RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
रणबीर सुबह काफ़ी देर तक सोता रहा और तभी एक मधुर सुरीली आवाज़ से उसकी नींद टूटी.
"चाइ ले लीजिए," रणबीर ने अपनी पलकें मसल्ते हुए आँख खोली तो देखा की सूमी चाइ की प्याली लिए उसके सामने खड़ी थी. दिन काफ़ी चढ़ आया था, रणबीर ने कहा, "मुझे पहले क्यों नही उठाया?"
"आप जल्दी से नहा कर तय्यार हो जाइए, आपको इनके साथ हवेली जाना है," सूमी ने मधुर आवाज़ मे कहा.
"इनके?" रणबीर ने एक शरारत भरी नज़रों से सूमी की आँखों मे झाँकते हुए कहा.
"मेरा मतलब है की मेरे पति के साथ... " सूमी ने थोडा मुँह बिचकाते हुए कहा.
रणबीर ने सूमी के हाथ से चाइ की प्याली ले ली और धीरे धीरे चाइ की चुस्कियाँ लेता रहा.
दोनो कई देर तक खामोश रहे, कोई भी कुछ नही बोला सिर्फ़ एक दूसरे की आँखों मे झँकते रहे. जब रणबीर की चाइ ख़तम हो गयी तो सूमी उसके हाथ से चाइ की प्याली ले जाने लगी तभी रणबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया.
"क्या हुआ?" सूमी ने घूमते हुए उसकी आँखों में झाँक कर पूछा और अपनी कलाई रणबीर के हाथों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
"कुछ नही भाभी बस दिल कर रहा है की तुम्हे देखते जाउ."
"क्यों ऐसा क्या है मुझमे?" सूमी ने अपना हाथ रणबीर के हाथों मे ढीला छोड़ते हुए कहा.
तभी बाथरूम से भानु की आवाज़ आई, वो सूमी का नाम ज़ोर ज़ोर से ले पुकार रहा था.
"जल्दी से मेरा हाथ छोड़ो नही तो वो आ जाएँगे." सूमी ने दरवाज़े की तरफ देखते हुए कहा.
"ऐसे कैसे छोड़ दूं भाभी.... अभी अभी तो आग लगी है." रणबीर ने अपनी बात कहने मे कोई देर नही की.
"अभी नही रात को.... सात बजे पीछे वाले खेत पर आ जाना फिर ये हाथ दे दूँगी पकड़ने के लिए." सूमी की भी सोई हुई भावनाए अब पूरी तरह जाग चुकी थी और उसने झट से प्लान बनाते हुए कहा.
"सच में भाभी?"
"सच मे... में भी चाहती हूँ की आप मेरा हाथ पकड़े.... मुझे प्यार करें." सूमी ने कहा.
"अभी क्यों नही..." रणबीर ने सूमी को अपनी बाहों मे भरते हुए कहा.
"अभी नही.... क्योंकि अभी वो नहा रहे है.... अब छोड़ो भी मुझे आती हूँ ना रात को.... "सूमी ने अपनी कलाई छुड़ाने के लिए कहा, पर रणबीर का हाथ उसकी कठोर चुचि पर आ चुका था.
उसने सूमी की चुचि को जोरों से मसल दिया और उसकी थोड़ी को उपर कर उसके होठों का एक तगड़ा सा चूमा ले लिया और एक बार फिर उसकी चुचि को कस कर दबा दिया.
"आआआअ..... ईईईई" सूमी के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी और रणबीर के हाथों से अपनी कलाई छुड़ा वो रसोई से भाग खड़ी हुई.
रणबीर ने जल्दी जल्दी स्नान किया और भानु के साथ हवेली जाने के लिए तय्यार हो गया.
जब वो दोनो हवेली पहुँचे तो ठाकुर उन्ही का इंतेज़ार कर रहा था.
"अक्च्छा हुआ रणबीर तुम आ गये... रात कैसी गुज़री?" ठाकुर ने पूछा.
"ठीक ही गुज़री ठाकुर साहब."
"तो चलो आज फिर शिकार पर चलते है," ठाकुर ने कहा.
"शिकार पर आज फिर?"
"हां...... शिकार पर... हमे जिंदगी मे बस एक ही शौक तो है..
शिकार करने का."
"लेकिन हम कल ही तो शिकार पर से वापस आए है," रणबीर ने फिर कहा तो ठाकुर ने एक कड़ी नज़र से उसे देखा और फिर ठाकुर भानु की तरफ देखने लगा.
"कोई बात नही.... आज हम फिर शिकार पर जाएँगे.." इस बार ठाकुर की आवाज़ मे कॅडॅक्पन और एक गुस्सा था.
"लेकिन....." रणबीर ने कुछ कहना ही चाहा था की भानु ने उसे कोहनी मारी. समय की नाज़ूकटा समझते हुए रणबीर चुप हो गया.
रणबीर समझ चुका था की शिकार पर जाने का मतलब था की आज रात सात बजे वो सूमी से नही मिल पाएगा.
"तो ठीक है.... आज हम शिकार पर जाएँगे
"जी.... आज हम शिकार पर जाएँगे." रणबीर ने ठाकुर के सामने झुकते हुए कहा और सोचने लगा, सूमी आज नही तो फिर कभी तो मिलेगी जाएगी कहाँ.... चूत की खुजली होती ही ऐसी है.
"ठीक है... हम ज़रूर जाएँगे," ठाकुर भानु की और मुड़ा और कहा," अपने साथ 3-4 आदमी और ले लेना हम शाम को ठीक 5.00 बजे निकल जाएँगे."
"जैसे आपका हुकुम सरकार," रणबीर और भानु ने झुक कर सलाम किया और वहाँ स निकल पड़े.
"ठाकुर साहेब से क्यों ज़बान लड़ा रहा था, अगर तुम्हारी जगह और कोई होता तो ठाकुर साहेब उसकी चॅम्डी उड़ेध कर रख देते." भानु ने रणबीर से कहा.
रणबीर अपने आप मे खोया चुप चाप भानु के साथ चलता रहा.
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