RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी उस आदमी ने अपना नीचला हिस्सा धीरे धीरे
हिलाना सुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के उप्पर से ही अंजलि दीदी के उभरे
हुए चूतरो पर आगे पीछे होने लगा..ये सारी हरकत करते हुए वो आदमी लगातार
दीदी के खूबसूरत चेहरे के बदलते भाव को देख रहा था. अंधेरे कोने मे होने
की वजह से कोई उसकी ये हरकत नही देख पा रहा था और इसका वो आदमी अब पूरा
फ़ायदा उठा रहा था..वैसे भी इतनी सुंदर जवान लड़की उसकी किस्मत मे कहा
होती. दीदी डर के मारे या ना जाने क्यू उस आदमी को रोक नही पा रही थी..पर
तभी अचानक दीदी को शायद याद आया कि मैं भी उधर ही बैठा हू तब उन्होने
थोड़ा सा मूड कर मेरी साइड की तरफ़ देखा कि कही मैं से सब तो नही देख रहा
हू ..मैने फॉरन अपना ध्यान न्यूज़ पेपर पर लगा लिया जो के मेरे हाथो मे
था. दीदी को शायद यकीन हो गया था कि मैं उनकी साथ जो हो रहा है उसको नही
देख रहा हू. वो आदमी अब पिछले 10 मिनट से दीदी को खड़े खड़े ही कपड़ो के
उप्पर से उनकी चूतादो पर अपने खड़ा लंड को अंदर बाहर कर रहा था. तभी मुझे
लगा की उस आदमी ने दीदी की कानो मे कुछ धीरे से कहा पर दीदी ने कोई जवाब
नही दिया…मेरा दिल अपनी बड़ी बहन का सेडक्षन देख इतनी जोरो से धड़क रहा
था कि मानो अभी मेरा सीना फाड़ कर बाहर आ जाएगा..तभी मुझे एक हल्की से
कराह सुनाई दी…और मुझे ये समझने मे देर ना लगी कि वो मादक आवाज़ अंजलि
दीदी के मूह से आई थी..दीदी की आँखे 5 सेक के लिए बिल्कुल बंद हो गई थी
और उनके दाँतअपने रसीले होटो को काट रहे थे..मुझे से समझ नही आया कि ये
क्या हुआ..उस आदमी का हाथ तो अब भी साइड मे था..पर भगवान ने इंसान को दो
हाथ दिए है....तभी मुझे दीवार के साइड से दीदी की चुननी हिलती हुई नज़र
आई…क्या वो आदमी…..नही ये नही हो….सकता…क्यो नही हो सकता….क्या उस आदमी
का लेफ्ट हॅंड दीवार की साइड से दीदी के लेफ्ट बूब्स पर है..अब उस आदमी
की आँखो मे हवस साफ नज़र आ रही थी..वो दीदी की लेफ्ट चूची को उनके हरे
सूट के उप्पर से हवस के नशे मे शायद बड़े जोरो से दबा रहा था ..तभी उसने
दोबारा दीदी की कान मे कुछ कहा ..और दीदी ने झिझाक ते हुए अपनी टाँगो को
थोड़ा खोल लिया …अब वो आदमी थोड़ा ज़ोर से दीदी के उभरे हुए कोमल चुतड़ों
को ठोकने लगा..हवस का ऐसा नज़ारा देख मे खुद पागल सा हो गया था ..अब मैं
ज़्यादा से ज़्यादा देखना चाहता था कि वो आदमी अब और क्या करेगा..दीदी की
बढ़ती सासो से उनके वो पके आम की साइज़ के उभार सूट मे जोरो से उप्पर
नीचे हो रहे थे ..पर शायद मेरी किस्मात खराब थी क्योंकि तभी मेरे पास एक
बूढ़ा आदमी आया और बोला कि बेटा मेरे लिए एक स्टंप पेपर ला दोगे बाहर
से..उस बुढ्ढे आदमी को उधर देख वो बिहारी फटाफट दीदी से अलग हुआ..शायद
उसको भी गुस्सा आया था…और क्यू ना आए ऐसा गोलडेन चान्स कोन छोड़ना चाहता
था..मैने देखा दीदी और वो बिहारी मेरी तरफ़ देख रहे है..मुझे गुस्सा तो
बहुत आया बुढ्ढे आदमी पर क्या करता मैं ये सोच कर मैं उठा और बाहर जाने
लगा.वो बुढ्ढा अब मेरी जगह पर बैठ गया था..बाहर जाते जाते मैने तिरछी
नज़र से देखा कि वो बिहारी फिर दीदी को कुछ बोल रहा है और इस बार दीदी भी
उसकी तरफ़ देख रही थी उनका गोरा चहरा शरम और डर से लाल हो रहा था…मैं
ज़ल्दी से बाहर गया और स्टंप पेपर लेने के लिए दुकान ढूँढने लगा…मेरे मन
मे अब ये चल रहा था कि अब वो आदमी दीदी के साथ क्या क्या कर रहा
होगा..क्या वो रुक गया होगा..क्या दीदी ने उसको मना कर दिया होगा…ये सब
दीदी की मर्ज़ी से नही हुआ है…शायद ..मेरी दीदी के भोले पन का उसने
फ़ायदा उठया है..मेरी दीदी ऐसी नही है.….ये सब बाते मेरे दिमाग़ मे चल
रही थी..करीब 20 मिनट घूमने के बाद मुझे स्टंप पेपर मिला..और मैं बॅंक मे
वापस गया ..वो बूढ़ा मुझे गेट मे एंट्री करते ही मीलगया ..मैने उसको
स्टंप पेपर दिया..अब मैं उम्मीद कर रहा था अब ताक दीदी ने ड्राफ्ट बनवा
लिया होगा ..और वो आदमी भी जा चुका होगा ...और मैं फटाफट ड्राफ्ट की लाइन
के तरफ़ बढ़ा..पर वाहा पहुच कर मेरा सिर चकरा गया …ड्राफ्ट की लाइन अब
ख़तम हो चुकी थी ..काउंटर पर लिखा था क्लोस्ड ..बॅंक मे भी भीड़ कम होने
लगी थी..मैं परेशान हो गया
..मैने सोचा की दीदी शायद बाहर मेरा वेट कर रही होंगी ..सो मैं बाहर जाने
ही लगा था कि..मैने देखा जिस तरफ अंधेरा था और वाहा जो खाली रूम था जिसमे
टूटा फर्निचर पड़ा था..वाहा से वोही बिहारी अपनी पॅंट की ज़िपार बंद करता
हुआ निकला..और बाहर चला गया..मुझे ये बड़ा आजीब लगा पर फिर मैने सोचा
शायद टाय्लेट गया होगा क्योंकि टाय्लेट भी उधर ही था…फिर मे बाहर जाने के
लिए मुड़ा ही था की मैने देखा अंजलि दीदी अपने बालो को सही करते हुए उसी
रूम से बाहर आ रही है जहा से कुछ मिनिट पहले वो आदमी निकला था..मेरा दिल
की धाड़कन एक दम बढ़ गयी …दीदी उस कमरे मे उस गंदे आदमी के साथ अकेले
थी…जो आदमी खुले आम किसी लड़की के साथ इतनी छेड़ खानी कर सकता है ..वही
आदमी अकेले मे एक खोबसुर्रत जवान लड़की के साथ क्या क्या करेगा…इन सब
ख्यालो ने मेरे लंड मे खून का दौर बढ़ा दिया...दीदी ने मेरी तरफ़ नही
देखा था….मैं दीदी की तरफ़ बढ़ा “
“दीदी आप कहा थी..मैं आपको ढूंड रहा था..”मैं बोला
दीदी थोड़ा घबरा गयी पर फिर शायद अपनी घबराहट को छुपाटी हुई वो थोड़ा
मुस्कुराइ और बोली. “ तू कब आया था …और स्टंप पेपर दे दिए तूने उन अंकल
को”
“जी..और आपने ड्राफ्ट बनवा लिया क्या” मैने उनके पसीने से भरे चेहरे को
देखते हुए बोला.उनका सूट भी कई जगह से पसीने से तर बतर था. जिसका सॉफ सॉफ
मतलब ये था कि दीदी उस रूम मे काफ़ी टाइम से थी.
“नही यार…क्लर्क ने कहा है कि ड्राफ्ट बनवाने के लिए इस बॅंक मे अकाउंट
होना ज़रूरी है”
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