Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:32 PM,
#63
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
पता नहीं कितनी ही देर तक ये आवाज मेरे कानों को फोड़ती रही, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे दिमाग का पुर्जा पुर्जा हिल रहा हो। अब मुझे इस कमरे में पड़े पड़े घुटन महसूस हो रही थी। मैंने उठने की कोशिश की, सोनल ने सहारा देकर मुझे बैठाया, परन्तु जैसे ही मैं बैठा, मेरे आंखों के आगे फिर से अंधेरा छा गया और मैं वापिस सोनल की बाहों में झूलते हुए उसकी गोद में पहुंच गया।
तुम आराम से लेटे रहो, तुम्हें आराम की जरूरत है, सोनल ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा।
मुझे यहां घुटन हो रही है, मैं बाहर जाना चाहता हूं, मेरे मुंह से बहुत ही धीमी सी आवाज में निकला। मुझे नहीं लग रहा था कि सोनल तक मेरी आवाज पहुंची होगी, क्योंकि मुझे ही ठीक तरह से सुनाई नहीं दिया था कि मैंने क्या कहा है।
परन्तु शायद सोनल ने सुन लिया था। उसने धीरे से सहारा देकर मुझे उठाया और अपनी बाहों में भर लिया। मेरी कमर उसके सीने से चिपक गई। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने से मुझे लगा कि अब चक्कर नहीं आयेंगे तो मैं बेड से नीचे उतरने लगा। सोनल ने आराम से मुझे बेड के किनारे लाकर मेरे पैर नीचे कर दिए और खुद नीचे उतरकर मुझे सहारा देकर उठाया। उठने पर एक बार तो मुझे लगा कि फिर से चक्कर आ जायेगा, परन्तु हल्का सा चक्कर आकर मैं सम्भल गया। मैंने चप्पल पहनी और सोनल का सहारा लेते हुए बाहर आ गया।
बाहर की ठण्डी हवा ने सुकून देने की बजाय मेरे दिल की टीस को और भी बढ़ा दिया। मेरा दिमाग बुरी तरह बज रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सिर पर हथोड़ा मार रहा हो। गली में थोड़ी बहुत चहल पहल थी, मतलब रात के 9 के आस पास का टाइम हो चुका था। मतलब मैं 8 घण्टे बेहोश रहा था।

काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूं हमें रूसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरूखी जुल्म भी मंजूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझा तो दिया होता,

सोनल ने मुझे कसके अपनी बाहों में भर लिया। मैं उसके सीने पर सिर रखकर फूट फूट कर बच्चों की तरह रोने लगा। जब आंसुओं ने भी मेरा साथ छोड़ दिया तो मैं सोनल से अलग हुआ और पागलों की तरह इधर उधर देखने लगा। मेरी ये हालत देखकर सोनल तड़प उठी।
कुछ देर यूं ही पागलों की तरह इधर उधर देखते रहने के बाद अचानक ही मैं नीचे की तरफ चल दिया। सीढ़ियों से उतरते हुए मेरे पैर लड़खड़ा रहे थे। सोनल जल्दी से मेरे पिछे पिछे आई और मुझे पकड़ लिया। नीचे उतरने के बाद मैं कुछ देर तक नीचे आंगन में इधर से उधर घूमता रहा, और फिर गेट खोलकर बाहर निकल गया। मैं कहां जा रहा हूं, क्या कर रहा हूं, कुछ ख्याल नहीं रहा। पता नहीं कितनी देर तक मैं ऐसे ही बिना किसी मंजिल के भटकता रहा। कई बार मैं लड़खड़ा कर गिरने को हुआ तो ही पता चला कि सोनल मेरे साथ ही है।
जब चल चलकर थक गया तो एक दुकान के सामने की पौड़ी पर बैठ गया। आंखों से आंसु कभी सूख जाते थे और कभी फिर बहने लग जाते थे।
‘वो तो बस तुम्हारे मजे लेने के लिए एक नाटक था’ ‘जल्दी ही दीदी की शादी कहीं और हो जायेगी’ दिमाग में दोनों बातें हथोड़े की तरह लग लगातार लग रही थी।
यहां पर कैसे बैठे हो इतनी रात को, सामने से आवाज आई।
मैंने उधर देखा तो एक पुलिस वाला मेरी तरफ ही चला आ रहा था। मैं पागलों की तरह उसी की तरफ देखने लगा।
पुलिस वाला मेरे पास आकर एकबार तो ठिठका और फिर मेरे पास बैठ गया।
क्या हुआ भाई, इतनी रात को यहां ऐसे अकेले, वो भी इस हालत में, उसने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

मत पूछो मेरे दिल का हाल, आपके भी दिल बिखर जायेंगे,
सुनाना नहीं चाहते हम ये दर्द किसी को, ये सुनके तो तन्हाई के भी आंसु निकल जायेंगे,


हम भी बने हैं शायर होके इश्क में नाकाम, हमने भी किया है नाम होके इश्क में बदनाम,
प्यार में उनके हमें दो नियामतें मिली, एक हाथ में कलम है और दूजें में जाम----- कहते हुए उसने मेरे सामने दारू की बोतल कर दी।

मैं थोड़ी देर तो उसकी तरफ देखता रहा, और फिर उसके हाथ से बोतल लेकर अपने होंठों से लगा दी।
अरे भाई, खोल तो लो, बगैर खोले ही खाली करोगे क्या, उसने हंसते हुए कहा और मेरे हाथ से बोतल लेकर उसे खोलकर वापिस मुझे पकड़ा दी।
मैंने होंठों से लगाई, जैसे ही एक घूंट मुंह में गई, मैंने उसे गटका और उसकी तरफ बोतल बढ़ा दी।
मैं तो अभी ड्यूटी पर हूं भाई, घर जाकर पीयूंगा, तुम पीओ, उसने कहा।

मैंने फिर से बोतल होंठों से लगाई और एक ही सांस में कितने घूंट अंदर उतर गये पता नहीं। काफी देर तक मैं वहां उस पुलिस वाले के साथ बैठा रहा। शराब के नशे ने गम को कुछ कम कर दिया था। मैंने उससे अपना दर्द और उसने अपना दर्द मुझसे शेयर किया। वो भी किसी के इश्क में ठोकर खा चुका था, बस फरक इतना था कि उसे अभी भी आशा थी, जबकि मेरी आशा पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।
अच्छा भाई अब मैं अपनी ड्यूटी संभालता हूं, कहते हुए वो उठ खडा हुआ और शराब की बोतल को बंद करके वापिस अपनी शर्ट के नीचे छुपा लिया और चौराहे की तरफ बढ़ गया।
मैं भी खड़ा हुआ, परन्तु जैसे ही खड़ा हुआ लड़खड़ा कर वापिस बैठ गया। थोड़ी देर बाद मैं फिर से खड़ा हुआ, और लड़खड़ता हुआ घर की तरफ चल दिया। जब चलते हुए काफी देर हो गई और घर नहीं आया तो रूककर इधर उधर देखा। परन्तु कुछ समझ में नहीं आया कि मैं कहां पर हूं। मैं पागलों की तरह इधर उधर देखता रहा, परन्तु समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कहां पहुंच गया हूं।
तभी मुझे एक लडकी अपनी तरफ आती हुई दिखाई दी, मैंने उसे आवाज देकर अपने पास बुलाया।
मैडम जी, मैं अपने घर का रस्ता भूल गया हूं, वो आज पहली बार कुछ ज्यादा ही पी ली, तो पता नहीं चल रहा किधर जाना है, किधर नहीं, क्या आप बता सकती हैं, लड़खड़ाती आवाज में मैंने कहा।
चलिये, उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे साथ साथ चल पड़ी।
2 मिनट में ही मैं अपने घर पहुंच गया।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आप नहीं आती तो पता नहीं मैं कब तक भटकता रहता ऐसे ही, मैंने गेट खोलते हुए लड़खड़ाती आवाज में कहा।
जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, मुझे उसकी आंखों में आंसु दिखाई दिए।
अरे, अरे, आप रो क्यों रही हैं, अच्छा लगता है आपका भी किसी ने मेरी तरह दिल तोड़ा है, मैंने उसके आंसु पौंछते हुए कहा।
रोईये मत, देखिये मैं भी नहीं रो रहा, रोने से कुछ नहीं होने वाला, उसे इन आंसुओ से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, मेरी आवाज बुरी तरह लड़खड़ा रही थी।

मोहब्बत यहां बिकती है, इश्क निलाम होता है, भरोसे का कत्ल यहां खुले आम होता है,
जमाने से ठोकर मिली तो चले हम मैखाने में, और जमाना हमें शराबी का नाम सरे आम देता है,

इसलिए आंसु पौंछिए और जाम छलकाईये, मैं उंची आवाज में कहा।
चलिये आपको उपर तक छोड़ देती हूं, उस लडकी ने अपने आंसु पौंछते हुए कहा और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ चल दी।
अरे, आप क्यों कष्ट कर रही हैं, मैं चला जाउंगा, आपको अपने घर भी तो जाना होगा।
परन्तु उसने मेरी बात पर धयान नहीं दिया और मेरा हाथ पकड़कर सहारा देते हुए उपर ले आई।
उपर आकरह मैं सीधा रूम में आया और बेड पर गिर गया। तभी किसी ने मेरे पैरों से चप्पत निकाली और मेरे पैरों को उपर करके बेड पर अच्छी तरह लेटा दिया।
सॉरी, वो थोड़ा दूर तक चला गया था घूमने के लिए, देर हो गई, मैंने आंखें बंद करते हुए बड़बड़ाते हुए कहा।
कोई बात नहीं, तुम आ गये हो, अब आराम से सो जाओ, सोनल ने कहा और दरवाजा बंद करके लाइफ ऑफ करके नाइट लैम्प ऑन कर दिया और बेड पर मेरे पास आकर लेट गई। उसने मेरी तरफ करवट करके मेरे सिर को अपने हाथ पर रख दिया और अपने होंठ मेरे गालों से सटा दिये। उसका दूसरा हाथ मेरी छाती को सहला रहा था।

ऐसे ही लेटे लेटे जल्दी ही मैं नींद के आगोश में समा गया।



(जिन दोस्तों को समझ में नहीं आया हो कि वो लड़की कौन थी, जो मुझे घर पर छोड़ गई, तो उनको बताना चाहूंगा कि वो सोनल ही थी, समीर ज्यादा पीने के कारण उसे पहचान नहीं पा रहा था)

दोस्तों अब यहां से एक दर्द भरे सैक्सी सफर की शुरूआत होती है, जो पता नहीं कहां जाकर रूकेगी। बस आपके साथ की उम्मीद है।
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:32 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,465,028 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,369 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,497 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,717 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,632,459 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,823 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,922,038 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,961,216 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,994,748 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,454 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)