RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
रणबीर ने झिझकते हुए अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया. भानु ने रघु के लंड को उसकी पॅंट से बाहर निकल लिया था.
भानु कुछ देर तक तो रघु के लंड को सहलाता रहा फिर उसे अपने मुँह मे ले चूसने लगा. रणबीर ने घृणा से अपना मुँह दूसरी और फेर लिया.
तभी भानु रघु के लंड को छोड़ रणबीर के लंड पर झुक पड़ा और उसके लंड को अपने मुँह मे ले लॉली पोप की तरह चूसने लगा. आख़िर लूँ लंड ही होता है.. भानु के मुँह की गर्मी पा वो तन्न्ने लगा और लोहे की तरह सख़्त हो गया.
तब भानु वहीं चोपाया हो गया और अपनी गंद मे उठा रणबीर से बोला, "चल अंदर डाल, साले थोड़ा थूक लगा लेना आज सुबह तूने चाची की तो सुखी ही मार दी थी. में सब वहाँ चुप कर देख रहा था.
रणबीर का आज पहली बार बालों से भरी किसी मर्द की गंद से पाला पड़ा था. आज तक वो औरतों की सॉफ और चिकनी गांद ही मारते आया था. पहले तो उसने भानु की गंद पर ढेर सारा थुका और फिर वहाँ अपना लंड लगा धीरे धीरे अंदर ठेलने लगा.
उधर भानु ने रघु को फिर अपने सामने बुलाया और उसके लंड को अपने मुँह मे लिया. रणबीर का ध्यान बँट गया और वो भानु की गंद मारना भूल भानु को रघु का लंड चूस्ते हुए देखने लगा.
"साले अंदर बाहर कर ना... सुबह मालती चाची की तो ऐसा मार रहा था की बेचारी एक साप्ताह तक तो ठीक से चल भी नही पाएगी."
अब रणबीर जोरोंसे भानु की गंद मारने लगा और थोड़ी ही देर मे उसका लंड भानु की गंद मे झाड़ गया.
"क्यों मज़ा आया? क्यों मालती चाची से कुछ अलग थी या वैसे ही थी." भानु ने पूछा.
रणबीर कुछ नही बोला पर मन ही मन वो प्रतिगया कर रहा था की इसका पूरा हिसाब वो सूमी से चुका लेगा.
दूसरे दिन सुबह ही ठाकुर का कारवाँ हवेली के लिए वापस चल पड़ा. भानु और रणबीर घर पहुँचते ही बिस्तर मे घुस पड़े और काफ़ी देर तक सोते रहे.
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