Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:32 PM,
#65
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
क्या सोच रही थी, मैंने पूछा।

सिर्फ जिस्मानी है, या फिर प्यार----- अनन्या ने कुछ देर सोचने के बाद पूछा।
पहले सिर्फ जिस्मानी था, पर अब हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, मैंने कहा।
मतलब कोई चांस नहीं बचा है अब, अनन्या ने उदास होते हुए कहा।
किस बात का चांस, मैं कुछ समझा नहीं, मैंने कन्फयूज होते हुए कहा।

अनन्या ने मेरा हाथ जो उसने पकड़ा हुआ था अपनी जांघों पर रख कर उपर से अपना हाथ रख लिया और हल्के से मेरे हाथ को सहलाने लगी।

बड़े नासमझ हो, अनन्या ने हंसते हुए कहा।
लड़कियों की बातें कभी भी मेरी समझ में नहीं आती, मैंने सिर खुजलाते हुए कहा।
मैं पट्टी को गीली करके लाती हूं, शायद फिर समझ में आ जाये, अनन्या ने मेरे सिर पर रखी पट्टी को हाथ लगाकर देखते हुए कहा और पट्टी लेकर रसोई में चली गई।
फ्रीज में बर्फ रखी है क्या, अनन्या ने रसोई में से ही पूछा।

देख लो, शायद रखी होगी, मैंने कहा।
कुछ देर में अनन्या पट्टी में बर्फ रखकर ले आई और मेेरे सिर पर रख दी। वो बेड पर मुझसे सट कर बैठ गई।
सिर्फ सोनल ही है या कोई और भी------- अनन्या ने पूछा।
मतलब, मैंने कहा।
तुम्हारा चक्कर सिर्फ सोनल से ही है या------।
अब क्या बताउं, जिस्मानी तो कईयों से रह चुका है, पर तुम यही सब क्यों पूछ रही हो।
देख रही हूं, मेरा चांस है या नहीं, अनन्या ने मुस्कराते हुए कहा।
ओह तो इस चांस की बात कर रही थी तुम, मैंने अपने हाथ को हरकत देते हुए उसकी जांघों को दबा दिया।
आहहहह,, अनन्या ने मुंह से एक मादक सिसकारी निकली।
समीर मैं जल रही हूं, मुझे हर रोज सैक्स की आदत पड़ चुकी है, और जब से यहां आई हूं तो एक बार भी नहीं किया है, अनन्या ने कहते हुए अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया।
तभी सीढ़ियों से उपर आने की आवाज आई। अनन्या थोड़ा दूर होते हुए बैठ गई।
बुखार कुछ कम हुआ क्या, सोनल ने अंदर आते हुए पूछा।
आपने बदली है पट्टी, सोनल ने सिर पर रखी पट्टी को हाथ लगाते हुए अनन्या की तरफ देख कर पूछा।
हां वो सूखी-सूखी सी हो गई थी, अनन्या ने हड़बड़ाते हुए कहा।

थैंक्स, मैं बदलना भूल गई, सोनल ने बैठते हुए कहा।
सोनल के शरीर से मादक महक उठ रही थी, शायद वो नहाकर आई थी। मैंने उसके बालों की तरफ देखा तो वो गीले थे। उसके फ्रेश नहाए शरीर से उठती मादक महक मुझे मदहोश कर रही थी। सोनल मोबाइल उठाने के लिए, जो कि मेरे दूसरी साइड में रखा था, मेरे उपर झुकी तो उसके बाल मेरे चेहरे पर आ गये। उनसे आती भीनी भीनी खूशबू ने मुझे मदहोश कर दिया। उसका हाथ दूसरी साइड में रखी चद्दर पर पड़ा और चद्दर सिल्क की थी तो चद्दर फिसल गई और साथ में उसका हाथ भी और सोनल मेरे उपर गिर गई। उसके उभार मेरी छाती में दब गये। उसके मुंह से एक आह निकली, पता नहीं मजे की थी या फिर दर्द की, पर मेरे मुंह से जरूर मजे की आह निकली थी। अगर अनन्या ना होती तो शायद कुछ हो जाना था।
सोनल जल्दी से उठी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
मैं लन्च तैयार कर देती हूं, तब तक आप बात करो, कहते हुए सोनल रसोई में चली गई।
अनन्या ने एक बार रसोई की तरफ देखा और फिर जल्दी से मेरी तरफ झुकते हुए मेरे होंठों को चूमा और उसके हाथ ने मेरी जांघों पर पहुंच कर मेरे लिंग को दबा दिया। मेरे मुंह से एक मादक आह निकली।
जल्दी से ठीक हो जाओ, फिर तुम्हें ऐसे मजे दूंगी कि याद रखोगे, कहते हुए अनन्या ने अपनी एक आंख दबा दी और उठते हुए एक बार फिर से मेरे होंठों को कसकर चूस लिया।
ओके मैं भी चलकर नाश्ता तैयार कर लेती हूं, अनन्या ने खड़ी होते हुए कहा।
अरे, मैं बना रही हूं, यहीं खा लेना, सोनल ने रसोई में से कहा।
नहीं, वो मैं आधी तैयारी करके रखी है, खामखां वो खराब हो जायेगा, अनन्या ने कहा और फिर बाये बोलकर चली गई।
जब तक सोनल ने नाश्ता तैयार किया मैं फ्रेश हो लिया। सोनल ने रोटी सब्जी ही बनाई थी। हमने नाश्ता किया।
सोनल जाकर नीचे का गेट बंद कर आई। उपर आकर उसने रूम के दरवाजे को भी कुंडी लगाकर बंद कर दिया।
आजकल पूनम दिखाई नहीं दे रही, मैंने उससे पूछा।
क्यों, हूजूर का क्या इरादा है, सोनल ने मेरे पास बैठते हुए कहा।
बस ऐसे ही पूछ रहा था, कई दिनों से दिखाई नहीं दी, मैंने कहा।
कहीं गई होगी, सोनल ने कहा और मेरे कंधे पर सिर रखकर मेरी छाती को सहलाने लगी। मैं दीवार के साथ कमर लगाकर बैठा था।
उसके खुले हुए गीले बाल मेरे गालों को छुने लगे। मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा।
मेरा प्याला बाबू, रात भर सोया नहीं, अब सो जा, कहते हुए मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और नीचे को सरकते हुए लेट गया और सोनल का अपनी छाती पर रख लिया।
सोनल मुझसे चिपक गई। उसका हाथ मेरे पेट पर सहलाने लगा। मेरा हाथ उसके बालों को संवार रहा था तो दूसरा हाथ उसकी कमर को सहला रहा था।
मेरा बुखार उतर सा गया था। बस मुझे हल्का हल्का महसूस हो रहा था। सोनल का हाथ पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे नीचे सरक रहा था। उसने मेरी टी-शर्ट को उपर करते हुए मेरे नंगे पेट पर अपना हाथ रख दिया और गुदगुदी करने लगी।

क्या है, सो जाओ आराम से, मैंने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा।
कुछ देर तक उसने हाथ को कोई हरकत नहीं दी। मैंने अपना हाथ फिर से उसके बालों में रख दिया। कुछ देर तक तो उसने कुछ नहीं किया, परन्तु फिर हल्के हल्के अपने हाथ को हरकत दी और मेरे पेट को सहलाने लगी। उसने अपनी एक उंगली मेरी नाभि में डाल दी और बाकी की उंगलियों को घोड़े की तरह चलाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगी। थोड़ा सा नीचे तक ले जाती और फिर उपर ले आती।
अचानक उसने अपना चेहरा उठाकर मेरी तरफ देखा। मैंने आंखों ही आंखों में उसके पूछा कि क्या हुआ। उसने ना में गर्दन हिला दी और फिर अपना सिर वापिस मेरी छाती पर रख लिया और वापिस पेट पर उंगलियों के घोड़े दौड़ाने लगी। उसकी हरकतों से मेरा लिंग हरकत में आने लगा था और धीरे धीरे अपनी पोजीशन ले रहा था।
मैं आंखें बंद करके उसकी हरकतों को महसूस करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ मेरी शॉर्ट से बस हल्का सा उपर रखते हुए वहां पर सहलाने लगी। उसका हाथ बार बार शॉर्ट के किनारों से टच हो रहा था। उसके इस टच में बहुत ज्यादा सेंसेशन था। मेरा लिंग पूरी तरह अपनी पोजीशन ले चुका था और शॉर्ट में एक तम्बू बन गया था।
अचानक उसने अपनी एक उंगली शॉर्ट के किनारों के साथ साथ फिरानी शुरू कर दी और ऐसे ही फिराते हुए धीरे से हल्की सी अंदर की तरफ सरका दी और फिराने लगी। शॉर्ट थोड़ी सी उपर उठ गई थी उसकी उंगली के कारण और उसकी उंगली धीरे धीरे और नीचे जाती जा रही थी। मैं बस आंखें बंद किये महसूस किये जा रहा था। जॉकी ने कुछ देर तक उसकी उंगली को बाहर ही रोके रखा, परन्तु फिर उसने बाधा को भी पार कर लिया और धीरे धीरे अपना हाथ अंदर डालते हुए मेरे लिंग के पास जाकर रूक गई। मेरे शरीर में आनंद की लहरे उठ रही थी। कुछ देर तक उसने वहीं पर अपनी उंगली को फिराया और फिर धीरे धीरे मेरे लिंग पर एक उंगली को फिराने लगी। मेरी हालत खराब होती जा रही थी, मुझसे अब रूकना मुश्किल होता जा रहा था, परन्तु फिर भी मैं खुद को कुछ भी करने से रोके हुए था। मेरा लिंग झटके खा खाकर पागल हो रहा था। बेचारे को हिलने डुलने के लिए खुली जगह नहीं मिल पा रही थी, जिससे वो पगला रहा था।
अचानक सोनल ने एकदम से लिंग को मुट्ठी में भर लिया। कुछ देर वो ऐसे ही पकड़े रही और फिर आहिस्ते आहिस्ते अपने हाथ को हरकत दी और हाथ को आगे पिछे करने लगी।
उसने अपना चेहरा उठाया और उपर करके मेरे होंठों पर अपने तपते होंठ रख दिये। बस मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने उसकी कमर को पकड़ते हुए उसे उपर की तरफ खींचा और उसकेे सिर के पिछे हाथ लगाते हुए बुरी तरह उसके होंठों को चूसने और काटने लगा। सोनल के हाथ की हरकत मेरे लिंग पर बढ़ गई और वो तेजी से हाथ को चलाने लगी।
अचानक उसने अपना हाथ बाहर निकाला और खड़ी हो गई। खड़ी होते ही उसने अपना टॉप उतार फेंका और फिर अपनी ब्रा को भी खोल कर एक तरफ फेंक दिया और फिर नीचे बैठकर मुझे बैठाया और मेरी टी-शर्ट को भी उतार कर एक तरफ फेंक दिया। वो बस बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, उसके हर एक एक्ट में बहुत ही ज्यादा उतावलापन था। उसने मेरी शॉर्ट को भी उतार दिया और फिर एकबार तो वो मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरी जांघों पर बैठने वाली थी परन्तु फिर पता नहीं क्या सोचकर वो मेरे साइड में लेट गई और मुझे अपनी बांहों में भरकर अपने तपते हुए होंठों से मेरे होंठों को जकड़ लिया। उसकी चुचियां मेरे सीने में दब गई, मेरे शरीर में एक लहर दौड़ गई और मैं अपने लिंग को उसकी योनि पर रगड़ने लगा। वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थी। मैंने अपना एक हाथ उसके नितम्बों पर रख दिया और जोर जोर से भींचने लगा। अभी कुछ देर पहले ही बुखार से तप रहा मेरा शरीर ठीक होने के बावजूद फिर से प्यार के बुखार में तपने लगा।
वो खुद को कब तक रोकती, आखिरकार वो मेरे उपर आ ही गई और अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ती हुई मेरे उपर लेट गई और अपने उरोजों को मेरी छाती में रगड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं भी अब बर्दाश्त की हद को पार कर चुका था, मैंने उसे पकड़कर नीचे करने की कोशिश की तो वो तुरंत उठ कर बैठ गई और आंखों से ना का ईशारा करते हुए वापिस मेरे होठों पर टूट पड़ी। होंठों को चूसते हुए ही अपना एक हाथ पिछे ले जाकर उसने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया और फिर मेरे जॉकी को भी नीचे सरका दिया। उसकी योनि और मेरे लिंग का मिलन आज कई दिनों बाद हुआ था, पर ऐसा लग रहा था जैसे कई वर्षाेर् के बाद हुआ हो। वो मेरे लिंग पर अपनी योनि को जोर जोर रगड़ने लगी। उसकी योनि से निकलता गर्म गर्म रस मेरी जांघों पर से गहता हुआ नीचे जाने लगा।
अचानक जैसे ही वो योनि को रगड़ते हुए उपर हुई तो कुछ ज्यादा ही उपर हो गई और जब वापिस नीचे जाने लगी तो मेरा लिंग सीधा उसकी योनि में समा गया। वो बहुत तेजी से अपनी योनि को रगड रही थी जिस कारण जब तक उसे पता चलता लिंग पूरा अंदर जा चुका था। लिंग अंदर जाते ही वो उपर को उठी और उसके और मेरे मुंह से एक मादक आह निकली।
सोनल बहुत तेजी से मेरे लिंग पर उछलने लगी। कई दिन से रूके हुए थे, इसलिए हम दोनों बहुत ज्यादा उतेजित हो गये थे। मैंने भी उसकी कमर को पकड़कर नीचे से जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। बहुत ज्यादा उतेजित होने के कारण ज्यादा देर ना मैदान में नहीं टिक पाये और मेरे लिंग ने अपना प्रेमरस उसके अंदर अर्जित कर दिया। मेरे लिंग से निकलती पिचकारियों को महसूस करते ही सोनल भी जोर से चिखते हुए अपना प्रेमरस बहाने लगी। हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में इस तरह जकड़ लिया जैसे एक दूसरे को बीच में से तोड़ना चाहते हों। जब प्यार का ये ज्वर थमा तो हमारे दोनों के शरीर ढीले पड़ गये और दोनों ही बुरी तरह से हांफ रहे थे। सोनल निढ़ाल होकर मेरे उपर ही लेट गई और मैंने उसे अपनी बांहों में भरकर आंखें बंद कर ली। मेरा लिंग अभी भी उसकी योनि में हल्के हल्के झटके खा रहा था और उसकी योनि ने अभी भी मेरी लिंग को जकड़ रखा था। उसकी योनि मेरे लिंग को एकबार हल्का सा ढीला छोड़ती, फिर तुरंत ही जकड़ लेती, मानों उसे डर हो कहीं ये भाग ना जाये।
ऐसे ही लेटे हुए हम अपनी सांसे नॉर्मल करने की कोशिश करते रहे। मुझे ज्यादा ही थकावट महसूस हो रही थी, इसलिए मुझे नींद आने लगी और जल्दी ही मैं नींद के आगोश में शमा गया।
जब आंख खुली तो सोनल साइड में मुझसे चिपक कर लेटी हुई थी। उसने हमारे उपर एक चद्दर डाल ली थी। उसका सिर मेरे कंधे पर था। मुझे उसकी गर्म सांसे अपने गालों पर महसूस हो रही थी। उसका हाथ मेरे लिंग को पकड़े हुए था जो कि सोनल के मुलायम हाथ को ही बिस्तर बनाकर आराम से सो रहा था।
मुझे बाथरूम लगा था, परन्तु मैं सोनल को उठाना नहीं चाहता था, इसलिए मैं ऐसे ही लेटा रहा और सोनल के उठने का इंतजार करता रहा।
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