RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
भानु की शादी भी एक साल पहले ही हुई थी और उसने बहोत जोश के साथ अपनी बीवी का परिचय करवाया, लेकिन भानु एक बात पर ध्यान नही दे पाया उसकी चाची भी इस मस्त लौडे मे पूरी दिलचस्पी ले रही है.
सूमी भी रणबीर से काफ़ी प्रभावित दीख रही थी, जबसे उसने सुना था की वह निहत्था ही शेर के सामने कूद पड़ा था और शेर को काबू मे कर उसेन ठाकुर के जान बचा ली थी. दूसरा उसका पति गान्डू क्सिम का मर्द था जो अक्सर उसकी गांद मारता रहता था.
भानु जो पक्का लौडे बाज था रह रह कर रणबीर के गथिले शरीर को देखे जा रहा था . वह सोच रहा था की कैसे इस नौजवान लौडे के लंड और गांद का मज़ा लूटा जाए.
तभी भानु रणबीर को ले नदी की तरफ चल पड़ा. मालती भी कांख मे एक घड़ा दबाए उनके पीछे चल डी. नदी पर पहुँच कर रणबीर ने अपना कुर्ता उतार दिया और केवल एक लोंगोट मे नदी मे स्नान के लिए उत्तर पड़ा. रणबीर का बालों भरा सीना और गथिला बदन देख मालती कसक पड़ी. उसकी कई दीनो से प्यासी चूत मे टीस उठने लगी पर क्या करती बेचारी अपने शादी शुदा भतीजे के सामने नंगी तो नही हो सकती थी. उधर भानु का भी लंड रणबीर के पुत्थे और लंगोट मे लंड का उभार देख मचल उठा था.
रणबीर काम के स्वाद से अंजान नही था. गाओं के आस पास के मिलन सार माहॉल मे वह कुछ रिश्ते की भाबियों को चोद चुका था. जब से उसने सूमी को देखा वो अपने भाग्या पर फूले नही समा रहा था. वो ये बात अछी तरह से जानता था की ये केवल समय की बात है, उसे जल्दी ही सूमी और मालती की चूत मिलने वाली है.
उसे अपने लंड पर बड़ा नाज़ था, वो अछी तरह जनता था की गाओं की जवान लड़कियाँ की बात तो छोड़िए गाओं की अधेड़ औरतें भी उसे देख कर आहें भरा करती है, जो एक बार उससे चुद जाती थी वो उसी की होकर रह जाती थी.
रणबीर ने रात का खाना रामानंद के साथ किया. खाना खिलाते समय मालती उसे बहोत ही आग्रह के साथ परोस रही थी. रणबीर का खाना ज़रूरत से ज़्यादा हो गया. घर मे और कमरे नही थे इसलिए उसका बिस्तर रसोई घर मे ही लगा दिया गया.
थोड़ी ही देर मे नींद ने उसे आ घेरा और सपने मे सूमी मचलने लगी ना जाने रात मे कब उसकी लंगोट खुल चुकी थी. और उसका मचलता लंड बाहर आ गया था. जब उसे होश आया पूरा बिस्तर चिप चिपा हो चुका था. उसे कुछ सुस्ती भी लग रही थी और उसका बिल्कुल भी मन नही कर रहा था की वो बिस्तर को सॉफ करे. वो फिर नींद की दुनिया मे खो गया और सुबह ही उसकी आँख खुली.
दूसरे कमरे मे मालती की उससे भी बुरी हालत थी. वो सारी साया ब्लाउस सब खोल नंगे हो गयी. उसने अपनी दोनो जांघों के बीच भरा पूरा जंगल उगा रखा था. कई देर तक उसकी उंगलियाँ उस जंगल बे भ्रमण करती रही फिर गहराई मापने लगी.
आज उसे अपने पति को छोड़े पाँच साल हो गये थे. इन बरसों मे वह प्यासी ही रही. पर आज रणबीर को देख उसका मन ही बस मे नही था. उसने कई बार जवान भतीजे भानु को भी मौका दिया पर वह था की कभी भी चाची को उस नज़र से नही देखा.
वो सोच रही थी की उसे चाहे कुछ भी करना पड़े वो रणबीर को पा के रहेगी. यह विचार आते ही उसकी उंगलियाँ की रफ़्तार चूत मे बढ़ गयी. उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. है रन्न्न्न्न्वीएर करती वो तृप्त होकर नींद की दुनियाँ मे चली गयी.
उधर सूमी के साथ जो रोज होता था वही हो रहा था, भानु उसकी गन्द मारकर आराम से नींद मे खर्राटें ले रहा था. रणबीर को देख कर उसकी झांतों मे पहले ही आग लगी हुई थी और उपर से उसका पति उसे मझदार मे छोड़ कर अर्राम से सो रहा था. भानु के मस्त शरीर को देखकर शादी के दिन वो बहोत खुश हुई थी पर सुहग्रात की रात ही उसे मायूस होना पड़ा था.
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