Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:20 PM,
#59
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--59
गतांक से आगे ...........
सुबह जब आंख खुली तो सिर में हल्का हल्का दर्द महसूस हो रहा था। मैं सीधा होकर लेट गया और खाली-खाली आंखों से छत की तरफ देखता रहा। पता नहीं कितनी ही देर ऐसे ही पड़ा रहा। अपूर्वा के साथ बिताये पल बार बार याद आ रहे थे और बार बार आंखों से आंसुओं की एक-दो बूंद गाल पर से होती हुई नीचे लुढक रही थी।अपूर्वा के साथ बिताये पल याद करके कभी तो चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती परन्तु अगले ही पल वो गायब भी हो जाती। ऐसे ही लेटे लेटे पता नहीं कितना टाइम निकल गया।
हाय,,,, आज ऑफिस नहीं गए।
आवाज सुनकर मैंने दरवाजे की तरफ देखा, अनन्या थी। मैंने टाइम देखा तो 12 बजने वाले था। मैं एकदम से खड़ा हुआ।
श्श्शिााट्,,,, आज तो लेट हो गया।
लेट हो गये, आधा दिन निकल चुका है, अनन्या ने हंसते हुए कहा।
हे, चेहरे पर ये उदासी क्यों छाई हुई है,,, अनन्या ने मेरे पास आकर मेरे चेहरे को पकड़ते हुए कहा।
हम्मम,,, नहीं तो ऐसा तो कुछ नहीं है, शायद देर तक सोता रहा इसलिए ऐसा लग रहा है, मैंने थोड़ा मुस्कराने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा।
तुम बैठो मैं अभी नहा-धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो जाता हूं, कहते हुए मैं उसे बेड पर बैठा कर बाथरूम में घुस गया।
श्श्शिााट्,, नहाने के बाद धयान आया कि कपड़े तो लाया ही नहीं। अब बाहर अनन्या बैठी होगी। ये तो बड़ी किरकिरी हो गई। पर अब क्या किया जा सकता था। मैं टॉवेल लपेटा और हल्का सा दरवाजा खोलकर देखा, अनन्या दिखाई नहीं दी। मैंने बाहर आकर देखा, तो अनन्या रूम में नहीं थी। शायद चली गई होगी बोर होकर, मैंने सोचा और टॉवल खोल कर सिर पूंछने लगा और फिर टॉवल को पास में रखी चेयर पर रख दिया और अलमारी से कपड़े निकालने लगा।
तभी दरवाजा खुला। मैंने दरवाजे की तरफ देखो तो अनन्या दरवाजे पर खड़ी हुई मुझे देख रही थी। मैं सिर्फ जॉकी में खडा था। मैंने जल्दी से टॉवल उठाकर लपेट लिया।
हेहेहेहेहेहे,,,, तुम तो लड़कियों की तरह शर्मा रहे हो, कहते हुए अनन्या अंदर आकर बेड पर बैठ गई और मुझे देखने लगी।
नाइस बॉडी,,, अनन्या ने अपने हाथ पर कंधे से नीचे हाथ मारते हुए कहा।
हम्मम, मैंने कहा और कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया।
तैयार होकर मैं बाहर आया।
चलें, मैंने बेड पर से बाइक की चाबी उठाते हुए कहा।
अनन्या मेरे चेहरे को घूरने लगी।
ओह,,, मैंने पूछा ही नहीं, आप किसी काम से तो नहीं आई,,, मैंने अपने सिर में हाथ मारते हुए कहा।
नहीं, बस वो आपकी बाईक नीचे खड़ी देखी तो सोचा कि आप यहीं पर होंगे, घर पर बोर हो रही थी, इसलिए मिलने आ गई।
ओह,,, आज कॉलेज नहीं गई।
आज छुट्टी थी, अनन्या ने उठते हुए कहा।
हम्मम,,, शाम को मिलते हैं, अभी तो जल्दी से निकलना पड़ेगा,, कहते हुए मैं बाहर की तरफ चल पड़ा।
अनन्या भी मेरे पिछे पिछे बाहर आ गई। मैंने रूम को लॉक किया और हम दोनों नीचे आ गये।

ऑफिस पहुंचकर मैंने बाइक पार्क की और अंदर आ गया।
रामया और मनीषा ने ज्वाइंन कर लिया था।
गुड आफटरनून सर,,, मुझे देख कर मनीषा ने कहा।
उसकी आवाज सुनकर रामया ने भी गुड आफटरनून किया।
गुड आफटरनून,,, और हां मैं कोई सर-वर नहीं हूं, तुम्हारी तरह काम करता हूं यहां,, मैंने कहा और अंदर बॉस के केबिन की तरफ चल दियां
अंदर आकर बॉस को गुड आफटरनून कहा।
आज तो खूब लेट आये हो, बॉस ने टाइम देखते हुए कहा।
वो तबीयत कुछ खराब सी थी, मैंने कहा।
अब कैसी है, बॉस ने पूछा।
कुछ ठीक है।
ये लो, इसको समझ लो, कुछ प्रॉब्लम आये तो मुझसे पूछ लेना, बॉस ने एक फाइल मुझे देते हुए कहा।
फाइल लेकर मैं बाहर आ गया और अपनी डेस्क पर आकर बैठ गया।
क्या हुआ, चेहरा इतना उदासी से भरा हुआ क्यों है, सुमित ने मेरी तरफ घूमते हुए पूछा।
बस तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है, मैंने कहा और फाइल खोलकर देखने लगा।
पूरे दिन ऐसे ही फाइल को उलट-पुलट कर देखता रहा पर कुछ भी समझ में नहीं आया। दिमाग में तो बस अपूर्वा ही घूम रही थी। बार बार आंखें नम हो जाती थी।
अभी इधर ही हो, बॉस की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं डेस्क पर सिर रखकर सो गया।
उंहहहहह,,,, आंख लग गई थी शायद,,, मैंने आंखें मलते हुए कहा।
मुझे सुमित और मनीषा औ रामया दिखाई नहीं दी। मैंने टाइम देखा तो 6 बजने वाले थे।
तबीयत तो ठीक है ना, बॉस ने मेरा हाथ चैक करते हुए कहा।
हां,,, तबीयत तो ठीक ही लग रही है, मैंने कहा।
दवाई ले लेना जाकर, कहीं ज्यादा खराब ना हो जाये, बॉस ने कहा और बाहर की तरफ चल पड़े।
मैंने फाइल ड्रावर में रखी और सिस्टम बंद करके बाहर आ गया। बाइक लेकर घर की तरफ चल दिया।
जो शहर कभी अपना-सा लगता था, मस्ती करते हुए जिन रास्तों से मैं गुजरता था, आज वो सब पराये से लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं इस शहर में पहली बार आया हूं।
घर पहुंच कर बाइक खड़ी की और उपर आ गया।
उपर आकर देखा तो सोनल मुडेर के सहारे खड़ी हुई थी। उसे देखकर मैं इतना हैरान हो गया कि सीढ़ियों की आखिरी पौढ़ी पर ही खड़ा रह गया।
सोनल को शायद मेरे आने की आहट हो गई थी। वो मेरी तरफ पलटी और एक बार मुस्कराई परन्तु अगले ही पल उसके चेहरे पर कुछ टेंशन के भाव आ गये। वो मेरे पास और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी।
हे, क्या हुआ बेबी, इतने उदास क्यों हो।
तुमने तो मुझे चौंका ही दिया, मैंने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए कहा।
सच कहूं तो वो जबरदस्ती लाई गई मुस्कराहट नहीं थी। सोनल को देखकर दिल को कुछ सुकून मिला था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी अनजानी जगह पर भटकते हुए कोई अपना मिल गया है।
पर तुम इतने उदास क्यों हो बेबी, क्या हुआ।
नहीं कुछ नहीं, शायद तबीयत खराब है, मैंने कहा।
सोनल ने मुझे बाहों में भर लिया। उसकी बांहों में जाते ही मैं टूट गया और मेरी आंखाें से आंसु, जो कल से रूक रूक कर आंखों को नम कर रहे थे, बहनें लगे।
सोनल की बाहों में बहुत ही सुकून महसूस हो रहा था। मैंने अपनी बांहें उसकी कमर पर लपेट दी। सोनल ने अलग होना चाहा, परन्तु मैंने उसे ऐसे ही अपनी बांहों में जकड़े रखा।

अब अंदर भी चलो, यहां कब तक खड़े रहोगे,,, सोनल ने धीरे से मेरे कान में कहा।
हूं, मैंने कहा और अपने आंसु पौंछ लिए और सोनल से अलग हुआ।
हे हे हे,,, तुम्हें जुकाम हो गया है,,, देखो कैसे नाक में से पानी बह रहा है, सोनल ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
हम्मम, मैंने जेब में से हैंकी निकाल कर नाक साफ की।
हे, तुम रो क्यों रहे हो, क्या हुआ बेबी,,, सोनल ने मेरे गालों पर अपने हाथ रखते हुए कहा।
नहीं तो, मैं क्यों रोउंगा, मैंने थोड़ा सम्भलते हुए कहा परन्तु मेरे गले ने मेरा साथ नहीं दिया और आवाज भर्रा गई।
लाओ चाबी दो रूम की,,, सोनल ने मेरा हाथ पकड़ा और दरवाजे की तरफ मुझे खींचते हुए कहा।
लॉक खोलकर वो मुझे खींचते हुए अंदर ले आई।
अंदर आकर उसने मुझे बेड पर बैठा दिया और मेरे चेहरे को अपने हाथों के बीच लेकर मेरी आंखों में देखने लगी।
सोनल ने मेरे माथे को चूमा और बेड पर बैठते हुए मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर लिया। मैं खुद को सम्भाल न सका और फिर से मेरी आंखों से आंसु बहने लगे।
सोनल ने मुझे कसके बाहों में भर लिया और मेरे चेहरे को अपनी छाती में छुपा लिया। वो शायद समझ चुकी थी कि कुछ बड़ी गड़बड़ है।
काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही बाहों में भरे हुए बैठे रही और मेरे बालों को सहलाती रही। जब मैं कुछ नोर्मल हुआ तो मैंने की बाहों से निकला।
अलग होेते ही उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और मेरी आंखों में देखने लगी।
ये,,, ये,,, तुम्हारी आंखों में इतना सुनापन क्यों है, क्या हुआ, मुझे बताओ,,,, सोनल के चेहरे पर शिकन आ चुकी थी।
उसकी बात सुनकर फिर से मेरे आंसु बहने लगे और सोनल ने फिर से मुझे अपनी बाहों में छुपा लिया।
पता नहीं कितनी देर वो मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मेरे बालों को सहलाती रही। शायद ये शाम और फिर रात ऐसे ही गुजर जाती, अगर अनन्या ना आती तो।
ओहहहह,, सॉरी,, शायद मैं गलत वक्त पर आ गई,,, अनन्या ने अंदर आते ही कहा और वापिस मुडने लगी।
नहीं, आप आइये,,, वक्त कभी गलत नहीं होता, सोनल ने उसे रोकते हुए कहा।
अनन्या की आवाज सुनकर मैं अपने आंसु पौंछता हुआ सोनल से अलग हुआ।
हाय,,,, मैंने अनन्या की तरफ देखकर उससे कहा।
वो तो वहीं खड़े हुए आंखें फाड़ें मुझे देखे जा रही थी।
क्या हुआ, तुम,,, तुम,,, रो क्यों रहे हो, अनन्या ने हमारी तरफ आते हुए कहा।
जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो सोनल की तरफ देखने लगी।
पता नहीं, कुछ बता ही नहीं रहे,,, सोनल ने उसका आशय समझते हुए कहा।
मैं दिन में आई थी तब भी बहुत उदास-उदास लग रहे थे, मुझे कुछ गड़बड़ तो लग रही थी, पर फिर इन्होंने कहा कि देर तक सोता रहा इसलिए है,,, अनन्या ने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
12 बजे उठे थे, सुबह,,, वो भी मैं आ गई थी, नहीं तो पता नहीं पूरे दिन कमरे में ही बंद रहते,,, अनन्या ने कहा।
सोनल उसकी तरफ प्रश्न की मुद्रा में देख रही थी।
ओहह,, मैं अनन्या,,, सामने वाले घर में रहती हूं, रेंट पर।
ओहहह,,, मैं सोनल, सोनल ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
सोनल का एक हाथ अभी भी मेरी कमर सहला रहा था।
बेबी, बताओ ना क्या हुआ, देखों मैं बहुत परेशान हो गई हूं,,,, सोनल ने मेरे गाल को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए मेरी तरफ देखते हुए कहा।
ओ माई गोड,,,,, आपका टॉप तो पूरा भीग गया है, क्या ये इनके आंसुओं से भीगा है,,,, अनन्या ने सोनल के टॉप की तरफ इशारा करते हुए आश्चर्य से कहा।
सोनल ने अनन्या की तरफ घूर कर देखा, तो अनन्या चुप हो गई। सोनल ने अनन्या को जाने का इशारा किया।
मैं बाद में आती हूं, सुबह,,, बाये समीर,, बाये सोनल,,,, अनन्या ने हमारी तरफ वेव करते हुए कहा।
बाय,,, मैंने भर्राई हुई आवाज में कहा।
अनन्या चली गई। अनन्या के जाते ही सोनल बेड से उठी और मेरे सामने आकर घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे चेहरे को अपने हाथों में भर लिया।
बेबी, मुझे बताओ क्या हुआ था, कुछ बताओगे नहीं तो कैसे हल निकलेगा,,, सोनल ने मेरे बालों को संवारते हुए बहुत ही प्यार से कहा।
शायद मेरे आंसु ही खत्म हो चुके थे, नहीं तो इतने प्यार भरे शब्दों पर तो खुशी में भी आंसु छलक आयें।
मैं आंखों में सुनापन लिए सोनल को देखता रहा और फिर अचानक ही खड़ा हुआ, सोनल भी खड़ी हो गई और मैंने सोनल को कसके बांहों में भर लिया।
सोनल का एक हाथ मेरी कमर में पहुंच गया और एक हाथ कमर से होता हुआ मेरे सिर को सहारा दे रहा था।
कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में समाए रहे। सोनल का हाथ लगातार मेरे बालों में चल रहा था।
बेबी, कोई बात नहीं, अभी नहीं बताना, कोई बात नहीं, कहते हुए सोनल ने मुझे खुद से अलग किया और बेड पर बैठा दिया। उसने मेरे शूज उतारकर साइड में रख दिये। फिर वो किचन में चली गई।
मैं ऐसे ही बेड पर बैठे हुए उसे देखता रहा। कल से लेकर अब तक जिस दुख को मैंने अपने अंदर दबा रखा था, सोनल के सम्भालने से वो रूक रूक कर पिघल कर बाहर आ रहा था।
लो पानी पीओ, सोनल ने पानी का गिलास मेरे मुंह के सामने करते हुए कहा।
मैंने गिलास को पकड़ा, परन्तु सोनल ने मेरे हाथ पर हल्का सा मारा और मेरा हाथ दूर हटा दिया। उसने गिलास को मेरे होंठों से लगा दिया। मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पानी पीया।
मैं अभी आई, कहकर वो पानी का गिलास रसोई में रखकर बाहर चली गई।
कुछ देर बाद वो आई और मेरे पैर पकडकर उपर बैठ पर कर दिये और फिर खुद बैड पर चढकर दीवार के सहारे कमर लगाकर अपने पैर फैला कर बैठ गई और मुझे अपनी गोद में गिरा लिया। मेरा सिर अपनी गोद में लेकर वो मेरे गालों और बालों को सहलाती रही। मैं आंखें बंद करके सिमट कर उसकी गोद में लेट गया। काफी देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे।
आज अगर सोनल नहीं आई होती तो शायद धीरे धीरे मैं टूट कर बिखर गया होता। सोनल ने मुझे एक बच्चे की तरह संभाल लिया था। मैं सोनल जैसी दोस्त पाकर खुद पर गर्व महसूस कर रहा था।
बेबी, भूख लगी होगी ना,,, सोनल ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा।
शायद गम ऐसी ही चीज होती है, जो भूख प्यास सब भूला देती है। मुझे धयान आया कि कल शाम से मैंने कुछ नहीं खाया है, और ये धयान आते ही जोरों की भूख महसूस हुई।
मैंने अपना सिर उठाकर सोनल की तरफ देखा, वो बहुत ही प्यार से मुझे ही देख रही थी। मैंने अपना सिर हां में हिला दिया।
कुछ देर तक वो ऐसे ही मुझे अपनी गोद में समाये रही।
ओके,,, आज बाहर खाकर आते हैं, सोनल ने कहा।
हम्मम,,, मैंने कहा और उठकर बैठ गया।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:20 PM

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