RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अगले दो दिन नॉर्मल रहे और कुछ ख़ास्स नही हुआ..तीसरे दिन मैं स्कूल से
घर आया तो मुझे किसी के ज़ोर ज़ोर से हस्ने की आवाज़ आई. आवाज़ उपर रूम
से आ रही थी..मैं उपर जाने लगा . रूम मे पहूच कर मैने देखा की चाची ,
दीदी और रेखा भाभी रूम मे बैठी है और किसी बात पर हसी मज़ाक चल रहा है.
रेखा भाभी हमारे पड़ोस मे ही रहती थी. रूप रंग उनका भी कुछ कम ना था उनकी
उम्र 30-32 के आस पास होगी. उनके पति जतिन किसी MणC कंपनी मे काम करते थे
और अक्सर वो काम के सिलसिले मे बाहर जाते रहते थे. मैने रेखा भाभी के
बारे मे कुछ बाते सुनी थी कि उनका चाल चलन अच्छा नही है पर मुझे ऐसा कुछ
नही लगता था क्योंकि वो मुझसे बड़े अच्छे से बात करती थी और कभी कभी हसी
मज़ाक भी कर लेती थी. उनके रूप रंग को देख कई औरते उनसे जलती थी शायद
उन्होने ही ये अफवाह फैलाई थी. खैर हमारे घर पर कोई भी इन अफवाहॉ पर
ध्यान नही देता था सो हमारे घर भाभी का आना जाना लगा ही रहता था.
"आओ जी मिस्टर शर्मीले कैसे हो…" रेखा भाभी मुझे चिड़ाते हुए बोली.
अब तीन्नो लोग मेरी तरफ़ देख कर हस्ने लगे. मैं शर्मा गया और अपना स्कूल
बॅग अपने बॅड पर रखने लगा..
"भाभी आप मेरे भाई को ऐसे मत चिड़ाया करो…देखो उसका मूह टमाटर की तारह
लाल हो गया है " दीदी मुस्कुराते हुए मेरी वकालत करते हुए बोली.
"ओह..हो क्या प्यार है भाई बेहन का..देखो जी कही मेरी नज़र ना लग जाय"
रेखा भाभी अपने आँखे मतकाते हुए बोली.
"अरे भाई मैं चलती हू ….. अनुज का खाना लगा दो..बेचारा कितना भूका लग रहा
है…." चाची वाहा से उठती हुई बोली.
फिर चाची नीचे चली गयी और मैं भी नीचे बाथरूम मे फ्रेश होने के लिए चला
गया. मैं खाना खा रहा था . दीदी और भाभी उप्पर रूम मे ही थी. तभी चाची
मेरे पास आई और मेरे सर को प्यारसे सहलाते हुए बोली .."बेटा अनुज मैं
शर्मा आंटी के साथ शॉपिंग पर जा रही हू..उनकी बेटी की शादी है ना अगले
हफ्ते" फिर चाची चली गयी. मैं खाना खाकर टीवी देखने लगा फिर तकरीबान 10
मिनट बाद ब्रेक हुआ तो मुझे याद आया कि मुझे कुछ नोट्स की फोटोकॉपी कराना
है सो मैं फटा फॅट उपर रूम की तरफ़ बढ़ चला. रूम का दरवाजा थोड़ा झुका
हुआ था. रूम से आती धीमी धीमी आवाजो ने मेरा ध्यान खिचा
"अरे उसका बहुत लंबा है.." भाभी की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी.
"सच मे …कितना ..लंबा हाई" दीदी की आवाज़ धीरे से आई.
अब मैं वही रुक गया और कान लगाकर कर सुनने लगा.
"तेरी कभी थुकाइ हुई है .." भाभी दीदी की तरफ़ देखते हुए बोली
. "थुकाइ …कहा पर " दीदी कन्फ्यूज़ होती बोली
तभी रेखा भाभी मुस्कुराइ और उन्होने पाजामी के उपर से दीदी की चूत को
अपने हाथो से दबा दिया और बोली " यहा पर "
दीदी को तो मानो करेंट लग गया अपनी इज़्ज़त पर इसतरह से हमला होते देख वो
सकपका गयी और भाभी का हाथ अपनी चूत से हटाती हुई बोली " क्या करती हो
भाभी….नीचे मम्मी और अनुज है"
"अरे नीचे ही तो है ना …तू डरती बहुत है..अरी मैं जब तेरी उम्र की थी तो
मुहल्ले के सारे मर्दो का लंड खड़ा करवा कर रखती थी. इतनी भरी जवानी को
ऐसे मत बर्बाद कर अंजलि…"
"अच्छा अपनी फिगर बता तू.." भाभी अपने सूट पर से चुननी को हटा साइड मे
रखते हुए बोली.
"जी..34-26-36…" दीदी बोली
"वाह वाह…तुझे मेरी फिगर पता है क्या है…." भाभी बोली
"जीई..नही..और मुझे जाननी भी नही है.." दीदी थोड़ा घबराती हुई बोली
"अरे तू डरती क्यू है मैं तेरी बड़ी बहन की तरह हू…मुझसे तू बाते शेर नही
करेगी तो किससे करेगी पग्ली.."रेखा भाभी दीदी को कन्विन्स करने के कोशिश
करते हुए बोली. मुझसे अब रहा नही जा रहा था और मैने अंदर झाँकना शुरू कर
दिया था साइड से चुपके चुप्पके. रेखा भाभी और अंजलि दीदी आमने सामने बैठी
थी बेड पर .
"तेरे इन्न आमो को किसी ने दबा दबा कर इनका रस पीया है क्या" भाभी ने
अपने दोनो हाथो को टी-सीर्ट के उप्पर से दीदी की तन्नी हुई दोनो चुचियो
पर रख दिया . घबराहट और शर्म से अपने आप ही दीदी के दोनो हाथ अपने खाजने
की रक्षा करने के लिए उठ गये और दीदी ने भाभी का हाथ पक्कड़ लिया..
"अब ये मत बोलना कि तूने इनको अभी तक नही मसलवाया है" भाभी ताना सा मारते हुए बोली.
दीदी को शायद अब जलन होने लगी थी रेखा भाभी की इस बात पर और उनके दिमाग़
मे वो बॅंक वाली और उस बुढ्ढे अंकल वाली बात आ गयी. पर वो ये बात भाभी को
कैसे बताती सो कसमसाकर चुप हो गयी. रेखा भाभी के हाथ अब भी अंजलि दीदी की
दोनो चूचियो पर रखे थे.
"चल कोई बात नही मैं तो हू ना तेरी हिल्प के लिए" और भाभी ने दीदी की
चुचियो को टी-शर्ट के उप्पर से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी का गोरा चेहरा
फिर से लाल पड़ने लगा था. हलाकी दूसरी लड़की का हाथ अपने बदन पर ईस्तरह
से चलते देख उनको बड़ा आजीब लग रहा था पर इस से मस्ती की जो लहर पैदा हो
रही थी वो सीधा उनकी टाँगो के बीच छिपी उनकी योनि मे खलबली मचाने लगी थी.
"भाभी..बस करो…नीचे सब है…आहह.इसस्स्शह..…" दीदी की आँखे तो मस्ती मे बंद
होने लगी थी पर उनका दिमाग़ उनको बार बार ये बता रहा था कि वो लोग अकेले
नही है.
"रुक मैं दरवाजा बंद करते हू" भाभी बेड से उठती हुई बोली.
मुझमे भी मस्ती छाने लगी थी और इस मस्ती की खुमारी थोड़ी अलग थी क्योंकि
इस बार दीदी के साथ कोई आदमी ना होकर एक औरत थी..रूम का दरवाजा बंद हो
गया..पर वो कहते है ना जहा चाह वाहा राह..मुझे भी अंदर देखने के लिए के
होल मिल गया था.मैने फटाफट अपना लंड बाहर निकाला और उस पर अपना हाथ
फिराते हुए अंदर झाँकने लगा…अंदर का सीन देखते ही मेरा आधा खड़ा लंड पूरा
खड़ा हो गया..भाभी ने दीदी के दोनो हाथ अपने खरबूजे के आकार वाली चूचियो
पर रखे हुए थे और खुद के हाथ दीदी के आम के आकार वाली चुचियो पर..
"दबा इन्हे.." भाभी बोली
"ये कितनी बड़ी और नरम है भाभी" दीदी भाभी की चूचियो को दबाती हुई बोली
"अरे इन पर ही तो आदमी लोग मरते है ….औरत के बदन पर यही तो आदमी को सबसे
ज़्यादा उत्तेजित करती है " भाभी दीदी की अब तक मस्ती मे आकर फूल चुकी
चूचियो को थोड़ा ज़ोर से दबाते हुए बोली
"आपके पति तो बाहर रहते है…तो….एयेए..आप…" दीदी शायद कुछ बोलन चाहती थी
पर चूप हो गयी.
"शर्मा मत ….तो मैं किस से चुदवाती हू…यही पूछना चाहती है ना तू.." भाभी
के चेहरे पर हवस की मस्ती छाने लगी थी.
चुदाई का नाम सुनते ही दीदी के बदन मे एक झुरजुरी सी हुई..और उनकी चूत
पन्याने लगी..
"हा जीई…" दीदी शरमाती हुई बोली
"देख किसी को बताना मत.. वो हमारी गली के कोने मे जो बिजली की दुक्कान है
ना....जो आदमी वाहा बैठता है…क्या नाम है उसका….हा …जावेद…उससे करवाती
हू…साला बहुत लाइन मारता था मुझ पर…" भाभी बोली
"क्याअ…पर .पर वो तो मुस्लिम है…और आप ब्रामिन" दीदी चोकते हुए बोली.
"अरे पगली तुझे क्या पता ..अरे मुस्लिम आदमी का लंड बहुत तगड़ा होता
है…बड़ा मस्त कर कर चुदाई करते है वो... " और भाभी ने इसी के साथ अपना एक
हाथ नीचे कर अंजलि दीदी के पाजामे मे छुपी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे
वो उसको सहलाने लगी. दीदी की फिर से आँख बंद हो चुकी थी और अचानक ही उनके
मूह से निकल गया.."कितना लंबा है जावेद का….."
दीदी की ये बात सुनते ही रेखा भाभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी और
उन्होने अपना हाथ जो कि दीदी की चूत के साथ खेल रहा था पाजामे के उप्पर
से अपनी मुथि मे कस कर पकड़ लिया और बोली "पूरा गधे (डोंकी) के जितना है
…9 इंच का ".
क्रमशः.......................
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