Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:34 PM,
#72
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
अंदर बैठे, उसके जाते ही नवरीत ने मुझसे कहा।
हम्मम, कहते हुए मैं उठ गया और हम अंदर आकर बैड पर बैठ गये। नवरीत ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और अपनी जांघ पर रखकर मेरे हाथों की उंगलियों को सहलाने लगी।
तबीयत कैसी है अब, नवरीत ने पूछा।
अब ठीक है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरे माथे पर हाथ लगाकर चैक किया और फिर गालों पर चैक करने के बाद हाथ को गालों पर ही रहने दिया।
जब से वो आई थी, मुझे उसके चेहरे पर कुछ बैचेनी सी दिखाई दे रही थी। मैं उसके बोलने का इंतजार करता रहा परन्तु उसने कुछ नहीं कहा।
मैं सोनल के सामने तो अपने दर्द को छुपाने में कामयाब हो रहा था परन्तु नवरीत के सामने मेरी सारी कोशिशें बेकार हो रही थी। मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था कि इस उम्मीद में कि वो कुछ बताये और देखते देखते ही मेरी आंखें नम हो गई। मेरे आंखों में आंसु देखते ही नवरीत की आंखों से भी दो आंसु छलक आये। मैंने उसके आंसुओं को पौंछा और कुछ बोलना चाहा, परन्तु गला भर आया।
नवरीत ने मुझे सिने से लगा लिया। उसके आंसु मेरे सिर पर गिर रहे थे। मेरी आंखों से तो शायद आंसु खत्म ही हो चुके थे, एक दो आंसु आंखों को नम करता और बस वो नमी ही बनी रहती। मैं शून्य आंखों से दरवाजे की तरफ देखता रहा।
मैंने भी कितनों को परेशान कर रखा है, कहां हमेशा चहकती रहने वाली नवरीत और कहां ये मेरे पास बैठी एकदम दुखी, मुझे सहारा देती हुई नवरीत, मन ही मन सोचा और खुद पर गुस्सा आ गया। मैंने आंसु साफ किये और सीधा होकर बैठ गया।
नवरीत ने मेरे चेहरे की तरफ देखा तो मैं हल्का सा मुस्करा दिया। होंठों से एक शब्द भी न बोलकर भी बहुत सी बातें हो रही थी। नवरीत मेरी पीड़ा को समझ रही थी। मुझे लग रहा था कि उसके मन में कुछ चल रहा है पर वो बता नहीं रही है। उसने मुझे फिर से बांहों में भर लिया। काफी देर तक हम एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे। तभी सीढ़ियों से किसी के उपर आने की आवाज आई। हमने एकदूसरे को बांहों के शिकंजे से आजाद किया और नवरीत उठने लगी। तभी दरवाजा खुला और सोनल और प्रीत अंदर आई।
हाय, प्रीत ने अंदर आते हुए कहा। नवरीत उठकर बाथरूम में चली गई।
प्रीत मेरे पास आई और गौर से मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी।
हाय, मैं उसे इस तरह देखते पाकर थोड़ा सकपका गया था।
सॉरी, प्रीत ने मेरे गाल पर लुढ़क आये एक आंसु को पौंछते हुए कहा।

किस बात के लिए, मैंने हैरान होते हुए पूछा।
सुबह जो इतना कुछ बोल दिया उसके लिए, मुझे इतना सब नहीं कहना चाहिए था, प्रीत ने दुखी चेहरा बनाते हुए कहा।
उसके लिए सॉरी की जरूरत नहीं है, सही ही कहा था आपने, मैंने बाथरूम से बाहर आती हुई नवरीत की तरफ देखते हुए कहा। वो मुंह धोकर आई थी।
मुझे पता नहीं था आपके साथ क्या हुआ है, मैंने सोचा कि ये रोज का काम होगा, इसलिए उल्टा-सीधा बोल गई, प्रीत ने वैसे ही दुखी लहजे में कहा।
मैं तो एकदम हैरान रह गया, इसे कैसे पता चल गया, कहीं सोनल ने तो नहीं बताया, मैंने सोनल की तरफ देखा। वो मुस्करा रही थी।
नहीं गलती मेरी ही थी, आपको सॉरी कहने की जरूरत नहीं है, बल्कि मैं ही आपसे माफी चाहता हूं उसके लिए------
सोनल ने मुझे सब बता दिया है, प्रीत ने मेरे पास बैठते हुए कहा।
वैसे तो पीना कोई अच्छी बात नहीं है, पर अगर आपको गम को कम करने के लिए पीनी ही पड़ती है तो यहां पर लाकर पी लीजिए, ऐसे लड़खड़ाते हुए घर में आते हैं तो अच्छा नहीं लगता, आस-पड़ोस में लोग बातें बनाते हैं, प्रीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए दूसरे हाथ से मेरे चेहरे को अपनी तरफ करते हुए कहा।
मुझे पीना अच्छा नहीं लगता, कल मुझे पता ही नहीं चला कब मेरे कदम मयखाने की तरफ बढ़ गये, मेरी आंखों से दो आंसु और लुढ़क गये थे।
ये इश्क भी अच्छे भले इंसान को बर्बाद कर देता है, तुम्हारी तो बहन है ना वो, प्रीत ने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।

अंकल की लड़की है, नवरीत ने कहा।
तो तुम उसे समझा नहीं सकती, प्रीत ने उसे कहा।
वो कुछ बताती ही नहीं है कि उसने ऐसा क्यों किया, जब मैं समीर के बारे में बताती हूं कि ये कैसे तड़प रहे हैं तो वो भी तड़प उठती है, पर कुछ बताती ही नहीं है, कहते हुए नवरीत की आंखें फिर से नम हो गई।
तुम उससे मिलते क्यों नहीं एक बार, पूछो तो उससे कि उसने ऐसा क्यों किया, प्रीत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
वो यहां पर नहीं है, अंकल उसी दिन पंजाब चले गये थे, अब वो वहीं पर हैं, नवरीत ने जवाब दिया।
पर समीर को तो कहा था कि इंडिया से बाहर हैं, सोनल बीच में ही बोल पड़ी।
वो तो इसलिए कहा था कि ये उनसे मिलने की कोशिश ना करें, नवरीत ने बताया।
एक मिनट, क्या उसके मां-बाप को भी पता था इनके प्यार के बारे में, प्रीत ने कन्फ्रयूज होते हुए पूछा।
रिश्ते की बात चल पड़ी थी, तुम पता होने की बात कर रही हो, सोनल ने कहा।
जब रिश्ते की ही बात हो गई थी, तो फिर ऐसी क्या दिक्कत आ गई कि धोखा ही दे दिया, कुछ कारण तो बताना था ना, प्रीत ने कहा।
तभी प्रीत का मोबाइल बजा।
हैल्लो, आ गई,,, ठीक है मैं अभी आ रही हूं, कहते हुए प्रीत उठ गई और बाहर चली गई।
चलो बाहर बैठते हैं, सोनल ने कहा। तीनों बाहर आकर बैठ गये।
तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि अपूर्वा पंजाब में है, मैंने नवरीत से पूछा।
दीदी ने मना किया हुआ है, वो कह रही थी कि मैं उन्हें खतरे में नहीं डालना चाहती ये बताकर, नवरीत ने कहा।

कैसा खतरा, सोनल ने चौंकते हुए कहा।
मुझे नहीं पता, मैंने पूछा था, पर दीदी ने बताया ही नहीं, नवरीत ने कहा।
नवरीत की बात से मैं बैचैन हो उठा, कैसी खतरे की बात कर रही है वो, क्या अंकल से, या फिर किसी और से, मेरे मन में अनेकों विचार आने लगे।
तभी नीचे से प्रीत ने सोनल को आवाज लगाई और सोनल नीचे चली गई। मेरे मन में यही चल रहा था कि अपूर्वा कैसे खतरे की बात कर रही थी। कहीं अंकल ने कोई धमकी तो नहीं दी। पर अंकल क्यों देंगे, वो तो खुद इस रिश्ते से खुश थे, पर उन्होंने ही कुछ कहा होगा कि वो यहां नहीं आना चाहिए, क्या पता किसी की बातों में आ गये हों। मेरे मन में विचार चल रहे थे। नवरीत बैठी हुई मुझे देखे जा रही थी। विचारों का प्रवाह सामने सीढियों में आती हुई सोनल के साथ एक लड़की को देखकर थोड़ा रूका।
एक खूबसूरत लड़की सोनल के साथ आ रही थी। उपर आते ही वो एकदम से चौंक गई और वहीं खडी रह गई। सोनल हमारे पास पहुंच चुकी थी, जब उसने पिछे देखा तो वो लड़की वहीं खड़ी थी। उसे यों चौंकते हुए देखकर मैं भी हैरान था।
क्या हुआ, सोनल ने उसके पास जाकर पूछा। उस लड़की की नजरें मेरी तरफ ही थी।
कुछ नहीं, कहते हुए वो लड़की थोड़ी सी मुस्कराई और फिर हमारे पास आ गई। उसने नवरीत और मुझसे हाय-हैल्लो किया और सोनल एक चेयर ले आई। वो दोनों बैठ गई।
जब मैंने उसे थोड़ा गौर से देखा तो मुझे लगा कि मैंने इसे कहीं देखा है।
मुझे लग रहा है कि मैंने आपको कहीं देखा हुआ है, मेरी बात सुनते ही वो लडकी एकदम से बैचेन सी हो गई।
क्या आपको भी ऐसा कुछ लग रहा है, मैंने फिर कहा।
नहीं-नहीं, मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लग रहा, मैंने तो आपको पहले कभी नहीं देखा, उसने हड़बड़ाहट में कहा।
मिट्टी पाओ, मैंने कहा और उसे गौर से देखने लगा। उसकी आंखों से मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने इसे देखा है या फिर इसकी आंखें किसी से मिलती जुलती है।
सोनल ने हमसे उसका परिचय करवाया। वो प्रीत की दोस्त थी। नाम सिमरन था। कुछ देर बाद प्रीत भी उपर आ गई। वो चाय और नमकीन लेकर आई थी। मैं उठकर अंदर से छोटी टेबल और एक चेयर और ले आया। चाय पीते हुए वे गॉशिप करती रही। मैं बोर हो रहा था तो उठकर अंदर आ गया। अंदर आकर मैं बेड पर लेट गया। आज फिर से अपूर्वा की ज्यादा याद आ रही थी। अब लग रहा था कि अपूर्वा को मुझसे दूर किया गया है, वो खुद नहीं हुई है। मैं उससे बात करने के लिए बैचेन हो रहा था। मैं सच्चाई जानना चाहता था।
क्या उसका प्यार इतना ही था कि घरवालों के कहने भर से उसने नाता तोड़ लिया। क्या वो अपने घर वालों को समझा नहीं सकती थी। टीस जो अब तक हल्की हल्की बनी रहती थी एकदम कई गुणा हो गई थी। आंसु जो आंखों को नम करने के लिए ही बाहर आने लगे थे आज एक बार फिर उन्होंने धारा का रूप ले लिया था। मुझसे ये दर्द सहन नहीं हो पा रहा था।
मैं उठा और बाहर आकर नवरीत को आवाज दी। नवरीत तुरंत मेरे पास आ गई। हम अंदर आ गये। मैंने अपूर्वा से बात करवाने के लिए कहा।
नवरीत ने फोन मिलाया, और दो बात करके वापिस काट दिया।
अंकल अभी बाहर हैं, दीदी के पास फोन नहीं रहता, अंकल के नंबर पर ही करना पड़ता है, मैं रात को ही बात करती हूं, तब अंकल भी घर पर होते हैं तो दिक्कत नहीं आती, नवरीत ने कहा।
अभी अंकल ने यही कहा है कि 9 बजे के आसपास बात करवा देंगे, नवरीत ने थोड़ा रूक कर फिर कहा।
इस बात से तो मुझे पक्का हो गया था कि कुछ गड़बड़ है, अपूर्वा ने मुझे धोखा नहीं दिया, उससे जबरदस्ती दिलवाया गया है। नहीं तो क्या अपूर्वा के पास अपना फोन नहीं है, जो उसे फोन नहीं दिया जा रहा।
तुम मुझे वहां का एड्रेस दो, मैं वहीं पर जाकर बात करूंगा, मैंने आवेश में आते हुए कहा।
मैं नहीं दे सकती, दीदी ने मुझसे वादा लिया है, उन्होंने साफ मना किया है कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी, जिससे आपके लिए खतरा हो, नवरीत ने उदास होते हुए कहा।
पर मुझे खतरा है किससे, ऐसा क्या हो गया कि एकदम से उन्होंने मुझसे नाता तोड़ लिया, कहते कहते मैं आवेश में आ गया था, और आवाज तेज हो गई थी। आवाज सुनकर सोनल भी अंदर आ गई।
मुझे कुछ भी नहीं मालूम, मैं सच्ची कह रही हूं, कोई मुझे कुछ बताता ही नहीं, नवरीत ने कहा।
मम्मी-पापा भी हमेशा परेशान दिखाई देेते हैं, पर वो भी कुछ नहीं बताते, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई थी।
सोनल मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे बहते हुए आंसुओं को पौंछने लगी। उसने एक बार नवरीत की तरफ देखा और मुझे अपने सीने से लगा लिया।

क्या बता हुई, तुम दोनों की आंखों में आंसु क्यों हैं, सोनल ने नवरीत से पूछा।
नवरीत ने कुछ कहना चाहा परंतु कह नहीं पाई और एकदम से भागते हुए रूम से बाहर निकल गई। मैं तुरंत उठकर बाहर आया और मेरे पिछे पिछे सोनल भी। नवरीत नीचे जा चुकी थी। मुझे स्कूटी के स्टार्ट होने की आवाज आई तो मैं दौड़कर मुंडेर के पास पहुंचा।
रीत, रूको, मैंने आवाज लगाई।
नवरीत ने एक बार उपर की तरफ देखा और फिर आंसु पौंछते हुए तेजी से स्कूटी चलाते ही चली गई। मैं बहुत ही ज्यादा दुखी हो गया था। अब आप लोग तो जानते ही हो कि जब मैं इतना ज्यादा दुखी होता हूं तो क्या होता है, मेरे कदम नीचे की तरफ बढ़ गये। इससे पहले की मैं सीढ़ीयों पर कदम रखता सोनल ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
कहां जा रहे हो, सोनल ने कहा।
पता नहीं, पर यहां पर मुझे घुटन महसूस हो रही है, मैंने कहा।
मुझे पता है, तुम फिर शराब पीकर आओगे, सोनल ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
नहीं, मैं बस थोड़ा टहलने जा रहा हूं, मैंने कहा।
चलो, मैं भी साथ चलती हूं, सोनल के कहा। तब तक प्रीत भी हमारे पास आ गई थी।
क्या हुआ, नवरीत भी रोते हुए गई है और तुम्हारी आंखों में भी आंसु हैं, प्रीत ने मेरे गालों से आंसु पौंछते हुए कहा।
थोड़ी बैचेनी सी महसूस हो रही है तो थोड़ा टहलने के लिए जा रहा हूं, मैंने कहा।
तभी मुझे ऐसा लगा कि जैसे अंधेरा गहराता जा रहा है और दिल में कोई सुइयां चुभो रहा है, और अगले ही पल मैं सोनल की बांहों में झूल गया।
जब होश आया तो मेरा सिर किसी की गोद में था। मैंने धीरे धीरे आंखें खोली, सामने डॉक्टर और प्रीत बातें कर रही थीं, सोनल मेरा सिर अपनी गोद में रखे बैठी थी।
होश आ गया, सोनल ने मेरे गालों पर हाथ फिराते हुए कहा।
उसकी आवाज सुनते ही डॉक्टर और प्रीत हमारी तरफ आ गये।

अब कैसा महसूस कर रहे हो, डॉक्टर ने पूछा।
मैंने कोई जवाब दिया। डॉक्टर ने मेरी आंखों को टॉर्च की रोशनी मारते हुए चैक किया। और दिल की धड़कन को चैक किया।
घबराने की कोई बात नहीं है, सब कुछ नॉर्मल है, परन्तु अबकी बार अगर ऐसा कुछ होता है तो आप तुरंत क्लिनिक ले आईये, सही चैकअप और ट्रीटमेंट वहीं पर हो सकता है, डॉक्टर ने कहा।
ओके डॉक्टर, प्रीत ने कहा।
डॉक्टर ने मेरी तरफ देखकर एक मुस्कान दी और अपना सामान का थैला उठाते हुए दरवाजे की तरफ चल दी। प्रीत उसे नीचे छोड़कर कुछ देर बाद वापिस आई।
मुझे लगता है कि तुम्हें अब अपने घर चले जाना चाहिए, वहां अपनों का साथ मिलेगा तो जल्दी ही उसे भूल जाओगे, प्रीत ने बेड के साथ खड़े होते हुए कहा।
कैसी बात कर रही हो दीदी, क्या हम समीर के अपने नहीं हैं, सोनल ने एकदम से कहा।
तू कहां से इसकी अपनी हो गई, घर पर इसके मां-बाप, भाई-बहन सब हैं, उसके साथ रहेगा, तो उसकी याद कम आयेगी, और जल्दी ही उसे भूल जायेगा। अब तू और मैं हमेशा थोड़े ही इसके साथ रह सकते हैं, प्रीत ने कहा।
पर दीदी------- सोनल इतना ही कह पाई कि प्रीत ने उसकी बात काट दी।
पर-वर कुछ नहीं, घर जाना ही सबसे अच्छा ऑप्शन है इसके लिए, यहां पर कोई संभालने वाला भी नहीं है, प्रीत ने कहा और बाहर चली गई।
दीदी की बातों का बुरा मत मानना, मैं हूं संभालने के लिए, सोनल ने कहा।
मैं बस शून्य आंखों से छत की तरफ देखता रहा, कुछ न बोला।

सोनल, बाहर से प्रीत की आवाज आई।
आई दीदी, कहते हुए सोनल उठी और बाहर चली गई।
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