ़ाई लीखाई भी की है या और कुछ?" मधुलिका ने पूछा.
"जी गाँव के स्कूल मे आठवीं तक पढ़ा हूँ."
"तो तुमने तो बहोत जल्दी घुड़सवारी और निशानेबाज़ी सिख ली और बाबा ने मुझे सिखाने के लिए तुमको चुना है?"
"जी इसमे ऐसी कोई बात नही है, देखिएगा आप भी बहोत जल्दी सब कुछ सीख जाएँगी."
घोड़ा मंद गति से चल रहा था. रणबीर घुड़ सवारी के बीच बीच मे गुण भी बताता जा रहा था जिसे मधुलिका ध्यान से सुन रही थी. घोड़ा दौड़ने लगे तो उसकी पीठ पर हल्के ठप देकर उसे रोकना है, कैसे चढ़ना है, कैसे उतरना है वैगैरह वैगैरह.
लगभग एक घंटे मे पोलो मैदान के दो चक्कर पूरे हो गये. इस बीच मधुलिका घोड़े को हल्के हल्के दौड़ाया भी और रणबीर के बताए तरीके से उसे थप़ थपा के रोका भी. मधुलिका बहोत खुश थी.
घोड़े से उत्तरते समय रणबीर ने उसके चूतड़ को हल्का सा सहारा देकर उसकी उत्तरने मैं मदद की. फिर मधुलिका ने कुछ निशाने बाज़ी की इक्षा प्रगट की.
शाम के 5.00 बज चुके थे. सूरज कुछ नीचे चला गया था, जिससे पेडो की छाया लंबी हो गयी थी. रणबीर ने एक बड़े पेड़ की छाँव मे एक चादर बीछा दी. टारगेट एक तख़्ती जिस पर काई गोल लाइन्स बनी हुई थी, जंगल की तरफ था जो की अभी धूप मे नहा रहा था.
"अब आप पेट के बल लेट जाएँ और राइफल का बट छाती से दबा के राइफल को मजबौती से पकड़ें. मधुलिका फ़ौरन लेट गयी.
और समय होता तो रणबीर उसके चूतडो का उभार देख कहीं खो जाता पर इस समय उसका पूरा ध्यान राइफ़ल चलाना सिखाने मे था. रणबीर ने हिदायत दे दी थी की ट्रिजर को भी बिल्कुल भी ना छुवें. फिर रणबीर राइफल को कैसे सीधा रखा जाए, निशाना कैसे लगाना है तथा और भी बहुत सी बातें समझाता रहा. मधुलिका ट्रिजर दबाने को उतावली थी पर रणबीर उसे धीरे से समझाता रहा.
"अब समझाते ही रहोगे या दो चार गोली मारने के लिए भी कहोगे?"
"देखिएगा बट छाती से कस के दबा ले. गोली छूटते ही एक झटका लगेगा. रणबीर भी उसकी बगल मे लेट गया और जब सब तरफ से संतुष्ट हो गया तो उसने फिरे कहा. ध्यान से गोली छूटी पर वह उस तख़्ती के भी आस पास नही थी.
मधुलिका उठ कर बैठ गयी. उसकी छाती ज़ोर ज़ोर से धड़क रही थी, जिससे उसकी बड़ी बड़ी चुचियों उपर नीचे हो रही थी. रणबीर ने थर्मस मैं से एक ग्लास पानी निकाल कर उसे दिया.
फिर रणबीर राइफल लेकर लेट गया. बट कैसे रखना है उसने अपनी छाती से लगाकर समझाया. फिर उसने टारगेट पर कयी फाइयर किए और सारी निशाने बीच मे बने गोल पर ही लगे. इससे मधुलिका बहोत प्रभावित हुई. उस दिन रणबीर ने मधुलिका को और राइफल नही दी बल्कि काई बातें समझाता रहा.
ड्राइवर जीप लेकर साढ़े पाँच बजे आ चुका था, उसे इंतेज़ार करते हुए लगभग 10 मिनिट हो चुके थे. तभी रणबीर ने सारा समान समेटना शुरू किया और सारा समान एक घोड़े की पीठ रख दोनों जीप की तरफ चल पड़े. एक घोड़े की रास रणबीर ने थाम रखी थी और दूरे घोड़े की रास मधुलिका ने. मधुलिका दूसरे दिन चार बजे आने को कह जीप मे सवार हो निकल गयी.
|