RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--58
गतांक से आगे ...........
मैं उसका नाम याद करने की कोशिश करते हुए उसकी तरफ देखे जा रहा था। अचानक उसकी नजर मुझपर पड़ी और मुझे खुदको ही घूरते हुए पाकर वो मुस्करा दी। मैं भी मुस्करा दिया।
हाये,,, उसने मुंडेर के पास आकर खड़ी होकर कहा।
हाये,,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कई दिन से दिखे नहीं आप, उसने कहा।
ओहहह,,, घर चला गया था, मैंने कहा।
हम यहां पर नये आये हैं, किसी को जानते नहीं हैं, तो बोर हो जाती हूं पूरे दिन घर पर ही,,,, उसने कहा।
बाहर घूमने चले जाया करिये,,, फिर बोर नहीं होंगी।
अकेली जाकर क्या करूंगी, कोई साथ में जाने वाला तो हाेना ही चाहिए।
आपके साथ वो है ना, मैंने कहा।
कौन, उसने मेरी तरफ आश्चर्य से देखते हुए कहा।
वो लड़का था ना, कुछ दिन पहले देखा था, कया नाम था उसका, हां अभि,,, मैंने कहा।
अरे वो,,, वो तो मुझे छोउ़ने के लिए आया था, पापा के दोस्त का लड़का था, उसने कहा।
आपकी हिंदी काफी अच्छी है, मैंने कहा।
हां, मम्मी इंडियन है तो इसलिए, उसने कहा।
काफी देर हम बातें करते रहे। जब नींद आने लगी तो मैं अंदर आकर सो गया।
ऐसे ही कई दिन गुजर गये। मैं हर रोज ऑफिस जाते समय और ऑफिस से आते समय अपूर्वा के घर पर जाता था, परन्तु अभी तक वो वापिस नहीं आये थे।
इसी बीच अनन्या से बातें होती रही और अब हम एक दूसरे से काफी खुल गये थे और एक बार अनन्या मेरे रूम पर भी आई थी। आंटी कुछ दिन के लिए अपने भाई के घर चली गई थी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।
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तुम जैसे लड़कों की फितरत मैं अच्छी तरह से समझता हूं,,, ऐसा लगा था जैसे किसी ने सिर पर बहुत जोर से हथौड़ा मार दिया हो।
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आज मंगलवार था। सुबह जल्दी उठने की आदत सी हो गई थी कुछ दिनों से, इसलिए मैं अब हर रोज पार्क में टहलने जाने लगा था। आज भी हर दिन की तरह मैं सुबह पार्क में घूमने चला गया। मोनी आज भी दिखाई नहीं दी। पार्क से आकर मैं नाश्ते की तैयारी करने लगा। अभी मैं नाश्ता बना ही रहा था कि अनन्या रूम पा आ गई। अकेला पड़ने से मैं परेशान तो रहता था ही, इसलिए अनन्या को देखकर हल्की सी खुशी हुई। पिछले कुछ दिनों से हमारी दोस्ती गहराती जा रही थी। अभी कुछ दिन पहले ही उससे पहली बार मेरी बात हुई थी, परन्तु इन कुछ दिनों में ही हम काफी करीब आ गये थे। इन चंद दिनों में ही हमारे बीच फॉर्मेलटी जैसी चीज खत्म हो चुकी थी।
उसने मेरे साथ मिलकर नाश्ता तैयार करवाया। फिर कुछ देर तक हम बातें करते रहे।
उसे कॉलेज जाना था तो कुछ देर बाद वो चली गई। मैं भी नहा-धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। नाश्ता करके मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा। जैसा कि हर दिन का रूटिन हो गया था, पहले मैं अपूर्वा के घर पर गया, अभी भी वहां पर ताला ही लगा हुआ था। निराश होकर मैं ऑफिस के लिए निकल गया। बाइक पार्क करते वक्त मुझे सुमित की बाइक दिखाई दी।
मन में कुछ खुशी हुई कि आज पूरा दिन अकेले बोर नहीं होना पड़ेगा। अंदर आकर देखा, सुमित काम कर रहा था। बॉस अपने केबिन में ही थे। मैं धीरे से सुमित के पास गया, जिससे उसे पता ना चले।
कैसा है बे, ले आया मजे गोवा के,,, मैंने सुमित के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
सुमित एकदम से चौका पर फिर मुझे देखकर मुस्करा दिया।
ठीक हूं यार, रात को ही आया हूं, सफर की थकान महसूस हो रही है, सुमित ने मेरे से हाथ मिलाते हुए कहा।
तो तेरे पास पहलवान भेजे थे किसी ने, जो आज ही उठा लाये, आज आराम करता, कल आता मजे से,,, मैंने कहा।
चल अब आ गया है तो चुपचाप काम कर,,, मैंने कहा और बॉस के केबिन की तरफ चल दिया।
गुड मॉर्निग बॉस, मैंने केबिन में आते हुए कहा।
गुड मॉनिंग, बॉस ने अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा।
टाइम से आया हूं बॉस, लेट नहीं हूं, मैंने कहा।
हम्मम,,,,, मैं अभी एक मीटिंग के लिए निकल रहा हूं, कोई इंटरव्यू के लिए आये तो उसका इंटरव्यू ले लेना,,, बॉस ने कहा।
मैं,,,, मैंने आश्चर्य से कहा।
और क्या मैं,,,,, बॉस ने कहा।
मैं कैसे इंटरव्यू लूंगा,,, मुझे खुद इंटरव्यू देते हुए तो डर लगता है, दूसरों का इंटरव्यू लूंगा,,, मैंने कहा।
ठीक है उनका रिज्यूम देख लेना,,, कोई ढंग का हो तो बैठा लेना, मैं 2-3 घण्टें में आ जाउंगा।
ठीक है बॉस, मैंने कहा।
मैं बाहर आकर अपना सिस्टम चालू किया और काम करने लगा। कुछ देर बाद बॉस चले गये।
12 बजे के आसपास दो लड़कियां इंटरव्यू देने के लिए। मैंने उनका रिज्यूम देखा, मेरे से तो बहुत ही ज्यादा बेहतर था। मैंने उनको इंतजार करने के लिए कहा और पियोन को चाय के लिए कह दिया।
वो एंट्री के पास रखे वेटिंग सोफों पर बैठ गई। पियोन चाय लेकर आया। चाय पीते हुए मैंने उन लड़कियों पर नजर डाली। एक का रंग थोड़ा सांवला था, परन्तु नयन-नक्श बहुत ही तीखे। फॉर्मल ड्रेस में बाकी के शरीर का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल था, परन्तु मस्त फिगर ही लग रहा था।
दूसरी लड़की एकदम गोरी-चिटी थी, रूप भी बहुत ही आकर्षक था और सबसे ज्यादा अटरेक्टिव उसकी नोज रिंग थी, छोटी सी रिंग उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना रही थी।
रिज्यूम में एक का नाम मनीषा था और दूसरी का नाम रामया। मैंने दोनों के रिज्यूम एक साथ ले लिए थे, इसलिए ये मालूम नहीं हो सका कि कौनसी का नाम मनीषा है और कौनसी का नाम रामया।
चाय पीते हुए समीर से गपशप भी होती रही और मैं उन लड़कियों को ताड़ता भी रहा। उनकी नजर मुझपर पड़ती तो मैं स्माईल कर देता। वो भी मुस्करा देती।
चाय पीकर मैं अपना काम करने लग गया। थोड़ी देर बाद बॉस आ गये। मैंने उन लड़कियों के बारे में बताया, बॉस ने उन्हें अपने केबिन में बुला लिया।
काफी लम्बे इंटरव्यू के बाद जब वो बाहर आई तो उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि जैसे बात बन गई हो।
पांच बजे हम घर के लिए निकल पड़े। हर रोज की तरह मैं अपूर्वा के घर पहुंचा। वहां पहुंचकर मेरी खुशी का ठीकाना ना रहा। मेन गेट का लॉक खुला हुआ था। बाईक खडी करके मैंने बैल बजाई। कुछ देर इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया तो मैं दोबारा बैल बजाने ही वाला था कि मुझे किसी के आने की आवाज आई। दरवाजा अंकल ने खोला।
मैंने अंकल के पैर छुए। अंकल ने मेरे सिर पर हाथ रखा।
हां कहो कैसे आना हुआ, मेरे सीधा खड़े होते ही अंकल ने पूछा।
मुझे हैरानी तो हुई, परन्तु खुशी इतनी ज्यादा थी कि इस बात पर कोई खास धयान नहीं दिया।
घर से आया तो यहां पर कोई मिला ही नहीं, अपूर्वा का फोन भी नहीं मिल रहा था, मैंने कहा।
तो,,, अंकल ने कहा।
अंकल के इस रूखे से जवाब ने मुझे चिंता में डाल दिया। अंकल गेट में खड़े रहे। मुझे आश्चर्य तो हो रहा था, पर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
अंकल वो अपूर्वा से----- मैंने कहा और अंकल के चेहरे की तरफ देखने लगा।
हां बोलो, क्या काम है, अंकल ने वैसे ही बेरूखी से कहा।
मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। परन्तु फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत करके कह ही दिया।
अंकल बहुत दिन हो गये, अपूर्वा से बात भी नहीं हुई, मैं उससे मिलना चाहता हूं, कहकर मैं थोड़ा आगे बढ़ा, ताकि अंकल साइड में होकर अंदर आने का रास्ता दें।
ओह तो ये बात है, आओ अंदर आओ,,, अंदर बात करते हैं,,, कहते हुए अंकल अंदर की तरफ चल दिए।
उनके गेट से हटते ही मैं भी अंदर आ गया।
बैठो, अंकल ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैं बहुत ही बैचेन हो उठा था, अंकल की ये बेरूखी उनकी पहले वाले व्यवहार से बहुत ही अलग थी। दिल जोर जोर से धड़क रहा था। पता नहीं क्या बात है जो अंकल इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं।
अंकल अंदर गये और कुछ देर बाद मेरे पास आकर बैठ गये।
तो कहिये, क्या कह रहे थे आप, अंकल ने मेरे सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा।
जी वो अपूर्वा ऑफिस भी नहीं आ रही, सब ठीक तो है, बैचेनी में मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या कहूं।
हां, सब ठीक-ठाक है, पर उसने नौकरी छोड़ दी है।
मैं तो पहले ही उसके नौकरी करने के खिलाफ था, पर उसकी जिद्द थी तो, अंकल ने थोड़ा रूककर कहा।
वो उपर ही है क्या, मैं मिल लेता हूं, मैं अपनी बैचेनी को रोक नहीं पा रहा था।
एक मिनट, कहीं उस दिन वाली बातों को तुमने सीरियस तो नहीं ले लिया,,, अंकल ने कहा।
जी मैं कुछ समझा नहीं, आप क्या कहना चाहते हैं, मेरे चेहरे से बैचेनी और हैरानी शायद साफ साफ झलक रही होगी।
देखिए बर्खुदार, कहते हुए अंकल खडे हो गए और बाहर की तरफ मुंह कर लिया।
उस दिन जो भी हमने कहा था, तुम्हारे और अपूर्वा के बारे में, तुम्हारी शादी के बारे में, वो बस ऐसे ही कहा था।
अंकल, ये आप क्या कह रहे हो, मैं हैरानी से खडा हो गया।
तुम्हारे जैसे लड़कों की फितरत मैं अच्छी तरह से समझता हूं, अंकल ने कहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे सिर पर बहुत जोर से हथौड़ा मार दिया हो।
किसी अमीर बाप की इकलौती बेटी को अपने प्यार के जाल में फंसाओ और अमीर बन जाओ,,, अंकल ने मेरी तरफ घूमते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं अंदर तक हिल गया। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुछ दिन पहले इतने प्यार से मेरी और अपूर्वा की शादी की बात की जा रही थी और आज इस तरह की बात की जा रही हैं।
ये आप कैसी बात कर रहे हैं अंकल, ऐसा कुछ नहीं है, कहते हुए मेरी आवाज भर्रा गई।
मैं सब समझता हूं बर्खुदार, दुनिया देखी है मैंने।
अंकल आप ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैं अपूर्वा से प्यार करता हूं, अभी तक हैरत से फटी हुई मेरी आंखे नम हो चुकी थी।
अपूर्वा भी मुझसे प्यार करती है, आप अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकते।
भोली-भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाना तुम जैसो को अच्छी तरह आता है, अंकल ने कहा।
आप अपूर्वा को बुलाइये ना, वो आपको बता देगी कि मैं ऐसा लड़का नहीं हूं,,, मेरी नजर अब बार बार उपर अपूर्वा के रूम की तरफ जा रही थी।
वो अब तुमसे नहीं मिलना चाहती, उसे सब समझ आ गया है कि तुम उससे प्यार-व्यार नहीं करते, उसकी दौलत से प्यार करते हो,,,, अंकल ने कहा।
अब आप जाइये, मुझे आपसे ज्यादा बहस नहीं करनी,,, अंकल ने कहा।
आप मेरा यकीन कीजिए अंकल, आप एक बार अपूर्वा को बुला लीजिए, मेरे पैर कांपने लगे थे और अब खड़ा रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था।
आंखों से आंसु लुढकने लगे थे और दिल बैठता जा रहा था।
मैंने कहा ना आपसे कि मुझे आपसे ज्यादा बहस नहीं करनी, अब आप आराम से चले जाइये, नहीं तो मुझे जबरदस्ती निकालना पडेगा,,, अंकल ने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मेरा दिमाग एकदम सुन्न सा पड़ता जा रहा था। एकदम से सबकुछ लुटता हुआ नजर आ रहा था।
मैं अपूर्वा से बात किये बिना नहीं जाउंगा, कहते हुए मैं उपर की तरफ चल दिया।
वहां कहां जा रहे हो, वो घर पर नहीं है, अंकल ने चिल्लाते हुए कहा।
कहां पर अपूर्वा, आप उसे बुला क्यों नहीं रहे, मैं उसके मुंह से सुनना चाहता हूं कि उसने भी मुझे ऐसा समझ लिया है जैसा आप समझ रहे हैं, मैं उसके मुंह से सुनना चाहता हूं कि वो मुझसे प्यार नहीं करती,, मैंने लड़खड़ाती आवाज में कहा।
तुम्हारे समझ में नहीं आ रहा मैं क्या कह रहा हूं, अंकल ने कहा।
गार्ड,, अंकल ने आवाज लगाई।
एक गार्ड अंदर आया। अंकल ने उसे मुझे बाहर निकालने को कहा। गार्ड ने मुझे पकड़कर बाहर निकाल दिया।
मैं अपूर्वा से मिलना चाहता था, इसलिए बाहर ही बैठ गया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे शरीर में से जान निकाल ली हो। मैं काफी देर तक वहीं अपनी बाईक पर बैठा रहा। परन्तु कोई भी बाहर नहीं आया। रात को जब घर की सारी लाइट्स बंद हो गई और कोई उम्मीद नहीं रही तो मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।
इस सब ने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट-सा गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
बैचेन मुझे लेटे हुए भी नहीं रहने दे रही थी। कुछ देर बाद मैं उठा और अपूर्वा का नम्बर मिलाया। कॉल जाते ही मेरे दिल में एक खुशी की लहर दौड़ गई। परन्तु अगले ही पल निराशा ने वापिस घेर लिया। पूरी घण्टी जाने पर भी किसी ने फोन नहीं उठाया।
मैं वापिस से लेट गया और तकिये में मुंह छुपा लिया। एक दर्द, एक टीस मुझे चैन नहीं पड़ने दे रही थी। कई बार अपूर्वा का फोन मिलाया, परन्तु किसी ने भी नहीं उठाया।
ऐसे ही कब आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला।
क्रमशः.....................
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