RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
रूह-जिस्म का ठौर-ठिकाना चलता रहता है ,
जीना-मरना ,खोना-पाना चलता रहता है !
सुख-दुःख वाली चादर घटती-बढती रहती है ,
मौला तेरा ताना-बाना चलता रहता है !
याद दफ्फतन दिल में आती-जाती रहती है ,
सांसों का भी आना-जाना चलता रहता है !
इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता हैं ,
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है !
बार-बार दिलवाले धोखे खाते रहते हैं ,
बार-बार दिल को समझाना चलता रहता है !
लोग-बाग़ भी वक़्त बिताने आते रहते हैं ,
अपना भी कुछ गाना-वाना चलता रहता है !
दुनिया वाले पी कर गिरते-पड़ते रहते हैं ,
उसकी नज़रों का मयखाना चलता रहता है !
जिन नज़रों ने रोग लगाया गजलें कहने का ,
आज तलक उनको नजराना चलता रहता है ...!"
आहहहहहहहहहहहहहहहहहहण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण् नींद खुली तो सिर में पिछे की तरफ तेज दर्द का अहसास हुआ और जैसे ही हाथ को उठाना चाहाए तो हाथ में कुछ लगा हुआ महसूस हुआ। मैंने धीरे से सिर उठाकर देखना चाहाए पर सिर को हिलाते ही बहुत ज्यादा दर्द का अहसास हुआ और एक दर्द भरी कराह निकल गई। मैंने अपने आसपास देखा तो समझ में नहीं आया कि मैं कहां हूं। तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और एक नर्स अंदर आई और एक इंजेक्शन लगा दिया। आंखें वापिस बंद होने से पहले मैंने मम्मी-पापाए छूटकू और नवरीत के मम्मी-पापा को खड़े देखा था। मैंने वापिस आंखें खोलनी चाही परन्तु आधी ही खुल पाई और मैं वापिस नींद के आगोश में चला गया।
नींद खुली तो दर्द हल्का हल्का ही महसूस हो रहा था। मैंने धीरे-धीरे आंखें खोली, नाईट बल्ब की रोशनी में इधर उधर देखा तो रूम मेरा ही था। सिर में दर्द क्यों हो रहा था, ये बात समझ नहीं आ रही थी। मैंने दिमाग पर कुछ जोर डाला तो एकदम से हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गया और अपने इधर उधर देखा। शरीर पर कुर्ता पायजामा था। घड़ी की तरफ नजर गई तो 2 बजने वाले थे।
सोनल कहां है, वो ठीक तो है और,,,, और,,,, नवरीत--- सबकुछ धयान आते ही मैें तुरंत खड़ा हुआ और बाहर की तरफ जाने लगा। फिर मोबाइल याद आया, परन्तु ढूंढने पर कहीं मिला नहीं। ये भी नहीं समझ आ रहा था कि मैं रूम पर कैसे आया। परन्तु ये बात कोई मायने नहीं रखती थी, उस बात के सामने जो शाम को घटित हुई थी।
मोबाइल नहीं मिला तो मैं बाहर आ गया। मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा, आंटी (नवरीत की मॉम), मेरी मॉम, और छूटकू बाहर चेयर पर बैठे हुए थे।
तू उठ क्यूं आया, आराम कर ले, मम्मी ने मुझे देखते ही खड़े होते हुए कहा और मेरे पास आ गई।
नवरीत कहां है और सोनल,,, मैंने उनकी बात पर धयान ना देते हुए पूछा। आंटी भी उठकर खड़ी हो गई थी।
चल अंदर चल, आराम से लेट जा, फिर बताती हूं, मॉम ने कहा और अंदर ले आई। आंटी और छूटकू भी अंदर आ गये।
अब दर्द तो नहीं है, मॉम ने पूछा।
नहीं, हल्का हल्का है बस, मैंने कहा और सिर पर हाथ लगाकर देखा, सिर पर पिछे की तरफ हल्का सा फोड़ा सा बन गया था, शायद अब कम रह गया था।
नवरीत और सोनल कहां है, मैंने आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
मॉम ने मुझे बैड पर बैठा दिया और खुद भी बैठ कर मेरा सिर अपनी गोद में रखते हुए मुझे लेटा दिया। परन्तु मुझे चैन कहां था, मैं वापिस बैठ गया।
मॉम ने मेरी तरफ देखा, वो समझ गई थी कि जब तक मुझे सोनल और नवरीत के बारे में पता नहीं चलेगा मुझे चैन नहीं आयेगा।
सोनल मेडीकल में है, वो अभी होश में नहीं आई है, मॉम ने कहा और फिर मेरी तरफ देखने लगी।
क्या हुआ है उसे, मैंने बैचेन होते हुए पूछा।
सिर में गहरी चोट लगी है, डॉक्टर सीरियस बता रहे हैं, तेरे पापा और अंकल वहीं पर हैं, तेरी नीचे वाली आंटी भी वहीं पर है, मम्मी ने कहा।
और नवरीत, वो कहां पर है, मैंने आंटी की तरफ देखते हुए पूछा। आंटी की आंखों में आंसु थे।
उसका कुछ पता नहीं है, मॉम ने कहा।
क्या मतलब है कुछ पता नहीं है, मैं एकदम से बैचेन हो उठा था।
हुआ क्या था, तुम दोनों को ये चोट कैसे लगी थी, मॉम ने उलटा सवाल कर दिया।
मैं सही तरफ से याद करने की कोशिश करने लगा कि क्या हुआ था, क्योंकि अभी तक मुझे भी सही सही समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।
हम शाम को मूवी देखने गए थे और रेड लाइट पर खड़े हुए थे, मैंने याद करते हुए कहा और सबकुछ याद आता चला गया। ‘मैं नवरीत की स्कूटी पर था और सोनल हमारे आगे अपनी स्कूटी पर थी। एक स्कोरपियो हमारे साइड में आकर रूकी, कुछ देर तो सब ठीक ठाक रहा, लाइट ग्रीन होने ही वाली थी कि स्कोरपियो की खिड़कियां खुली और पांच छः आदमी उसमें से निकले। उनके हाथों में बेसबॉल और हॉकी थी। मैं कुछ समझ पाता, उससे ही पहले मुझे मेरा सिर फटता हुआ महसूस हुआ। उनमें से किसी ने मेरे सिर पर बहुत जोर से मारा था। मैं उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ मालूम नहीं, शायद मैं बेहोश हो गया था’।
और हां, उनमें से कोई कह रहा था, ‘पकड़ लो साली को, अब देखता हूं कैसे बचेगी मुझसे’ वो शायद उनका बॉस था’ मैंने याद करते हुए बताया। बोलने के कारण सिर में फिर से दर्द बढ़ने लगा था और मेरा हाथ पिछे की तरफ सिर पर चला गया और मैं तुरंत खड़ा हो गया।
वो नवरीत को ले गये, सिश्श्श्ट, ये सोचकर ही मेरा सिर चकरा गया। ‘एक ने कहा था कि अब कैसे बचेगी मुझसे, मतलब वो नवरीत को पहले से जानते थे’ मैंने कहा और आंटी की तरफ देखने लगा। आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया।
सोनल को कितनी चोट आई है, मैं उसको देखने जा रहा हूं, कहकर मैं मॉम की तरफ देखने लगा।
चोट तो ज्यादा नहीं है, पर सिर में लगी है तो डॉक्टर कह रहे थे कि होश में आने पर ही कुछ कहा जा सकता है, छूटकू ने कहा।
सुबह चला जाइये, इब रात ने फेर गिर-पड़ ज्यागा, तेरे पापा और अंकल वहां पर है ही, मॉम ने कहा और मुझे पकडकर वापस बेड पर बैठा दिया।
आंटी आप बैठिये, मैंने आंटी को कहा। पुलिस में रिपोर्ट की या नहीं अभी तक, मैंने छूटकू की तरफ देखते हुए कहा।
रीत की तो कर दी, तुम दोनों में से कोई होश में ही नहीं था, इसलिए पुलिस वाले सुबह आने की कहकर चले गये, छूटकू ने बताया।
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