RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
सुबह आंख खुली तो सिर दर्द के मारे फटा जा रहा था। दिल में भी एक टीस थी। शायद सपना भी कुछ भयानक ही था, सही तरह से याद तो नहीं आ रहा था, परन्तु जिस तरह से आंखे खुलते ही गालों पर आंसु लुढक आये थे, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
‘‘जल्दी ही दीदी की शादी कहीं और हो जायेगी’’ नींद खुलते ही ये शब्द मेरे कानों में फिर से गूंजने लगे।
मैंने थोड़ा हिलने की कोशिश की तो पाया कि सोनल पूरी तरह से मुझसे चिपकी हुई है। उसका सिर मेरी छाती पर था। उसका एक पैर मेरे पैरों पर था और उसका हाथ मुझे अपनी बांहों में जकड़े हुए था। मेरे पेट पर उसके उभार दबे हुए थे।
मेरे हिलते ही सोनल ने अपना सिर उठाया और मेरी तरफ देखा। उसकी आंखें एकदम लाल थी।
क्या हुआ तुम्हारे आंखे इतनी लाल क्यों हैं? रूंधी हुई आवाज गले से निकली और मेरा हाथ सोनल की आंखों पर पहुंच गया।
नहीं, बस ऐसे ही, सोनल ने मेरे गालों पर लुढक आये आंसु पौंछते हुए कहा।
मैंने डॉक्टर अंकल को फोन कर दिया है, वो बस आते ही होंगे, सोनल ने मेरे गाल पर एक किस करते हुए कहा।
डॉक्टर, वो किसलिए, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है, मैंने उसके माथे पर हाथ लगाकर देखते हुए कहा।
मुझे कुछ नहीं हुआ, रात से तुम्हें तेज बुखार है, सोनल ने मेरे सिर पर से कपड़ा उठाते हुए कहा।
मैंने अपने सिर पर हाथ लगाकर देखा तो बहुत ही तेज तप रहा था। सोनल कपड़ा लेकर रसोई में चली गई और उसे गीला करके ले आई। जैसे ही उसने मेरे माथे पर कपड़ा रखा, मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। बहुत ही ठण्डा था।
बर्फ में भिगोया है क्या, मैंने माथे पर रखे कपड़े को छूकर देखते हुए कहा।
बर्फ तो रात में ही खत्म हो गई, अभी और बनी नही है, बस ठण्डे पानी में ही भिगोया है, सोनल ने मेरा हाथ पकड़कर अपने सिने से सटाते हुए हाथ की उंगलियों पर एक चुम्मी दे दी।
पर मुझे तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, तुम्हारी आंखे कितनी लाल हैं, मैंने करवट बदल कर लेटते हुए दूसरा हाथ सोनल की गोद में रख दिया।
अगर सोनल जैसी दोस्त साथ हो तो आदमी किसी भी दर्द-दुख को बहुत ही आसानी से झेल सकता है, बस यही मेरे साथ हो रहा था, मुझे गम तो था अपूर्वा की बेवफाई से, परन्तु सोनल की आंखें लाल देखकर मैं अपने गम को भूल सा गया था और मुझे उसकी ही चिंता हो रही थी।
वो तो नींद सही से नहीं ले सकी, इसलिए हैं, सोनल ने मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए कहा।
मेरी आंखें छलक आई।
तुम कितनी केयर करती हो मेरी, सच अगर तुम ना होती तो पता नहीं क्या होना था, कहते हुए मैंने सोनल को अपनी बांहों में भरकर अपने उपर खिंच लिया। सोनल किसी गुड़िया की तरह मेरी बांहों में खिंचती हुई मेरे उपर आ गई। उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में भर लिया और प्यार से मेरे चेहरे को देखने लगी।
कुछ पल तक मेरे चेहरे को निहारने के बाद उसने हलका सा अपना चेहरा मेरे चेहरे की तरफ बढ़ा दिया। मैंने उसकी आंखों में देखा और अगले ही पल दोनों के लब एक दूसरे में गुम हो गये। सोनल बहुत ही प्यार से मेरे होंठों को चूम रही थी, चूस रही थी।
तभी नीचे की बैल बजी।
शायद डॉक्टर आ गया है, सोनल ने अपने लबों को मेरे लबों की जकड़न से छुड़ाते हुए कहा और फिर मेरे हाेंठों पर छोटी सी किस्सी लेकर नीचे चली गई।
रात को आपने ड्रिंक की थी, डॉक्टर ने मेरे पास बैठकर हाथ देखते हुए कहा।
जिस तरह से कल आप बेहोश हुए थे और आज फीवर है, मुझे नहीं लगता कि ऐसी स्थिति में ड्रिंक आपकी सेहत के लिए अच्छी है। वैसे बेहोशी का कोई खास कारण तो मालूम नहीं हुआ, परन्तु फिर भी ऐतिहात बरतनी चाहिए, डॉक्टर ने इंजेक्शन तैयार करते हुए कहा।
चलिये उलटे लेट जाइये, कहते हुए डॉक्टर खड़ी हो गई।
कुल्हें पर इंजेक्शन लगाते हुए मुझे डर लगता है, प्लीज हाथ पर लगा दीजिये ना, मैंने याचना करते हुए कहा।
जल्दी से उलटे हो जाइये, ये इंजेक्शन हाथ पर नहीं कुल्हे पर ही लगेगा, डॉक्टर ने कहा।
मैं मायूस होकर उलटा हो गया। डॉक्टर ने मेरी शॉर्ट को नीचे किया पर जैसे ही इंजेक्शन लगाने के लिए हाथ हटाया वो वापिस उपर हो गई।
आप इसे पकड़िये, डॉक्टर ने सोनल से कहा।
सोनल ने मेरी शॉर्ट को पकड़ते हुए आधे से ज्यादा कुल्हों से नीचे कर दिया। मैंने जोर से आंखें बंद कर ली।
ईइइइइइइइइइ, सुई महसूस होते ही मेरे मुंह से निकला।
इतने बड़े होकर भी इंजेक्शन से इतना डर, डॉक्टर की हंसी छूट गई।
सही बताउं तो मुझे बस हल्का सा पता चला था कि सुई लगी है, नहीं तो पता ही नहीं चला कि कब इंजेक्शन लगा दिया। वो तो बाद में जब रूई का फाहा रखकर डॉक्टर ने हल्का सा मसला तब पता चला कि इंजेक्शन लग चुका है।
मैं सीधा होने लगा।
अभी एक और लगाना है, मुझे सीधा होते हुए देखकर डॉक्टर ने कहा।
डॉक्टर ने एक इंजेक्शन और लगाया।
अगर कुछ खाया नहीं है तो अभी हल्का फुल्का कुछ खा लिजिए और ये दवाई हैं, कहते हुए डॉक्टर ने सोनल को दवाई समझा दी।
शाम को एकबार फिर से आ जाउंगी, और यदि तबीयत ठीक हो जाये तो मेरे क्लिनिक पर ही आ जाना, कहते हुए डॉक्टर खड़ी हो गई। सोनल डॉक्टर को नीचे तक छोड़कर आई।
अभी भी इंजेक्शन से डर लगता है, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा।
मैं दूध लेकर आ रही हूं, कहते हुए सोनल बाहर चली गई।
मैं लेटे हुए सोनल के बारे में ही सोचता रहा। अपूर्वा ने जो गम दिया था सोनल ने उसे बहुत ही कम कर दिया था। अब तो मुझे शक हो रहा था कि मैं अपूर्वा से प्यार करता भी था या नहीं। क्योंकि उसने मुझे धोखा दिया था, उसके बावजूद एक-दो दिन में ही मेरा गम हल्का हो गया था।
‘‘पता है प्यार करके क्या मिला,
अजीब रिश्ता रहा कुछ अपनों से मेरा,
ना नफरत की वजह मिली न मोहब्बत का सिला’’
मैं ऐसे ही छत की तरफ देखते हुए सोच में डूब गया था। पहले तो मैं अपने प्यार को सिर्फ दोस्ती ही समझता रहा और जब पता चला कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं, तो वो बेवफाई कर गई। बस इतने ही दिन की थी मेरे प्यार की उम्र। सोचते हुए मेरी आंखों में आंसु आ गये।
दरवाजा खुलने की आवाज ने मेरी सोच का तारतम्य तोड़ा। सोनल दूध ले आई थी। वो सीधी मेरे पास आई और मेरे गालों पर लुढक आये आसुंओ को देखकर बैचेन हो उठी। शायद वो समझ चुकी थी कि अकेले होते ही मैं विचारों में गुम होकर गम में डूब जाता हूं। उसने मेरे गालों पर अपने लब रखे और उन आंसुओं को पी गई। कुछ देर वो मेरे गालों को चूमती रही और फिर मेरे होंठों पर एक किस्सी देकर उठकर रसोई में चली गई।
अजीब कसमकस हो गई थी, सोनल के पास आते ही गम दूर हो जाता था, और सोनल के थोड़ा सा दूर होते ही कम घेर लेता था। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।
सोनल ने ब्रेड टोस्ट किए और खाने के बाद मैंने दवाई ली। तभी फिर से नीचे की बैल बजी।
अब कौन आ गया, सोनल ने उठते हुए कहा और नीचे चली गई।
हाये, अनन्या ने अंदर आते हुए कहा।
हाये, कैसी हो, मैंने कहा।
हेहेहेहे, बिमार को दूसरे की तबीयत की ज्यादा चिंता रहती है, अनन्या ने हंसते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई।
मैं तरस गई थी इस चेहरे को मुस्कराता हुआ देखने के लिए, कहते हुए सोनल मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे चेहरे को हाथों में भर लिया।
सॉरी, मैं सोनल के गालों पर चिकोटी काटते हुए फिर से मुस्करा दिया। सोनल ने मेरे माथे पर एक चुम्मी ली।
मैं फ्रेश होके आती हूं, तब तक आप दोनों बातें कीजिए, कहते हुए सोनल बाहर चली गई।
अब कैसी है तबीयत, अनन्या ने बेड पर बैठते हुए पूछा।
अभी डॉक्टर इंजेक्शन लगा कर गई है।
ओह माई गोड, तुम्हें तो बहुत तेज फीवर है, अनन्या ने मेरा हाथ चैक करते हुए कहा।
हम्ममम, मैंने बस इतना ही कहा।
इतने तेज फीवर में तुम ऐसे नोर्मल बात कैसे कर रहे हो, अनन्या ने शॉक्ड होते हुए पूछा।
वो तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा, नहीं तो मैं तो थोड़े से फीवर में ही सुध-बुध खो देता हूं।
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा, इतना तेज बुखार होने पर भी तुम नॉर्मल लग रहे हो।
सोनल रातभर ठण्डे पानी की पट्टियां रखती रही सिर पर, शायद उसी का कमाल है, मैंने कहा।
सोनल रात को------- तुम्हारे साथ थी------- तुम्हारे रूम में-------- अनन्या ने आश्चर्य से पूछा।
हां, ज्यादातर इधर ही होती है रात में, मैंने कहा।
मतलब तुम्हारे और उसके बीच में----------?????
अनन्या की बात सुनकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ, परन्तु अब तीर निकल चुका था। मैंने उसके चेहरे को धयान से देखा। वो थोड़ा सा शॉक्ड लग रही थी, परन्तु उसके चेहरे पर कुछ मुस्कराहट की रेखाएं भी दिख रही थी।
हां, मैंने बस इतना ही कहा।
मैं तो सोच रही थी कि---- कहते हुए अनन्या के चेहरे पर हल्की सी उदासी छा गई।
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