RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--50
गतांक से आगे ...........
कहा पर लगी है,,, आंटी ने अपूर्वा तरफ देखते हुए पूछा।
अपूर्वा ने अपनी छाती की तरफ इशारा कर दिया।
यहां कैसे लगी,,, आंटी ने पूछा।
वो इनके उपर गिरी थी, पेट के बल तो,,,,, अपूर्वा ने कहा।
बेटा अब तुम सीधी लेट सकते हो,,,, दर्द कैसा है अब, आंटी ने पूछा।
जी आंटी बिल्कुल ठीक हो गया हे, आपके हाथों में तो जैसे जादू है,, मैंने सीधा होते हुए कहा।
तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने उठाकर देखा, मैम का फोन था।
मैम ने हमारे आने के बारे में पूछा तो मैंने कह दिया कि 9 बजे तक आ जायेंगे, सभी साथ ही आयेंगे।
मैंने टाइम देखा, 7 बजने वाले थे।
कोमल उठ गई क्या आंटी, मैंने पूछा।
कहां, अभी तो तीनों घोड़े बेच कर सो रही हैं, आंटी ने कहा।
मैं उठकर दूसरे कमरे में गया। देखा तो जैसे रात को सोते छोड़कर गया था तीनों वैसे ही सो रही थी।
रात को कोई भी हिली भी नहीं। कैसी नींद है इनकी।, मैंने मन ही मन सोचा और जाकर कोमल को उठाया।
मेरी आवाज सुनकर नवरीत भी और सोनल भी उठ गई।
गुड मॉर्निंग, नवरीत ने अंगडाई लेते हुए कहा।
गुड मॉर्निंग, कैसी नींद आई रात को, मैंने कहा।
हममम, ये सुबह इतनी जल्दी क्यों हो जाती है, कोमल ने आंखें मसलते हुए कहा।
तभी आंटी चाय लेकर आ गई।
आंटी के आते ही सोनल और कोमल जल्दी से उठकर बैठ गई।
गुड मॉर्निंग बच्चो,,, कैसे नींद आई,,, आंटी ने चाय टेबल पर रखते हुए कहा।
गुड मॉर्निंग आंटी, बढ़िया नींद आई, सभी ने एक साथ कहा।
ठीक है, अब चलो जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ, चलना भी है, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
तभी अपूर्वा कमरे में आई, सभी ने उसे गुड मॉर्निंग कहा।
मैं दूसरे कमरे में जाकर बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर व नहाकर पहले वाले कमरे में आया।
दरवाजा हलका सा खुला था, जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, तुरंत ही बंद करना पड़ा, कोमल नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी।
मैं नीचे आकर अंकल के पास बैठ गया।
उठ गये बेटा, कैसी नींद आई,, अंकल ने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर अखबार पढ़ते हुए ही पूछा।
अच्छी नींद आई अंकल,, मैंने कहा।
इतने में बाकी सभी भी नीचे आ गई और सोफो पर बैठ गई।
सुना, सोते हुए गिर गये थे, अंकल ने अखबार साइड में करके हंसते हुए कहा।
मुझे बहुत शर्म आई, और मैंने सिर्फ ‘हां’ में जवाब दिया।
बस फिर क्या था, सभी लड़कियां हंसने लगी। अपूर्वा शायद किचन में थी। सोनल, नवरीत और कोमल यहीं पर बैठी थी।
बच्चे हो क्या, जो सोते हुए गिर गये थे, नवरीत ने चहकते हुए पूछा।
मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर नीचे देखने लगा।
कुछ देर बाद आंटी ने खाना लगा दिया। अंकल, अपूर्वा, कोमल और मैंने खाना खाया। नवरीत और सोनल बस खाली-पीली चेयर घेरकर बैठ गई, खाना तो खाया नहीं।
साढ़े आठ बजे हम ऑफिस में लिए निकल पडे।
कोमल अपूर्वा की स्कूटी पर थी और मैं अपनी बाइक पर।
ऑफिस पहुंचकर हमने व्हीकल पार्क किये और कोमल अंदर चली गई, मैं और अपूर्वा ऑफिस में आ गये।
शकुन्तला अभी सफाई कर रही थी तो हम बाहर ही खड़े हो गये।
कैसा लगा मेरा घर, और मम्मी-पापा, अपूर्वा ने पूछा।
हम्मम,, घर भी अच्छा है और घरवाले तो और भी अच्छे हैं, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
तभी शकुन्तला सफाई खत्म करके बाहर आ गई।
कैसी हो शकुन्तला, मैंने उससे पूछा।
बढ़िया हूं साहब, शकुन्तला ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
अपूर्वा ने मेरी तरफ थोड़ी अजीब सी नजरों से देखा और फिर हम अंदर आ गये।
क्या हुआ, ऐसे घूरकर क्यों देख रही हो, मैंने अपूर्वा से कहा।
कुछ नहीं, वो आपने उसका नाम लेकर पूछा ना इसलिए,,, बस,,, अपूर्वा ने कहा।
तभी अपूर्वा एकदम से चेयर पर बैठ गई। उसका हाथ उसके माथे पर पहुंच गया और माथे को दबाने लगा। उसकी आंखें बंद हो गई।
क्या हुआ,,,, मैंने उसे संभालते हुए कहा।
मैंने जैसे ही उसको पकड़ा मुझे हैरानी हुई, उसका शरीर तप रहा था।
चक्कर आ रहे हैं, अपूर्वा ने कहा।
तुम आराम से बैठो, तुम्हें फिर से बुखार हो गया है, मैंने कहा और उसको आराम से चेयर पर कमर टिका कर बैठा दिया।
बाहर आकर मैंने घर की बैल बजाई, कोमल ने दरवाजा खोला।
अपूर्वा की तबीयत ठीक नहीं है, मैम से गाड़ी की चाबी लाना, उसे डॉक्टर के पास ले जा रहा हूं, मैंने कहा।
क्या हुआ, अभी तो ठीक ठाक थी, कोमल ने कहा और फिर बिना मेरे जवाब का इंतजार किये अंदर चली गई।
चलो मैं भी चलती हूं, कहते हुए कोमल ने गाड़ी की चाबी मुझे दे दी और ऑफिस की तरफ चली गई।
मैंने गैरेज में से गाड़ी निकाली और आंगन में लाकर खड़ी कर दी। फिर मैं ऑफिस में जाकर अपूर्वा को सहारा देकर लाया और गाड़ी की पिछली सीट पर लेटा दिया। कोमल ने बैठकर उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और उसका सिर दबाने लगी।
जल्दी ही हम डॉक्टर के क्लीनिक पर थे। वहां डॉक्टर ने अपूर्वा को एक इंजेक्शन लगाया और कुछ टेबलेट खाने के लिए दी।
नोर्मल फीवर है, मौसम चेंज हो जाने के कारण हो जाता है, डॉक्टर ने कहा।
थैंक्यू डॉक्टर,,, मैंने कहा और डॉक्टर की फीस देकर अपूर्वा को लेकर गाड़ी में लाकर लेटा दिया।
मैंने गाड़ी अपूर्वा के घर की तरफ दौड़ा दी।
पंद्रह मिनट में हम अपूर्वा के घर के सामने थे। मैंने गाड़ी को साइड में खड़ा किया। मैंने अपूर्वा को गोद में उठा लिया, जैसे छोटे बच्चे को उठाते हैं।
अपूर्वा को कुछ होश नहीं था, उसका शरीर बहुत ज्यादा तप रहा था।
क्या हुआ, अंदर पहुंचते ही सामने से आती आंटी ने पूछा।
बुखार हो गया है आंटी, मैंने कहा।
ओहहह,,, ये तो रोज ही होने लगा,,, ठीक है,, उपर इसके रूम में लेटा दो, मैं डॉक्टर को फोन बुलाती हूं, आंटी ने कहा।
नहीं, उसकी कोई जरूरत नहीं है, अभी डॉक्टर के पास से आ रहे हैं, मैंने कहा और उपर की तरफ चल दिया।
उपर आकर मैंने अपूर्वा को बेड पर लेटा दिया, कोमल ने उसे कम्बल ओढ़ा दिया।
मैं बेड पर बैठ गया और अपूर्वा के सिर को सहलाने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपने गाल पर रखकर गर्दन को टेढी करके अपने गर्दन और गाल के बीच में दबा लिया।
तभी आंटी भी उपर आ गई। मैंने अपना हाथ हटाना चाहा पर अपूर्वा ने नहीं हटाने दिया।
आंटी ने आकर उसके माथे पर हाथ रखकर देखा।
मेरी बच्ची, कितना तेज बुखार है, कहते हुए आंटी बेड पर बैठ गई और कम्बल को सही तरह से औढाने लगी (वैसे पहले ही सही तरह से औढ़ाया हुआ था)।
मैंने फिर से अपना हाथ हटाना चाहा पर अपूर्वा ने नहीं हटाने दिया।
कुछ देर तक हम वहीं पर बैठे रहे। आंटी बार बार अपूर्वा के माथे सहलाती रही और बालों को संवारती रही।
ओके आंटी, अब हम चलते हैं, शाम को फिर आउंगा, हाल-चाल पूछने के लिए,, कहते हुए मैंने अपना हाथ हटाना चाहा।
अपूर्वा ने मेरी तरफ देखा, और फिर अपने गाल से रगड़ते हुए मेरा हाथ छोड़ दिया।
अरे बेटा, बैठो, अभी चाय आ रही है, पीकर जाना, आंटी ने खड़े होते हुए कहा और फिर काम वाली को आवाज लगाई।
कुछ देर में कामवाली चाय लेकर आ गई। चाय लेकर कोमल भी बेड पर बैठ गई। हमने चाय पी और फिर एक बार फिर अपूर्वा के बालों को संवारते हुए उसके गालों को सहलाया बाहर की ओर चल दिये।
शाम को आओगे ना, पिछे से अपूर्वा की आवाज आई।
हां, ऑफिस से सीधा इधर ही आ जाउंगा, मैंने कहा और फिर नीचे आ गये।
आंटी को बाये करके हम बाहर आ गये। कोमल आगे ही बैठ गई। मैंने गाड़ी स्टार्ट की और ऑफिस की तरफ चल पडे।
कोमल मेरी तरफ होकर बैठी थी जिससे गियर चेंज करते हुए मेरा हाथ बार-बार उसके घुटनों से टच हो रहा था।
मैंने उसकी तरफ देखा तो मुस्करा दी और फिर सामने देखने लगी।
मुझे लगता है कि अपूर्वा आपसे प्यार करती है, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं, हम बस बहुत अच्छे दोस्त हैं, मैंने कहा और मुस्करा दिया।
तुम्हें पता नहीं चला है, पर ये गहरी दोस्ती प्यार में बदल चुकी है, कोमल ने कहा।
तुम चाहे बेशक अभी भी इसको दोस्ती ही समझ रहे हो, पर अपूर्वा तुमसे प्यार करने लगी है, कोमल ने थोड़ा रूककर कहा।
तुम्हें कैसे पता, मैंने सामने देखते हुए ही कहा।
बस मुझे पता है, मैं लडकी हूं, और मुझे पता है कि प्यार में लड़की कैसे बिहेव करती है, आप जब सामने होते हैं तो जो उसके चेहरे पर चमक देखती हूं, जिस तरह से वो आपके साथ घुलती मिलती है, कोमल ने कहा।
अभी कैसे आपका हाथ अपने गालों पर से हटाने नहीं दे रही थी, कोमल ने फिर कहा।
ऐसा नहीं है, हम एक दूसरे से बहुत ज्यादा अटैच हैं, इसलिए हमारे बीच में कोई फॉर्मलटिज नहीं है, और इसीलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है, पर हम बस बहुत ही अच्छे, गहरे दोस्त हैं, और एक दूसरे से भावनात्मक रूप से अटैच हैं, मैंने उसे समझाते हुए कहा।
आप कुछ भी कहो, पर मुझे पता है कि वो आपसे प्यार करती है, कोमल ने अपना डिसीजन सुना दिया।
और आप भी करते हो, कोमल ने थोड़ा रूककर मेरी तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
मैं भी उसकी तरफ देखकर बस मुस्करा दिया।
करते हो के नहीं, बताओ,,, कोमल ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, तुम्हें वैसे ही लग रहा है, मैंने अपनी गर्दन को मोड कर उसके हाथ से अपने गाल टच करते हुए कहा।
नहीं, तुम करते हो, बस तुम्हें अभी तक इसका एहसास नहीं हुआ है, कोमल ने कहा और मेरे गालों को पकड़कर खिंच लिया।
आई------ क्या कर रही हो, दर्द हो रहा है,,, मैंने उसका हाथ हटाते हुए कहा।
बातों ही बातों में ऑफिस पहुंच गये।
कोमल उतरकर अंदर चली गई और मैंने गाड़ी को गैरेज में पार्क कर दिया।
बॉस यहीं पर है क्या, मैं गाड़ी को खड़ी करके आया तो कोमल दरवाजे पर ही खड़ी थी।
आज कोई भी नहीं है, दीदी की सहेली के यहां गये हुए हैं, कोई फंक्शन वगैरह है, कोमल ने कहा।
मैं ऑफिस की तरफ चल दिया। मैं अभी ऑफिस में आकर चेयर पर बैठा ही था कि कोमल भी पिछे पिछे आ पहुंची। वो अपूर्वा को चेयर को खींचकर मेरे पास लाई और मेरी चेयर पर अपनी कोहनी टेककर बैठ गई।
मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्करा दिया। कोमल भी मुस्करा दी।
तुम पक्का हो ना कि तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते,,, कोमल ने पूछा।
मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मेरी ही तरफ देख रही थी।
तुम क्यों इतनी इंक्वायरी कर रही हो, मैंने उसकी तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
उसने मेरी आंखों में देखते हुए कुछ ढूंढने की कोशिश की और अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया।
क्रमशः.....................
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