RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
सोनल नाश्ता लेकर आई थी। हमने साथ में नाश्ता किया। नाश्ता करते हुए मैंने सोनल को ऑफिस जाने के बारे में बताया। एक बार तो वो नाराज हुई पर मेरे मनाने पर उसने हाफ डे करने के लिए कह दिया। उसकी प्रीत (सोनल की बड़ी बहन जिसको सोनल और आंटी प्यार से रीत ही कहते हैं) शाम को आने वाली थी। वो दिल्ली से जयपुर ट्रेन से आयेगी। नाश्ता करके हम नीचे आ गये और मैं ऑफिस के लिए निकल गया।
------------------------------------------------------------------
कमर में दर्द के कारण बाइक सही तरह से ड्राइव नहीं कर पा रहा था, इसलिए धीरे धीरे ही चलाते हुए एक घण्टे में ऑफिस पहुंचा। बाईक पर लगे झटकों से कमर का दर्द बढ गया था, इसलिए जाते ही चेयर पर पसर गया। आज रामया और मनीषा में से कोई एक नहीं आई थी, सुमित काम में बिजी था, इसलिए उसे मेरे आने का अहसास नहीं हुआ।
बॉस अंदर ही हैं क्या, मैंने सुमित से पूछा। मेरी आवाज सुनकर उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा।
क्या बात है बॉस, कहां गायब थे दो दिन से, सुमित ने मेरे पास आते हुए कहा।
उसकी आवाज सुनकर उस लड़की ने भी मेरी तरफ देखा और देखकर मुस्करा दी।
गुडमॉर्निंग, मैंने उस लड़की से कहा।
गुडमॉर्निंग सर, उसने कहा।
तुम्हारा नाम क्या है, मैंने पूछा।
मनीषा सर, उसने कहा।
ये सर सर क्या लगा रखा है, मैं कोई सर नहीं हूं, तुम्हारी तरह ही काम करता हूं, मैंने कहा।
वो दूसरी नहीं आई, मैंने पूछा।
वो आज उसे कुछ काम था, तो इसलिए वो नहीं आई, मनीषा बात करते हुए मुस्करा रही थी।
बॉस हैं क्या अंदर, मैंने सुमित की तरफ देखते हुए कहा।
नहीं आज बॉस अभी तक आये ही नहीं हैं, सुमित ने कहा।
मैंने जेब से मोबाइल निकाला और बॉस को फोन मिलाया। सुमित ने अपनी चेयर मेरे पास कर ली और बैठ गया।
मैं भी आ जाउं, मनीषा ने सुमित की तरफ देखते हुए कहा और फिर मेरी तरफ देखने लगी।
काम नहीं है क्या, मैंने कहा।
तभी बॉस ने फोन उठा लिया। बॉस ने मेरी तबीयत के बारे में पूछा। मैंने उन्हें बताया और कहा कि ऑफिस आ गया हूं। बॉस ने कहा कि उनको अभी दो-तीन घण्टे लगेंगे ऑफिस आने में, तब तक हम काम करें। फोन कटने के बाद मैं सुमित से बातें करने लगा। मैं अभी बातें कर ही रहा था कि मनीषा हमारे पास आ गई।
हाय, उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा। उसके चेहरे की मुस्कराहट कातिलाना लग रही थी। जब पहले उसे देखा था तो वो कुछ सांवली लग रही थी, लग तो अभी भी रही थी परन्तु अब रंग साफ दिखाई दे रहा था, उतनी नहीं लग रही थी जितनी पहली बार लगी थी।
हाय, मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा। उसके हाथ की पकड़ मासाअल्लाह, क्या जबरदस्त थी, एकदम जोशीली।
आज उसने सलवार-सूट पहन रखी थी जिसमें उसका कातिलाना फिगर गजब ढ़ा रहा था। बेशक रंग सांवला था, परन्तु तीखे नयन-नक्ख और कर्वी फिगर उसे गोरे रंग वाली लड़कियों से भी ज्यादा कातिल बना रहा था। शायद उसने भी मुझे उसके जिस्म को ताड़ते हुए महसूस कर लिया था, परन्तु उसने कुछ रियक्ट नहीं किया और नोर्मल ही मुझसे बाते करती रही। मैंने उससे उसके एक्सपीरियंस और पहले की नौकरियों के बारे में पूछा। वो मुझे सीनियर समझ रही थी, इसलिए सभी कुछ एकदम सलीके से बता रही थी।
यार, चाय के लिस बोल दो, मैंने सुमित की तरफ देखते हुए कहा। सुमित ने पियोन को चाय के लिए बोला दिया।
अब कैसी है आपकी तबीयत, मनीषा ने चेयर के सहारे खड़े होते हुए पूछा।
अब तो ठीक है, तुम्हें कैसे पता, मैंने कहा।
बॉस कह रहे थे कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए आप नहीं आये, मनीषा ने कहा।
बस बुखार हो गया था हल्का सा, मैंने कहा।
हम तीनों बातें करते रहे। कुछ देर बाद पियोन चाय ले आया। चाय पीते हुए हम बातें करते रहे। चाय पीकर हम अपने अपने काम में लग गये।
लंच टाइम में मैंने चाय के लिए बोला। मनीषा घर से खाना पैक करवाकर लाती थी। उसने जबरदस्ती मुझे भी खाना खिलाया। काफी स्वादिष्ट था। लंच टाइम में हमारे बीच काफी दोस्ती हो गई थी।
शाम को 3 बजे के आसपास बॉस आये। मेरी तबीयत के बोर में पूछ कर वो अपने केबिन में चले गये। तभी मेरे सैल पर सोनल का फोन आया। मैं तो भूल ही गया था कि आज आधे दिन के लिए ही आया हूं। मैंने बॉस को तबीयत डाउन होने का कहा और सबको बाये बोलकर घर के लिए निकल गया। कमर का दर्द लगभग खत्म ही हो गया था। फिर भी धीरे धीरे ड्राइव करके ही गया और घर पहुंचते पहुंचते 4 बज गये।
उपर पहुंचा तो वहां छत पर पूरी मंडली लगी हुई थी। आंटी, सोनल, प्रीत, और नवरीत भी वहीं पर थी। वो सभी धूप में बैठे हुए धूप सेक रहे थे।
मैं उनके पास गया और सबको हाय कहा। प्रीत को देख कर एकबार तो मेरा मुंह खुला का खुला हर गया। परन्तु मैंने तुरंत ही अपने मुंह को बंद किया। प्रीत से मैं पहली बार ही मिल रहा था। सोनल ने प्रीत से मेरा परिचय करवाया। प्रीत ने गले मिलकर मुझसे हाय कहा। उसने बदन से गजब की मादक महक आ रही थी। शायद वो कुछ देर पहले ही नहाई हो और उसने कोई बहुत ही कामुम खूशबू प्रयोग की हो। नवरीत से मुझसे गले मिली। उसने गले मिलते हुए एक बार तो मुझे कसके अपनी बांहों मेंं भर लिया। उसका चेहरा उतरा हुआ था, परन्तु फिर भी वो मुस्कराने की कोशिश कर रही थी। सोनल अंदर से एक चेयर ले आई। मैं बैठ गया। आंटी ने मेरी तबीयत के बारे में पूछा। कुछ देर तक हम बैठे हुए बातें करते रहे। फिर धूप जाने के बाद सभी उठ गये। प्रीत और आंटी नीचे चले गये। सोनल, नवरीत और में अंदर आ गये।
हाये, नवरीत ने अंदर आते ही मुझसे कहा और मेरा हाथ पकड़कर वापिस बाहर ले आई।
क्या हुआ, मैंने पूछा। वो मुझे एक तरफ ले आई और एक बार रूम की तरफ देखा। सोनल दरवाजे पर आकर खड़ी थी।
|