Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:19 PM,
#53
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--53
गतांक से आगे ...........
हे भगवान, पता नहीं तुने कुछ दिमाग-विमाग भी दिया है कि नहीं इनको, निरे ठूंठ महाराज है, नवरीत ने कहा और आकर सामने बेड पर बैठ गई और अपूर्वा के बालों में हाथ फिराने लगी।
दीदी, आपने तो एकदम बुद्धू को चुना है, नहीं तो कोई स्मार्ट लड़का होता तो, इतने में तो बारात लेके आ जाता, नवरीत ने अपूर्वा को छेड़ते हुए मेरी तरफ बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
अब इसमें बारात की क्या बात आ गई, मैंने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने हाथ मेरी कमर पर कस दिये थे, और मेरे सीने में दुबक सी गई थी। अब वो अपनी कमर मेरे पैरों के सहारे लगाकर अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाये हुई बैठी थी।
हे भगवान, क्या करूं इस लड़के का, निरा है एकदम,,, कुछ अक्ल-वक्ल भी है या नहीं, नवरीत ने अपने माथे में हथेली मारते हुए कहा।
उधर दीवार पर सही तरह से फूटेगा, मैंने हंसते हुए नवरीत को छेड़ा।
आपकी तो मैं, नवरीत ने मेरी तरफ मुक्का दिखाते हुए दांत भींचकर कहा।
आंटी, कहां इनके चक्कर में पड़े हो आप, कोई अच्छा सा लड़का देखकर अपूर्वा की शादी कर दो, यहां मुझे कुछ फायदा नहीं दिख रहा, नवरीत ने चिल्लाते हुए बाहर की तरफ मुंह करते हुए कहा और फिर अपूर्वा को गुदगुदी करने लगी।
अपूर्वा ने उसका हाथ एक तरफ झटक दिया और, और भी ज्यादा मुझसे चिपक गई। मेरे हाथ उसके बालों को सहला रहे थे।
दीदी, मैं साफ साफ बता रही हूं, फिर मत कहना, नवरीत ने अपूर्वा की तरफ घूरते हुए कहा।
पर अपूर्वा तो मेरी बाहों में गुम हो गई थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया।
तुम्हारे बस का नहीं है, मैं बताती हूं, आवाज सुनकर हमने दरवाजे की तरफ, आंटी अंदर आती हुई कह रही थी।
क्या बात है आंटी, कोई सीरियस बात है क्या, मैंने थोड़ा गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा।
बेटी, अपूर्वा, चलो दूर हटो, मुझे बात करनी है समीर से, आंटी ने अपूर्वा के बालों में हाथ फेरते हुए कहा।
अपूर्वा अपनी नजरें झुकायें हुए मुझसे दूर होकर बैठ गई। उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर तुरंत ही अपने हाथों में अपना चेहरा छिपा लिया और अपने घुटने मोड कर चेहरा उनमें छिपा लिया।
आओ बेटा, आपसे कुछ बातें करनी हैं, नीचे तुम्हारे अंकल भी बैठे हैं, आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं कन्फयूज चेहरे से उन्हें देखते हुए खड़ा हो गया और आंटी के साथ साथ नीचे आ गया।
आओ बेटा, बैठो, अंकल ने सोफे की तरफ इशारे करते हुए कहा।
मैं सोफे पर बैठ गया, आंटी अंकल के पास बैठ गई।
देखो बेटा, वैसे तो ये बातें बड़े आपस में तय करते हैं, पर अब तुम्हारे मॉम-डैड यहां पर है नहीं, तो तुमसे ही बात कर लेते हैं, अंकल ने कहा और फिर गला साफ करने लगे।
अपूर्वा तुमसे बहुत प्यार करती है, और तुमसे शादी करना चाहती है, अंकल ने कहा और फिर मेरी तरफ देखने लगी।
अंकल की बात सुनते ही मेरा मुंह खुला का खुला रह गया, मेरा दिमाग एकदम से झनझना गया। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, बस मुंह खोले कभी अंकल को तो कभी आंटी को देखता रहा।
मक्खी घुस जायेगी, ऐसे मुंह खोले बैठे रहोगे तो, नवरीत ने मेरी ठुड्डी के नीचे हाथ लगाकर मेरे मुंह को बंद करते हुए कहा।
मैंने गर्दन घुमाकर देखा, नवरीत मेरे पिछे सोफे का सहारा लेकर खड़ी थी, परन्तु अपूर्वा कहीं नहीं दिखाई दी।
फिर मैंने अंकल-आंटी की तरफ देखा, वो अभी भी मेरे से कुछ सुनने के लिए उसी तरह मेरी तरफ देख रहे थे।
आज पहली बार शादी की बात सुनकर मेरे दिल में कहीं एक गहरा, बहुत ही मीठा सा अहसास हुआ था, नहीं तो आज से पहले जब भी मेरी शादी की बात आती थी तो मैं टाल-मटोल करता रहता था।
मेरा मानना है कि पहले बढ़िया तरह से लाइफ में सैटल हो जाओ, और उसके बाद ही शादी करो, नहीं तो बाद में फिर दुखी ही होना पड़ता है। इसलिए मैं हमेशा शादी की बातों को टाल दिया करता था। परन्तु आज कुछ अलग ही बात थी, मेरे मन में बहुत खुशी हो रही थी।
और हो भी क्यों ना, अपूर्वा जैसी खूबसूरत, प्यारी-सी, एकदम मासूम, केयरिंग, और इन सबके साथ साथ चंचल भी, उसकी आंखों से झलकती चंचलता हमेशा ही मुझे उसकी तरफ आकर्षित करती थी, परन्तु मैं हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह उसे देखता था।
परन्तु आज जब अंकल आंटी ने हमारी शादी की बात की तो, मन में लड्डू से फूट रहे थे। मेरी नजर बार बार उपर अपूर्वा के कमरे की तरफ जा रही थी।
अंकल, पर मैं,, उसे,, उसने,,, मेरा मतलब उसने कभी बताया नहीं, बड़ी मुश्किल से मुझे कहने के लिए कुछ शब्द मिले और कहकर मैं फिर उपर की तरफ देखने लगा।
बेटा वो तो पगली है, हमें सब कुछ बताती रही, पर आपको कुछ नहीं बताया,,, और हमें भी मना कर देती थी, आंटी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
आज 5 बजे से तुम्हारा इंतजार कर रही थी, तुम नहीं आये तो रोना शुरू कर दिया, इसलिए आज हमने तुमसे बात करनी ही ठीक समझी, आंटी ने कहा।
मैं तो जैसे ख्वाबों की दुनिया में पहुंच चुका था और बस अंकल-आंटी की बातें सुने जा रहा था।
आज अपूर्वा के साथ शादी की बात सुनकर जो अहसास जागा था, वो मुझे चैन नहीं लेने दे रहा था। अपूर्वा मुझसे प्यार करती है और मैं बेवकूफ समझ नहीं पाया, ये सोचकर मुझे खुदपर गुस्सा भी आ रहा था और हंसी भी।
किसी बात की कोई जल्दी नहीं है बेटा, बस अब आपको पता चल गया है कि वो आपसे प्यार करती है, हमारा काम अब तुम्हारी हां होने के बाद शुरू होगा, तब तक वो जाने और तुम जानो, आंटी ने कहा।
हमें तुम पसंद हो, और इससे बड़ी बात हमारी बेटी को भी पसंद हो, अब रह जाते हैं तुम और तुम्हारे घरवाले, तो उनसे भी बात कर लेते हैं, अंकल ने कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं सोचने लगा और मेरा हाथ अपने आप मेरे सिर पर जाकर खुजलाने लगा।
जी, जैसी आपकी मर्जी, पर मैं पहले अपूर्वा से बात करना चाहूंगा, और वैसे भी मैं अभी शादी नहीं करना चाहता तो, मुझे कुछ टाइम चाहिए सोचने के लिए, बस मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि अपूर्वा मुझसे,,,, मैंने सिर खुजाते हुए कहा।
हां-हां क्यों, नहीं, आप बातें करो, आराम से उपर बैठकर, आंटी ने उपर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नहीं, नहीं, आंटी, अभी तो टाइम नहीं है, आज गांव जा रहा हूं, परसों तक वापिस आ जाउंगा, फिर आने के बाद बात करूंगा, मैंने सिर खुजाते हुए कहा।
मैं रिश्ते वाली बात नहीं बताना चाहता था।
हां, अपूर्वा ने बताया था, तुम्हारा कोई रिश्ता वगैरह की बात चल रही है, उसके सिलसिले में जा रहे हो, बस इसीलिए हमनें अभी बात करनी ठीक समझी, अंकल ने कहा।
अपूर्वा की बच्ची, सब कुछ बता रखा है और मुझसे इतनी बड़ी बात छुपा रखी है, मैंने मन ही मन सोचा।
अब तक मेरा दिमाग शुन्य से कुछ बाहर आ गया था और सोचने समझने की स्थिति में आ गया था।
जी वो मम्मी पिछे पड़ी हुई है शादी के, पर मैं अभी नहीं चाहता, पर फिर भी जाना तो पड़ेगा, बस इसलिए, नहीं तो वहां तो मैं मना ही करने वाला था, मैंने कहा।
फिर भी बेटा कुछ पता नहीं होता, वहां पर जाकर लड़की तुमको पसंद आ जाये, और तुम हां कर दो, तो इसलिए, आंटी ने कहा।

तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने जेब से मोबाइल निकाला, सोनल का था। मैंने साइलेंट करके वापिस जेब में डाल लिया।
जी आंटी अब वो भी देखते हैं, क्या होता है, रब जो चाहेगा, वही होगा, उसकी रजा के बगैर तो पत्ता भी नहीं हिल सकता, मैंने कहा।
एकदम सही बात भई, जैसी रब की मर्जी होगी, वैसा ही होकर रहेगा, उसकी मर्जी को कोई नहीं टाल सकता, अंकल ने कहा।
अब तुम आराम से घर जाओ, वहां पर क्या होता है, आकर हमें बताओ, फिर हम अपनी तरफ से कार्यवाही करते हैं, अंकल ने कहा।
जी अंकल, मैंने कहा।
अच्छा अंकल अब मैं चलता हूं, फिर गांव के लिए भी निकलना है तो, लेट हो जाउंगा, मैंने कहा।
ओके बेटा, धयान से जाना, अंकल ने कहा।
मैंने उठकर अंकल-आंटी के पैर छूए और नवरीत को बायें कहते हुए उपर की तरफ देखा।
एक मन तो कर रहा था कि उपर जाकर अपूर्वा से मिलूं और फिर दूसरा मन कह रहा था कि अभी नहीं, उससे बाद में बात करता हूं।
फिर मैं कुछ सोचकर उपर की तरफ चल दिया। नवरीत भी मेरे पिछे पिछे चल दी।
नवरीत, इधर आ बेटा, उपर पहुंचने से पहले ही नीचे से आंटी की आवाज आई और नवरीत वापिस नीचे चल दी।
अंदर आकर मैंने देखा, अपूर्वा बेड पर औंधी लेटकर कोहनियां बेड पर टिकाकर अपना चेहरा उपर उठा रखा था।
मुझे देखते ही उसने अपने पलकें झुका ली और उसका चेहरा लाल हो गया।
मैं उसके पास जाकर खडा हो गया और उसके देखता रहा। जब कुछ देर तक मैं कुछ नहीं बोला तो उसने अपना चेहरा उपर उठा कर देखा, और मुझे खुदको घूरते हुए पाकर तकिये में अपना चेहरा छुपा लिया।
मैं बेड पर बैठ गया, और उसका बालों को सहलाते हुए उसके चेहरे को पकड़कर उपर उठाया। उसकी आंखे बंद थी।
अपूर्वा, मैंने कहा।
हूं,,, उसने बस इतना ही कहा।
आंखे खोलो, मैं तुम्हारी आंखों में देखना चाहता हूं कि इनमें कितना प्यार है मेरे लिये, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मुझे शर्म आ रही है, कहते हुए अपूर्वा ने अपने चेहरे को अपने हाथों से छुपा लिया।
मेरे दिमाग में बहुत ज्यादा हलचल मची हुई थी। मैं अपूर्वा से प्यार नहीं करता था, परन्तु फिर भी ये सब जानकर दिल में बहुत ही ज्यादा खुशी महसूस हो रही थी। शायद किसी के द्वारा चाहे जाने का जो आनंद होता है, वो दुनिया की सबसे बड़ी खुशी देता है।
वैसे भी अपूर्वा इतनी प्यारी है कि कोई भी उसे देखते ही प्यार करने लग जाए, बस हमारी पहले दोस्ती हो गई और मैं अभी तक उस दोस्ती में ही बंधा हुआ था। पर अपूर्वा मुझसे इतना प्यार करती है, और मैं उसे सिर्फ दोस्ती समझता रहा।
मेरे दिमाग में वो सारी बातें घूम रही थी, अपूर्वा का बार बार मेरी बाहों में समा जाना, मेरे गले लगना, मुझे प्यार से देखते रहना, वो मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठे रहना, और कभी कभी मुझ पर झुंझला पड़ना।
वो आंटी और नवरीत का जीजू कहना। मतलब सबको पहले से पता था, बस एक मैं ही हूं जिसे नहीं पता,,,,,,,।
अब मेरी समझ में आ रहा था कि उसने कितने बार अपना प्यार मुझे दिखाना चाहा, पर मैं ही समझ नहीं पा रहा था। अगर पहले मुझे पता चल जाता कि अपूर्वा मुझसे प्यार करती है, तो अब तक तो मैं भी उसके प्यार में गिरफ्रतार हो चुका होता।
वैसे भी अभी तक मैं किसी और के प्यार में चक्कर में नहीं पड़ा हूं, तो अपूर्वा के द्वारा चाहे जाने का वो सुख, वो आनंद, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझमें उसके प्रति प्यार जगा गया। प्यार तो उससे मैं पहले भी करता था, परन्तु एक दोस्त की तरह, अब वो प्यार दोस्त की तरह ना रहकर, प्रेमिका की तरह हो चुका था, परन्तु मैं अभी भी पूरी तरह से नहीं समझ रहा था।
बस दिल में एक अहसास सा था, जिसको दिमाग को समझने में शायद अभी समय लगना था।
अपूर्वा, ओके मैं जा रहा हूं, परसों सुबह तक वापिस आउंगा, कहकर मैंने एक बार फिर से उसके चेहरे को देखा।
एकदम लाल चेहरा जिसे वो अपने हाथों से छुपाने का प्रयास कर रही थी।
मैं खड़ा हो गया और उसके चेहरे केा देखता रहा। कुछ देर के बार अपूर्वा ने अपना चेहरा उपर उठाया और आंखे खोलकर देखा तो मैं सामने ही खड़ा था।
मुझे देखते ही उसने फिर से अपना चेहरा तकिये में छुपा लिया।
उठो ना, देखों कैसे शर्मा रही हो, अब तक तो नहीं शर्माती थी, तो अब क्यों शर्मा रही हो, कहते हुए मैंने उसकी कमर को पकड़कर उसे पलटते हुए अपनी तरफ खींच लिया।
अपूर्वा एक बेल की तरह मुझसे लिपट गई और अपने हाथों को मेरी कमर पर कस दिया। उसकी गरम सांसे मुझे अपनी कानों पर महसूस हो रही थी।
उसकी उभार मेरी छाती में दब गये थे, और उसकी तेज चलती सांसों के साथ बार बार दबाव बढ़ा रहे थे।
उसके इस तरह एकदम मुझसे लिपटने से मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं बेड पर पिछे की तरफ लुढ़कर गया। अपूर्वा साथ साथ मेरे उपर। अब मैं नीचे बेड पर था और अपूर्वा मुझसे लिपटी हुई मेरे उपर।
उसने एक बार चेहरा उठाकर मेरी आंखों में देखा और फिर मुझे मुस्कराता हुआ पाकर वापिस अपना चेहरा छुपा लिया।
‘आई लव यू’ मेरे कानों में बहुत ही धीमी सी, मधुर आवाज गूंजी, और जैसे चारों तरफ संगीत की धुन घुल गई हो, ऐसा एहसास दिला गई।
इतना कहकर उसने अपने गालों को मेरे गालों से सटा लिया।
‘आई लव यू टू’ प्यार के उस सागर में मैं बह चुका था। बेशक मैं हमारे रिश्ते को दोस्ती का नाम देता रहा था, परन्तु उसमें कहीं ना कहीं प्यार तो छुपा ही हुआ था, जो आज उसके इजहार करते ही निकल कर सामने आ गया और मैं उसमें बह चुका था।

ये प्यार का अहसास मेरे दिलों दिमाग में भर चुका था और मैं इस लम्हें को भरपूर जीना चाहता था। मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर अच्छी तरह से कस दिये और अपने सीने से चिपका लिया।
मुझे अपने गालों पर कुछ गीला सा महसूस हुआ, मैंने तुरंत अपूर्वा का चेहरा उपर उठाया, उसकी आंखों में आंसु थे।
उसके आंसु देखकर मैं परेशान हो उठा। मैं उठकर बैठ गया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया।
क्या हुआ बेबी, रो क्यों रही हो, मैंने उसके आंसु साफ करते हुए पूछा।
उसका अपना सिर मेरी छाती में रख दिया। उसका एक गाल मेरी छाती पर टिक गया और वो मुझे अपनी बाहों में भरकर उस पल को जीने लगी।
मैंने कबसे इस पल का इंतजार किया है, कितना तड़पी हूं मैं इस पल के लिये, उसने रूंधे हुए गले से कहा।
मुझे माफ कर देना बेबी, मुझे तुम्हारे प्यार को समझने में देर लगी, मैंने उसके आंसुओं को पौंछते हुए कहा।
मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:19 PM

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