RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--56
गतांक से आगे ...........
शादी समय तो उनका शरीर एकदम कर्वी था, परन्तु अब थोड़ी चर्बी चढ़ गई थी और थोउ़ा सा पेट भी निकल आया था। भाभी अपने शरीर पर ज्यादा धयान नहीं देती हैं तो उनकी त्वचा थोड़ी सांवली सी भी पड़ गई है, नहीं तो वो शादी के वक्त बहुत ही गोरी थी, एकदम दूध जैसी। मेरा उनके साथ कभी ज्यादा मामला नहीं बढ़ा और ना ही मैंने कभी उन्हें बुरी नजर से देखा, बस थोउ़ी बहुत छेड़छाड़ जो देवर भाभी में होती है, वहीं तक सीमित थे हम।
क्यों, जयपुर में मेरे देवर की पसंद की एक भी लड़की नहीं है, भाभी ने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखते हुए कहा।
मैंने सोनू की तरफ देखा, वो वहां पर नहीं था, मैंने इधर उधर देखा पर कहीं नहीं दिखाई दिया।
कया देख रहे हो, किसी कि टैंशन नहीं है यहां पर, भाभी ने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा।
सोनू को देख रहा था, पता भी नहीं चला कब चला गया, मैंने कहा।
वो तो तेरे भाई के जाने के बाद ही चला गया था, भाभी ने कहा।
हम्म,, मैंने कहा।
तो बताया नहीं तुने, जयपुर में कोई भी लडकी पसंद नहीं आई क्या, भाभी ने कहा।
हमारा दिल तो आपके पास है, तो कोई और कैसे पसंद आयेगी, मैंने भी भाभी से मजाक करते हुए कहा।
अच्छा जी, मुझे तो कहीं नहीं मिला यहां पर, ऐसा कहां पर रखकर गये थे, भाभी ने मुस्कराते हुए कहा।
मैंने तो आपको ही दिया था, अब आपने कहां पर रखा है मुझे क्या पता, मैंने भाभी की चूचियों पर कोहनी से दबाव देते हुए कहा।
बदमाश, मेरे को कब दिया था, मुझे तो बताया भी नहीं कि दिल छोउ़कर जा रहा हूं, नहीं तो एकदम संभाल कर रखती, भाभी ने मेरी जांघों को जोर से सहलाते हुए कहा।
भाभी के मखमली शरीर का एहसास और उपर से उनका मेरी जांघों को यूं सहलाना, मेरा लिंग तो कबका चौक्कना हो चुका था।
ये लो, एक ही तो दिल था मेरे पास, और उसको भी पता नहीं कहां गुमा दिया आपने, अब दूसरा दिल कहां से लाउं, किसी को देने के लिए, मैंने कहा।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया और दबाते हुए कहने लगी, ‘देख कहीं ये तो नहीं है’।
हम्मम, अब ऐसे थोड़े ही पता चलेगा, वो तो अच्छी तरह से चैक करने के बाद ही पता चलेगा।
वो अच्छी तरह से कैसे चैक करते हैं मेरे देवर राजा, भाभी ने मेरे गाल को खिंचते हुए कहा।
तभी छूटकू ने आजकर बताया कि रिश्ते वाले आ गये हैं। मैंने उठते हुए भाभी की जांघों को जोर से पकड़कर भींच दिया, भाभी की आह निकल गई।
ओके भाभी, आता हूं शाम को, फिर ढूंढूंगा अपना दिल, कहते हुए मैं बाहर निकल गया।
घर आकर देखा सामने बरामदे में सोफे पर चार लोग बैठे थे, एक आंटी, शायद वो लडकी की मां थी, उनके साथ ही एक अंकल यानि के लड़की के पिता ओर एक लड़का बैठा था, शायद लड़की का भाई हो। दूसरे सोफे पर पापा जी बैठे उनसे बातें कर रहे थे।
मैंने जाकर अंकल आंटी के पैर छूए। उस लड़के से मैंने हाथ मिलाया।
ये है मेरा लड़का समीर, पापा ने कहा। मैं भी पापा के साथ सोफे पर बैठ गया।
तभी मम्मी चाय और मिठाई ले आई। मैंने टेबल लाकर बीच में रखी। सबने चाय ली और पीने लगे।
चाय पीते हुए इधर उधर की बातें होती रही। कुछ देर बाद मम्मी भी वहीं आकर बैठ गई। सोनू और छूटकू बेड पर बैठे थे।
मैंने उन्हें अपनी पढ़ाई और नौकरी के बारे में बताया तो उनकी नाक-भौंहे कुछ सिकुड़ी। अंकल और उनके बेटे पर तो ज्यादा कुछ असर नहीं हुआ, परन्तु आंटी ने बुरा सा चेहरा बना लिया।
अब मैंने सही सही बता दिया है, आगे आपको देखना है, मैंने कहा।
मुझे पूरा यकीन था कि मेरी पढ़ाई की बात जानकर ये शादी की बात नहीं करेंगे। परन्तु अगले ही पल मेरा यकीन चकनाचूर हो गया।
लड़का अच्छा होना चाहिए, पढ़ा लिखा से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, अंकल ने कहा।
अब लड़का पढ़ा लिखा हो, और नौकरी भी बढ़िया लगा हुआ हो, पर लड़की को परेशान रखे तो उसका क्या फायदा है, अंकल ने थोड़ा सोचते हुए फिर कहा।
मुझे मेरा प्लान फेल होता नजर आया तो मैं अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा। अब सीधा तो मना कर नहीं सकता था, तो कुछ तो बात बनानी थी। इसलिए मैं आगे के स्टैप्स सोचने लगा कि कैसे पिछा छुड़ाना है।
काफी देर तक बातें होती रही, बीच बीच में हंसी के ठहाके भी लगते रहे, पर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि कैसे मना करूं।
मम्मी उठकर वापिस रसोई में चली गई थी।
अब तक हुई बातों से मुझे ये तो पता चल ही गया था कि वो चण्डीगढ़ के रहने वाले हैं और इनकी एक ही लड़की है, निशा। जो सॉफ्रटवेयर इंजीनियर है और अभी नोएडा में एचसीएल में जॉब करती है। 20 लाख का पैकेज लेती है। जो साथ में लडका आया था, प्रवीण,, वो उसका ममेरा भाई है। लड़की अंकल-आंटी की इकलौती संतान है। अंकल का प्रोपर्टी का बिजनेस है।
मतलब काफी मालदार पार्टी है, मैंने मन ही मन सोचा। एकबार तो मेरे मन में आया कि पूछूं कि फोटो वगैरह तो लायें ही होंगे, पर फिर मैं चुप ही रह गया।
जिस तरह से वो लड़की की तारीफ कर रहे थे मेरे मन में कुछ लड्डू फूट रहे थे। पर जैसा कि नोएडा में सॉफ्रटवेयर इंजीनियर है और अकेली रहती है तो मन में तरह तरह की शंकाएं भी उठ रही थी।
पर मुझे कौनसा उससे शादी करनी है, अपूर्वा से शादी करनी है मुझे तो, फिर क्यों खामखां इतना सोच रहा हूं उस लड़की के बारे में, मैंने मन में उठ रही शंकाओं को दबाते हुए कहा।
तभी मम्मी ने कहा कि खाना लगा दिया है, खा लिजिए।
हम खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गये। मैंने सभी को खाना लगाया और रसोई से गरम गरम रोटियां लाकर देने लगा। खाना खाकर सभी बाहर आकर बैठ गये।
मैं प्रवीण से बातें करने लगा और मम्मी पापा, अंकल-आंटी से। मैं और प्रवीण बेड पर बैठे थे। जबकि मम्मी-पापा और अंकल-आंटी, सोफे पर।
मैं और छूटकू प्रवीण से बातें करते रहे, और मम्मी-पापा अंकल आंटी से।
तभी पापा ने मुझे एक फोटो पकड़ाते हुए कहा, ‘ले भाई देख ले, अर बता दे के करना है’।
मैंने फोटो देखी, लडकी बहुत ही सुंदर और सैक्सी थी। फुल साइज फोटो था, पटियाला सलवार और कुर्ती में बहुत ही गजब की लग रही थी। एकबार तो मैं फोटो देखने में ही खो गया।
मेरे को भी दिखा भाभी की फोटो, छूटकू ने फोटो मेरे हाथ से लेते हुए कहा।
क्या लग रही है यार, एकदम पटाका है, फोटो देखकर मेरा मन मचलने लगा। परन्तु अगले ही पल अपूर्वा का धयान आते ही मैंने खुद को झटका।
बात ये फाइनल हुई कि मैं पहले लड़की से मिलूंगा, फिर कुछ आगे बताउंगा।
मैं चाह तो रहा था कि मना कर दूं, और सच सच बता दूं, पर कैसे बताउं ये समझ में नहीं आ रहा था।
अभी मैं विचारों में ही गुम था कि अंकल की आवाज सुनकर मेरे विचारों का ताना-बाना टूटा।
लो बेटा, निशा है, बात करलो और डिसाइड कर लो, कैसे, कब, कहां मिलोगे, कहते हुए अंकल ने फोन मुझे पकड़ा दिया।
मेरा प्लान तो पूरी तरह से फ्रलॉप हो गया था, मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी पढ़ाई की बात जानकर भ्ाी ये इस रिश्ते के लिए तैयार हो जायेंगे। इसीलिए मैंने ज्यादा कुछ सोचा नहीं था कि कैसे मना करना है। और अब तुरंत की तुरंत समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या कहूं।
मैंने फोन लिया।
हैल्लो, मैंने कहा।
निशा: हैल्लो, कौन बोल रहा है?
समीर बोल रहा हूं।
ओह, हाय, सॉरी, मैंने सोचा कोई और नहीं हो,,, निशा की आवाज में थोड़ी हकलाहट थी।
हेहेहेहेहेहे,,,,, जब मेरे से बात करने के लिए फोन दिया है तो कोई और कैसे होगा,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
क्या हुआ, हो क्या, कुछ पल तक दूसरी तरफ से कोई आवाज न आने पर मैंने पूछा।
मैं उठकर बाहर आ गया, ताकि आराम से बात कर सकूं।
हम्ममम, कुछ नहीं, आप बोलिये कुछ, निशा की आवाज आई।
कैसी हो।
ठीक हूं, आप कैसे हो,,, निशा ने पूछा।
मैं तो मजे में हूं, एकदम से,,, और सुनाओ क्या कर रही थी।
टी-वी- देख रही थी कि आपका फोन आ गया,,, निशा ने कहा।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बात करूं,, पर बात आगे तो बढ़ानी थी, इसलिए मैंने सीधे ही कह दिया।
आपकी शादी की बात हो रही है मुझसे,,, मैंने कहा।
हां,,, पता है, वो पापा ने बताया।
तो आपको कैसा लड़का पसंद है,,, मैंने पूछा।
जैसा मम्मी-पापा को पसंद है, निशा ने कहा।
तुम्हारे मम्मी-पापा ने तो मुझे पसंद किया है, मैंने कहा।
हूं,,,, उधर से आवाज आई।
और मैं तो बहुत ही बुरी शक्ल का हूं, और साथ में एकदम काला भी हूं, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
कया,,,, नहीं,,, नहीं,,,, ऐसा नहीं हो सकता,,,, मम्मी-पापा मेरे लिए ऐसा लड़का नहीं देखेंगे,,,,।
अब ये तो देख चुके हैं, और शादी की बात को आगे भी बढ़ा रहे हैं, मैंने कहा।
अगर मम्मी-पापा ने आपको पसंद किया है तो आप बुरी शक्ल के हो ही नहीं सकते, निशा ने कहा।
क्यों नहीं हो सकता,,,, मेरी शक्ल तो इतनी बुरी है कि मैं किसी लड़की की तरफ नोर्मली भी देखूं तो वो नाक-भौंह सिकोडने लगती है, मैंने कहा।
हे भगवान, ये मम्मी-पापा को क्या हो गया, ऐसा लड़का मेरे लिए कैसे ढूंढ लिया,,,, उसकी आवाज में थोड़ी निराशा सी झलक रही थी।
अब मुझे उसे छेड़ने में मजा आने लगा था।
सोच लो, कोई मेरी शक्ल देखना भी पसंद नहीं करता, और फिर तुम्हें तो पूरी जिंदगी देखनी पड़ेगी,,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
नहीं, नहीं, मैं तुमसे बिल्कुल भी शादी नहीं करूंगी,,,,, मैं मना कर दूंगी,,,,, मैंने तो सोचा था कि मम्मी-पापा मेरे लिए सोहना सा लड़का देखेंगे, इसलिए मैंने सब कुछ उनपर छोड़ दिया था, पर मुझे क्या पता था कि वो मेरे साथ ऐसा करेंगे,,,,, निशा ने कहा।
हेहेहेहेहेहेहहेहे,,,, बहुत बुरा किया है तुम्हारे साथ, अब तो कुछ हो भी नहीं सकता,,, मैंने कहा।
क्यों, क्यों,, कुछ नहीं हो सकता, निशा ने घबराते हुए पूछा।
अब तो बात पक्की भी हो गई, और सगाई का मुहूर्त भी निकाल लिया है,,, मैंने मस्का लगाते हुए कहा।
नहीं नहीं,,, ऐसा नहीं हो सकता,,,, मैं लूट जाउंगी,,, बरबाद हो जाउंगी,,,, मैं ये शादी नहीं कर सकती,,,, निशा ने कहा।
प्लीज आप मना कर दो ना,,,,, प्लीज प्लीज,,,, मैंने बहुत हंसीन सपने देखे हैं अपनी मैरीड लाइफ के,,,, प्लीज आप मना कर दो, कि आपको मैं पसंद नहीं हूं,,,, निशा ने कहा।
ये लो, मैं क्यों मना कर दूं, और फिर मुझे तो तुम बहुत पसंद हो,,,,, इतनी सुंदर लड़की मिलेगी, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था, फिर मैं क्यूं मना करूं,,, मैंने हंसते हुए कहा।
नहीं प्लीज,,,,,, ऐसा मत करना,,, प्लीज,,, निशा ने कहा।
चलो ठीक है, आप मम्मी से बात करवा दो मेरी,,, मैं खुद ही मना कर दूंगी,,, निशा ने कहा।
ठीक है, करवाता हूं,, कहते हुए मैं अंदर आ गया और आंटी को बात करने के लिए कहा।
हैल्लो,,, हां बेटा,, क्या हुआ,,, पर क्यों, क्या हुआ,,,,,, पर बताओ तो क्या हुआ,,,,,,।
आंटी की बातें सुनकर अंकल के चेहरे पर भी थोड़े असमंझस के भाव आ गये।
पागल,,,, मजाक कर रहा था तुम्हारे साथ,,,, इतना सोहना तो है,,,, कहकर आंटी हसंने लगी।
काश मैं उसके पास होता उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देखने के लिए तो कितना मजा आता।
आंटी ने एकबार मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी।
नहीं बेटा,,,,, बहुत सोहना है, तू डर मत,,,,, हम तेरे लिए अच्छा ही लड़का ढूंढेंगे ना,,,, आंटी ने कहा।
अच्छा ठीक है, रूक,,,, मैं करती हूं,,, कहते हुए आंटी ने फोन काट दिया।
क्या हुआ,,,,, अंकल ने पूछा।
बताती हूं, रूको,,, आंटी ने कहा और फिर से नम्बर डायल करने लगी।
हां, लो बात करो, आंटी ने उधर से फोन उठने पर कहा, फोन स्पीकर पर था।
लो बेटा, बात करो, आंटी ने फोन मेरी तरफ करते हुए कहा।
ओह माई गोड, फोन की स्करीन पर देखते ही मेरे मुंह से निकला।
अबकी बार आंटी ने विडियो कॉल की थी, और स्करीन पर जो चेहरा था मैं तो उसे देखते ही उसकी मासूमियत, उसकी सुदंरता में खो गया। बड़ी बड़ी कजरारी आंखे,,,,,, एकदम गोरा रंग,,,,, तीखे नयन नक्श,,,,,लम्बा चेहरा,,,,, और इन सबसे बढ़कर नीली आंखें,,, जो मुझे फोटो में देखने पर भी ऐसा लगा था, परन्तु उसमें इतनी साफ नहीं दिख रही थी।
मैं तो उसे देखने में ही खो गया।
हे, ऐसे क्या देख रहे हो, उसने शरमाते हुए कहा।
बहुत ही प्यारी लग रही थी,,,,, वो पलकें उठाती, पर मुझे ऐसे ही देखते हुए पाकर वापिस झुका लेती।
प्यारी ही इतनी लग रही हो, मैंने कहा।
आप झूठ क्यों बोल रहे थे,,,, आपने तो मुझे सच में डरा दिया था, होंठ ऐसे खुले जैसे, गुलाब की पंखुड़ियां खिली हों।
क्यों मैंने क्या झूठ बोला,,, देख लो खुद ही,, मेरा चेहरा कितना बेकार सा है, और रंग भी काला है,, मैंने मुसकराते हुए कहा।
झूठे,,,, इतना गोरा तो है और कितना सोहना मुखड़ा है, मन कर रहा है कि---- उसने इतना ही कहा और अपनी पलकें झुका लीं।
क्या मन कर रहा है,,,, मैंने पूछा।
कुछ नहीं,,,, उसने पलकें उठाते हुए कहा और फिर से पलकें झुका लीं।
अच्छा फिर कब मिल रही हो,, मैंने कहा।
क्यों,,,,, निशा ने पलकें उठाते हुए कहा और मेरी आंखों में देखने लगी।
अरे यार, तुमसे मिलकर बातें करनी हैं, तुम्हें जानना है, तभी तो बात कुछ आगे बढ़ेगी, मैंने कहा।
मैं बात में बताती हूं, उसने कहा।
ठीक है, पर जल्दी ही बताना, ओके बाये, मैंने कहा और अंदर की तरफ चल दिया।
बाये, उसने कहा।
क्रमशः.....................
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