RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
सोनल के हाथ में मेरे लिंग ने धीरे धीरे हरकत करनी शुरू कर दी और जल्दी ही निंद्रा से उठकर अपने चारों तरफ का जायजा लेने लगा। जाना पहचाना स्पर्श पाकर एक सलामी दी और फिर मोर्चा संभाल लिया। लिंग के उतेजित हो जाने के कारण सोनल के हाथ की कसावट बढ़ गई थी। मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी फैली और शरीर ने एक कंपकंपी ली।
मेरे शरीर में हुई हरकत से सोनल थोड़ी सी हिली और उसका हाथ मेरे लिंग पर और भी कस गया। उसने अपने गालों को मेरी छाती पर रगड़ा और आंखें खोलते हुए गर्दन को उपर की तरफ करके मेरे चेहरे की तरफ देखा। उसकी और मेरी नजरें मिली और होंठों पर एक मुस्कराहट आ गई। सोनल ने चेहरा उपर किया और मेरे होंठों पर एक किस्सी ली और फिर मेरे गाल से अपना गाल रखकर लेट गई। मैं उसकी कमर को सहलाने लगा और वो मेरी छाती में हाथ फिराने लगी। मैंने करवट ली और उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया। मेरा लिंग उसकी योनि से छेड़खानी करने लगा जिससे उसकी योनि आंसु बहाने लगी। सोनल ने अपने कुल्हों को थोड़ा सा आगे की तरफ प्रैस किया तो मेरा लिंग फिसलकर उसकी योनि को कुचलता हुआ उपर की तरफ आकर उसके दाने को कुचलता हुआ उसकी योनि की लम्बाई में सैट हो गया। सोनल हल्के हल्के अपनी योनि को मेरे लिंग पर प्रैस करने लगी। इस तरह भी काफी मजा आ रहा था।
अचानक सोनल हल्के से थोड़ा पिछे हुई और जैसे ही मेरा लिंग उसकी योनि द्वार पर पहुंचा वो एकदम से आगे हो गई। मेरा लिंग उसकी योनि को खोलता हुआ अंदर घुस गया। दोनों के मुंह से एक आह निकली और हमारे हाेंठ एक दूसरे से मिल गये। मैंने सोनल की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर खुदसे चिपका लिया। उसकी चूचियां मेरी छाती में दब गई। मैंने भी अपनी कमर को हरकत दी और दोनों के कमर के धक्कों से लिंग पूरा अंदर बाहर होने लगा। सोनल ने अपना एक पैर मेरे उपर डालकर मुझे कस लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगी। उसकी योनि की पकड़ से मैं भी आवेश में आ चुका था और हमारे धक्को की स्पीड एकाएक बढ़ गई और हम मंजिल की तरफ बढ़ चले। जल्दी ही मैंने अपना सारा रस सोनल के रस में मिला दिया और हम निढाल होकर लेट गये।
एक तो बुखार और उपर से दो दो बार सैक्स, मैं बहुत ही थक और फिर से आंखें बंद होने लगी। मेरा लिंग छोटा सा होकर योनि से निकल आया। सोनल ने मेरे होंठों पर छोटी-छोटी किस्सी की और उठकर बाथरूम में चली गई। मैं आंखें बंद किये लेटा रहा।
उठो, उठठठठो भी अब, कितना सोओगे------------- सोनल की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली। आंख खुलते ही सोनल ने मेरे होंठों पर एक किस्सी की।
चलो अब उठो और फ्रेश हो जाओ, खाना लगा रही हूं, कहते हुए सोनल रसोई में चली गई।
मैं बैठकर कुछ देर तो ऐसे ही इधर उधर देखता रहा, फिर उठकर फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया। पानी एकदम ठण्डा महसूस हो रहा था। शरीर पर पानी लगाने का मन ही नहीं कर रहा था। पूरा शरीर काफी गर्म था। मैं वापिस बाहर आया और सोनल से गर्म पानी के कहा। मैं नंगा ही था। सोनल ने ब्रा और पेंटी पहन ली थी, बाकी के कपड़े उसने भी नहीं पहने थे। वैसे तो हल्की हल्की सर्दी हो चुकी थी, पर अभी अभी किये सैक्स की वजह से सर्दी शायद उसे भी सर्दी नहीं लग रही थी। मुझे हल्की हल्की सर्दी महसूस हो रही थी। सोनल ने गैस पर पानी रख दिया गर्म होने के लिए। मैं उसके पास गया और उसके पिछे खड़े होते हुए अपने हाथ उसके पेट पर कस दिये। उसके शरीर की गर्मी मिलते ही सारी सर्दी गायब हो गई और मेरा लिंग मोर्चा संभालते हुए उसकी पैंटी के उपर से ही उसके कुल्हों की दरार में घुसने की कोशिश करने लगा। मैंने अपने होंठे सोनल की गर्दन पर रख दिये।
कब तक उसके गम में रहोगे, तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही, अपूर्वा ने अपना चेहरा पिछे करते हुए मेरे होंठों पर एक किस्सी करते हुए कहा।
हम्म्ममम, मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा कि उसका प्यार सिर्फ एक मजाक था, कहते हुए मेरी आंखों में आंसु आ गये और दिल में एक टीस सी उठी।
मेरी ही गलती थी, जो उसके प्यार को सच्चा समझकर उसे इतना चाहने लगा, काश उस शाम उसने इजहार ना किया होता तो मैं बस उसे दोस्त ही मानता रहता, कम से कम दिल तो नहीं टूटता, कहते हुए मैं सोनल की बाहों में फूट फूट कर रोने लगा।
सोनल ने मुझे कसके अपनी बाहों में भींच लिया। मुझे अपनी कमर पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ। मैंने अपने आंसु पौंछते हुए सोनल के चेहरे को सामने किया। उसकी आंखों से आंसु बह रहे थे।
तुम्हें भी कितना परेशान कर रहा हूं मैं, पर क्या करूं भूलने की इतनी कोशिश कर रहा हूं, परन्तु बार बार दिल में टिस उठती है और बस रहा नहीं जाना, अपने आप आंसु बहने लगते हैं--- सोनल के आंसु साफ करते हुए मैंने उसके चेहरे को हाथों में भरकर उसके होंठों को चूम लिया।
नहीं ऐसी बात नहीं है, पर मुझे तुम्हें ऐसे तड़पते हुए नहीं देखा जाता, कहते हुए सोनल ने मेरे सिर को अपनी छाती से चिपका लिया।
कुछ देर तक हम ऐसे ही खड़े रहे। मेरे हाथ सोनल की कमर पर थे और सोनल मेरे बालों को सहला रही थी।
पानी गर्म हो गया, अब नहा लो, फिर खाना भी खाना है, कहते हुए सोनल ने मुझे अलग किया और गैस बंद करके पानी बाल्टी में डालकर बाथरूम की तरफ चल दी।
उसके पिछे पिछे मैं भी बाथरूम में आ गया। सोनल ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे नीचे बैठाया और फिर अपनी ब्रा भी उतार दी और मेरे साथ ही बैठ गई।
मैं नहा लूंगा, मैंने उसे देखते हुए कहा।
चुपचाप बैठे रहो, मैं नहला रही हूं ना, सोनल ने आंखें निकालते हुए कहा और बाल्टी से पानी लेकर मेरे सिर पर डालने लगी।
आहहह, इसमें ठंडा तो मिला लो, मैंने कहा।
ये ठंडा ही तो है, सोनल ने गर्म पानी की बाल्टी में हाथ डालते हुए कहा।
नहीं इसमें ठण्डा मिला लो, बहुत गर्म लग रहा है, मैंने कहा।
सोनल ने ठण्डा पानी मिलाया और फिर बहुत ही प्यार से मुझे नहलाया। नहलाने के बाद हम बाहर आ गये और सोनल ने तौलिये से मेरे बदन को पौंछा और फिर ट्राउजर और टी-शर्ट पहना दी।
सोनल बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह मुझे ट्रीट कर रही थी। उसके सामने मैं खुद को छोटा बच्चा ही समझने लगा था। मुझे सोनल पर बहुत प्यार आ रहा था। वो मेरा कितना ख्याल रख्ाती है।
ये सब सोचकर मेरी आंखें नम हो गई परन्तु सोनल के देखने से पहले ही मैंने आंसु पौंछ दिये।
मैं खाना लगाती हूं, यहां आराम से बैठो, कहकर सोनल रसोई में चली गई और कुछ देर बाद एक थाली में खाना लेकर आ गई।
बेड पर बैठकर उसने अपने हाथ से मुझे खिलाना शुरू कर दिया। मैंने भी उसे अपने हाथ से खाना खिलाया।
शाम के 5 बज चुके थे, सोनल मेरे सिर को अपनी गोद में रखकर मेरे बालों से खेल रही थी, तभी नीचे की बैल बजी। सोनल उठकर नीचे चली गई। मैं भी चेयर लेकर बाहर आ गया और मुंडेर के पास चेयर डालकर बैठ गया।
कुछ देर बाद अनन्या और सोनल उपर आई।
हाये, अब तबीयत कैसी है, अनन्या ने पास आते हुए कहा।
ठीक ही लग रही है, मैंने कहते हुए हाथ को उसकी तरफ बढ़ा दिया। जो उसकी जांघों से जाकर टकरा गया। अनन्या ने एक बार सोनल की तरफ देखा, वो अंदर चली गई थी। अनन्या ने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ कर अपनी योनि से रगड़ते हुए उपर की तरफ किया और मेरी नब्ज देखने लगी। सोनल अंदर से चेयर ले आई और दोनों बैठ गई।
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