RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
दीदी मेरे सामने खड़ी थी मैने देखा कि उनके सूट पर बहुत झुर्रियाँ पड़ी
हुई है खास कर उनके उभारो के आस पास.मुझे ये अच्छी से याद था कि जब हम
बॅंक आने वाले थे तो दीदी ने प्रेस किया हुआ सूट पहना था. तो फिर क्या ये
काम उस आदमी के हाथो का है…..मुझे अब थोड़ी थोड़ी जलन भी हो रही थी कि
दीदी मुझसे झूठ क्यो बोल रही है.. और अचानक ही मैने उनसे पूछा लिया “ आप
वाहा अंधेरे मे….” “
“अरे वाहा मैं वॉश रूम गयी थी..” दीदी मुस्कुराती हुई मेरी बात को वही
काटती हुई बोली.
ये सब बात सोचते सोचते मे काफ़ी गर्म हो गया था और मेरा लंड अकाड़ने लगा
था अब मुझे वाकयी पेशाब जाना था नही तो मेरा खड़ा होता लंड अंजलि दीदी
देख सकती थी..और अगर मैं उस जगह जाता हू तो मुझे ये भी पता चला जाएगा कि
वाहा टाय्लेट है भी कि नही क्योंकि अंधेरे मे तो कुछ नज़र नही आ रह था उस
जगह. फिर मैने दीदी क वेट करने के ले बोला और फटाफट उस अंधेरे कोने की
तरफ़ चला गया..जैसे कि मैने सोचा था कोने मे टाय्लेट था मुझे ये जान कर
खुशी हुई कि दीदी सही बोल रही है..मैने वाहा पेशाब किया और बाहर आने लगा
पर पता नही मुझे उस अंधेरे कमरे मे जाने की इक्षा हुई..मैने फिर दीदी की
तरफ़ देखा तो वो अभी भी अपना सूट ठीक कर रही थी…मेरे दिमाग़ मे फिर से
शाक पैदा हुआ और मैं उस रूम मे घुस गया ..उंधर अंधेरा तो था पर इतना भी
नही ..क्योंकि उप्पर रोशन दान से रोशनी आ रही थी ..मैं इधर उधर देखने लगा
..रूम मे सीलन होने की वजह से थोड़ी बदबू भी थी..हालाकी रूम के काफ़ी
हिस्से मे टूटा फर्नीचर पड़ा हुआ था फिर मैं एक कोना खाली था मैं उस तरफ
गया. रूम के फर्श पर काफ़ी धूल जमी हुई थी.. तभी मेरी नज़र रूम की ज़मीन
पर पड़े कदमो पर गयी..लगता था मानो कोई थोड़ी देर पहले ही रूम से गया है
और वो अकेला नही था क्योंकि दो जोड़ी पैरो के निशान थे ..पर मुझे एक बात
समझ नही आई कि वो उस कोने की तरफ़ क्यो गये है ..खैर मैं उनके पीछे आगे
बढ़ा ..तो मैने देखा के उसकोने मे पैरो के निशान गायब थे और फर्श पर पड़ी
मिट्टी काफ़ी हिली हुए लग रही थी मानो जैसे किसी के बीच काफ़ी खिछा तानी
हुई हो..तो क्या ये निशान उस आदमी और दीदी के है..मैं ये सोच ही रहा था
की दीदी की आवाज़ आई और मैं जल्दी से बाहर आ गया.
क्रमशः.......................
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