RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
मैं बहुत ही बेसबरा हो रहा था और मैने उनकी
सास से पूछा " रेखा भाभी कहाँ है मुझे उनको साडी देनी है" मैं रूम के हर
कोने के तरफ़ नेहारता हुआ बोला. मानो की जैसे भाभी वही कही छुपी है. "
अरे रेखा तो मार्केट गयी हुई है 1 घंटे मे वापिस आएगी बेटा तू अंदर तो
आ.." बुधिया बोली. मेरा सारा प्लान चोपट हो गया था..पता नही किस्मत मेरे
पीछे उंगली लेकर क्यो पड़ी है..मैने मन मन मे सोचा.
"आप ये साडी भाभी को दे देना मैं अब जाता हू" मैं उदास होता हुआ बोला.
"अरे बेटा थोड़ा वेट तो कर ले..रेखा आ जायगी….और हा अब तू आया है तो एक
काम भी कर दे..." बुढ़िया बोली
"आहह..ठीक है बोलिए क्या करना है" मैं बोला और अब मैं बोल भी क्या सकता
था..मेरा तो लंड भी ठंडा पड़ गया था ये जानकर की भाभी घर पर नही है.
बुढ़िया फिर मुझे द्रवाईंग रूम के साथ वाले रूम मे ले गयी . रूम के अंदर
पहुच कर मुझे पता चला कि वो रूम सोनाली का है. सोनाली करवट लेकर लेटी हुई
थी..मेरी नज़र जैसे ही सोनाली पर पड़ी मेरी उदासी फ़ॉर्रन रफूचक्कर हो
गयी . मैं सोनाली के बदन को अपनी आखो से नाप रहा था तभी अम्मा जी बोल उठी
" अरे आज इसकी तबीयत थोड़ी खराब है…सो नींद की गोली खाकर सोई है" अम्मा
जी बोली
पता नही क्यू पर ये बात सुनकर मेरे लंड मे एक कसक उठी और मेरे आँखो मे चमक आने लगी
"अरे बेटा वो जो बेग रखा है उपर टांड पर उसको ज़रा उतार देना" बुढ़िया
टांड की तरफ इशारा करते हुए बोली.
"अच्छा अम्मा जी आप थोड़ा पीछे हो जाओ…" मे बॅड पर चढ़ता हुआ बोला
मैं बॅड पर चढ़ उस काले से बॅग को उतारने लगा . दोस्तो मैं सोनाली के बदन
के पास ही खड़ा था तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया और मैने नीचे से
अपने उल्टे पाव के तलवे को सोनाली के उभरे हुए कुल्हो के पास सरका
दिया..मेरे पैरो की उंगलियो पर जैसे ही मुझे सोनाली की गांद की गर्मी
महसूस हुई मेरे अंदर का शैतान जागने लगा..और मुझसे बोलने लगा कि " एक दम
कोरा माल है ये सोनाली तो…आज भाभी को छोड़ और इसकी चूत का मज़ा उठा ले…"
मैं ये सब सोच ही रहा था कि नीचे खड़े अम्मा जी बोल उठी..
" क्या ज़्यादा भारी है बॅग…इतना समय क्यो लगा रहा है बेटा"
अब मैं बुढ़िया को क्या बोलू कि मैं उसकी लड़की के बदन की गर्मी ले रहा
हू.मुझे फिर लगा कि कही बुढ़िया को शक ना हो जाय सो मैने बॅग उतार दिया
और फिर पलंग से उतर कर नीचे खड़ा हो गया.
"बेटा अब अगर तुझे जाना है तो चला जा.." अम्मा जी उस बॅग की चैन खोलते हुए बोली
."नही…मैंम्…म..मे… थोड़ा रुक कर ही जाउन्गा अब..वैसे भी बाहर बारिश का
मोसाम हो रहा है" मैने अम्मा जी की बात काटते हुए उनको ज़ल्दी से जवाब दे
दिया.
" चल ठीक है ..एक काम कर बेटा तू बाहर टीवी देख ले तब तक मुझे तो नींद आ
रही है मैं थोड़ा सो लेती हू"
फिर हम दोनो सोनालीके कमरे से बाहर आ गये. मुझे अब ऐसा सुनहिरा मौका नही
छोड़ना है..बस थोड़ी सी हिम्मत दिखा अनुज…." मैं अपने आप को हिम्मत
दिलाता हुआ बोला.
मैं टीवी ज़रूर देख रहा था पर मेरा दिमाग़ आगे की प्लानिंग मे मशगूल था.
मैने घड़ी देखी तो पाया कि 10 मिनट गुजर चुके है बुढ़िया को अपने रूम मे
गये..
"क्या बुढ़िया सो चुकी होगी..क्या यही सही मॉका है" मैने अपने आप से सवाल किया.
और फिर आख़िर वो पल आया और मैं हिम्मत जुटा सोनाली के रूम की तरफ बढ़ा
मेरा दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था दोस्तो ये सब करते हुए मुझे
जितना रॉंमांच हो रहा था उसको मैं शब्दो मे बया नही कर सकता. सोनाली के
रूम तक पहोच्ते पहोच्ते ही मेरा लोड्ा आधा (हाफ) खड़ा हो चुका था
मेरे हाथ ना जाने क्यू काप से रहे थे और इन्ही कपते हाथो से मैने सोनाली
के रूम का दरवाजा खोला. सोनाली सोती हुई किसी अप्सरा से कम नही लग रही
थी..अब वो पेट के बल सोई हुई थी..ना जाने लड़कियो को पेट के बल सोना क्यो
अच्छा लगता है..सोनाली ने बादामी रंग का सूट और उसी रंग की पाज़ामी पहनी
हुई थी..उल्टे लेटने से सोनाली की गांद काफ़ी उभर गयी थी..ये सब देखते
देखते मैं पागल सा होने लगा था.फिर मैं ज़्यादा समय गवाए बिना कमरे मे
घुस गया और फटाफट से अपने कपड़े उतार पूरा नंगा हो गया..किसी अंजाने घर
मे किसी जवान लड़की के साथ उसी के रूम मे नंगा होने पर मस्ती की लहर जो
मेरे बंदन मे उठी मैं उसको आपसे कैसे बयान करू दोस्तो..
मैं धीरे धीरे सोनाली के बॅड की तरफ़ बढ़ा . जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा
था वैसे वैसे ही मेरे दिल की धड़ कन तेज हो ती जा रही थी. मेरे लिए तो
मानो वक्त जैसे थम सा गया था मुझे ना तो कोई शोर ना कोई और चीज़ सुनाई दे
रही थी बस सिर्फ़ सोनाली की वो उभरी हुई गांद नज़र आ रही थी. और फिर वो
वक्त आया जब मैने अपने काँपते हाथो को सोनाली की गांद पर रखा . अपनी कोरी
गांद पर मेरा हाथ लगते ही सोनाली का बदन हल्का सा कपा पर फिर दोबारा शांत
हो गया. एक लड़के का हाथ अपने गुप्तांगो पर लगने पर सोनाली का बदन अपने
आप ही हरकत कर रहा था. पर दोस्तो सोनाली के चूतादो का वो नर्म अहसास पाते
ही मानो मेरी पूरी बॉडी का खून मेरे लंड मे आ कर बहने लगा था और वो फूल
कर इतना मोटा हो गया था कि अगर मैं उसे बाहर ना निकालता तो मानो वो फाट
ही जाता .. मैने फटाफट अपनी पॅंट और अंडरवेार उतारे और एक हाथ से अपना
लंड मसल्ने लगा और दूसरे से सोनाली के चूतद्ड . कपड़ो के उप्पर से सोनाली
की पॅंटी को महसूस कर रहा था..मैं धीरे धीरे अपने आप पर काबू खोने लगा
..पर मन मे कही ये चल रहा था कि कही सोनाली जाग ना जाए ….पर वो जागे जी
कैसे उसने तो नींद की गोली ली हुई है…मेरे अंदर का शैतान बोला..ये जानने
के लिए कि सोनाली गहरी नींद मे है मैने उसका राइट चूतड़ को ज़ोर से दबाया
पर सोनाली ने कोई प्रतिक्रिया नही दी अब मुझे यकीन हो चला था कि वो गोली
के नसे मे है और उठेगी नही ..फिर क्या था मैने फाटाक से उसकी गांद को
नंगा किया और उसके नंगे चुतदो कस कस कर दबाने लगा..मेरा जोश इतना बढ़ गया
था कि कई बार तो मैने उसके गोरे चूतादो पर काट भी खाया ..अब सीन ये था कि
सोनाली की सलवार और पॅंटी उसके घुटनो मे थी और मैं ..उस हसीना को फूली
हुई चूत को चाट रहा था…वा क्या स्वाद था ..दोस्तो एक कवारी चूत का रस जो
नशा करता है वैसा नशा दुनिया की किसी शराब मे नही होता..जिन लोगो ने
कुँवारी चूत का रस पिया है वो ये बात अच्छे से जानते होंगे..मैं हवस मे
इतना पागल हो गया था कि मुझे ये समझ नही आ रहा था कि आगे मे क्या करू…समय
बीतता जा रहा था बुढ़िया कभी भी सो कर उठ सकती थी और ये भी हो सकता था कि
कोई और भी उनके घर पर आ जाय..इसी कशमकस मे पेट के बल लेती सोनाली के बदन
पर चढ़ गया और अपना लंड उसके चूतादो के दरार मे फसा उनको अपने लंड से
रगड़ने लगा..नशे मे मेरी आँखे आधी खुली थी और आधी बंद ..आज मैं पहली बार
एक लड़की के बदन पर लेटा था..और लड़की भी जवान और खूबसूरत . अब मैने
सोनाली की गर्देन को पीछे से चाटना शुरू कर दिया था और दोनो हाथो को नीचे
कर उसकी चुचियो को सूट के उप्पर से ही मसलने लगा था. हालाकी ज़्यादा जगह
नही मिली थी क्योंकि सोनाली पेट के बल लेटी हुई थी पर फिर भी मैं उसकी
चुचियो की नर्मी महसूस कर रहा था और जितना हो सके उनको दबा रहा था. मेरा
लंड तो सोनाली की चूत मे नही गया था पर उप्पर से धक्के लगाने से उसकी चूत
ज़रूर फूलने लगी थी.. जोश मे सोनाली के बदन को अपने बदन से इतना रगड़ रहा
था कि कमरे मे सोनाली के पलंग की आवाज़े गूंजने लगी थी..पर मुझे इस बात
की कोई परवाह नही थी अगर उस वक्त कोई भी वाहा आ जाता तो भी मैं रुकने
वाला नही था..तभी अचानक मेरा बंदन आकड़ा और लंड ने पानी छोड़ दिया ..मुझे
ओरगाम हो रहा था और मैने सोनाली के बदन को इतना जोरो से जाकड़ लिया था कि
नींद मे भी सोनाली के मूह से एक कराह निकल गयी थी.. अब मैं उसके बदन पर
मुर्दो के तारह पड़ा था और मेरे लंड से निकला पानी सोनाली के चूतादो से
होता हुआ उसकी कुँवारी चूत को गीला करता हुआ नीचे चादर पर गिर रहा
था..मुझे कुछ होश नही था ..पर तभी दीवार पर लगी घड़ी से आवाज़ हुई और
मुझे पता चला कि शाम के 4 बज चुके है .कही इस आवाज़ से बुधिया ना जाग जाय
मैं फटाफट सोनाली के बदन पर से उठा और अपनी पॅंट और अंडरवेार पहन
लिया..तभी मेरी नज़र सोनाली की नंगी गांद पर पड़ी .मेरे ज़ोर दार रगड़ने
और मेरे धक्को से उसके गोरे गोरे चूतड़ कई जगह से लाल हो गये थे ..उसका
सूट पर भी कई झुरिया पड़ गये थी ..थोड़ा और करीब जाने पर मैने देखा कि
सोनाली की गर्देन पर दांतो के निशान है जो के शायद मैने ही जोश मे आकर
दिए थे..खैर मैने फटा फट उसके कपड़े ठीक किए और उसकी सलवार उसको दोबारा
पहना दी ..और फिर मैं जल्दी से नीचे आ कर बैठ गया….
क्रमशः.......................
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