RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--54
गतांक से आगे ...........
कुछ तो शर्म करो, यहां घर पर और भी लोग हैं, कैसे बेशर्मों की तरह चिपके हुए हो, नवरीत मुस्कराते हुए अंदर आई और आकर बेड पर बैठ गई।
तो जीजू.............................. मुझे लगता है जिस तरह से आप दोनों एक दूसरे से चिपके हुए हैं तो मैं अब बेखटके जीजू कह सकती हूं, है ना, नवरीत ने आंखे नचाते हुए कहा।
क्यों नहीं, बिल्कुल....... एक ही तो साली साहिबा है हमारी....... वो जीजू ना कहेगी तो कौन कहेगा,,, मैंने हंसते हुए कहा।
तो फिर कब हमें लड्डू खाने को मिलेंगे........ नवरीत ने अपनी पूरी चंचलता को अपने चेहरे पर लाते हुए कहा।
बस इतनी सी बात, अभी ले आता हूं, ये भी क्या बात कही आपने, हमारी साली को लड्डू खाने हैं, तो बोलो कौनसे हलवाई के ज्यादा पसंद है,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
मुझे किसी हलवाई-वलवाई के लड्डू नहीं खाने, मैं तो आपकी शादी के लड्डू की बात कर रही हूं हां,,,, नवरीत ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा।
अरे शादी के लड्डू तो पुरानी बात हो गई, अब तो शादियों में रसगुल्ले, गुलाब जामुन, बर्फी वगैरह बनती हैं, मुझे उसे छेड़ने में मजा आ रहा था।
तो कब खिला रहे हो गुलाब जामुन, नवरीत ने अपूर्वा की कमर में चिकोटी काटते हुए कहा।
आइइइइइइइ,,,,,,,,, अपूर्वा ने नवरीत के हाथ को झटक दिया।
आज आप घर जा रहे थे ना, नवरीत ने कहा।
जा रहा था नहीं, जा रहा हूं, मैंने कहा।
अब रात में, नवरीत के चेहरे पर हल्के से आश्चर्य के भाव थे और उसकी उंगली मेरी तरफ उठ गई थी।
जी साली साहिबा बिल्कुल,,, रात का सफर मुझे बहुत पसंद है, मैंने कहा।
हम्मममम,,,, नवरीत ने इतना ही कहा।
तभी फिर से मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने जेब से मोबाइल निकाल कर देखा, सोनल का था। मैंने कॉल पिक की।
कहां हो अब तक, कब से फोन कर ही हूं, आना नहीं है क्या,,, सोनल की गुस्से से भरी आवाज मेरे कानों में पड़ी।
आ रहा हूं, अपूर्वा की तबीयत ठीक नहीं थी तो ऑफिस से सीधा इधर आ गया था, पूछने के लिए, मैंने धीरे से कहा।
क्या हुआ अपूर्वा को, सुबह तो एकदम ठीक थी, उसका लहजा अब नरम हो चुका था।
वो दिन में ऑफिस में फिर से बुखार हो गया था, मैंने कहा।
अब कैसी है, सोनल ने पूछा।
अब ठीक है, मैंने कहा।
आप कितनी देर में आ रहे हैं, सोनल ने पूछा।
बस अभी निकल रहा हूं, दस मिनट में पहुंच जाउंगा, कोई खास बात, मैंने कहा।
हां, बहुत खास बात है, आप जल्दी से आ जाओ, बाये, कहकर सोनल ने फोन काट दिया।
मुझे थोड़ा डाउट हुआ कि ऐसी क्या खास बात हो गई, पर फिर ज्यादा धयान नहीं दिया।
मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़कर अपने सामने किया। वो तो मुझसे दूर होने को तैयार ही नहीं हो रही थी, मुझे कसकर अपनी बाहों में भर रखा था।
चेहरे को सामने करके मैंने उसके माथे पर एक चुम्मा दी, उसकी आंखें बंद थी। वो बस उस पल को महसूस किये जा रही थी।
ओके अब मैं चलता हूं, नहीं तो फिर लेट हो जाउंगा, मैंने कहते हुए अपूर्वा को खुद से दूर किया।
ऐसे कैसे जीजू, अब तो आप इस घर के दामाद हो गये हो, नवरीत ने आंखें नचाते हुए कहा।
तो फिर जाने नहीं दोगी क्या, मैंने कहा।
वैसे अगर मेरा बस चले तो जाने ही नहीं दूं, पर जाने से कौन रोक रहा है, नवरीत ने कहा।
तो फिर, मैंने शंकित होते हुए कहा।
खाना तैयार हो रहा है, खाना खाकर जाना है, नवरीत ने कहा।
अरे,,,,,,,, मेरी बात पूरी होने से पहले ही नवरीत ने अपने होंठों पर उंगली रखकर शााससससससससससस कर दिया।
हम्ममम,, अब साली साहिब का आदेश है तो, मना भी नहीं किया जा सकता, जी तो लाइये खाना, मैंने कहा।
बस अभी तैयार हो जायेगा,,,,, आप तब तक दीदी के साथ बातें कीजिए, मैं अभी लगाती हूं, कहते हुए नवरीत उठ गई और बाहर चली गई।
उसके जाते ही अपूर्वा ने लेट कर अपना सिर मेरी गोद में रख लिया। उसकी आंखें तो रोने के कारण लाल थी ही, परन्तु उसका चेहरा भी शरम से लाल था। वो अपनी आंखें तो खोल ही नहीं रही थी। मैंने उसके बालों में हाथ डालकर उनसे खेलने लगा। और दूसरे हाथ से उसके गालों को सहलाने लगा।
अब घर जाने की क्या जरूरत है, अपूर्वा ने इजहार करने के बाद पहली बार आंखें खोलकर मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
अरे, जो रिश्ते वाले आ रहे हैं उनको मना करना है और फिर तुम्हारी रिश्ते की बात भी तो बतानी है घर वालों को, मैंने झुक कर उसके माथें को चूमते हुए कहा।
हम्मममम,,,, अपूर्वा ने इतना ही कहा।
सोनल का फोन किसलिए आया था, वो क्यों बुला रही है, अपूर्वा ने कहा।
उसकी आंखें फिर से बंद हो चुकी थी और उसका हाथ उसके बाल पर रखे मेरे हाथ पर आ चुका था।
पता नहीं, कह रही थी कि जरूरी काम है, बाकी कुछ बताया नहीं, मैंने कहा।
अच्छा आपके घर वाले मान जायेंगे इस रिश्ते के लिए, अपूर्वा ने चेहरे पर थोड़े शंका के भाव लाते हुए कहा।
क्यों नहीं मानेगे,,, मैंने उसके चेहरे पर आई बालों की एक लट को संवारते हुए कहा।
नहीं, जाति अलग अलग है ना, अपूर्वा ने कहा।
अरे तो क्या हुआ, न तो मैं इन सब चीजों को मानता हूं और न ही मेरे घर वाले,,,,, मैंने उसके गाल को भींचते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा के चेहरे पर खुशी छा गई।
चलिए अब बहुत हो गई बातें, खाना लग गया है, नवरीत ने अंदर आते हुए कहा।
अपूर्वा उठकर बैठ गई।
महारानी जी, अब बैठी ही रहेंगी या चलेंगी भी, नवरीत ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
अपूर्वा बेड से नीचे उतर गई और उसके साथ साथ मैं भी खड़ा हो गया। नवरीत अपूर्वा को खींचते हुए बाहर ले आई।
ठहर तो मैं फ्रेश तो हो लूं, अपूर्वा ने कहा।
नवरीत ने एक बार उसकी तरफ देखा, और फिर हंसते हुए बोली, अच्छा तो चल जा जल्दी से आंसु साफ कर आ जा।
अंकल आंटी पहले ही खाने की टेबल पर पहुंच चुके थे। हम आकर बैठ गये।
तो क्या बातें हो रही थी, चुपके-चुपके,,, अंकल ने सब्जी डालते हुए कहा।
जी कुछ नहीं, बस ऐसे ही,,, मैंने थोड़ा सा शरमाते हुए कहा।
लिजिए, आज अपनी साली के हाथ से खाइये,,, नवरीत ने एक निवाला मेरी तरफ करते हुए कहा।
मैं मुस्कराया और फिर अपना मुंह खोल दिया। नवरीत ने निवाला मेरे मुंह में ठूंस दिया।
पर जैसे ही मैंने उसमें अपने दांत लगाये, मैं सीधा बाथरूम की तरफ भागा। मैंने उस निवाले को थूंका और अच्छी तरह से कुल्ला करके वापिस आया।
आपको तो मैं देख लूंगा, बदला लेकर रहूंगा, मैंने चेहरे पर नकली गुस्से के भाव लाते हुए कहा।
लीजिए देख लिजिए, आपके सामने ही तो हूं, नवरीत ने खिलखिलाते हुए कहा।
दरअसल उसने उस निवाले में बहुत ही ज्यादा नमक और मिर्च डाल रखी थी। शायद पहले से ही तैयार कर रखा होगा। जैसे ही वो मेरे मुंह में गया, तो मुंह में आग तो लगी ही, साथ ही साथ खारापन घुल गया।
अब सालियां तो ऐसे ही मजाकर करती हैं बेटा, बुरा मत मानना, आंटी ने हंसते हुए कहा।
खाने के दौरान अंकल मेरे घरवालों के बारे में पूछते रहे और अपने बारे में बताते रहे।
जीजू,,, और नहीं खाओगे अपनी साली के हाथ से,,,, बीच-बीच में ये बात कहकर नवरीत मुझे चिढ़ाती रही।
मैं बस उसकी तरफ देखकर मुस्करा देता। अपूर्वा चुपचाप खाना खाये जा रही थी। उसकी नजरें मुझ पर ही थी।
खाना खाकर मैंने अंकल आंटी से विदा ली, और अपूर्वा व नवरीत बाहर तक मुझे छोड़ने आई। जब मैं गेट से बाहर आने लगा तो अपूर्वा आकर मुझे लिपट गई।
ओए होए,,, देखों कैसे तड़प रही है, अब बस भी कर, जाने देगी तभी तो लौट कर आयेंगे, नवरीत ने उसे छेंड़ते हुए कहा।
अपूर्वा कुछ देर तक ऐसे ही मुझसे लिपटी रही, मैंने भी उसे बाहों में भर लिया। पिछे खड़ी रीत ने मेरी तरफ हाथ से परफेक्ट का इशारा किया।
मैंने अपूर्वा को खुद से अलग किया और उसका माथे चूमते हुए बाये कहा और बाइक स्टार्ट करके चल दिया।
बाये जीजू, जल्दी आना, मेरी दीदी इंतजार में कमजोर ना हो जायें कहीं, नवरीत ने पिछे से चिल्लाते हुए कहा।
घर आकर मैं बाईक खड़ी करके सीधा उपर आ गया। सोनल उपर ही थी। पूनम भी उसके साथ ही खड़ी थी।
तो जनाब को हमारी सुद आ ही गई, सोनल ने मुझे देखते ही कहा।
क्या हुआ, क्या काम था जो इतनी जल्दी हो रही थी, मैंने उससे कहा और पूनम से हाथ मिलाया। पूनम तो सीधे गले ही आ लगी।
पूनम से गले मिलकर मैं लॉक खोलकर अंदर आ गया और फोन करके बस की टिकट बुक करवाई।
कहां जा रहे हो, सोनल ने मेरे फोन रखते ही पूछा।
घर जा रहा हूं, शायद बताया तो था तुम्हें, मैंने टाइम देखते हुए कहा।
9 बज गये थे, साढ़े दस बजे तक मुझे जाकर टिकट लेनी थी।
हम्मम,,, तो रिश्ते के लिए जा रहे हो, सोनल कहा।
कल मैं भी चली जाउंगी, सोनल कहकर मेरी तरफ देखने लगीं
कहां, मैंने पूछा।
बुधवार को ज्वाइन करना है, सोनल ने कहा।
ओहहह,,, ये तो बढ़िया है, जूते उतारते हुए मैंने कहा।
अभी शुरू के कुछ महीने तो हैदराबाद ही रखेंगे, उसके बाद शायद नोयडा आ जाउं, सोनल ने कहा।
नोयडा आने के बाद तो फिर हर वीकेंड पर घर आ जाया करूंगी, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा और अपनी बांहे मेरे गले में डाल दी।
ये तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो आंटी अकेली रह जायेगी, कहते हुए मैं उठ गया और कपड़े उतारने लगा।
ओके मैं अब तैयार हो लेता हूं, नहीं तो फिर लेट हो जाउंगा, कपड़े उतार कर बाथरूम की तरफ जाते हुए मैंने कहा।
क्या है, मैं कब से इंतजार कर रही हूं, और तुम हो कि ठीक से बात भी नहीं कर रहे हो, सोनल ने झुंझलाते हुए कहा।
बस मैं एक बार तैयार हो जाता हूं, फिर बातें ही करते हैं, कहते हुए मैं बाथरूम में घुस गया।
नहा धोकर मैं बाथरूम से निकला तो सोनल बेड पर लेटी हुई लैपटॉप पर गाने देख रही थी। मेरे बाहर आते ही वो उठ कर बैठ गई। मैं कपड़े पहनने लगा।
सोनल उठकर मेरे पास आई और मेरे हाथ में पकड़ी शर्ट को छीन लिया और मेरी आंखों में देखने लगी।
अचानक उसने शर्ट को साइड में रख दिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैं इतनी देर से जिस बात से बचना चाह रहा था वो हो ही गई।
मैंने उसे खुद से दूर किया। वो मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी।
क्या हुआ, मन नहीं है, सोनल ने वैसे ही मेरी तरफ देखते हुए कहा।
बस पूरे दिन की भाग-दौड़ से थक गया हूं, मैंने कहा।
पर कल मैं चली जाउंगी, और फिर पता नहीं कब मिल पायेंगे, उसने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।
मैंने उसे सच्चाई से अवगत करवाना ही ठीक समझा, इसलिए उसे आराम से बेड पर बैठाकर सारी बात समझाई।
मेरी सारी बात वो आराम से सुनती रही और जैसे ही मैंने बोलना बंद किया उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर एक किस्सस मेरे होंठों पर दी और फिर पिछे हटकर मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगीं
मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं, मैं ब्यान नहीं कर सकती, मुझे इतनी खुशी हो रही है, मुझे पहले से ही पता था कि अपूर्वा आपसे प्यार करती है, और ये भी अंदाजा कुछ कुछ मुझे हो गया था कि आप भी उससे प्यार करते हैं, परन्तु आपके बारे में मैं स्योर नहीं थी, सोनल बस कहे जा रही थी।
थैंक्स सोनल, तुम मेरी जिंदगी में आई पहली लड़की हो, तुमने मुझे जो खुशियां दी हैं, उनका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं उतार सकूंगा, कहते हुए मेरी आंखें थोड़ी भीग गई थी।
सोनल ने मेरा चेहरा पकड़ा और मेरी आंखों से ढुलकें उस एक आंसु को टपकने से पहले ही अपने होंठों से पी गई।
मैं चाहूंगी कि हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त बने रहें, क्योंकि मैं तुमसे बहुत ज्यादा अटैच हो चुकी हूं, और मैं तुम्हारी दोस्ती को खोना नहीं चाहूंगी,,, सोनल की आंखों में थोड़ा सा गम भी दिखाई दिया अबकी बार मुझे।
सोनल तुम मेरे सबसे अच्छी दोस्त हो, तुम्हारे अलावा जो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी वो अब मेरी वाइफ बनने वाली है, इसलिए तुम ही मेरी दोस्त बची हो, तो मैं तुम्हें कैसे खोने दे सकता हूं, हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त रहेंगे, तुम परेशान होओ,,, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
कोमल ने मेरी शर्ट उठाई और मुझे पहनाने लगी। शर्ट पहनने के बाद जींस मैंने खुद ही पहन ली। फिर हम चेयर लेकर बाहर आ गये और बैठे बैठे बातें करते रहे। बीच में ही मैंने फोन करके टैक्सी को बुला लिया जो ठीक सवा दस बजे पहुंच गई।
मैंने रूम को लॉक किया। लॉक करने के बाद मैंने सोनल को अपनी बाहों में कस लिया और उसके माथे को चूमते हुए उसे बाये बोला और नीचे की तरफ चल दिया। सोनल भी मेरे साथ साथ नीचे आ गई। टैक्सी में मेरे बैठने से पहले उसने एक बार फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी, सोनल ने धीरे से मेरे कान में कहा।
मैं भी, मैंने कहा।
फिर मैं उसे बाये करके टैक्सी में बैठ गया और डायवर को चलने के लिए कहा।
पौन ग्यारह बजे मैं टरेवल एजेंसी के ऑफिस पहुंच गया। वहां से मैंने टिकट ली और बस के बारे में पूछा।
बस को आने में अभी दस मिनट बाकी थे, मैंने एक पानी की बोतल ली और कुछ स्नैक्स लेकर बस का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद बस आ गई। मैंने अपनी सीट ढूंढी, सिंगल स्लीपर बुक करवाई थी। सीट ढूंढकर मैं आराम से लेट गया और आज पूरे दिन भर में घटी घटनायें मेरे दिमाग में चलने लगी।
क्रमशः.....................
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