RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --6
गतान्क से आगे................
अगली सुबह मेरी आँख 9 बजे खुली.मैं बेड पर उठ कर बैठा ही था कि मेरी नज़र
दीदी के बॅड पर पड़े न्यूज़ पेपर पर गयी..हालाकी मैं ज़्यादा न्यूज़ पेपर
पढ़ने का शॉकिन नही था पर फिर भी ना जाने क्यो आज मेरा मन पेपर पढ़ने का
होने लगा. मैं उठा और पेपर लेने के लिए दीदी के बिस्तर की तरफ़ गया और
जैसे ही मैने पेपर की हाइडलाइन पढ़ी तो मेरा सर चकरा गया… मुझे लगा कि
जैसे मैं बेहोश हो जाउंगा.. न्यूज़ पेपर की हाइडलाइन थी " दिन दहाड़े एक
बुढ्ढे आदमी की हत्या.." साथ मे एक फोटो भी छपी हुई थी. फोटो देखते ही
मैं समझ गया कि ये वोही अंकल था जिसके साथ हम कल थे..फिर मैने अख़बार वही
फेक नीचे डाइनिंग रूम की तरफ़ बढ़ चला . और जैसा मैने एक्सपेक्ट किया था
अंजलि दीदी टी.वी मे आती न्यूज़ को बड़े गोर से देख रही थी..उनके
खूबसुर्रत चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और पसीने की हल्की हल्की बूंदे उनके
चेहरे पर आई हुई थी..मैं भी दीदी के पास बैठ गया..दीदी तो मानो रोने ही
वाली थी…
"अ..अनुज ये क्या होगया..मैने एक खून कर दिया…" दीदी मेरी तरफ़ देखते हुए बोली
"छ्ह्ह…ऐसे मत बोलो आप.." मैं दीदी के पास सोफे पर बैठता हुआ बोला.
अंजलि दीदी बहुत इमोशनल हो गयी थी.
'अनुज मुझे बहुत डर लग रहा है" दीदी मेरी तरफ़ झुकते हुए बोली मानो कह
रही हो कि मुझे अपनी बाँहो मे ले लो. और मैं ऐसा सुनेहरा मौका कैसे हाथ
से जाने देता.मैने भी अपनी बाँहे खोल डी ..अब अंजलि दीदी मेरी बाहो मे
थी. हालाकी मैं सेक्षुयली एग्ज़ाइटेड नही होना चाह रहा था.पर ऐसा मौका भी
तो बार बार नही आता दीदी अपने नाइट ड्रेस मे ही थी ( लूज़ टी-शर्ट और
पाजामा ) बालो का जुड़ा बना हुआ था.पर मन पर किसका ज़ोर चलता है दीदी के
बदन की गर्मी महसूस करते ही मेरे दिमाग़ मे कल वाला सीन दौड़ गया और मैने
थोड़ी सी हिम्मत कर कर अपना उल्टा हाथ फेलाकर दीदी की पीठ (बेक) पर रख
दिया. मेरा हाथ काप रहा था..पर दीदी को तो मानो कुछ होश ही ना था उनकी
नज़र अब भी टीवी स्क्रीन पर ही थी..मेरा जोश बढ़ने लगा ..मेरे अंदर छुपा
शैतान मुझे बार बार बोल रहा था कि "अनुज तुझे ऐसा मौका दोबारा नही
मिलेगा..फ़ायदा उठा ले इसका…" पर जैसे कि सिक्के के दो पहलू होते है उस
तरह मेरे अंदर भी एक अच्छी आत्मा थी वो मुझे बोल रही थी " नही..ये सब
ग़लत है..ये तेरी बड़ी बहन है..और तेरी बहन कितनी परेशान है ..क्या तू
मदद करने के बजाय उसकी मजबूरी का फ़ायदा उठाएगा " .कुछ मिनिट्स तक मेरे
दिमाग़ मे कस्माकस होती रही.
और जैसा हर बार होता था शैतान जीत गया और मेरी हवस मुझ पर हावी हो
गयी.मैने धीरे से अपना हाथ दीदी की टी-शर्ट के उपर से उनकी पीठ पर फेरना
शुरू कर दिया. इस हरकत का सीधा असर मेरे लंड पर पड़ा और वो खड़ा होने लगा
. मैं अब दीदी की ब्रा स्ट्रॅप्स को उनकी टी-शर्ट्स के उपर से फील कर
सकता था. दीदी का ध्यान तो टीवी पर आ रही न्यूज़ पर था पर अगर कोई तीसरा
आदमी ये सब देख लेता तो उसको पूरा यकीन हो जाता के मैं जिस तरह से दीदी
की कमर को सहला रहा हू उसका मतलब क्या है. सो मैने दीदी से पूछा " चाची
जी नज़र नही आ रही "
"वो..पड़ोस वाली शर्मा आंटी के यहा गयी है..अगले हफ्ते उनके यहा शादी है
ना.." दीदी बोली
अब जब मुझे पता चल गया था कि दीदी और मैं अकेले है तो मेरी हिम्मत बढ़ने
लगी..दीदी का सर मेरे सीने पर रखा हुआ था ..तो मैने अपना मूह थोड़ा नीचे
किया और उनके बालो से आती खुसबु को सूंघने लगा…मेरा राइट हॅंड जो कि दीदी
के बॅक पर था वो अब उनकी लोवर बेक तक पहूच चुका था..दीदी का ध्यान तो
टीवी पर केंद्रित था पर उनका बदन मेरे हाथ की हरकत बखूबी समझ रहा
था..इसका पता मुझे तब लगा जब लोवर बेक से मैने दीदी की टी-शर्ट के छोर (
कॉर्नर) को थोड़ा उठा या और अपना हाथ उनकी नंगी कमर पर रखा. एक हाइ टच मे
दीदी का बदन थोड़ा आकड़ा और उन्होने हल्का सा झटका खाया.मैं डर गया और
मुझे लगा कि शायद अब मेरी चोरी पकड़ी जाएगी पर ऐसा कुछ ना हुआ दीदी थोड़ा
कसमासाई और दोबारा मेरे सीने पर सर रख कर टीवी देखने लगी..इसी दौरान मेरे
हाथ की कोहनी पर मुझे कुछ बहुत नरम नरम महसूस होने लगा. मानो कि कोई
स्पंज मेरी कोहनी से लगा हो. मैने चुपके से नज़रे नीची की तो देखा कि
दीदी की लेफ्ट चूची मेरी कोहनी से लग गयी है..दोस्तो अब आप खुद ही इमॅजिन
कर सकते है मेरी हालत को …ये पहली बार था जब मैने अंजलि दीदी की चूचियो
की नर्माहट महसूस की थी..मैं अब होश और हवास खोने लगा था..दिल कर रहा था
अभी दीदी को अपने बाहो मे कस लू और उनकी इन मदमस्त चुचियो को दबा दबा कर
उनसे रस निकाल लू और फिर उस रस को पी जाऊ. पर दोस्तो आपको तो पता ही है
मेरी किस्मत तो गधे( डोंकी ) के लंड से लिखी है..बेहन की लोदी हमेशा एन
मोके पर धोका दे देती है.
"टिंग टॉंग" दरवाजे की घंटी बज गयी.
दीदी को एकदम से झटका सा लगा और वो फॉरन मुझसे अलग होने के लिए उठी..पर
किसी ने सही कहा है कि बंद घड़ी (क्लॉक) भी दिन मे एक बार सही टाइम बताती
है सो उठते हुए अचानक ही दीदी का हाथ मेरे पाजामे मे खड़े लंड पर लग गया
उनको तो पता नही पर मुझे वो स्प्रश कमौतेजित कर गया.
चाची घर आ गयी थी.
"ये क्या सुबह सुबह मर्डर की ख़बरे सुन रहे हो…..कुछ और काम नही है तुम
भाई बेहन के पास….जब से तुम लोगो की छुट्टियाँ (हॉलिडेज़) पड़ी है ..सारा
दिन टीवी ही देखते रहते हो" चाची सोफे पर बैठते हुए बोली
दीदी किचिन से पानी का ग्लास ले आई थी चाची के लिए. तभी न्यूज़ रिपोर्टर
ने बोला कि खून की वजह धार दार चाकू है . चाकू दिल के आरपार होने की वजह
से ही मौत हुई है" ये न्यूज़ सुनते ही अंजलि दीदी के आँखे चमक उठी थी..और
एक हल्की सी मुस्कुराहट उनके खूबसुर्रत चेहरे पर आ गयी थी. पर इस हादसे
की वजह से दीदी अब काफ़ी चोकस हो गयी थी .जिस खिड़की की वजह से दीदी बहक
गयी थी अब दीदी उस खिड़की को कभी नही खोलती थी चाहे कितनी ही गर्मी हो…और
इसका रीज़न मैं अच्छी से समझता था.
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