RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
फिर विनोद गिनतियाँ गिनने के साथ साथ रूचि को भी चिढ़ाए जा रहा था और इसी तरह रूचि की टीम हार गई.. जिसकी ख़ुशी शायद मुझसे ज्यादा विनोद को हो रही थी.. क्योंकि यह आप लोग समझते ही होंगे कि भाई-बहन के बीच होने वाली नोंकझोंक का अपना एक अलग ही मज़ा है।
अब उनकी नोंकझोंक से हमें क्या लेना-देना। जैसे-तैसे हार के बाद बारी आई कि आज कौन किसके साथ रहेगा।
तो विनोद बोला- इसमें कौन सी पूछने वाली बात है.. आज रूचि मेरी गुलाम है।
तो रूचि बोली- आप चुप रहो.. यह फैसला कप्तान का होगा।
मैंने भी बोल दिया- अरे अब विनोद की आज की इच्छा यही है.. तुम उसकी गुलाम बनो.. तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ।
जिस पर रूचि ने मेरी ओर देखते-देखते आँखों से ही नाराजगी जाहिर की.. जैसे मानो कहना चाह रही हो कि इससे अच्छा मैं ही जीतती। क्योंकि उसकी भी यही इच्छा थी कि उसे आज ही वो सब मिले.. जिसे उसने सपनों में महसूस किया था।
खैर.. जो होना था.. सो हो चुका था।
तभी विनोद बोला- लाल मेरी.. तैयार हो जा.. सुबह तक तू मेरी गुलाम बनेगी.. और जैसा मैं चाहूंगा.. वैसा ही करेगी.. क्यों राहुल ऐसी ही शर्त थी न..
तो मैं विनोद की ओर मुस्कुराता हुआ बोला- हाँ.. ठीक समझे.. अब आंटी मेरी गुलाम.. और रूचि तेरी..
इस पर रूचि नाक मुँह सिकोड़ते हुए अचकचे मन से विनोद से बोली- चल देखती हूँ.. आज कितने दिनों का बदला लेते हो..
यह कहते हुए वो अपने कमरे की ओर चल दी और आंटी अपने कमरे की ओर..
तभी विनोद बोला- देख आज जम के काम कराऊँगा रूचि से.. कल देखना अलमारी और कमरा कैसा दिखता है..
कहते हुए विनोद भी अपने कमरे की ओर चल दिया और शर्त के मुताबिक मैं आंटी के रूम की ओर चला गया।
फिर जैसे ही मैंने कमरा खोला.. तो आंटी बिस्तर पर ऐसे बैठी हुई थीं.. कि जैसे मेरा ही इंतज़ार कर रही हों।
मैंने भी फ़ौरन दरवाज़ा अन्दर से बन्द किया और जैसे ही मैं मुड़ा.. तो मैंने पाया कि आंटी अपने दोनों हाथ फैलाए मेरी ओर देखते हुए ऐसे खिलखिला रही थीं.. जैसे सावन में मोर..
मैं भी अपनी बाँहें खोल कर उनके पास गया और उन्हें उठा कर हम दोनों आलिंगनबद्ध हो गए।
ऐसा लग रहा था.. मानो समय ठहर सा गया हो.. कब मेरे होंठ उनके होंठों पर आकर ठहर गए और मेरा बायां हाथ उनकी कमर में से होकर उनके चूतड़ों को मसकने के साथ-साथ दायां हाथ उनके मम्मों की सेवा करने लगा।
आंटी और मैं इतना बहक गए थे कि दोनों में से किसी को भी इतना होश न रहा कि घर में उनके जवान बेटे और बेटी भी हैं।
मैं और वो.. हम दोनों बड़ी तल्लीनता के साथ एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और एक पल के लिए भी होंठ हट जाते तो ‘पुच्च’ की आवाज़ के साथ दोबारा चिपक जाते।
अब आप लोग समझ ही सकते हैं कि हमारी चुम्बन क्रिया कितनी गर्मजोशी के साथ चल रही थी।
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