RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--57
गतांक से आगे ...........
अंदर आकर मैंने फोन अंकल को दे दिया। कुछ देर अंकल ने उससे बातें की। फिर मम्मी पापा से बातें होती रहीं।
लगभग पांच बजे वो लोग चले गये।
आदमी तो अच्छे हैं,,, उन्हें छोड़कर आने के बाद मम्मी ने अंदर आते हुए कहा।
हम्मम,,,, पापा ने कहा।
मैं आकर बेड पर लेट गया।
कैसी लगी लड़की तुझे,,, मम्मी ने मेरे पास बैठते हुए कहा और छूटकू के पास से फोटो ले लिया, जिसे वो अभी भी देख रहा था।
मिलने के बाद बताउंगा, मैंने कहा।
मुझे नींद आ रही थी, तो मैं लेट गया। तभी सोनू आ गया और हम खेतों में घूमने चल दिये। 7 बजे हम वापिस आये। बॉस को फोन करके बता दिया कि अभी एक-दो दिन नहीं आउंगा। काफी थक गया था मैं इसलिए आते ही लेट गया और कब आंख लग गई पता ही नहीं चला।
9 बजे मम्मी ने उठाया। खाना खाकर मैं कुछ देर छत पर टहलता रहा। सोनल को फोन किया पर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। कुछ देर टराई करने के बाद मैंने अपूर्वा को फोन मिलाया, पर उसका फोन भी नहीं मिल रहा था। काफी देर परेशान होता रहा, पर जब नहीं मिला तो आकर सो गया।
अगले दिन सुबह 7 बजे आंख खुली। मैं ऐसे ही बेड पर लेटा रहा। तभी मेरा मोबाइल बजा।
सोनल का फोन था। हम बहुत देर तक बात करते रहे। वो आज हैदराबाद के लिए जा रही थी। शाम को दिल्ली से उसकी टरेन थी। उससे बात करके मैं घूमने फिरने चला गया और वापिस आकर नहा धोकर फ्रेश हो गया।
मम्मी ने नाश्ता लगा दिया। नाश्ता करके मैं दोस्तों से मिलने चला गया। 2 बजे के आसपास वापिस आया। लंच दोस्तों ने ही करवा दिया था। घर आकर मैं लेट गया। पापा शहर गये हुए थे। छूटकू और मम्मी से बातें होती रही।
मैं सोनल के बारे में सोचता रहा। आज वो चली जायेगी, फिर पता नहीं कब मिलेंगे।
मैंने आज ही वापिस जाने का प्लान बना लिया। मम्मी बहुत नाराज हुई। पापा को फोन करके बताया तो पापा भी नाराज हुए पर मैंने किसी तरह दोनों को मनाया।
सोनल की टरेन चलने से आधे घंटे पहले ही मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच पाया। मैंने सोनल को फोन मिलाया। वो टरेन में बैठ चुकी थी। टरेन 9 बजे की थी।
जब मैंने सोनल को बताया कि मैं स्टेशन पर ही हूं, तो फोन पर उसकी आवाज में झलक रही खुशी अलग ही पता चल रही थी।
मैं प्लेटफॉर्म पर आया। सोनल बाहर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। पास आते ही वो मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसे बाहों में भर लिया।
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी, सोनल ने ऐसे ही गले लगे हुए कहा।
मैं भी तुम्हें बहुत मिस करूंगा, मैंने धीरे से उसके कान में कहा।
हम अलग हुए। उसकी आंखे नम थी।
हे, क्या हुआ, मैंने उसके चेहरे को हाथों में भरते हुए कहा।
कुछ नहीं, बस खुशी से आंखे नम हो गई, सोनल ने अपनी आंखों की नमी को अपने रूमाल से साफ करते हुए कहा।
बहुत ही प्यारी लग रही हो तुम सलवार सूट में, मैंने कहा।
सोनल ने इधर उधर देखा और फिर मेरा हाथ पकड़कर टरेन में ले गई। फर्स्ट ए-सी- में रिजर्वेशन था। अंदर आते ही मुझे सर्दी लगने लगी। हम उसकी बर्थ पर आकर बैठ गये। उसके सामने वाली बर्थ पर एक दूसरी लड़की थी। उपर वाली बर्थ पर दो आंटी थी।
हम बैठे बैठे बातें करते रहे। टरेन चलने की उदघोषणा होने पर मैं बाये कहकर बाहर आने के लिए चल दिया।
मैं टरेन से नीचे आने ही वाला था कि सोनल ने पिछे से मुझे पकड़ लिया। वो पिछे से मुझसे लिपट गई थी।
हे, क्या हुआ, मैंने उसे पकड़कर सामने किया। सामने आते ही उसने मेरे चेहरे को पकड़ा, और मेरी आंखों में देखा और फिर मेरे लबों पर अपने लब रख दिये।
वो बहुत ही प्यार से मेरे होंठों का रस पी रही थी। मेरे हाथ उसके सिर पर चले गये और हम किस्सस में गहरे उतर गये। तभी टरेन का हॉर्न सुनाई दिया। मैंने उसे खुद से अलग किया।
तुम्हारी बहुत याद आयेगी, उसने अपनी सांसे नोर्मल करते हुए कहा।
मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आयेगी, मैंने उसकी आंखों में आये आंसुओं को पौंछते हुए कहा।
टरेन धीरे धीरे चलने लगी थी। मैं सोनल के माथे पर किस करके नीचे उतर गया। सोनल दरवाजे में खड़ी होकर मुझे देख कर हाथ हिलाती रही। मैं वहीं खड़ा उसकी तरफ हाथ हिलाता रहा।
टरेन जाने पर मैं बाहर आया। दस बजने वाले थे। मतलब टरेन काफी लेट चली थी।
मैटरो से मैं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन आया, क्योंकि टूरिस्ट बस वहीं से चलती है। आकर मैंने टिकट ली। बस आने में अभी टाइम था तो मैं घूमने के लिए चांदनी चौक की तरफ आ गया। अभी मैं ऐसे ही घूम रहा था कि मुझे निशा दिखाई दी। उसके साथ एक लड़का भी था। उस लड़का का हाथ निशा की कमर में था और निशा उससे चिपक कर चल रही थी। निशा का सिर उसके कंधे पर टिका था।
उसे देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। इतनी बड़ी टेंशन जा सॉल्व हो गई थी। मैंने तुरंत अपने कैमरे से उनकी एक फोटो ली। मैं मुडने ही वाला था कि निशा कि नजर मुझ पर पड़ गई। वो एकदम से सकपका गई और उस लड़के से दूर हो गई।
उसने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मैं इस तरह सामने आ जाउंगा।
वैसे तो मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, पर अब जब दोनों की नजरें मिल ही चुकी थीं, तो मैं उसके पास आया।
हाय, मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
वो लड़का मुझे घूर घूर कर देख रहा था।
हाय, निशा ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया। उसका चेहरा उतर गया था।
आप यहां पर कैसे, मैंने पूछा।
कोई हमारा भी इंटरोडक्शन करवा दो, लड़के ने निशा की तरफ देखते हुए कहा।
हाय, मैं समीर, आपको शुभ नाम, मैंने लड़के की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
मैं आनंद, लड़के ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया, परन्तु उसकी नजर निशा को देख रही थी और उसके चेहरे पर थोड़ी असमंझस दिख रही थी।
आपसे मिलकर अच्छा लगा, मिस्टर आनंद, मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा।
मैं चलता हूं, आपको डिस्टर्ब कर दिया, मैंने निशा की तरफ देखते हुए कहा।
प्लीज, निशा के मुंह से इतना ही निकला।
क्या हुआ, बोलिए, मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
निशा ने उस लड़के की तरफ देखा, उनके बीच आंखों से कुछ इशारे हुए।
ओह, मुझे पास में ही कुछ काम है, अभी आता हूं दस मिनट में, तब तक आप दोनों बातें कीजिए, आनंद ने कहा और चला गया।
कहीं बैठते हैं, मैंने आनंद के जाते ही निशा से कहा।
जी,, निशा ने इतना ही कहा।
हम एक रेस्टोरेंट में आ गये।
मैंने कॉफी ऑर्डर की।
आप कुछ कह रही थी, मैंने कहा।
निशा की आंखों में आंसु आ गये।
हे, क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो, मैंने उसके आंसु पौंछते हुए कहा।
मुझे माफ कर दीजिए, कहकर निशा रोने लगी।
हे, देखो पहले रोना बंद करो, मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेते हुए कहा।
तभी वेटर कॉफी ले आया। वो कॉफी रखकर चला गया।
लो कॉफी पीओ, फिर बात करते हैं, मैंने एक कप उसे देते हुए कहा।
उसने अपने आंसु पौंछे और कप लेकर कॉफी पीने लगी।
उससे प्यार करती हो तुम,,, मैंने कॉफी पीते हुए कहा।
नहीं, हम बस दोस्त हैं, उसने कहा।
देखकर लगता तो नहीं, मैंने कहा।
निशा प्रश्नवाचक नजरों से मेरी तरफ देखने लगी।
जिस तरह से तुम उससे चिपककर चल रही थी, उसे देखकर, मैंने कहा।
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
देखो, अभी हमारा रिश्ता कुछ भी नहीं है, और यहां से पिछे हटना बहुत ही आसान है, मैंने कहा।
प्लीज, ऐसा मत कहिए, निशा ने कहा।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस कॉफी पीते हुए उसे देखता रहा।
(अब मुझे तो इस रिश्ते को खत्म ही करना था, तो इससे अच्छा मौका तो कोई हो ही नहीं सकता था)
देखो, तुम अपने मम्मी पापा से मेरे बारे में कुछ भी कहकर शादी से मना कर देना, मुझे कोई एतराज नहीं है, मैंने कॉफी खत्म करके कप को टेबल पर रखते हुए कहा।
निशा मुझे देखती रही।
मेरी बस का समय हो रहा है, मैं चलता हूं, आप आनंद जी को फोन कर दीजिए, मैंने कहा।
वेटर बिल ले आया। मैंने बिल पे किया और उठ गया।
निशा के चेहरे पर बहुत ही उदासी दिखाई दे रही थी। उसकी आंखें नम थी।
(मुझे बहुत बुरा लग रहा था, परन्तु इस रिश्ते से छूटकारा तो पाना ही था)
देखिये ज्यादा निराश होने की आवश्यकता नहीं है, आप बहुत खूबसूरत हैं, और आपको बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम लड़के मिल जायेंगे, या फिर आनंद से आप प्यार करती हों, मैंने कहा।
ओके मैं निकलता हूं, कहकर मैं बाहर की तरफ चल दिया। निशा भी मेरे साथ साथ बाहर आ गई।
आप आनंद जी को फोन कर दीजिए वो आ जायेंगे, अकेले रहना ठीक नहीं है, मैंने कहा।
उसने आनंद को फोन कर दिया। कुछ ही देर में मुझे वो आता हुआ दिखाई दिया।
मैं निशा को बाय बोलकर चल दिया। मैंने रिक्शा पकड़ा और टूरिस्ट ऑफिस आ गया। बस लग चुकी थी। मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गया।
कुछ ही देर में बस चल पडी। मैं लेटकर निशा के बारे में सोचता रहा, और सोचते सोचते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला।
सुबह कंडेक्टर की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली। बस छोटी चौपड़ पर पहुंच चुकी थी। मैं नारायणसिंह सर्किल पर उतरा और ऑटो पकड़कर रूम पर आ गया।
7 बज चुके थे। आते ही मैंने अपूर्वा को फोन किया, पर उसका फोन नहीं मिला। तैयार होकर मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा।
मैम बाहर ही मिल गई। मैंने गुड मॉर्निग की। ओर ऑफिस में आ गया।
अपूर्वा नहीं आई थी। पर अभी थोड़ा टाइम था, पौने नौ ही हुए थे। मैंने अपना सिस्टम स्टार्ट किया और काम करने लगा।
कुछ देर बाद मैम चाय लेकर आई, मैंने टाइम देखा, 11 बजने वाले थे। अपूर्वा नहीं आई थी।
कैसे हो समीर, कल नहीं आये, मैम ने चाय टेबल पर रखते हुए कहा।
घर गया हुआ था मैम, मैंने कहा।
मैं कोमल के बारे में भी जानना चाहता था, पर मैम से पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
हम्म, कोमल भी आज सुबह ही गई है, मैम ने चेयर सरका कर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा नहीं आई, मैंने मैम से पूछा।
वो बाहर गई है कहीं, चार-पांच दिन की छूट्टी पर है, मैम ने बताया।
सुनकर मैं उदास हो गया। उसका मोबाइल भी नहीं मिल रहा था।
चाय पीने के बाद मैम कप लेकर चली गई। तीन बजे के आसपास बॉस आये। सी-स्कीम वो ऑफिस का काम पूरा हो गया था, तो ऑफिस को उधर शिफट करना था।
शाम तक सिस्टम्स को ऑफिस में शिफट कर लिया। मैंने सभी एम्प्लोईज को फोन करके अगले दिन ऑफिस आने के लिए सूचित कर दिया।
दो ने कहीं और नौकरी पकड़ ली थी। सुमित अभी गोवा से वापिस नहीं आया था। मैंने उसे जल्दी वापिस आने को कह दिया।
ऑफिस से निकलते निकलते छः बज गये थे। मैं सीधा अपूर्वा के घर पहुंचा, परन्तु वहां पर कोई नहीं मिला। निराश होकर घर आ गया। एकदम से बहुत ही खालीपन महसूस हो रहा था। कुछ दिन पहले की ही बात है जब पहली बार सोनल के साथ मेरा रिश्ता जुड़ा था और उसके बाद तो जैसे सारी खुशियां मुझे ही दे दी गई थी, परन्तु अब एकदम से वो सारी खुशियां छिन गई हों ऐसा महसूस हो रहा था।
मैं बेड पर औंधा लेटा था, चेहरा तकिये में छुपा हुआ था। ऐसे ही लेटे लेटे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
सुबह 5 बजे वाला अलार्म बजने पर आंख खुली। अलार्म बंद करके मैं ऐसे ही लेटा रहा। मुझे फिर से नींद आने लगी थी कि तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। उठाकर देखा तो नया नम्बर था।
मैंने कॉल पिक की।
हैल्लो, मैंने उंघते हुए कहा।
हैल्लो, सो रहे हो अभी तक, उधर से आवाज आई।
हूं,, बस अभी उठा ही हूं, मैंने कहा।
पहचान तो लिया ना, उधर से आवाज आई।
हम्मम, शायद, याद करने दो ये आवाज,,, मैंने कहा।
ओहहह सिसट्,,, मम्मी आ गई, मैं रख रही हूं, बाद में करती हूं, उधर से आवाज आई और फोन कट गया।
सही तरह से तो नहीं पहचाना पाया, पर शायद कोमल थी।
मैं उठा और बाहर चेयर लेकर बैठ गया। सामने की छत पर वो विदेशी लड़की टहल रही थी। मैंने उससे जान-पहचान बढाने की सोची और उठकर मुंडेर का सहारा लेकर खड़ा हो गया। बीच में बस गली थी, तो वो ज्यादा दूर नहीं थी, इसलिए बातें करने में कोई ज्यादा प्रॉब्लम नहीं होने वाली थी।
क्या नाम था उसका,,, हम्मम,, नाम याद नहीं आ रहा,,, ये बड़ी प्रॉब्लम है मेरे साथ,,, नाम बड़ी जल्दी भूल जाता हूं, मैंने मन ही मन सोचा, पर उसका नाम याद ही नहीं आया।
क्रमशः.....................
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