RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--48
गतांक से आगे ...........
अपूर्वा ने एक प्लेट उठाई और मेरे साइड में कम्बल में घुसकर बैठ गई और प्लेट मेरी जांघों पर रख दी। मैंने एक बर्फी उठाई और खाने लगा।
अपूर्वा भी मेरे पास ही बेड से कमर लगाकर कम्बल में घुस गई। और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो अपनी आंखें बंद किए हुए थी और होंठों पर हल्की मुस्कान थी। मैंने उसके गालों को सहलाया और एक और बर्फी उठाकर खाने लगा।
रूपाली कहां गई, मैंने पूछा।
भाग गई वो गोली देकर,,,,, उसे तो मैं अच्छी तरह बताउंगी,,,,, सोनल ने कहा।
तभी कोमल का मोबाइल बजने लगा।
दीदी का है, कोमल ने कॉल उठाते हुए कहा।
हैल्लो, हां दीदी,------------------------- नहीं, इधर ही रूक रही हूं,,,,,,, नहीं वो इधर ही हैं,,,,,,,,,, बस बैठे हैं,----------- हां,, खा लिया,,,,,,,,,,-------------------------------------- ठीक है, ----------- ओके बाये------------- बातें करके कोमल ने फोन काट दिया और मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगी।
क्या----- मैंने उसे मुस्कराते हुए देखकर कहा।
कुछ नहीं------- कहकर वो और भी ज्यादा मुस्कराने लगी।
आपके घर पर कौन कौन है,,,,,, नवरीत ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखते हुए पूछा।
उसका हाथ मेरी गर्दन के पिछे से होता हुआ अपूर्वा के बालों पर पहुंच गया और उसके बालों को सहलाने लगी। नवरीत का एक उभार मेरे हाथ पर हल्का सा टच होने लगा।
मम्मी,,, पापा,,,, भाई और सिस्टर की शादी हो चुकी है, मैंने कहा।
भाई आपसे बड़ा है या छोटा,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
छोटा,,,,,, मैंने कहा।
आप बीच के हो-------- कोमल ने कहा।
नहीं, मैं सबसे बड़ा हूं,,,,, मैंने कहा।
ऐसे ही काफी देर बातें चलती रहीं। अपूर्वा मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठी थी और उसका हाथ मेरी गोद में था। सारी मिठाईयां खत्म हो चुकी थी। ज्यादा मैंने ही खाई थी। अपूर्वा ने प्लेट उठाकर टेबल पर रख दी और वापिस मेरे कंधे पर सर रखकर बैठ गई।
उउउउउउउउंहहहह,,, मुझे तो नींद आ रही है, नवरीत ने उंघते हुए कहा और अपना एक पैर मोडते हुए मेरी जांघों पर आगे करके मेरे पेट से सटा दिया। उसकी एक जांघ पूरी तरह मेरे उपर थी और उसकी योनि वाला भाग मेरे जांघों पर टच हो रहा था। उसका हाथ पहले से ही मेरी गर्दन के पिछे से अपूर्वा के बालों में था। उसके इस तरह मेरे से सट कर बैठने से उसके उभार मेरे हाथ पर दब गये। बहुत ही नरम और मुलायम अहसास था।
सोनल पर मेरी नजर पड़ी तो वो तो वैसे ही बैठे बैठे सपनों की दुनिया में पहुंच चुकी थी। उकडू बैठे बैठे (पैरों को मोड कर बैठे हुए) कोमल के घुटनें भी शायद दुखने लगे थे, वो थोडा सा एडजस्ट हुई और अपने पैर मेरे और नवरीत के पैरों के उपर से सीधे कर दिय। उसकी जांघों का नीचे वाला हिस्सा मेरे और नवरीत के पैरों पर आ गया। उसने भी एक जम्हाई ली और अपनी आंखें बंद करके दीवार से सर लगा लिया।
नवरीत के इस तरह होने से अपूर्वा का जो कम्बल के उपर से मेरी गोद में रखा था वो हट गया तो अपूर्वा ने अपना हाथ कम्बल के अंदर कर लिया और मेरी जांघों और पेट पर रख दिया। मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, उसकी आंखें बंद थी और उसके चेहरे पर बहुत ही खुशी झलक रही थी।
सो गई क्या,,, मैंने धीरे से अपूर्वा के कान में कहा।
हूंहहहूं,,,, उसने धीमा सा जवाब दिया।
मैंने अपना हाथ उसके बालों में रख दिया और सहलाने लगा। वो थोड़ा सा एडजस्ट हुई और नीचे को सरक कर अपने गाल मेरी जांघों पर रख दिये और सो गई। उसका एक हाथ नवरीत के नितम्बों पर था।
सभी तरफ से लड़कियाें से घिरा हुआ मैं, बहुत ही असहज फील कर रहा था, क्योंकि उनके अंग मुझसे सटे हुए थे जिस कारण मेरा लिंग बार बार झटके ले रहा था।
नवरीत के पैर और अपूर्वा के सिर के कारण मैं उसे एडजस्ट भी नहीं कर सकता था।
सभी लगभग नींद में पहुंच चुके थे। मैंने भी अपना सिर पिछे बेड पर टिका दिया और आंखें करके अपूर्वा के बालों को सहलाने लगा।
तभी आंटी हाथ में ट्रे लेकर रूम में आई।
ये लो,,,,, मैं तो दूध लेकर आई हूं,, और ये सब लम्बी तान गये,,, आंटी ने कहा।
आंटी की आवाज सुनकर मैंने आंखें खोली और आंटी की तरफ देखा।
लो बेटा दूध पी लो,,,, और अपूर्वा और नवरीत तो अब उठेंगी नहीं, कोमल और सोनल को उठा दो,, वो भी पी लेंगी, कहते हुए आंटी ने ट्रे को टेबल पर रख दिया और अपूर्वा के सिर को सहलाते हुए उसके बालों में एक चुम्मी दी और उसको बेड पर सही तरह से लेटा दिया।
मैंने नवरीत को थोड़ा सा अपने से अलग किया और बेड से उठते हुए उसको सीधा करके सही तरह से लेटा दिया।
हलचल होने से कोमल का आंख खुल गई,,,, उसने आंखें मलते हुए चारों तरफ देखा और फिर नवरीत को साइड में लुढक गई।
कोमल,,,,, उठो,,, दूध पी लो,,, फिर सो जाना,,, मैंने उसे हिलाते हुए कहा।
नहीं,,, मुझे सोने दो,,,, कोमल ने नींद में कहा और कम्बल को अपने उपर खींच लिया।
मैंने बेड पर चढकर उसके गालों पर हल्के हल्के चप्पल लगाई,,,, उठो,,,, खामखां में खराब होगा,,, अब आंटी ले आई है,,,, चलो एक बार उठकर पी लो,,, ,फिर आराम से सो जाना।
उउउंहहहहंउउउहहह करते हुए कोमल उठ कर बैठ गई। मैंने एक गिलास उठाकर उसके हाथ के पास कर दिया।
कोमल ने आंखें खोले बगैर ही गिलास पकड़ लिया।
धयान से कहीं इनके उपर गिरा दो,,,,, उसको ऐसे उंघते हुए देखकर मैंने कहा।
उसने गिलास मुंह से लगाया और एक ही घूंट में सारा दूध पी गई और गिलास आगे की तरफ बढा दिया।
उसे देखकर मुझे हंसी आ गई, उसने एक बार भी अपनी आंखें नहीं खोली थी और खाली गिलास सोनल की तरफ कर रखा था।
मैंने उसके हाथ से गिलास लिया और टेबल पर रख दिया।
वो वापिस लेट गई और करवट लेकर नवरीत से चिपक गई। उसका एक हाथ नवरीत की छाती पर पहुंच गया।
मैंने सोनल की तरफ देखा तो आंटी उसके पास खडी थी और चददर को सही कर रही थी।
मैंने सोनल को उठाकर उसको भी दूध पिलाया। उसने भी नींद में ही दूध पिया,,, बस गनीमत इतनी थी कि उसकी आंखें आधी खुली हुई थी। दूध पीकर वो वैसे ही दीवार से सिर लगाकर फिर से सो गई।
मैंने उसे गोद में उठाया और अपूर्वा के साइड में लेटाकर कम्बल ओढा दिया।
लो बेटा, तुम भी पी लो,,, आंटी ने गिलास मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा।
मैंने गिलास लिया और चेयर पर बैठकर दूध पीने लगा।
यहां सोना चाहो तो यहां सो जाना,,,, बेटा,,,,, और नहीं तो साथ वाला रूम भी खाली है,,, चाहों तो उसमें सो जाना,,, मैं कम्बल रख देती हूं उसमें,,,, जहां चाहों वहां सो जाना,,, कहते हुए आंटी गिलास और ट्रे लेकर चली गई।
मैंने दूध पिया और उठकर बाथरूम करने चला गया। वापिस आकर मैं दूसरे रूम को देखने के लिए बाहर आया। दूसरे रूम में जाकर देखा, काफी शानदार रूम था,,, सलीके से सजा हुआ था। इसमें भी डबल बेड था।
तभी आंटी कम्बल लेकर अंदर आई।
ये लो बेटा,,,,, यहां पर आराम से सोना,,,,,,, कहते हुए आंटी ने कम्बल बेड पर रख दिया।
गुड नाइट बेटा,,, अपना ही घर समझना,, और आराम से सोना,,, कहते हुए आंटी वापिस चली गई।
मैं जाकर बेड पर बैठ गया। पता नहीं आज नींद आंखों से काफी दूर थी। फिर भी मैंने लेट कर कम्बल ओढ लिया। पर नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
थोड़ी देर मैं ऐसे ही करवटें बदलता रहा, पर नींद नहीं आई तो मैं उठकर बाहर आ गया। सामने मुझे उपर जाने के लिए सीढ़ियां दिखाई दी तो मैं उपर की तरफ चल दिया।
छत पर आकर मैं मुंडेर के सहारे आकर खड़ा हो गया। बहुत ही शांति छाई हुई थी। ठंड का मौसम होने से कुत्ते भी कहीं दुबक कर सो रहे थे शायद।
मैंने चारों तरफ नजर घुमाई,,,,, पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। पहाड़ों पर लाल लाइट जल-बुझ रही थी। मैंने आसमान की तरफ देखा तो पूरा आसमान तारों से भरा हुआ था। एकदम साफ आकाश,,,,, छोटा सा चांद दिखाई दे रहा था।
मैं मुंडेर पर चढकर दूसरी साइड पैर लटका कर बैठ गया। दूसरी साइड भी छत थी, इसलिए गिरने की टैंशन नहीं थी। मैं ऐसे ही बैठे हुए आसमान में देखने लगा। शायद तारें गिनने की कोशिश कर रहा हों।
आज काफी समय बाद इस तरह से आसमान में देख रहा था,,, शायद गांव से शहर में आने के बाद पहली बार। मन को बहुत ही शांति सी मिल रही थी। मैं काफी देर तक ऐसे ही आसमान में देखता रहा। तभी मुझे मेरे कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, पिछे अपूर्वा खड़ी थी।
हाए,,,,,, नींद कैसे खुल गई,,,, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
बाथरूम जाने के लिए उठी थी, देखा तो आप वहां पर नहीं थे,,,, फिर दूसरे कमरे में भी देखा,, पर वहां भी नहीं थे,,, अपूर्वा ने कहा।
मैं एकबार तो काफी परेशान हो गई,,, पर फिर ये उपर का दरवाजा खुला हुआ दिखाई दिया तो मैं उपर देखने आ गई,,, अपूर्वा ने थोड़ा रूककर फिर कहा।
नींद नहीं आर ही थी, तो उपर आ गया,,, मैंने कहा।
अपूर्वा भी मुंडेर पर मेरे साइड में बैठ गई।
कितना ब्यूटीफुल नजारा है,,,, अपूर्वा ने कहा।
हम्ममम,,,,, बहुत दिनों बाद आज रात में आसमान को देख रहा हूं,, बहुत ही अच्छा लग रहा है,,,, मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए कहा।
मैं तो पता नहीं आज कितने महीनों बाद उपर आई हूं,,,, अपूर्वा ने कहा और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।
बहुत ही अच्छा लग रहा है, इस तरह खुले आसमान के नीचे बैठकर,,,, अपूर्वा ने फिर से कहा।
हम्ममममम,,,,, मैंने बस इतना ही कहा और अपना एक हाथ अपूर्वा के सिर में लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगा।
अपूर्वा के साथ इस तरह बैठने से मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मन हो रहा था कि बस ऐसे ही बैठा रहूं। पता नहीं पर किसी कोने में बहुत ही मीठा सा आनंद महसूस हो रहा था।
आखिरकार मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो थी वो,,, और इस तरह खुले आसमान में रात को हल्की हल्की ठण्ड में बैठना,,,, बहुत ही आनंददायक था।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी कमर में रख दिया और सरककर पूरी तरह से मुझसे सट गई और दूसरा हाथ मेरी गोद में रख दिया। उसके इस तरह बैठने से उसके उरोज मेरे साइड और छाती पर दब गये थे। बहुत ही कोमल एहसास था। हम कितनी ही बार एक साथ रहे हैं, कितनी बार अपूर्वा मेरे से सटकर बैठी है, परन्तु आज तक कभी भी मेरे मन में उसके लिए कोई गलत विचार नहीं आया था। और आज भी वैसा ही था।
वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसके चेहरे की मासूमियत कोई भी गलत विचार आने ही नहीं दे सकती थी।
आप घर कब जा रहे हो,,,, अपूर्वा ने ऐसे ही बैठे हुए पूछा।
क्यों,,,,, कोई स्पेशल बात है क्या,,,, मैंने पूछा।
नहीं,,,, वो आंटी का फोन आया था ना आपके रिश्ते की बात के लिए,,,, और आपको संडे को बुलाया था,,,,,,, अपूर्वा ने कहा।
ओ तेरे की,,,,,, मैं तो भूल ही गया था,,,, मैंने हैरान होते हुए कहा।
थैंक्स यार याद दिलाने के लिए,,,,, नहीं तो मम्मी तो यहीं पर पहुंच जाती बेलन लेकर,,,,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
अपूर्वा भी हंसने लगी।
कल शनिवार है,,,, कल ही जाउंगा शाम को,,,,, मैंने कहा।
तो अगर आपको लड़की पसंद आ गई तो,,,,, हां कर दोगे,,,,, अपूर्वा ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा।
अरे अभी तो बस रिश्ते वाले आयेंगे,,, लड़की से मिलना तो बाद की बातें हैं,,,,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
पर हो सकता है,,, साथ ही आज जाये लड़की भी,,,, अपूर्वा ने कहा।
आपकी फोटो तो उन्होंने देख ही रखी होगी,,,,, अगर वो रिश्ता पक्का करने आये तो,,, लड़की भी साथ ही आ सकती है,,,,, अपूर्वा ने मेरे आंखों को टटोलते हुए कहा।
फिर भी,,,,, ऐसे किसी को एकबार देखकर थोड़े ही हां कर दूंगा,,,,,,, वैसे भी मैं अभी एक-दो साल तक तो शादी करने वाला हूं,,,,, मैंने कहा।
क्यों,,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
अरे यार,,, मुझे परेशान होना पसंद नहीं है, खुद भी परेशान रहो,,,,, उसको भी परेशान रखो,,,, इसलिए मैं तभी शादी करूंगा तब अच्छा-खासा पैसा हो जायेगा,,,, ताकि फिर कोई टैंशन ना रहे,,,,,, मैंने कहा।
अब ऐसे में शादी कर लूंगा तो मैं तो पैसे कमाने के चक्कर में परेशान रहूंगा,,,, और पैसे की कमी में उसकी जरूरते भी पूरी नहीं होगी तो वो भी परेशान रहेगी,,, मैंने फिर कहा।
मैंने देखा है, खुद महसूस किया है,,,, जो जिंदगी मैंने गरीबी में काटी है,,, मैं नहीं चाहता कि मेरे बीवी-बच्चे भी उसी तरह की जिंदगी जिये,,,,,, मैंने कहा।
अपूर्वा अभी भी मेरी चेहरे पर ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
और अगर वो अमीर बाप की इकलौती बेटी हुई तो,,,, तब भी नहीं करोगे,,,,,, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
हम्ममम,,,, डिपेंड करता है,,,, अगर वो अपनी अमीरी दिखायेंगे तो फिर मेरी ना ही होगी,,,, क्योंकि मैं किसी का गुलाम बनकर जिंदगी नहीं जी सकता।
हां अगर वो अच्छे इंसान हुए,,,,, और अपने पैसों का रूतबा नहीं दिखाते तो फिर उस बारे में सोचा जा सकता है, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
अचानक अपूर्वा ने मेरे गाल पर एक प्यारी सी किस की और अपना चेहरा मेरे छाती में छुपा लिया।
क्रमशः.....................
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