Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:18 PM,
#47
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--47
गतांक से आगे ...........
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये किसकी हरकत थी। अपूर्वा जिस तरह से परेशान दिख रही थी, हो सकता है उसकी हरकत हो, परन्तु फिर नवरीत पर नजर जाती तो उसकी वो कातिल मुस्कान देखकर लगता कि हो न हो इसकी ही हरकत है। परन्तु फिर कोमल व सोनल का मुस्कराता चेहरा दिखता तो उन पर भी शक होता। वैसे कोमल पर ज्यादा शक नहीं हो रहा था। परन्तु सोनल और नवरीत पर सबसे ज्यादा शक हो रहा था।
माना कि खाना हमारी तरफ से है और स्वादिष्ट भी है, पर कहीं भागा तो नहीं जा रहा था ना, और हम सब तो थोड़ा थोड़ा ही खाते हैं, तो सारा आपके लिए ही था, फिर भी पता नहीं किस बात का डर था कि इतनी जल्दी थी खाने की,,,,, नवरीत ने अपनी आंखें नचाते हुए कहा और चेयर पर पिछे की तरफ पीठ टिका कर बैठ गई।
सभी हंसने लगे। उसकी ये बात सुनकर तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि हो न हो इसी की हरकत है। मैंने फिर से खाना शुरू कर दिया।
लो भई, मेरा पेट तो भर गया, अब तुम लोग खाओ आराम से, कहते हुए अंकल उठ गये और बाई(कामवाली) आकर उनके बर्तन उठा ले गई।
अंकल के जाते ही मुझे फिर से मेरे पैर पर किसी का पैर महसूस हुआ। मैंने सभी की तरफ गौर से देखा पर सभी ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे वो कुछ कर ही नहीं रही।
मैंने अपना दूसरा पैर उठाया और जोर से उसके पैर पर मारने ही वाला था कि तभी मन में विचार आया कि यार जिसका भी है, है तो लड़की का ही, और यह विचार आते ही मैंने उसके पैर पर मारने का इरादा त्याग दिया।
अब उस पैर की हरकत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। अब वो पैर मेरे घुटनों तक आ गया था। नवरीत अपने चेयर पर कुछ नीचे को खिसक गई थी। मतलब वो ही ये हरकत कर रही है।
अगर बैठा नहीं जा रहा तो आराम से सोफे पे जाकर पसर जा, यहां क्या टेबल को गिराने का इरादा है, मैंने नवरीत की तरफ घूरते हुए कहा।
मेरी मर्जी मैं कहीं भी पसरूं, आपको मतलब, उसने मेरी तरफ जीभ निकालते हुए कहा।
रोटियां और चाहिए बेटा, आंटी की आवाज आई।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, आंटी रोटियां लिए आ रही थी। नवरीत सीधी होकर बैठ गई। पर वो पैर अभी भी मेरे पैर से छेड़छाड़ कर रहा था।
अब तो मैं टैंशन में आ गया था, पैर नवरीत का नहीं है तो किसका है। अब मैंने अपना निश्चय पक्का किया और हल्के से उस पर पैर दूसरे पैर से मार दिया।
आइइइइई-------- तुरंत ही रिएक्शन मिला, और कोमल के मुंह से दर्द भरी आह निकली।
क्या हुआ, किसी ने मारा, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कोमल ने मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर खाना खाने लगी।
क्या हुआ दीदी, आइइइई क्यों की थी आपने अभी, नवरीत ने थोड़ा आगे झुककर उसे देखते हुए कहा।
कुछ नहीं, वो,,, वो,,,,, वो,,,, थोड़ा,,, सा ,,,,, बस,,,,,, वो,,,,, उंगली दांतों के नीचे आ गई थी, कोमल ने नवरीत को अपनी उंगली दिखाते हुए कहा।
हेहेहेहेहेहेहेहे,,,,,,, नवरीत खिलखिलाकर हंस पड़ी।

हंसते हुए वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। उसके गाल पर पड़े वो डिम्पल मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे।
नहीं,,, नहीं,,, आंटी ओर नहीं,,, बस पेट भर गया, मैंने आंटी को और रोटियां रखने से मना करते हुए कहा, पर आंटी ने जबरदस्ती दो रोटियां और रख दी।
आज तो दो इंच पेट बढ़ ही जायेगा, एक तो इतना ज्यादा मक्खन और उपर से दो रोटियां एक्स्ट्रा,,,, मैंने आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
पतली पतली तो रोटियां बनाती हूं मैं, अभी दो रोटी ही तो खाई हैं तुमने, लो ये एक और लो,,,,,,, आंटी ने एक रोटी और रखते हुए कहा।
अरे आंटी, चार रोटियां खा चुका हूं,,,, मैंने आंटी को रोटी रखने से रोकते हुए कहा।
ले लो, बार बार नहीं मिलेंगी आंटी के हाथ की रोटियां, वैसे भी तुम आधे टाइम तो भूखे ही रहते होंगे, नवरीत ने मेरा हाथ एकतरफ हटाते हुए कहा और आंटी ने वो रोटी भी थाली में रख दी।
मैंने नवरीत को घूर कर देखा, और फिर खाना खाने लगा।
हे,,,,, ऐसे क्या देख रहे हो, एक तो एक रोटी एक्सट्रा दिला दी, उपर से गुस्सा हो रहे हो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मैंने दो रोटियां उठाई और सीधे नवरीत की थाली में पहुंचा दी।
हे, हे, ये चीटिंग है, अपनी रोटियां मेरी थाली में क्यों रखी, इती मुश्किल से तो तुम्हें दिलाई है,,,, नवरीत ने रोटियां उठाकर वापिस मेरी थाली की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
अरे,,,,, तुम भी ना रीत,,,,,, ये कहना चाहते हैं कि इनके हाथ दुखने लगे हैं रोटियां तोड़ते तोड़ते, इसलिए अब तुम अपने हाथों से खिला दो, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
अच्छा तो ये बात है, चलो तुम भी क्या याद रखोगे, कहते हुए नवरीत ने आधी रोटी का एक कौर बनाया और सब्जी लगाकर मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैं उसकी तरफ टुकुर टुकूर देखने लगा।
ऐसे क्या टूकुर टुकूर देख रहे हो, अब खाओ, मेरे हाथ से खाना किसी किसी को नसीब होता है, और वो भी कभी कभी,,,,,,, अब जल्दी से खा लो नहीं तो हो सकता है मेरा मूड बदल जाये, फिर हाथ मलते रह जाओगे,,,,,,,, नवरीत ने अपनी मोटी मोटी आंखें नचाते हुए कहा।
खा लो, खा लो, सालियां खिला रही हों तो, ज्यादा नखरे नहीं करने चाहिए,,,, आंटी ने पास से गुजरते हुए कहा।
सालियााााााााां,,,,, मैंने आश्चर्य से आंटी की तरफ देखा, पर तब तक आंटी रसोई में जा चुकी थी।
चलो अब जल्दी से मुंह खोलो, नवरीत ने कहा।
मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, वो मेरी तरफ ही देख रही थी और मुस्करा रही थी। जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, उसने शरमा कर अपनी नजरें झुका ली और फिर अदा से एक बार वापिस उपर को उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर तुरंत ही वापिस नीचे झुका ली।
उसकी इस अदा ने तो मुझे मार ही डाला, और मेरा मुंह खुल गया। मौके का फायदा उठाकर नवरीत ने रोटी सीधा मेरे मुंह में ठूंस दी।
उंहहननननननननन,,,,, मेरे मुंह से बस इतना ही निकल पाया। नवरीत ने अपना हाथ हटा लिया, नीचे ना गिरे इसलिए मैंने अपनी हथेली होठों के पास कर ली।
देखो, देखो, भूखे को,,,,, कैसे बेनिता होकर खा रहा है, खाना कहीं नहीं भागा जा रहा, आराम से भी खा सकते हो, थोउ़ा थोउ़ा करके, नवरीत ने हंसते हुए कहा। उसका एक हाथ मेरी तरफ उठा हुआ था।
तुम भी ना रीत,,,,, ये भी कोई तरीका है,,,,, अपूर्वा ने कहा और उठकर अपनी चुन्नी से मेरे मुंह पर लगी सब्जी को साफ कर दिया।
ओए होए,,,,,,, बहुत दया आ रही है, नवरीम ने अपूर्वा के गालों को खिंचते हुए कहा।
एक साथ इतना ज्यादा खाने के कारण सब्जी की चरचराहट गले में चली गई थी, जिस कारण खांसी तो नहीं हुई, पर आंखों से पानी बहने लगा था।
अपूर्वा उठी और मेरे पास आकर बैठ गई और नवरीत की थाली से रोटियां उठाकर मेरी थाली में रख ली।
देखो, देखो, कैसे मेरी थाली से रोटियां उठा ली भूखों ने, कितने बेनिते हो तुम लोग, नवरीत ने थोड़ा सा सीरियस चेहरा बना कर कहा और कहकर फिर से हंसने लगी।
अपूर्वा ने उसको घूर कर देखा, और फिर अपनी चुन्नी से मेरे आंखों से बहता पानी साफ किया और पीने के लिए पानी दिया।
मैंने पानी पिया। अपूर्वा ने रोटी में से छोटा सा कौर तोउ़ा और सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया। मैंने उसकी तरफ देखा और फिर अपना मुंह खोल दिया। उसने बहुत ही प्यार से मुझे खिलाया। फिर एक कौर खुद खाया और फिर मुझे खिलाया।
मेरा पेट भरा हुआ था, पर कोई इतने प्यार से खिलाए तो कैसे मना किया जाए। वो मुझे खिलाती गई और मैं खाता गया। आधी रोटियां उसने खुद खाई और आधी मुझे खिलाई।
नवरीत हमें देखकर हंसे जा रही थी। कोमल भी हंसने में उसका साथ दे रही थी। सोनल बस हमें घूर घूर कर देख रही थी।
खाना खाने के बाद सभी उठे और वाश बेसिन पर पहुंच गये।

हे पहले मेरा नम्बर है, बाकी सभी लाइन लगा कर खड़े हो जाओ, नवरीत ने सबसे आगे निकलते हुए कहा और वाश बेसिन पर अपने हाथ धोने लगी।
वो कुछ ज्यादा ही टाइम लगा रही थी। मैं एक साइड खड़ा हुआ इंतजार कर रहा था कि कब ये सब जगह दें और मेरा नम्बर आये।
आखिर काफी देर बाद नवरीत ने जगह दी।
हे,,,, ज्यादा टाइम तो नहीं लगाया ना मैंने, इता टाइम तो लगता ही है ना अच्छी तरह से कुल्ला करने में, नहीं तो दांतों में सड़ने हो जायेगी, नवरीत ने मेरे पास आकर खड़े होते हुए कहा।
और हां, आप भी अच्छे से करना, कहीं खाने की तरह जल्दी जल्दी में,,,,,, नहीं तो दांत सड़ जायेंगे, नवरीत ने मेरे गाल का सहलाते हुए कहा।
सभी ने हाथ धोये और आकर सोफे पर बैठ गये। नवरीत और अपूर्वा रसोई में चली गई।
नवरीत व अपूर्वा के रसाई में चले जाने पर मुझे लड़कियां कुछ कम लगी। तभी मुझे धयान आया कि रूपाली तो है ही नहीं।
मैं किसी से कुछ पूछता, उससे पहले ही मेरे कानों में और दूसरी आवाज पड़ी।
हे,,, चलो चलो, उपर, यहां क्या बैठे हो, नवरीत ने रसोई से निकलते हुए कहा। उसके हाथों में दो प्लेटे थीं, प्लेटों में क्या था ये तो दिखाई नहीं दिया। पर ये कहते हुए उपर की तरफ चल दी।
उसके पिछे पिछे अपूर्वा रसोई से निकली, उसके हाथों में भी एक प्लेट थी। वो भी उपर आने का इशारा करते हुए नवरीत के पिछे पिछे चल दी।
हम तीनों खड़े हुए और उपर की तरफ चल पड़े।
समीर बेटा, एक मिनट आप इधर आओ, आपसे कुछ बात करनी है, सामने से आते हुए अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं कुछ शंकित सा हो गया, कि पता नहीं क्या बात हो गई, जो मुझे अकेले को बुला रहे हैं, पर उनके चेहरे की मुस्कराहट देखकर कुछ शांति मिली।
मैं उनके साथ वापिस सोफे की तरफ मुड गया।
पापा,,,,,,, अभी नहीं, अपूर्वा की आवाज आई।
पर बेटा,,,,,,,, अंकल ने इतना ही कहा।
उउंउंहहहहहह,,,,,, अभी नहीं ना पापा,,,,, फिर से अपूर्वा की आवाज आई।
वो सीढ़ीयों में खड़ी थी, नवरीत उपर पहुंच चुकी थी, बाकी की दोनों लडकिया अपूर्वा के पिछे ही खडी थी।
चलो, जैसी तुम्हारी मर्जी, कहते हुए अंकल सोफे पर बैठ गये।
क्या बात है, अंकल,,,,, मैंने थोड़ा शंकित होते हुए अंकल से पूछा।
वो बेटा, बात ऐसी है कि,,,,,, अंकल ने इतना ही कहा था कि तभी फिर से अपूर्वा की आवाज आई।
नहीं ना पापा,,,,,,, अभी नहीं,,,,, उसने कहा।
ओ-के- बेटा,,,,, अंकल ने कहा।
और आप उपर आओ,,,,,,, अपूर्वा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं असमंझस में सिर खुजलाते हुए उपर की तरफ चल दिया। समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी क्या बात है, और जब अंकल बता रहे थे तो अपूर्वा ने मना क्यों किया। इसी असमंझस में मैं उपर पहुंच गया।
मेरे उपर आते ही अपूर्वा मेरा हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर ले गई और अंदर आकर बेड पर बैठा दिया। और फिर प्लेट को टेबल पर रखते हुए टेबल को बेड के पास सरका लिया। नवरीत ने भी अपनी प्लेटे उस टेबल पर रख दी।
प्लेट में रखी मिठाईयां देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया। बंगालियां मिठाईयां और बर्फी, जो कि मेरी बहुत ही मनपसंद मिठाईया हैं।
आराम से बैठो ना उपर पैर करके,,, अपूर्वा ने कहा।
मैंने अपने जूतों की तरफ देखा और फिर जैसे ही जूते उतारने के लिए झुकने लगा, मुझसे पहले ही अपूर्वा नीचे बैठ गई। बैठते हुए उसके उरोज मेरे घुटनों से टकरा गये, पर उसने कोई धयान नहीं दिया और नीचे बैठकर मेरे जूते उतारने लगी।
हे,,, ये क्या कर रही हो, मैं खुद उतार लूंगा, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
अब तो आदत डाल लो जीजू,,,,, नवरीत ने चहकते हुए कहा।
जीजू,,,,,, मेरे मुंह से आश्चर्य से निकला।
ये क्या चक्कर है, नीचे आंटी सालियां कह रही थी और यहां पर तुम ये जीजू,,,,,,, ये क्या है,,, मैंने कन्फयूज होते हुए सीरियस चेहरा बनाते हुए कहा।
अपूर्वा ने नवरीत की तरफ घूर कर देखा। नवरीत ने अपने होंठों पर उंगली रख ली और ‘सॉरी’ कहा।
अपूर्वा फिर मेरे जूते उतारने लगी।
हे,,, बताओ ना, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,, मैंने कहा।
सब समझ में आ जायेगा टाइम आने पर,,,,, कोमल ने कहा।
मैंने उसकी तरफ देखा। वो आराम से बेड पर बैठी थी और उसके हाथ में एक बर्फी थी।

मैंने बुरा सा मुंह बना दिया।
चलो,,, अब आराम से उपर पैर करके बैठ जाओ,,,,, अपूर्वा ने मेरे जूते उतारकर साइड में रखते हुए कहा।
मैं आराम से उपर पैर करके बेड के सहारे कमर लगाकर बैठ गया और पैरों को सीधे करके उनपर कम्बल डाल लिया।
सोनल, जो कि दीवार के सहारे कमर लगाकर अपने पैरों को सिकोड़ कर बैठी थी उसने भी पैरों को सीधा करके मेरे पैरों के उपर रख लिये। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने एक आंख दबा दी।
कोमल सोनल के पास ही दीवार से कमर लगाकर बैठी थी, वो मेरे साइड में ही बैठी थी और अपने पैरों को सिकोड़े हुए थी। उसने अपने पैरों को थोड़ा सा आगे की तरफ सरका दिया जिससे उसके पैरों की उंगलियां मेरी जांघों की साइड में आकर जम गई। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्करा दी।
नवरीत बेड पर चढी और अपनी कमर पर हाथ रखकर इधर उधर देखने लगी और फिर मेरे और कोमल के बीच में आकर बेड से कमर लगा कर मुझसे सटकर बैठ गई। पर उसे पैर फैलाने के लिए जगह नहीं मिली।
उसने एक पैर मेरी जांघों के उपर से फैला कर रख लिया और दूसरा शायद कोमल के पैरों के बीच से उसके नितम्बों और पैरों के बीच रख लिया।
अभी तक नवरीत के बारे में बारे में कभी भी उलटा नहीं सोचा था, पर आज जब उसने इस तरह से मेरी जांघों पर पैर रखा तो,,,,, न चाहते हुए भी मेरा लिंग अपना सिर उठाने लगा।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:18 PM

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