RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--46
गतांक से आगे ...........
तभी नवरीत और रूपाली अंदर आई। उनके पिछे ही अंकल भी अंदर आये। अंकल को देखते ही हम सभी खड़े हो गये।
अरे बैठो बैठो, अंकल ने हंसते हुए कहा।
मैं अपूर्वा का पापा हूं, अंकल ने खुद ही अपना इंट्रो देते हुए कहा।
नमस्ते अंकल, मैं समीर, अपूर्वा के ऑफिस में काम करता हूं, मैंने अंकल के पैर छूते हुए कहा।
वाह बेटा, बड़े अच्छे संस्कार है तुम्ळारे, अंकल ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया।
फिर कोमल, रूपाली और सोनल ने भी अंकल को गुड इवनिंग की। कोमल ने अंकल के पैर छूए।
ये मेरे बॉस की साली हैं, अपूर्वा ने अंकल को बताया।
ओह------- तब तो हमारी स्पेशल मेहमान हैं, अंकल ने कोमल के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
जी--- पापा--- और इसीलिए आज ये यहीं पर रूकेंगी, अपूर्वा ने कहा।
कोमल ने मेरी तरफ देखा और फिर अपूर्वा की तरफ देखकर कुछ इशारा करने लगी।
अपूर्वा ने उसकी तरफ आंख मार दी।
ये मेरी फ्रेंड सोनल है, नवरीत ने सोनल की तरफ इशारा करते हुए कहा, और ये सोनल और मेरी दोनों की फ्रेंड रूपाली, नवरीत ने रूपाली पर हाथ रखते हुए कहा।
बहुत अच्छे, सभी अच्छे अच्छे दोस्त हैं तुम्हारे, अंकल ने कहा।
आज एकसाथ कैसे आना हो गया, सभी का, अंकल ने थोड़ा असमंझज में होते हुए कहा।
हम सभी सोनल के घर पर थे, तभी समीर ने बताया कि अपूर्वा की तबीयत खराब थी आज, तो हम सभी मिलने के आ गये, नवरीत ने अंकल को समझाया।
हां--- वो सुबह बुखार था हल्का-सा, अंकल ने कहा।
ठीक है बच्चों, एंजॉय करो, कहते हुए अंकल बाहर निकल गये।
अंकल के जाते ही सभी की सभी बेड पर धडामममम धडाममममम धडाममममम,,,, जैसे जान ही ना बची हो किसी में।
मैं खड़ा खड़ा उन्हें गिरते हुए देखता रहा। कोमल शायद ऐसे ना बेड पर धडाम करती पर नवरीत ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, इसलिए वो भी उसके साथ ही साथ बेड पर धडामममम हो गई।
थोड़ी देर तक सभी ऐसे ही पड़ी पड़ी हंसती रही और फिर एक दूसरे के उपर सिर-पैर डालकर आराम से लेट गई।
ओ-के- अब मैं चलती हूं, फिर ज्यादा अंधेरा हो जायेगा, कोमल ने उठते हुए कहा।
कहां जा रही हो, बैठो इधर,, अपूर्वा ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
कोमल अभी आधी ही उठ पाई थी कि अपूर्वा के वापिस खींचने से फिर से धडामममममम------
देखो बात ऐसी है कि मैं तो जा रहा हूं, और आप इधर ही रूक जाओ,,, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनते ही अपूर्वा एकदम से उठी और मेरी तरफ उंगली दिखाने लगी।
इधर ही रूकना है आज, मम्मी-पापा से भी मैंने पूछ लिया है, अगर नहीं रूके तो फिर देख लियो------ अपूर्वा ने तमतमाये हुए चेहरे से कहा।
मैं चुप हो गया। अपूर्वा मुझे घूर कर देखती रही। कोमल भी उठ कर बैठ चुकी थी।
मैम ने कह दिया है, तुम रूक सकती हो यहां पर, मैंने कोमल से कहा।
पहले मेरी बात का जवाब दो, अपूर्वा ने फिर पूछा।
जी बिल्कुल,,,,, मेरा अभी कोई इरादा नहीं है नरकवासी होने का,,,,,, मैंने थोड़ा गंभीर चेहरा बनाकर कहा,,,, पर मन ही मन हंसी आ रही थी अपूर्वा का एकदम टमाटर जैसा लाल चेहरा देखकर।
हां,, कहे देती हूं,,,,, नहीं रूके तो फिर ,,,,,, कहकर अपूर्वा ने अपनी उंगली नीचे कर ली जो अभी तक दुनाली की तरह मुझ पर तनी हुई थी।
मैंने अपने सीने पर हाथ रखकर एक ठण्डी सांस ली।
यार कुछ करते हैं तूफानी, ऐसे तो बोर होते रहेंगे यहां पर, फिर रूकने का क्या फायदा होगा, सोनल ने उठकर बैठते हुए कहा।
तभी रूपाली का मोबाइल बजने लगा।
मम्मी का है, एक मिनट चुप रहो, कहते हुए रूपाली ने कॉल पिक की।
हैल्लो मम्मा, रूपाली ने स्पीकर ऑन करते हुए कहा।
मम्मा की बच्ची कहां है तू अभी तक, उधर से आंटी की आवाज आई।
सोनल के पास हूं मम्मा, बस अभी दस मिनट में आ रही हूं, रूपाली ने कहा।
नवरीत ने उसे घूर कर देखते हुए ना के इशारे में अपनी उंगली हिलाई।
ठीक है, जल्दी आ जा, देख अंधेरा भी हो गया है, आंटी की आवाज आई।
ओ-के- मम्मा, बाये,, कहकर रूपाली ने फोन काट दिया।
मम्मा की बच्ची, तुझे मैं बताती हूं, कहते हुए नवरीत ने रूपाली को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया जिससे वो लेट सी गई और फिर उसके पेट पर गुदगुदी करने लगी।
रूपाली हंसने लगी और अपने पैरों को मोड़कर गुदगुदी से बचने की कोशिश करने लगी।
उसके पैर कोमल को लगे तो कोमल ने उसके पैरों को पकड़कर सीधे कर दिया और पकड़े रखे। अब बेचारी रूपाली पैरों को मोड़ भी नहीं सकती थी। नवरीत उसे गुदगुदी किये ही जा रही थी। रूपाली की आंखों में हंसते हंसते पानी आने लगा था।
गुदगुदी करने की वजह से रूपाली की कुर्ती उपर को सरक गई थी जिससे उसका मखमली सपाट पेट नंगा दिखने लगा था। ट्यूबलाइट की रोशनी में तो उसका पेट और भी ज्यादा दूधिया दिख रहा था।
जब नवरीत ने गुदगुदी करनी बंद नहीं की तो रूपाली ने रोना शुरू कर दिया।
आंहनननंहहहननननन प्लीज,, बस ,,,,, प्लीज,,,,,,, और नहीं,,,, प्लीज,,,,, आंनननननननंननहनहहहहहह
जब फिर भी नवरीत ने गुदगुदी करनी बंद नहीं की तो रूपाली ने उसको हाथों को पकड़ने की कोशिश की पर सोनल ने उसके हाथ पकड़ लिये। अब तो नवरीत बिना किसी बाधा के उसे गुदगुदी कर सकती थी। नवरीत ने उसके बगल (काख, आर्मपिट) में गुदगुदी करनी शुरू कर दी।
रूपाली ने एकदम से अपने पैरों को पटका, कोमल की पकड़ शायद ढीली हो गई थी, इस वजह से उसके पैर आजाद हो गये और वो अपने पैरों को बेड पर रखते हुए सिर और पैरों के बल उपर उठ गई।
इस तरह उठने से उसकी कुर्ती जो पहले ही उसकी नाभि से उपर जा चुकी थी, अब उसके उभारों के सहारे जाकर अटक गई।
मेरे लिंग ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी।
ठीक है, नहीं जाउंगी, अब तो छोड़ दो,,,,, हार मानते हुए रूपाली ने कहा।
क्या कहा दीदी ने आप बताइये ना, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैम ने कहा है कि तुम रूक सकती हो, अगर मैं भी यहां पर रूक रहा हूं तो, मैंने उसे बताया।
येय,,,,,, अपूर्वा खुश होते हुए चिल्लाई।
पर मैं नहीं रूक रहा तो आप नहीं रूक सकती, मैंने गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा।
अब तो मैं बस,,,,,, कहते हुए अपूर्वा घुटनों के बल चलते हुए मेरे पास आई और मेरे गालों को पकड़कर खींच लिया।
आइइइइइइइइ,,,,, मैं तो मजाक कर रिया था,,,,,,,, मैंने दर्द भरी आह के साथ कहा।
हाहाहाहाहा,,,,,हेहेहेहेहे,,,,, ये ‘रिया’ क्या होता है------- नवरीत ने हंसते हुए पूछा।
मतलब ‘रहा’ वो थोड़ी जीभ लडखड़ा जाती है तो ‘रिया’ निकल जाता है, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
हम्मममम,,,,, आपकी भी जबान लडखड़ाती है, सोनल ने गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा और कहकर हंसने लगी।
मैं अभी आई, रूपाली ने उठते हुए कहा और बाहर की तरफ जाने लगी।
कहां---- कहीं भागने का प्लान तो नहीं है, अपूर्वा ने पूछा।
हेहेेहेहे, बस अभी आ रही हूं,,,,,,, रूपाली ने कहा और बाहर निकल गई।
बेटा, खाना तैयार हो गया है, सभी खाना खा लो गर्म गर्म, नीचे से आंटी की आवाज आई।
ओ-के- मॉम, अभी आते हैं, अपूर्वा ने वहीं से मरी-सी आवाज में जवाब दिया।
अपूर्वा, बेटा, आ जाओ खाना खा लो, नीचे से अबकी बार अंकल की आवाज आई।
शायद अपूर्वा की आवाज नीचे तक नहीं पहुंची थी।
मैं उठकर रूम से बाहर आया।
जी अंकल अभी आ रहे हैं, मैंने बाहर आकर कहा।
अंकल नीचे सामने सोफे पर बैठकर कोई बुक पढ़ रहे थे।
अंकल ने मेरी तरफ देखा और फिर हाथ से नीचे आने का इशारा किया।
मैं नीचे जा रहा हूं, अंकल बुला रहे हैं, मैंने कमरे में झांकते हुए कहा और नीचे चल दिया।
आओ बेटा बैठो, अंकल ने अपने बगल में इशारे करते हुए कहा।
मैं साइड वाले सोफे पर बैठ गया।
कैसे हो बेटा, अंकल ने बुक टेबल पर रखते हुए कहा।
ठीक हूं अंकल, मैंने कहा।
काफी टेंलेटेड हो, अंकल ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए कहा।
जी, मैं समझा नहीं, मैंने थोड़ा टेंशन में होते हुए कहा।
मुझे लगा कि पता नहीं किस टेलेंट की बात कर रहे हैं,,,, ।
आठवीं तक पढ़े हो, फिर भी आई-टी- प्रोफेशनल हो, अच्छी कम्पनी में नौकरी है, अच्छी पोजीशन पर हो, तो टेलेंटेड ही तो हुए, अंकल ने समझाते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मेरी जान में जान आई।
ओहह---- हां, वो तो बस ऐसे ही, ज्यादा कुछ नहीं, मैंने चैन की ठण्डी सांस लेते हुए कहा।
अपूर्वा बहुत बातें करती रहती है तुम्हारे बारे में, सब उसी से पता चला, अंकल ने उपर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैंने अंकल के इशारे की तरफ देखा, सभी लड़कियां बाहर ही खड़ी थी और हमारी तरफ ही देख रही थी। अपूर्वा ने मेरी तरफ थम्स-अप करके बेस्ट ऑफ लक कहा। मैं थोड़ा कन्फयूज हो गया।
इसके बाद अंकल मुझसे मेरे आगे की लाइफ के बारे में क्या सोचा है, मेरे घर-परिवार के बारे में , आदि आदि पूछते रहे। (दोस्तों मैंने ये पूरी कनवर्जेशन लिखी तो है, पर मुझे लगा कि आप सब बोर हो जायेंगे पढ़कर इसलिए पोस्ट नहीं की)।
चलो अब खाना खा लो, खाना लग गया है, आंटी ने कहा।
मैंने आवाज की तरफ देखा, सभी लड़किया डायनिंग टेबल पर बैठी थी और बाई और आंटी खाना लगा रही थी।
मैंने इधर उधर देखा, एक कोने में वाश-बेसिन था। मैंने जाकर हाथ-मुंह धोये और आकर चेयर पर बैठ गया। कुछ देर बाद अंकल भी आकर बैठ गये।
सभी ने खाना आरंभ किया। सभी चुपचाप खाना खा रहे थे। कोई कुछ नहीं बोल रहा था।
सभी खाना खा ही रहे थे कि मेरे पैर पर मुझे कुछ महसूस हुआ। और तुरंत ही मुझे पता चल गया कि ये किसी का पैर है। मेरे सामने नवरीत बैठी थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि उसका पैर हो सकता है। उसका पूरा धयान खाना खाने में था।
मैंने उसके पास में बैठी कोमल की तरफ देखा तो वो भी खाने में मग्न लग रही थी। उसके बाद बैठी अपूर्वा खाना खा रही थी और मेरी तरफ टुकूर टुकूर देख रही थी।
मैंने एकबार कन्फर्म करने के लिए सोनल की तरफ भी देखा पर वो भी खाना खाने में मग्न थी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये अपूर्वा का पैर हो सकता है। पर सिचुएशन देखकर यही लग रहा था कि पैर अपूर्वा का ही है।
मैंने अपने पैर को थोड़ा सा पिछे कर लिया। पर उसका पैर फिर से मेरे पैर तक पहुंच गया और मेरी पेंट को उपर उठाकर अंदर घुसने की कोशिश करने लगा।
अचानक उसने अपने पैर के अंगूठे और उंगली के बीच में मेरे पैर की चमड़ी को भींच दिया। मैंने रोटी का कौर मुंह में लिया ही था, उसकी इस हरकत से एकदम से कौर स्वांस नली में चला गया और मुझे जोर की खांसी आ गई। वो तो गनीमत है कि मैंने मुंह पर हाथ रख लिया था, नहीं तो गड़बड़ हो जाती।
अपूर्वा एकदम उठी और पानी का गिलास मेरी तरफ बढ़ाया। मैंने उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी।
मेरी आंखों में पानी आ गया था। मैंने पानी पीया और उठकर वाश-बेसिन पर जाकर मुंह धोया और रूमाल से पौंछकर फिर से आकर खाना खाने लगा। अबकी बार मैंने अपने पैरों को चेयर की तरफ पिछे कर लिया था।
मैंने सबकी तरफ एक नजर घुमाई, नवरीत मुस्करा रही थी, अपूर्वा के चेहरे पर कुछ पेरशानी की रेखाएं थी, कोमल और सोनल भी हल्के हल्के मुस्करा कर मेरी तरफ ही देख रही थीं।
क्रमशः.....................
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