RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
ठाकुर ने कहा, "यह नौजवान है जो तुम्हे घुड़सवारी सिखाएगा. इतना हौसलेमंद है की चाकू लेकर शेर से भीड़ जाए. "
मधुलिका ने रणबीर को गौर से देखा और पूछा, "कब से हो यहाँ?"
"जी हवेली मे तो अभी सिर्फ़ एक महीने से ही हूँ पर ठाकुर साहेब की सेवा मे दो साल से हूँ." रणबीर ने नज़रें नीची किए जवाब दिया.
"हूँ तो तुम बाबा के साथ शिकार पर भी जाते हो?"
"जी हां "
"तब तो निशाने बाज़ भी हो." फिर मधुलिका ठाकुर की तरफ घूम के बोली, बाबा! मैं यहाँ बंदूक, पिस्टल चलाना भी सीखूँगी.
"ये भी तुम्हे यही सीखा देगा."
मधुलिका खुश हो गयी. तब ठाकुर ने रणबीर से कहा.
"अस्तबल से दो चुने हुए घोड़े ले जाना, सारे साजो समान की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है.. देखो बेबी भी इस मे नयी है, इसके अकेले घोड़े पर मत छोड़ना. राइफल कारतूस भी ले लेना और निशानेबाज़ी जंगल की तरफ रुख़ कर के सीखाना. तुम डाक बंग्लॉ के पास सब तय्यारी करके इंतेज़ार करना बेबी शाम को 4.00 बजे तक वहाँ पहुँच
जाएगी."
"जी ठाकुर साहेब, अब इजाज़त दें, सारी तय्यारी में खुद करूँगा."
ये कह कर रणबीर ने सिर झुकाया और वाहा से चला गया.
फिर रजनी और मधुलिका को वहीं छोड़ ठाकुर भी हवेली मे चला गया.
"तुम्हारे बाबा का ये ख़ास है, ये तुम्हेसब कुछ सिखा देगा." रजनी ने हंसते हुए मधुलिका से कहा.
"ठकुराइन मा आप कैसे जानती है की ये क्या क्या सीखा सकता है?"
"अरे ठाकुर साहेब इसकी तारीफों के पूल बाँधते थकते नही. बाप का तो मन ये मोह चुका अब देखिएं की बेटी का ये कितना मन मोहता है?" रजनी होटन्ठ काटते हुए मुस्कुराने लगी.
"तब तो मज़ा आ जाएगा मेरी ठकुराइन मा... " मधुलिका ने भी हंसते हुए कहा और मा शब्द पर अधिक ही ज़ोर दिया.
"मेने तुम्हे कितनी बार कहा है की मुझे मा मत कहा करो. अपना अपना भाग्या होता है"
"भाग्या ही तो होता है की आप आज इस हवेली की ठकुराइन है. और ठकुराइन है इसलिए मा भी है."
रजनी ने पास पड़ी एक मॅगज़ीन उठा ली और पढ़ने लगी. उसने जब से मधुलिका यहाँ आई थी तब से कोशिश करनी शुरू कर दी थी की मधुलिका उससे एक सहेली जैसा व्यवहार करे.. उसने काफ़ी खुलने की भी कोशिश की. वह मधुलिका को ठीक उसी साँचे मे ढालना चाहती थी जिस साँचे मे उसने अधेड़ मालती को ढाल रखा था.
पर मधुलिका शांत स्वाभाव की और कम बोलने वाली लड़की थी. उसे अभी तक रजनी ठीक से समझ ही नही पाई थी.
शाम 4 बजे जीन कसे दो घोड़ों के साथ रणबीर डाक बंग्लॉ के पास मुस्तैद था. दो राइफल और कारतूस भरी दो पट्टियाँ भी मौजूद थी. तभी एक जीप वहाँ आके रुकी और टाइट जीन्स और चमड़े की जकेट मे मधुलिका जीप से नीचे उतरी. उसने ड्रेइवेर को यह कहते हुए जीप के साथ भेज दिया की दो घंटे बाद वे यहाँ वापस आ जाए.
उस लिबास मे आज मधुलिका शिकार पर जाती एक राजकुमारी लग रही थी. सर पर हॅट नुमा कॅप थी. कमर मे जीन्स की बेल्ट मे एक पिस्टल खोंसि हुई थी. रणबीर के पास आ मधुलिका ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और पूछा,
"तो तुम और तुम्हारे घोड़े तय्यार है? चलो अब कैसे शुरू करना है करो."
"जी मधु.. उ.. जी. आज आप घोड़े पर सवार हों और में घोड़े की रास पकड़ पैदल च्लते हुए इस पोलो मैदान के दो चक्कर लग वाउन्गा. इससे आपको घोड़े की चाल का एहसास होगा और उस चाल के अनुसार आपको अपने शरीर को कैसे काबू मे रखना है पता चलेगा." ये कह कर एक सज़ा हुआ घोड़ा रणबीर ने मधुलिका के आगे कर दिया.
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