RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
मैं अभी इसी उलझन में था कि माया ने मुझे छेड़ते हुए बोला- बड़ी देर लगा दी अन्दर.. सब कुछ ठीक है न?
तभी रूचि भी चुहल लेते हुए कहा- कहीं ऐसा तो नहीं मेरी पेट वाली समस्या आपके पास ट्रांसफर हो गई?
तो मैं झेंपते हुए बोला- नहीं कुछ भी गड़बड़ नहीं है.. जैसा आप लोग समझ रहे हैं।
रूचि हँसते हुए बोली- फिर कैसा है?
तो मैंने बोला- अरे मैं टॉयलेट गया था.. तभी मेरी आँख में शायद कोई कीड़ा चला गया था.. तो मैं अपनी आँख धोकर देखने लग गया था कि वो आँख के अन्दर है कि नहीं..
तभी रूचि मेरे पास आई उसने कातिलाना मुस्कान देते हुए कहा- लाओ मैं अभी तुम्हारा कीड़ा चैक किए देती हूँ..
तो मैं बोला- अरे नहीं.. अब हो गया..
वो मेरे लौड़े को देखते हुए बोली- हाँ दिख तो रहा है.. कि साफ़ हो गया।
फिर से चुहलबाज़ी में हँसने लगी।
तभी माया ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा- तू उसे तंग मत कर.. बड़ा है तेरे से..
तब कहीं जाकर रूचि शांत हुई.. फिर हम टीवी देखने लगे कि तभी माया बोली- टीवी में आज कुछ अच्छा आ ही नहीं रहा है..
रूचि भी बोली- हाँ.. माँ आप सच कह रही हो.. मैं भी बोर हो रही हूँ।
तो मैंने भी उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाते हुए अपने प्लान को सफल बनाने के लिए अपनी इच्छा प्रकट की- हाँ यार.. कुछ मज़ा नहीं आ रहा है..
तो विनोद बोला- फिर क्या किया जाए?
रूचि बोली- कुछ भी सोचो.. जिससे आसानी से टाइम पास हो सके।
वो बोला- अब सोचो तुम ही लोग.. मेरा क्या है.. मैं तो बस शामिल हो जाऊँगा।
अब मुझे अपना प्लान सफल होता हुआ नज़र आने लगा जो कि मैंने घर से आते ही वक़्त बनाया था.. जिसकी सम्पूर्ण जानकारी सिर्फ रूचि को ही थी.. लेकिन प्लान क्या था.. इसके लिए अभी थोड़ा और इंतज़ार कीजिएगा.. जल्द ही मैं इस कहानी के अगले भाग को लिखूंगा और प्लान भी बताऊँगा और तब तक आप भी सोचते रहिए कि आखिर प्लान क्या हो सकता है।
आप लोगों को बताना चाहूंगा कि मेरी एक फ्रेंड है जिसका नाम तो नहीं बता सकता.. पर आप लोग पूजा कह सकते हैं और उसे मेरी कहानी के बारे में मेरे ही कंप्यूटर से जानकारी मिल गई थी.. जो कि उसने मुझे बाद में बताया।
उसे उन कहानियों को पढ़कर इतना मज़ा आया कि वह भी मेरे साथ कुछ हसीन पल बिताना चाहती है। पर मुझसे उसने 31 मई तक का समय माँगा है कि मैं यह कर पाऊँगी कि नहीं.. तो मैंने बोला है कि जैसा समझो.. पर अगर तुम्हें लगे कि तुम आनन्दित महसूस करोगी तो बता देना..
|