RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजलि दीदी तो मस्ती भी खो कर किसी और ही दुनिया मे चली गयी थी..रेखा
भाभी दीदी के बदन को अब बिना हिचाक यूज़ करने लगी.
"सच मे अंजलि तू एक बार उसका लंड ले ले अपने चूत मे ….तेरी ज़िंदगी बन
जाएगी…" कहते हुए रेखा भाभी दीदी के बदन पर झुक गयी ( जैसे की कुत्ता
कुतेया को अपने अगले पेरो से पक्कड़ ता है ..कुतिया की चुदाई के वक्त ).
"आहह..इससस्स….भाभिइ…..ऊहह..मा….भाभी…मे मर जाउन्गी…ऐशह….श्ह्ह्ह्ह" दीदी
मस्ती मे बोली
"फिर वो मेरी चुचियो को ऐस्से कस कस्स कर दबाता है कि मानो की उनका रस
निकालना चाहता हो" भाभी अब झुकी हुई दीदी की लाटकी चुचिओ को टी=शर्ट के
अंदर हाथ डाल कर उतनी ही तेज दबाने लगी..और अब उन्होने घोड़ी बनी दीदी के
चुतदो पर धक्के मारना भी शुरू कर दिया था…..
" क्या तुझे चुदाई के वक्त गंदी गंदी गालिया सुनना अच्छा लगता है…बोल
रांड़..अससह…" भाभी की भी अब आँखे बंद थी पर उनके धक्के अब बहुत तेज होने
लगे थे..
दीदी ने कोई जवाब नही दिया..बस अपना मूह बूँद कर .मस्ती मे आती अपनी आहो
को रोकने की नाकामयाब कोशिस करने लगी. दीदी को जवाब ना देता देख रेखा
भाभी को थोड़ा गुस्सा आया और उन्होने दीदी की चूचियो पर तन चुके निपल्स
को कस्स कर अपनी उंगली से दबा दिया..और बोली…" बेहन की लोदी बोल
नाअ……मज़ा आता है तुझे मर्द से गंदी गंदी गालिया सुनकर "
इस हरकत ने दीदी की चुप्पी तोड़ दी और दर्द और मज़े मे वो बोल उठी."
आहह..भाभी….इतनी ज़ोर से मत दबाओ…हा. हा ..मुझे गंदी गंदी गलिया सुनना
अच्छा लगता है……जब कोई मर्द मुझे गंदी गंदी गालिया देता है तो मेरी चूत
मे एक आजीब सी कसाक उठ जाती है और चूत से पानी आने लगता है "
"चार..चररर .".बेड की आवाज़ के साथ साथ रेखा और अंजलि दीदी की मस्ती मे
आती आवाजो ने रूम को भर दिया था..ये सब देखता एख़्ता मे पागलो की तरह
अपना लंड मसल रहा था…जिस तेज़ी से भाभी अब दीदी को घोड़ी बना कर चोद रही
थी उन झटको से अंजलि दीदी के रेशमी बालो से बना जुड़ा भी खुल गया था और
बॉल एक साइड से होते हुए नीचे बेड पर गिरे गिरे लहरा रहे थे..तभी दीदी के
मूह से एक तीव्र आवाज़ निकली और उनकी टाँगे कापने लगी. दीदी को ऑर्गॅज़म
हो गया था और वो निढाल हो कर बेड पर पीठ के बाल गिर पड़ी थी ..पर भाभी अब
भी नही मान रही थी वो लगातार पीठ के बाल पड़ी दीदी के उपर चढ़ि अब भी
दीदी के चूतादो पर अपनी चूत रगड़ रही थी…दीदी का बदन निर्जीव सा हो गया
था..रुक रुक कर उनके मुहह से बुसस्स 'उः..उः.." की आवाज़ ही आ रही
थी..तभी इतनी भारी रगड़ान से भाभी की फूल चुकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया
और रेखा भाभी ने अंजलि दीदी के बदन को कस कर दबोच लिया….दोस्तो अब इसको
आप मेरी बाद किस्मती कहे या खुशकिस्मती की इस दौरान ये सब देखते देखते
मैं मज़े मे इतना खो गया था कि मुझे ये भी ध्यान नही रहा कि कब मैं
दरवाजा खोल रूम के थोड़ा अंदर घुस गया हू…मुझे अपनी इस नादानी का पता तब
चला जब मेरी नज़र रेखा भाभी की हैरत मे फैली नज़रों से मिली. हालाकी
अंजलि दीदी का चेहरा अब भी नीचे तकिये मे कही छिपा था. मुझे तो मानो ऐसा
लगा कि मेरा शरीर एक पत्थर की मूर्ति बन गया है मैं चाहकर भी हिल नही पा
रहा था ..मेरे पैर वही फर्श पर जाम हो गये थे..अब इसका कारण डर और शाराम
थी या कुछ और….. तभी भाभी की नज़र मेरे चहरे से होती हुई सीधा नीचे मेरे
फूले हुए लंड पर गयी..ना जाने क्यो पर मेरे लंड ने रेखा भाभी को अपनी
तरफ़ इस तारह देखते हुए पाकर एक ज़ोर से झटका मारा . मेरे मूह से तो
मस्ती मे आवाज़ ही निकली पर तभी रेखा भाभी ने अपने होटो पर एक उंगली रख
ली मानो मुझे बोल रही हो कि अभी चूप रहो कोई शोर मत करो
स्थिति की गंभीरता समझते हुए मैने अपनी भावनाओ पर काबोए रखने मे ही
समझदारी समझी. ये सबकुछ इतना ज़ल्दी हो गया था कि मुझे कुछ सुझाई नही आ
रहा था उपर से ये जान कर कि भाभी मेरे नंगे खड़े लंड को देख रही है..एक
आजीब से कसाक मेरे बदन मे फैल्ल रही थी…तभी दीदी का बदन थोड़ा हिला मानो
कि वो होश मे आ रही है…ये सब देख भाभी जो कि अभी भी दीदी के उप्पर लेटी
थी मुझे इशारे से वाहा से जाने के लिए बोलने लगी..डर तो मे भी गया था सो
मैं फटाफट अपनी पॅंट उठा कर उस रूम से बाहर आ गया . मेरा दिल तो मानो
फटने ही वाला था पछले 10 मिनट के दोरान जो कुछ भी हुआ था वो सोच सोच कर.
मैं अभी तक नही ज़्यादा (डिचांज) था सो लंड मे हलचल मोजूद थी. मुझे अब लग
रहा था कि अगर मैने मूठ नही मारा तो मेरे अंदर इकट्ठी हो चुकी
एग्ज़ाइट्मेंट से मे पागल हो जाउन्गा सो मे फटाफट नीचे बाथरूम की तरफ़
भागा मेरा लंड अब भी नंगा लटक रहा था. मेरे ज़ोर ज़ोर से चलने की वजा से
वो काफ़ी जोरो से हिल हिल कर मेरी जाँघो पर लग रहा था. अगले कुछ मिनिट ही
मे मैं बाथरूम मे नगा खड़ा अपने लंड की खाल (स्किन ) को जोरो से आगे पीछे
कर रहा था..ये सोच सोच कर मे रेखा भाभी ने मेरा नंगा लंड देख लिया है मे
पता नही मस्ती मे मैं पागल सा हो रहा था. तभी मैने पायल की छान छान सुनी
..वो पायलो की आवाज़ धीरे धीरे बाथरूम की तरफ़ आ रही थी..और इससे पहले के
मैं कुछ समझ पाता बाथरूम का दरवाजा खुल गया . अब सीन कुछ ऐसा था की मैं
नंगा खड़ा था मेर हाथ मे मेरा मस्ती मे फूला लंड था और गेट पर रेखा भाभी
आ खड़ी हुई थी..
अगले 2 मिंट्स ताक कोई कुछ नही बोला . हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देख
रहे थे. दोस्तो मुझमे तो पता नही कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी थी. तभी भाभी
ने अपना दुपट्टा उतार कर बाथरूम पर लगी खुट्टी (नेल ) पर टाँग दिया और
बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.. अब रेखा भाभी और मैं अकेले थे
बाथरूम के अंदर रेखा भाभी भी मस्ती मे लग रही थी उनकी मोटी मोटी चुचिया
उपर नीचे होने लगी थी..तभी भाभी आगे बढ़ी और अपने एक हाथ को सीधा मेरे
मस्ती मे पागल हो चुके लंड पर रख दिया..
"थोड़ी देर भी सबर नही हुआ तुझे..है रे कितना गर्म है तेरा..पर छोटा है..
" रेखा भाभी अपनी पतली उंगलियो से मेरा लंड शहलाति हुई बोली.
दोस्तो भाभी के नरम नरम हाथो को स्पर्श अपने गरम लंड पर पाकर तो मैं क्या
बताऊ…बिकुल मस्त हो गया था. और इस मस्ती मे मेरे मॅन से एक आआह भी निकल
गयी'आह..इशह…"
भाभी अब झुक कर नीचे बैठ गयी थी और उनके लो कट सूट से मुझे उनकी गोरी
गोरी मोटी चुचिया नज़र आने लगी.
"मज़ा आया था तुझे वो सब देख कर..बोल ना.." भाभी मेरे लंड पर उपर से नीचे
मालिश करती बोली.
इस मस्ती मे मैं पागल सा हो गया और मेरे मूह से निकला " हा..भाभी" .
मस्ती मे मेरी आँखे बंद हो चुकी थी . मैं तो बस भाभी के नरम नरम हाथो का
जादू अपने लंड पर महसूस कर कर मज़े लेना चाहता था.
"किसी को अपनी बड़ी बहन के बदन से खेलता देखना तुझे अच्छा लगता है
ना….बोल मेरे राजा" भाभी अब एक हाथ को मेरे लंड पर उपर से नीचे घुमाती और
दूसरे हाथ की उंगलियो से मेरे लटके हुए आंडो को मसलती बोली.
" कभी किसी लड़की ने तेरे लंड को पकड़ा है…तूने चोदा है किसी को अभी
तक.." भाभी अपना मूह उपर मेरी तरफ कर मुझे देखते हुए बोली .
मुझसे अब कंट्रोल नही हो रहा था और रेखा भाभी मुझे चिड़ा चिड़ा कर मस्त
कर रही थी.मेरा शैतानी मन मुझे बार बार बोलने लगा कि ऐसा मौका तुझे अब
कभी नही मिलेगा एक मस्त जवान औरत तेरे पास है फ़ायदा उठा ले इसका.. अब
मैं पूरा मस्ती मे आ गया और मुझ मे नज़ाने कहा से ताक़त आई और मैने भाभी
के फटाफट बाल पकड़ कर खड़ा किया और उनको धक्का देकर बाथरूम की दीवार से
लगाया और पागलो की तरह उनसे लिपट कर उनकी मोटी मोटी चूचियो को दबा दबा
भाभी के मूह मे अपनी ज़बान डाल कर उनको स्मूच करने लगा.
मेरी इस हरकत से भाभी पूरी तरह से घबरा गयी थी..वो तो मुझे एक नादान
…शर्मिला सा लड़का समझती थी ..पर मेरे अंदर छुपे हवस के शैतान से वो
अंजान थी. शिकारी अब खुद शिकार बनने वाला था.रेखा भाभी अपने हाथो से मुझे
अपने बदन से हटाने की कोशिस करने लगी पर मेरे अंदर के हवस के शैतान की
ताक़त का सामने उस बेचारी औरत की कहा चलने वाली थी.. ये पहला वक्त था जब
मैने किसी औरत के मदमस्त जिस्म को अपने कवारे बदन पर महसूस किया था…इस कश
म कश मे कभी मेरा लंड रेखा भाभी के पेट पर लगता तो कभी उनकी जाँघो पर
..एक बार तो वो भाभी की जाँघो के बीच घुस कर उनकी सलवार के अंदर छुपी
उनकी चूत पर भी लगा. हवस के चलते मैं भाभी को यहा वाहा काटने भी लगा
था..तभी भाभी मूड गयी और अब उनका मूह बाथरूम के दरवाजे की तरफ था..मुझे
गुस्सा तो आया था क्योंकि मैं भाभी की चूची चूसना चाहता था पर तभी मेरी
नज़र नीचे झुकी और मुझे भाभी की उभरी हुई गांद दिखाई दी ..मेरे मूह मे
पानी आ गया और मैने भाभी के बदन को पीछे से अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और
अपने दोनो हाथो को आगे बढ़ा कर भाभी की उछलती चूचिओ पर रख कर उन्हे मसलने
लगा और नीचे से मैं अपना खड़ा लंड सलवार के उपर से ही भाभी की गांद की
दरार मे घुसा कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा..दोस्तो क्या मज़ा आ रहा था
मुझे ऐसा मज़ा तो मुझे मूठ मारने पर भी नही आया था…मैं मस्ती मे भाभी की
कमर पर पीछे से काटने लगा…
क्रमशः.......................
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