RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --4
गतान्क से आगे................
"एयाया..हह..इसस्सस्स…" हल्की से आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी और मेरे लंड ने
पानी छोड़ दिया..वो आवाज़ दीदी के खुले होंठो से निकली थी ..शायद उनको भी
ऑर्गॅज़म हुआ था..मैने अपने आप को संभाला और घर के बाहर आ गया..बाहर आकर
मैने देखा कि वो बुढ्ढा अंकल भी जा चुका था..
अगले दिन मेरी स्कूल बस मिस हो गयी थी.क्योंकि मैं सही से सो नही पाया था
सारी रात दीदी के बारे मे सोचता रहा था .करीब 10 मिनट मे बस आई मैं फटा
फट बस मे चढ़ गया.बस मे काफ़ी भीड़ थी .मैं साइड मे खड़ा था कि तभी कोई
मुझ से टकराया..मैने मूड कर देखा तो पाया कि ये वही अंकल थे जो उस दिन घर
के साइड मे पेशाब कर रहे थे.वो अंकल देखने मे बड़ा झगड़ालु टाइप लग रहा
था..रह रह कर वो लोगो को गंदी गंदी गालिया दे रहा था..बस मे लड़कियाँ और
औराते भी थी ..पर वो किसी की शर्म नही कर रहा था.उसकी बॉडी लॅंग्वेज देख
कर वो मुझे अभी भी थोड़ा नशे मे लग रहा था उसके मूह से शराब की बदबू भी आ
रही थी.. खैर वो थोड़ा आगे निकल गया .और मैं खिड़की से बाहर देखने
लगा..तकरीबन 5 मिनट के बाद मेरी नज़र उस अंकल पर दोबारा गयी..और जो सीन
मैने देखा वो मेरे लंड को खड़ा करने के लिए काफ़ी था..अंकल एक 30-32 साल
की शादी शुदा और्रत की पीछे चिपका खड़ा था.उसका अगला हिस्सा साड़ी के
उप्पर से उस और्रत के कूल्हे से बिकुल चिपका था और वो धीरे धीरे धक्के
लगा रहा था..मैने औरत के चेहरे की तरफ़ देखा तो पाया कि उसके चेहरे पर जो
एक्सप्रेशन था वो उसकी माजबूरी बयान कर रहा था..अंकल उस औरत की मजबूरी और
बस की भीड़ का पूरा फ़ायदा उठा रहा था..अब मैं समझ गया था कि अंकल तो
पक्का हारामी इंसान है. शायद ये उसका रोज का काम था . वो उस औरत के साथ
लगभग 15 मिंट्स तक ऐसे ही साडी की उप्पर से मज़े लेता रहा ..फिर मेरा
स्टॅंड आ गया और मैं बस से उतर गया.
आज कल स्कूल मे मेरा मन नही लग रहा था और लगता भी कैसे हर वक्त तो दिमाग़
मे सेक्स की बाते ही चलती रहती थी. मैं चाहे कितना भी कोशिस कर लू अपना
दिमाग़ इस चीज़ से हटाने मे पर फिर भी कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता था जिसकी
वजह से मेरे अंदर का छुपा हुआ हवस का शैतान जागने लगता था. उप्पर से
अंजलि दीदी के बारे मे भी मेरा नज़रिया बदलने लगा था..अब वो मुझे अपने
बड़ी बहन ना लग कर एक जवानी से भरपूर लड़की नज़र आने लगी थी जो अपनी
मदमस्त जवानी लुटवाने को तैयार बैठी थी. अब हालत ये होगये थे कि अब जब भी
दीदी घर पर होती तो ना जाने दिन मे कितनी बार उनको चुपके चुपके देख कर
मूठ मारने लगा था….जैसे जैसे दिन बीतने लगे वैसे वैसे मेरी हवस भी बढ़ने
लगी..और इसी दौरान एक दिन अंजलि दीदी ने मुझसे बोला कि उनको कॉलेज से एक
सर्वे करने का असाइनमेंट मिला है .
सर्वे मे उनको झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाले ग़रीब तबके के लोगो को सॉफ
सफाई के बारे मे जागरूक करना है. दीदी बोली के उनके साथ सर्वे पर जाने
वाली पार्ट्नर ( रीमा ) बीमार हो गयी है और वो मुझे अपने साथ ले जाना
चाहती है. मेरे भी एग्ज़ॅम्स ख़तम हो गये थे सो मैने हा कर दी. अगली सुबा
करीब 9 बजे मैं दीदी के साथ सर्वे पर निकल गया. दीदी ने उस दिन ब्लॅक सूट
और वाइट कलर की चूड़ीदार पजामि पहनी थी और अपने सेक्सी लंबे बालो का
उन्होने जुड़ा बनाया हुआ था .ब्लॅक ड्रेस मे दीदी का गोरा बदन एक अलग ही
रंगत बिखेर रहा था. हम कुछ देर बाद एक स्लम एरिया मे पहोच गये ….और जैसे
सोचा था वैसी ही गंदगी वाहा फेली हुई थी..हर जगह कूड़ा …गंदी नालिया
…वाहा से आ आ रही बदबू की वजह से दीदी ने अपना मूह अपनी चुन्नी से कवर कर
लिया था. ज़्यादा तर मर्द अपने घर से जा चुके थे रॉटी पानी का जुगाड़
करने के लिए और जो कुछ बचे थे वो अपनी भूकी आँखो से दीदी की जवानी को
निहार रहे थे. उनको शायद ये यकीन नही हो रहा था कि इतनी खूबसूरत जवान
लड़की उनकी इस गंदी सी बस्ती मे क्या कर रही है….
" अरे कहा जा रही है..आजा…मेरे पास..मेरी जान" एक आदमी कुछ पीता हुआ
बोला..वो शायद चरस पी रहा था..
"बेह्न्चोद रंडी की. गंद देख…क्या उभरी हुए गांद है…आजा रानी तुझे मस्त
कर दूँगा अपने लंड से..".दोसरा आदमी अपना लंड दीदी को देख खुजलाता हुआ
बोला.
दीदी और मैं ये सब सुन रहे थे..पर क्या करते ..उन ..बेकार लोगो से और
क्या उम्मीद की ज़ा सकती है..सो दीदी ने उनकी बातो को इग्नोर कर दिया और
हम बस्ती के अंदर घुस गये. बस्ती तो मानो एक भूल भुलैया थी ..छोटी छोटी
तंग गलिया..
"अनुज चल इस घर मे चलते है." दीदी एक झोपड़ पट्टी की तरफ़ इशारा करते हुए बोली.
हम अंदर दाखिल हो गये . अंदर एक बुढ्ढि औरत रोटी बना रही थी..हमे अंदर
आता देख बोली " कोन हो और क्या चाहिए"
"कुछ नही माता जी हम एक सर्वे कर रहे है और हमे आपको सफाई के बारे मे कुछ
बाते बतानी है" दीदी मुस्कुराती हुई बोली.
"ये सर्वे क्या होता है..देखो मेरे पास टाइम नही है..मुझे काम करने जाना
है..तुम लोग जाओ" वो औरत झेन्प्ते हुए बोली. दीदी ने उसको बहुत समझाया पर
वो ना मानी सो हम वाहा से बाहर आ गये. इसी तरह हम हर झुगी मे जाकर लोगो
को साफाई की इंपॉर्टेन्स बताने लगे कुछ लोगो ने हमारी बात सुनी और कुछ नी
नही. खैर ये सब करते करते हमे दोपहर के 2 बज गये.
"दीदी और कितना घूमना पड़ेगा..मैं थॅंक गया हू" मैं दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला.
"ओह्ह..मेरा प्यारा भाई थक्क गया…आइएम सो सॉरी तुम मेरी वजह से कितना
परेशान हो गये ना.." दीदी बड़े प्यार से मेरी तरफ़ देखते हुए बोली. तभी
मैने देखा कि सामने से कोई लड़खदाता हुआ हमारी तरफ़ आ रहा है..जैसे ही वो
साया हमारे करीब आया . उसको देखते ही मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल
गयी…
अंजाना रास्ता --4
गतान्क से आगे................
"एयाया..हह..इसस्सस्स…" हल्की से आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी और मेरे लंड ने
पानी छोड़ दिया..वो आवाज़ दीदी के खुले होंठो से निकली थी ..शायद उनको भी
ऑर्गॅज़म हुआ था..मैने अपने आप को संभाला और घर के बाहर आ गया..बाहर आकर
मैने देखा कि वो बुढ्ढा अंकल भी जा चुका था..
अगले दिन मेरी स्कूल बस मिस हो गयी थी.क्योंकि मैं सही से सो नही पाया था
सारी रात दीदी के बारे मे सोचता रहा था .करीब 10 मिनट मे बस आई मैं फटा
फट बस मे चढ़ गया.बस मे काफ़ी भीड़ थी .मैं साइड मे खड़ा था कि तभी कोई
मुझ से टकराया..मैने मूड कर देखा तो पाया कि ये वही अंकल थे जो उस दिन घर
के साइड मे पेशाब कर रहे थे.वो अंकल देखने मे बड़ा झगड़ालु टाइप लग रहा
था..रह रह कर वो लोगो को गंदी गंदी गालिया दे रहा था..बस मे लड़कियाँ और
औराते भी थी ..पर वो किसी की शर्म नही कर रहा था.उसकी बॉडी लॅंग्वेज देख
कर वो मुझे अभी भी थोड़ा नशे मे लग रहा था उसके मूह से शराब की बदबू भी आ
रही थी.. खैर वो थोड़ा आगे निकल गया .और मैं खिड़की से बाहर देखने
लगा..तकरीबन 5 मिनट के बाद मेरी नज़र उस अंकल पर दोबारा गयी..और जो सीन
मैने देखा वो मेरे लंड को खड़ा करने के लिए काफ़ी था..अंकल एक 30-32 साल
की शादी शुदा और्रत की पीछे चिपका खड़ा था.उसका अगला हिस्सा साड़ी के
उप्पर से उस और्रत के कूल्हे से बिकुल चिपका था और वो धीरे धीरे धक्के
लगा रहा था..मैने औरत के चेहरे की तरफ़ देखा तो पाया कि उसके चेहरे पर जो
एक्सप्रेशन था वो उसकी माजबूरी बयान कर रहा था..अंकल उस औरत की मजबूरी और
बस की भीड़ का पूरा फ़ायदा उठा रहा था..अब मैं समझ गया था कि अंकल तो
पक्का हारामी इंसान है. शायद ये उसका रोज का काम था . वो उस औरत के साथ
लगभग 15 मिंट्स तक ऐसे ही साडी की उप्पर से मज़े लेता रहा ..फिर मेरा
स्टॅंड आ गया और मैं बस से उतर गया.
आज कल स्कूल मे मेरा मन नही लग रहा था और लगता भी कैसे हर वक्त तो दिमाग़
मे सेक्स की बाते ही चलती रहती थी. मैं चाहे कितना भी कोशिस कर लू अपना
दिमाग़ इस चीज़ से हटाने मे पर फिर भी कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता था जिसकी
वजह से मेरे अंदर का छुपा हुआ हवस का शैतान जागने लगता था. उप्पर से
अंजलि दीदी के बारे मे भी मेरा नज़रिया बदलने लगा था..अब वो मुझे अपने
बड़ी बहन ना लग कर एक जवानी से भरपूर लड़की नज़र आने लगी थी जो अपनी
मदमस्त जवानी लुटवाने को तैयार बैठी थी. अब हालत ये होगये थे कि अब जब भी
दीदी घर पर होती तो ना जाने दिन मे कितनी बार उनको चुपके चुपके देख कर
मूठ मारने लगा था….जैसे जैसे दिन बीतने लगे वैसे वैसे मेरी हवस भी बढ़ने
लगी..और इसी दौरान एक दिन अंजलि दीदी ने मुझसे बोला कि उनको कॉलेज से एक
सर्वे करने का असाइनमेंट मिला है .
सर्वे मे उनको झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाले ग़रीब तबके के लोगो को सॉफ
सफाई के बारे मे जागरूक करना है. दीदी बोली के उनके साथ सर्वे पर जाने
वाली पार्ट्नर ( रीमा ) बीमार हो गयी है और वो मुझे अपने साथ ले जाना
चाहती है. मेरे भी एग्ज़ॅम्स ख़तम हो गये थे सो मैने हा कर दी. अगली सुबा
करीब 9 बजे मैं दीदी के साथ सर्वे पर निकल गया. दीदी ने उस दिन ब्लॅक सूट
और वाइट कलर की चूड़ीदार पजामि पहनी थी और अपने सेक्सी लंबे बालो का
उन्होने जुड़ा बनाया हुआ था .ब्लॅक ड्रेस मे दीदी का गोरा बदन एक अलग ही
रंगत बिखेर रहा था. हम कुछ देर बाद एक स्लम एरिया मे पहोच गये ….और जैसे
सोचा था वैसी ही गंदगी वाहा फेली हुई थी..हर जगह कूड़ा …गंदी नालिया
…वाहा से आ आ रही बदबू की वजह से दीदी ने अपना मूह अपनी चुन्नी से कवर कर
लिया था. ज़्यादा तर मर्द अपने घर से जा चुके थे रॉटी पानी का जुगाड़
करने के लिए और जो कुछ बचे थे वो अपनी भूकी आँखो से दीदी की जवानी को
निहार रहे थे. उनको शायद ये यकीन नही हो रहा था कि इतनी खूबसूरत जवान
लड़की उनकी इस गंदी सी बस्ती मे क्या कर रही है….
" अरे कहा जा रही है..आजा…मेरे पास..मेरी जान" एक आदमी कुछ पीता हुआ
बोला..वो शायद चरस पी रहा था..
"बेह्न्चोद रंडी की. गंद देख…क्या उभरी हुए गांद है…आजा रानी तुझे मस्त
कर दूँगा अपने लंड से..".दोसरा आदमी अपना लंड दीदी को देख खुजलाता हुआ
बोला.
दीदी और मैं ये सब सुन रहे थे..पर क्या करते ..उन ..बेकार लोगो से और
क्या उम्मीद की ज़ा सकती है..सो दीदी ने उनकी बातो को इग्नोर कर दिया और
हम बस्ती के अंदर घुस गये. बस्ती तो मानो एक भूल भुलैया थी ..छोटी छोटी
तंग गलिया..
"अनुज चल इस घर मे चलते है." दीदी एक झोपड़ पट्टी की तरफ़ इशारा करते हुए बोली.
हम अंदर दाखिल हो गये . अंदर एक बुढ्ढि औरत रोटी बना रही थी..हमे अंदर
आता देख बोली " कोन हो और क्या चाहिए"
"कुछ नही माता जी हम एक सर्वे कर रहे है और हमे आपको सफाई के बारे मे कुछ
बाते बतानी है" दीदी मुस्कुराती हुई बोली.
"ये सर्वे क्या होता है..देखो मेरे पास टाइम नही है..मुझे काम करने जाना
है..तुम लोग जाओ" वो औरत झेन्प्ते हुए बोली. दीदी ने उसको बहुत समझाया पर
वो ना मानी सो हम वाहा से बाहर आ गये. इसी तरह हम हर झुगी मे जाकर लोगो
को साफाई की इंपॉर्टेन्स बताने लगे कुछ लोगो ने हमारी बात सुनी और कुछ नी
नही. खैर ये सब करते करते हमे दोपहर के 2 बज गये.
"दीदी और कितना घूमना पड़ेगा..मैं थॅंक गया हू" मैं दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला.
"ओह्ह..मेरा प्यारा भाई थक्क गया…आइएम सो सॉरी तुम मेरी वजह से कितना
परेशान हो गये ना.." दीदी बड़े प्यार से मेरी तरफ़ देखते हुए बोली. तभी
मैने देखा कि सामने से कोई लड़खदाता हुआ हमारी तरफ़ आ रहा है..जैसे ही वो
साया हमारे करीब आया . उसको देखते ही मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल
गयी…
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