RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
तब तक मेरी थाली भी लग चुकी थी और आंटी की भी.. उन्होंने खाना भी शुरू कर दिया था।
मेरे बैठते ही बोलीं- चल तू भी शुरू कर..
तो मैंने भी चालू कर दिया.. तभी रूचि आई और बैठते हुए उसने चम्मच नीचे गिरा दी.. जो कि उसकी एक चाल थी। फिर वो चम्मच उठाने के लिए नीचे झुकी.. और उसने एक हाथ से चम्मच उठाई और दूसरे हाथ से मेरे पैरों को खींच कर आगे को कर दिया।
मैंने भी जो हो रहा था.. होने दिया.. फिर वो अपनी जगह पर बैठ गई और अपना खाना शुरू करने के साथ ही साथ उसने अपनी हरकतें भी शुरू कर दीं।
अब वो धीमे-धीमे अपने पैरों से मेरे दायें पैर को सहलाने लगी.. जिससे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरे चेहरे पर कुछ मुस्कराहट सी भी आ रही थी.. वो बहुत ही सेंसेशनल तरीके से अपने पैरों से मेरे पैर को रगड़ रही थी.. जिसका आनन्द सिर्फ अनुभव किया जा सकता है।
कुछ ही देर बाद अब हम सिर्फ तीन ही रह गए थे.. यानि कि मैं रूचि और माया क्योंकि विनोद अपना खाना समाप्त करके टीवी देखने चला गया था।
इधर रूचि की हरकत से मैं इतना बहक गया था कि मेरे खाने की रफ़्तार स्वतः ही धीमी पड़ गई थी।
शायद यही हाल उसका भी था.. क्योंकि वो खाना कम.. मेरे पैरों को ज्यादा सहला रही थी।
मैं अपने सपनों में खोने वाला ही था.. या ये कह लो कि लगभग स्वप्न की दुनिया में पहुँच ही गया था कि तभी माया ने अपना खाना समाप्त कर पास बैठे ही मेरे तन्नाए हुए लौड़े पर धीरे से अपने हाथ जमा दिए।
इस हमले से मैं पहले तो थोड़ा सा घबरा सा गया.. पर जल्द ही सम्भलते ही बोला- अरे आंटी आपने तो अपना खाना बहुत जल्दी फिनिश कर दिया?
तो वो बोली- हाँ.. इसी लिए तो बैठी हूँ.. ताकि तुम लोगों को सर्व कर सकूँ।
वो निरंतर मेरे लौड़े को मनमोहक अंदाज़ में सहलाए जा रही थी और उधर रूचि नीचे मेरे पैरों को सहला रही थी.. जिससे मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था।
मेरे मन में एक डर भी था कि दोनों में से कोई भी कहीं और आगे न बढ़ जाए वरना सब गड़बड़ हो जाएगी.. क्योंकि अगर रूचि आगे बढ़ती है.. तो माया का हाथ लगेगा और माया आगे बढ़ती है.. तो रूचि का पैर..
फिर मैंने इसी डर के साथ अपने खाने को जल्दी फिनिश किया और उठ कर मुँह धोने के बाद सीधा वाशरूम जाकर मुठ मारने लगा.. क्योंकि इतना सब होने के बाद मैं अपने लौड़े पर काबू नहीं रख सकता था।
शायद मेरी कामुकता बहुत बढ़ गई थी और खुद पर कंट्रोल रख पाना कठिन था।
मुठ्ठ मारने के बाद जब मेरा लण्ड शांत हुआ.. तब जाकर मेरे दिल को भी शान्ति मिली और इस सब में मुझे बाथरूम में काफी देर भी हो चुकी थी.. तो मैंने झट से कपड़े ठीक किए और बाहर निकल कर आ गया।
बाहर आकर देखा सभी टीवी देखने में लगे थे और जैसे ही मैं वहां पहुँचा तो माया और रूचि दोनों ही मुझे देखकर हँसने लगीं.. जिसे मैं भी देखकर शरमा गया था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जो मैंने अभी बाथरूम में किया.. वो सब ये लोग समझ गईं शायद..
मुझे अपने ऊपर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं आखिर कंट्रोल क्यों नहीं कर पाया।
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